|| आपदा प्रबंधन अधिनियम क्या है? | Disaster management act in Hindi | Disaster management act kya hai | Aapda prabandhan adhiniyam kya hai in Hindi | आपदा प्रबंधन अधिनियम कब लागू किया गया था? | Disaster management act came into force in ||
Disaster management act in Hindi :- जब से देश में कोरोना नामक महामारी आई है तब से ही देश में एक अधिनियम जिसे हम आपदा प्रबंधन अधिनियम के नाम से जानते हैं, उसकी बहुत चर्चा हो रही है। भारत सरकार ने भी इसी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत ही लॉकडाउन लगाया था और बाकि सभी नीति निर्देश जारी किये थे। अब यदि कोई भी सरकारी अधिकारी, निजी कर्मचारी या अन्य कोई भी आम नागरिक इस आपदा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करते हुए या इसके नियमों का पालन नहीं करते हुए पाया जाता है तो उस पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है जिसकी अनुमति इसी अधिनियम में निहित विभिन्न धाराएँ देती है।
तो आपको यह जानना चाहिये कि आखिरकार यह आपदा प्रबंधन अधिनियम या डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट है क्या चीज़ और इसे क्यों बनाया गया (Disaster management act kya hai) था। साथ ही इसमें कितनी धाराएँ है और उनके अंतर्गत क्या नियम बनाए गए हैं। आज के इस लेख में हम आपके साथ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं (Aapda prabandhan adhiniyam in Hindi) ताकि आपको आपदा प्रबंधन अधिनियम का संपूर्ण अर्थ पता चल सके।
आपदा प्रबंधन अधिनियम क्या है? (Disaster management act in Hindi)
जब से कोरोना आया है तब से आपने बहुत बार समाचार पत्रों या न्यूज़ चैनल में इस अधिनियम का नाम सुना होगा किंतु कभी आपने इसके बारे में जानने का प्रयास नहीं किया होगा। दरअसल इस आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जो दिशा निर्देश जारी किये जाते हैं, उसी पर ही हमारा ध्यान जाता है क्योंकि वे प्रत्यक्ष रूप से हमारे जीवन से जुड़े हुए होते हैं लेकिन (Explain Disaster management act 2005 in Hindi) जिस अधिनियम के तहत उन्हें लागू किया गया है, उसके बारे में भी तो जानना उतना ही आवश्यक हो जाता है। तो आइए जाने क्या है ये डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और यह क्यों लागू किया गया था।

हमारे देश में कुछ ना कुछ समय में ऐसी आपदा आती है जो मनुष्यों के लिए बड़ी तबाही लेकर आती है। अब चाहे आप कुछ वर्षों पहले आई भयानक सुनामी को ही ले लीजिए। उस समय भारत सरकार सहित राज्य सरकारों व जिले के अधिकारियों को व्यापक (Aapda prabandhan adhiniyam 2005 kya hai) स्तर पर तैयारी किये जानी की जरुरत होती है और उस आपदा से कम से कम नुकसान होने पाए, ऐसा प्रबंधन करना होता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आप कोरोना नामक महामारी के समय भारत सरकार के द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उठाए गए कदमों से ले सकते हैं जिसे पूरी दुनिया में सराहा गया।
ऐसे में यह सब अधिकार यही आपदा प्रबंधन अधिनियम देता है। तो इस अधिनियम के तहत भारत सरकार सहित राज्य सरकार व जिला स्तर के अधिकारियों को यह शक्ति मिलती है कि वह उस आपदा के प्रबंधन और उसके प्रभाव को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाये और सभी नागरिकों सहित उस प्रभावित क्षेत्र के लोगों को आदेश जारी करे। अब यह आपदा भी दो तरह की हो सकती है, जो है प्राकृतिक आपदा व मानव जनित आपदा। तो यह एक्ट या अधिनियम (aapda prabandhan kya hai) दोनों तरह की ही आपदाओं में नियम बनाने तथा पाबंदियां लगाने की शक्तियां प्रदान करता है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो यदि किसी क्षेत्र में या पूरे देश में कोई आपदा आ गयी है तो उस क्षेत्र की सीमा के अनुसार, सरकार को यह शक्ति प्राप्त होती है कि वह उस आपदा के प्रभाव से मानव जीवन को कम से कम क्षति पहुँचाने के प्रयास करे और उसके लिए जो कुछ भी संभव हो सकता है, वह करे।
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट क्या होता है? (Disaster management act kya hai)
अब आपने आपदा प्रबंधन अधिनियम के बारे में तो जान लिया लेकिन यह डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट क्या बला है और इसका क्या तात्पर्य होता है। तो यहाँ हम आपको स्पष्ट कर दें की आपदा प्रबंधन अधिनियम ही डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपदा प्रबंधन अधिनियम को अंग्रेजी भाषा में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के नाम से जाना जाता है। तो आप चाहे इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम बोल लें या डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट यह एक ही बात मानी जाएगी।
आपदा प्रबंधन अधिनियम कब लागू किया गया था? (Disaster management act came into force in)
यह कानून या अधिनियम भारत सरकार के द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था और फिर देखते ही देखते इसे दोनों सदनों से पारित कर दिया गया। उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही इसने कानून का रूप ले लिया जो केंद्र व राज्य को कई शक्तियां प्रदान करता (Disaster management act was made in) है। तो डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को देश में वर्ष 2006 में लागू किया गया था।
इसके बाद यदि देश में या राज्य में कहीं भी प्राकृतिक या मानव जनित आपदा आती है तो वहां की सरकार लोगों के कल्याण के उद्देश्य से इस एक्ट को लागू कर देती है। इसके तहत कई तरह के दिशा निर्देश जारी किये जाते हैं और उनका पालन नहीं किये जाने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान इसी एक्ट की विभिन्न धाराओं में निहित है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बनाए गए संस्थान
अब यह आवश्यक नहीं कि आपदा पूरे देश पर ही आये। यह किसी राज्य या क्षेत्र तक सीमित भी हो सकती है। ऐसे में यदि कोई आपदा किसी राज्य विशेष या जिले में आई है तो केंद्र सरकार अपना कामकाज छोड़ कर उस पर ही ध्यान देने नहीं लग जाएगी। हालाँकि उसी ओर से उस राज्य या जिले की सहायता करने के भरसक प्रयास अवश्य किये जाएंगे।
तो इसी को देखते हुए ही डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत तीन तरह की अथॉरिटी या संस्थाओं का निर्माण किया गया। यह संथाएं आपदा के क्षेत्र और प्रभाव को देखते हुए ही बनाई गयी है ताकि उसी के अनुसार ही कार्य संपन्न किया जा सके। तो आइए जाने इन तीनो संस्थाओं के बारे में।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्था या एनडीएमए (National Disaster Management Authority or NDMA)
अब यदि कोई आपदा राष्ट्रीय स्तर पर आती है और उससे देश के सभी नागरिक समान रूप से प्रभावित होते हैं तो इसके लिए व्यापक स्तर पर नीतियाँ बनाने की आवश्यकता होती है। यह डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की सबसे बड़ी अथॉरिटी होती है जिसका सभी तरह की अन्य संथाओं पर नियंत्रण होता है। अब आप हाल ही में आई कोरोना नामक महामारी को ही ले लीजिए जो राष्ट्रीय स्तर पर आई थी। ऐसे में देश में व्यापक स्तर पर केंद्र सरकार ही सभी दिशा निर्देशों को जारी कर रही थी।
राजकीय आपदा प्रबंधन संस्था या एसडीएमए (State Disaster Management Authority or SDMA)
अब यदि कोई आपदा राज्य स्तर पर या कुछ राज्यों में आती है तो उसके तहत राज्य की आपदा प्रबंधन संस्था उसे देखती है। यह आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत दूसरे स्तर की बॉडी होती है जो आपदा से निपटने का कार्य करती है। हालाँकि यह आपदा यदि कई राज्यों में फैल जाती है तो राष्ट्रीय स्तर की बॉडी भी हरकत में आ जाती है ताकि इसे पूरे देश में फैलने से रोका जा सके। ऐसे में हर राज्य की अपनी एक संस्था होती है जो आपदा से निपटने का कार्य करती है।
जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन संस्था या डीडीएमए (District Disaster Management Authority or DDMA)
अब आपदा चाहे छोटी हो या बड़ी, यह आती है तो मनुष्यों का सर्वनाश करने के लिए ही है। साथ ही राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर जो भी निर्देश जारी किये गए हैं, उन्हें धरातल पर उतारने का कार्य तो जिला स्तर की बॉडी ही करेगी ना। तो इसका कार्य केंद्र व राज्य स्तर की बॉडी से मिले दिशा निर्देशों का पालन करवाना और जो उल्लंघन कर रहे हैं उन पर कार्यवाही करना होता है। इसी के साथ यदि कोई आपदा एक सीमित क्षेत्र में है जिसका प्रभाव एक शहर, गाँव या जिले तक ही है तो इस स्तर की बॉडी अपने खुद के दिशा निर्देश जारी कर सकती है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराएं (Disaster management act 2005 rules in Hindi)
केंद्र सरकार जब भी संसद के द्वारा किसी कानून को बनाती है तो वह केवल एक पंक्ति का ही कानून नहीं होता है। साथ ही उस कानून में केवल दिशा निर्देश ही नहीं लिखे होते हैं बल्कि उसके साथ कई तरह की धाराएं भी जुड़ी हुई होती है। अब यह धाराएं इसलिए बनाई जाती है ताकि उस कानून की रूपरेखा तैयार की जा सके और यदि किसी कारणवश उसका उल्लंघन होता है तो उसके तहत कितनी सजा मिलेगी, इसके बारे में व्याख्या की जा सके।
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट अवश्य ही भारत व राज्य सरकार को आपदा प्रबंधन से निपटने के लिए कई तरह की शक्तियां प्रदान करता है जिसके तहत वे नियम, आवश्यक दिशा निर्देश इत्यादि बना सकती है किंतु तब क्या हो जब इसका पालन ही ना किया जाए। तो इसीलिए डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कई धाराएं बनाई गयी जिनके तहत यदि कोई व्यक्ति इसमें गलत कार्य करते हैं तो उसे आवश्यक दंड दिया जा सके।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 (Disaster management act section 51 in Hindi)
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 के तहत यदि कोई व्यक्ति सरकार के द्वारा आपदा प्रबंधन से जुड़े बनाए गए नियमों में बाधा डालने का प्रयास करता है तो उसे कड़ी सजा देने का प्रावधान है। यदि उस व्यक्ति के द्वारा इसमें बाधा डालने पर किसी की जान जोखिम में पड़ जाती है तो उसे भारतीय कानून के अनुसार 2 वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 52 (Disaster management act section 52 in Hindi)
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 52 के तहत यदि कोई व्यक्ति आपदा प्रबंधन के नियमों से राहत पाने के लिए किसी तरह का झूठ बोलता है या ऐसा कोई दावा करता है तो उसे 2 वर्ष तक का कारावास हो सकता है। उदाहरण के तौर पर लॉकडाउन में लगी पाबंदियों पर भी यदि कोई व्यक्ति एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए किसी तरह का झूठा दावा करता है तो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उसे 2 वर्ष की जेल हो जाएगी।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 53 (Disaster management act section 53 in Hindi)
आपदा प्रबंधन के लिए या लोगों को राहत पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार जो भी राहत सामग्री पहुंचा रही है और यदि कोई व्यक्ति, अधिकारी या कर्मचारी उसमे हेरफेर करता है तो उसे 2 वर्ष का कारावास हो जाएगा।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 (Disaster management act section 54 in Hindi)
कभी कहीं कोई आपदा आती है तो उस समय हमें जो सूचनाएँ मिलती है वह बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति लोगों में भय फैलाने या किसी अन्य उद्देश्य के तहत उस आपदा से संबंधित कोई गलत सूचना या भ्रामक जानकारी का प्रचार करता है या उसे फैलाते हुए पाया जाता है तो उसे एक वर्ष का कारावास हो सकता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 55 (Disaster management act section 55 in Hindi)
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत धारा 55 को सरकारी विभागों के लिए बनाया गया है क्योंकि आपदा प्रबंधन में यही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे होते हैं। सरकार के द्वारा उस आपदा से निपटने के लिए जो भी नियम बनाए गयें या दिशा निर्देश जारी किये गए हैं, उसका अनुपालन करवाना और करना इन्ही का ही उत्तरदायित्व होता है। ऐसे में यदि वे विभाग या अधिकारी उनका पालन नहीं करते हैं या अपना कर्तव्य नहीं निभाते हैं तो उन्हें एक वर्ष का कारावास हो सकता है तथा साथ ही विभागीय कार्यवाही भी हो सकती है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 56 (Disaster management act section 56 in Hindi)
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत बनाई गयी धारा 56 भी सरकारी अधिकारियों पर ही लागू होती है। अब सरकारी अधिकारियों की आदत होती है बात बात पर छुट्टी पर चले जाना या कार्यालय नहीं आया या ऐसा ही कुछ। किंतु यदि आपदा के समय में भी कोई सरकारी अधिकारी ऐसा व्यवहार करता हुआ पाया जाता है और छुट्टी लेता है या अपनी ड्यूटी नहीं करते हुए पाया जाता है तो उसे एक वर्ष का कारावास हो सकता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 57 (Disaster management act section 57 in Hindi)
यह धारा आम नागरिकों सहित सभी पर समान रूप से लागू होती है। तो आपदा से निपटने के लिए सरकार के द्वारा कई तरह के नियम बनाए जाते हैं और उनका पालन करना हर किसी का उत्तरदायित्व होता है। ऐसे में यदि कोई भी व्यक्ति उन नियमों का पालन करते हुए नही पाया जाता है तो उसे एक वर्ष का कारावास हो सकता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 58 (Disaster management act section 58 in Hindi)
यह आदेश निजी कंपनियों पर लागू होता है। बहुत बार यह देखने को मिलता है कि केंद्र सरकार ने कोई नियम बना दिए लेकिन निजी कंपनी अपनी ही मनमानी चलाती है। उदाहरण के तौर पर केंद्र सरकार ने सभी कंपनियों को यह निर्देश दिया है कि वह अपने कर्मचारी को ऑफिस ना बुलाये और यदि फिर भी कोई कंपनी उसका अनुपालन नहीं करती है तो उस कंपनी पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत आपराधिक केस चलेगा।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 59 (Disaster management act section 59 in Hindi)
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की इस 59 नंबर की धारा का संबंध उसकी धारा 55 व 56 से होता है। तो इस धारा के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के धारा 55 व 56 के तहत के अपराध को करता है तो उस पर भी केस चलेगा।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 60 (Disaster management act section 60 in Hindi)
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की अंतिम धारा न्यायालय के ऊपर बनाई हुई है जो उसकी शक्तियों को सीमित करता है। तो इसमें यह स्पष्ट शब्दों में बताया गया है कि यदि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धाराओं 51 से लेकर 59 तक में किसी में भी कोई उल्लंघन होता है तो पुलिस या न्यालय के अधिकारी उस पर स्वतः कार्यवाही नहीं कर सकते हैं। यदि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की भी बॉडी इसके विरुद्ध शिकायत करती है या कार्यवाही करने की अनुमति देती है तभी उस पर कार्यवाही की जाएगी।
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट क्यों लागू किया गया? (Disaster management act importance in Hindi)
आपको साथ के साथ यह भी जानना चाहिए की आखिरकार क्यों डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट कानून को लागू किया गया और इसका क्या औचित्य था। तो इसे लागू करने के पीछे कई कारण निहित थे जिनका जानना आपके लिए बहुत ही जरुरी हो जाता है। तो आपदा प्रबंधन अधिनियम को देशभर में इसलिए लागू किया गया था ताकि यदि देश में अचानक से कोई प्राकृतिक या मानव रचित आपदा आती है तो उससे निपटने के लिए तत्कालिक कार्यवाही की जा सके।
जब भी कोई आपदा आती है तो उस समय जल्द से जल्द नियम बनाने आवश्यक होते हैं और नागरिकों, अधिकारियों, कंपनियों इत्यादि को क्या कुछ करना चाहिए, इसके बारे में बताया जाना और नियम बनाना आवश्यक हो जाता है। तो उसी कार्य में तेजी लाने और प्रभाव नियमों को बनाए जाने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम की आवश्यकता थी। इसी कारण इसे कानून का रूप दिया गया।
साथ ही इस कानून के तहत यह भी सुनिश्चित किया गया कि जो भी नियम या दिशा निर्देश बनाए गए हैं, उनका सख्ती के साथ पालन किया जाए। कई बार यह देखने को मिलता था कि सरकार नियम तो बना देती थी लेकिन उस पर किसी तरह का दंड का प्रावधान ना होने के कारण हर कोई उसका उल्लंघन करते हुए मिल जाता था जिस कारण आपदा प्रबंधन से निपटना बहुत मुश्किल हो जाता था। इसी कारण आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत इनका उल्लंघन करने पर तरह तरह की सजा का प्रावधान सुनिश्चित किया गया।
आपदा प्रबंधन अधिनियम क्या है – Related FAQs
प्रश्न: 51 आपदा प्रबंधन अधिनियम क्या है?
उत्तर: 51 आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति केंद्र या राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए किसी भी नियम में बाधा डालने का प्रयास करता है तो उसे दो वर्ष का कारावास हो सकता है।
प्रश्न: डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट कब पारित हुआ?
उत्तर: डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट वर्ष 2005 में पारित हुआ था और इसे लागू वर्ष 2006 में किया गया था।
प्रश्न: आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में कितनी धाराएं हैं?
उत्तर: आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में 10 धाराएं हैं।
प्रश्न: आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषता यह है कि यह केंद्र सरकार व राज्य सरकार को किसी भी प्राकृतिक या मानव जनित आपदा से निपटने के लिए तत्काल रूप से दिशा निर्देश जारी करने और नियम बनाने की शक्ति देती है।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने आपदा प्रबंधन अधिनियम के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। भारत देश में वर्ष 2020 के बाद से (Aapda prabandhan kise kahate hain) कोरोना आने के बाद से ही राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया गया है जो अभी तक लागू है। इसी के तहत ही भारत सरकार कोरोना को लेकर सभी तरह के दिशा निर्देश जारी करती है और कोई नियम बनाती है।