एट्रोसिटी एक्ट क्या होता है? एट्रोसिटी एक्ट के तहत क्या प्रावधान किए गए हैं?

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हमारे समाज में सदियों से भेदभाव व्याप्त रहा हैं। ऊंची जातियों के लोग निम्न जाति के लोगों से भेदभावपूर्ण एवं क्रूरता पूर्ण व्यवहार करते आए हैं। इसके उदाहरण समय समय पर सामने आते रहे हैं। आज बेशक हम डिजिटल युग में जी रहे हैं, लेकिन भेदभाव एवं क्रूरतापूर्ण व्यवहार का सिलसिला अपने न्यूनतम रूप में ही सही, अभी भी विद्यमान है। ऐसे में उत्पीड़ित वर्ग को सहायता एवं संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से सरकारें समय समय पर कानून लाती रही हैं।

एट्रोसिटी एक्ट (atrocity act) भी सरकार की अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के लिए इसी प्रकार के सुरक्षात्मक आवरण का काम करता है। आज हम आपको इस पोस्ट में इस एक्ट अथवा अधिनियम के बारे में विस्तार से बताएंगे। जैसे- एट्रोसिटी का क्या अर्थ है? एट्रोसिटी एक्ट क्या है? इसके तहत क्या प्रावधान किए गए हैं? हाल ही में एट्रोसिटी एक्ट चर्चा में क्यों रहा है? आदि। आइए, शुरू करते हैं-

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एट्रोसिटी का क्या अर्थ है? (What is the meaning of atrocity?)

दोस्तों, हमारे लिए एट्रोसिटी एक्ट (atrocity) के बारे में जानने से पहले यह समझना आवश्यक है कि एट्रोसिटी का क्या अर्थ है? मित्रों, एट्रोसिटी (atrocity) का हिंदी में अर्थ क्रूरता, जघन्य अथवा दुष्टतापूर्ण व्यवहार होता है। आपने कई बार इस प्रकार की खबरें पढ़ी होंगी कि दबंगों ने दलित के घोड़े पर बारात निकालने पर पिटाई की या फिर दलित के जल छूने पर उसे मौत के घाट उतार दिया गया आदि।

इसके अलावा भी आपने इस प्रकार के कई समाचार पढ़े-सुने होंगे, जिनमें दलित अथवा अनुसूचित जाति के लोगों को अन्य कथित बड़ी कही जाने वाली जातियों के कोप का भाजन बनना पड़ा है। इस प्रकार की घटनाओं से यह अंदाजा साफ लगाया जा सकता है कि लोगों के भीतर से जातीय भेदभाव अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। यह जब तब बाहर निकल आता है। इसकी आंच में कई बार पूरे के पूरे परिवार तबाह हो जाते हैं।

कई प्रकार बदले की मानसिकता से भी लोग इस प्रकार के कदम उठाने से नहीं चूकते। इस स्थिति को बदलने के लिए यह साफ है कि लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना होगा, जो आसान कार्य तो कतई नहीं कहा जा सकता।

एट्रोसिटी एक्ट क्या होता है? एट्रोसिटी एक्ट के तहत क्या प्रावधान किए गए हैं?

एट्रोसिटी एक्ट क्या है? (What is atrocity act?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि एट्रोसिटी एक्ट को आज से करीब 33 वर्ष पूर्व सन् 1989 में पारित किया गया था। इसका पूरा नाम शेड्यूल कॉस्ट एंड शेड्यूल ट्राइब प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज एक्ट-1989 (shedule caste and schedule tribe prevention of atrocities act-1989) है। इसे हिंदी में अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 भी पुकारा जाता है। आपको बता दें कि यह एक विशेष प्रकार का कानून है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 15 (4) के अंतर्गत बनाया गया था।

इस एक्ट के तहत क्या प्रावधान किया गया है? (What provisions have been made under this act?)

आपको बता दें कि यह एक्ट समाज के दलित वर्ग के लिए एक विशेष प्रावधान करने की छूट देता हैं। इसके तहत उत्पीड़ित अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की उत्पीड़न की घटनाओं में विभिन्न चरणों में आर्थिक सहायता (economic help) का प्रावधान किया गया है।

आपको जानकारी दे दें कि इस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज (FIR register) होते ही विभाग द्वारा पहले चरण में लाभार्थी को त्वरित आर्थिक सहायता पहुंचाने का प्रावधान किया गया है। यदि आरोपी पर अपराध सिद्ध होता है तो उत्पीड़ित व्यक्ति को 40 हजार रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है।

इस एक्ट के तहत कौन कौन से अपराध शामिल किए गए हैं? (What crimes are included under this act?)

मित्रों, आइए अब आपको बताते हैं कि इस एक्ट के अंतर्गत कौन कौन से अपराध शामिल किए गए हैं। ये इस प्रकार से हैं-

  • 1. अखाद्य अथवा घृणाजनक पदार्थ पीना अथवा खाना। धारा 3(1)(i)
  • 2. क्षति पहुंचाना, अपमानित अथवा क्षुब्ध करना। धारा 3(1)(ii)
  • 3. अनादर सूचक कार्य धारा 3(1)(iii)
  • 4. सदोष भूमि अभिभोग में लेना अथवा उस पर खेती करना। धारा 3(1)(iv)
  • 5. भूमि परिसर अथवा जल से संबंधित। धारा 3(1)(v)
  • 6. बेगार अथवा बलात्श्रम अथवा बंधुआ मजदूरी धारा 3(1)(vi)
  • 7. मतदान के अधिकार के संबंध में। धारा 3(1)(vii)
  • 8. मिथ्या, द्वेषपूर्ण अथवा तंग करने वाली विविधक कार्यवाही। धारा 3(1) (viii)
  • 9. मिथ्या अथवा तुच्छ जानकारी। धारा 31(ix)
  • 10. अपमान, अधिवास एवं अवमानना। धारा 3(1) (x)
  • 11. किसी महिला की लज्जा भंग करना। धारा 3(1)(xi)
  • 12. महिलाओं का लैंगिक शोषण। धारा 3(1)(xii)
  • 13. पानी गंदा करना। धारा 3(1)(xiii)
  • 14. मार्ग के रूढ़िजन्य अधिकार से वंचित करना। धारा 3(1)(xiv)
  • 15. किसी को निवास स्थान छोड़ने पर मजबूर करना। धारा 3(1) (xv)
  • 16. मिथ्या साक्ष्य देना। धारा 3(2)(i) एवं (ii)
  • 17. किसी लोकसेवक के हाथों उत्पीड़न। धारा 3(2)(vii)
  • 18. निशक्त व्यक्ति के लिए समान अवसर, समान अधिकार।
  • 19. हत्या/मृत्यु, नरसंहार, बलात्संग, सामूहिक बलात्संग, गैर द्वारा किया गया बलात्संग।
  • 20. पूर्णतया नष्ट करना अथवा जला हुआ मकान।

उत्पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक सहायता का भुगतान कैसे होता है? (How an oppressed person gets economic help?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि उत्पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक सहायता के भुगतान (payment of economic help) की एक निश्चित प्रक्रिया (process) होती है। आपको बता दें कि प्रत्येक पीडित व्यक्ति को अपराध के स्वरूप एवं गंभीरता के अनुरूप अपमान, क्षति अथवा मानहानि के अनुपात में भुगतान होता है। यह भुगतान एक साथ नहीं, बल्कि कुछ प्रतिशत में होगा। जैसे -जिस समय आरोप पत्र कोर्ट को भेजा जाएगा उस समय 25 प्रतिशत, जबकि निचली कोर्ट द्वारा दोष सिद्ध होने पर 75 प्रतिशत का भुगतान किया जाता है।

इन दिनों यह एक्ट चर्चा में क्यों है? (Why this act is in news these days?)

हाल ही में एक सोशल मीडिया यूजर (social media user) ने एक पोस्ट में दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द सुनाने पर एट्रोसिटी एक्ट लागू करने का फैसला किया है। यद्यपि फैक्ट चेक (fact check) में यह दावा गलत पाया गया। इस तरह की न तो कोई याचिका लाई गई थी और न ही कोर्ट ने इस प्रकार का कोई जजमेंट (judgement) दिया था।

लगे हाथों आपको याद दिला दें दोस्तों कि हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने अप्रैल, 2018 में ग्वालियर-चंबल के एक हिस्से में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर हुई हिंसा में जिन लोगों पर केस दर्ज हुआ था, उसे वापस लिए जाने की बात कही थी। आपको जानकारी दे दें कि इस हिंसा में छह लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद दो पक्षों के कई लोगों के खिलाफ मुकदमा हुआ था।

भारत में एससी/एसटी की मौजूदा स्थिति क्या है? (What is the present status of sc/St in india?)

दोस्तों, अब यह सवाल उठता है कि भारत में एससीएसटी की मौजूदा स्थिति क्या है? तो आपको जानकारी दे दें कि आज की तारीख में भारत में अनुसूचित जाति की जनसंख्या करीब 17 करोड़ है। यह हमारे देश की कुल आबादी का 16.2 प्रतिशत बैठता है। इस लिहाज से यह एक बड़ी संख्या है। वहीं, यदि बाद अनुसूचित जनजाति की करें तो इनकी आबादी लगभग 9 करोड़ है। ये भारत की कुल जनसंख्या का 8.2 प्रतिशत बैठती है। आपको जानकारी दे दें कि भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश (UP), बिहार (Bihar), पश्चिम बंगाल (West Bengal) एवं तमिलनाडु (Tamilnadu) में हमारे देश के करीब आधे से अधिक दलित निवास करते हैं।

आपको बता दें कि देश की राजनीतिक व्यवस्था के अंतर्गत इस जाति के लोगों को समुचित प्रतिनिधित्व की वकालत की जाती रही है। इस हेतु इनके लिए आरक्षण (reservation) का भी प्रावधान किया गया है। इससे विभिन्न नौकरियों में उनका स्थान सुरक्षित हुआ है और वे आर्थिक आधार पर भी अधिक सुरक्षित हुए हैं।

यद्यपि हमारे में देश ऐसे बहुतेरे लोग हैं, जो आरक्षण की वकालत करते हैं, लेकिन यह चाहते हैं कि यह आरक्षण जातिगत आधार (caste basis) पर न होकर आर्थिक आधार (economic basis) पर होना चाहिए। उनका मानना है कि इससे डाक्टरी, इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर विशेषज्ञ तैयार करने में सहायता मिलेगी। उनका कहना है इसके साथ ही आर्थिक रूप से विपन्न अन्य वर्गों के युवाओं को भी अवसर मिलेगा। उनकी प्रतिभा व्यर्थ नहीं जाएगी।

अनुसूचित जाति के प्रति अन्य जाति के लोगों की मानसिकता में किस प्रकार का बदलाव आया है? (Why type of change has come in the mentality of other caste people related to sc?)

दोस्तों, यदि धरातल पर बात करें तो अनुसूचति जाति के प्रति अन्य जातियों के लोगों की मानसिकता में बदलाव बेशक आया है, लेकिन वह बेहद उत्साहजनक नहीं है। यह भी सत्य है कि इस वर्ग को आज भी वोट बैंक (vote bank) की तरह देखा जाता है। यह अवश्य है कि आरक्षण के बाद से इनके लिए रोजगार के अवसर एवं पढ़ाई के अवसर अच्छे खासे विकसित हुए हैं। इसके बावजूद यह नहीं कहा जा सकता है कि आज भी अनुसूचित जनजाति के लोगों की स्थिति बहुत अच्छी है।

दोस्तों, अभी भी उनके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सामाजिक रूप से एससी को अन्य जातियों की ही तरह ट्रीट किए जाने की आवश्यकता है। दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि सरकार (government) बेशक अपनी ओर से उनके विकास (development) के लिए हरसंभव कदम उठा रही है, लेकिन बड़ी चीज लोगों की मानसिकता में बदलाव है, जो लोगों को अपने स्तर से ही विकसित करनी होगी।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एट्रोसिटी एक्ट पर क्या महत्वपूर्ण निर्णय दिया है? (What important judgement has Karnataka High court given on atrocity act recently?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार पर रोक) अधिनियम (SC/ST prevention of atrocity Act) को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High court) की ओर से एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि SC/ST Act के तहत अपराध (crime) तभी माना जाएगा, जब जातिगत शोषण अथवा अत्याचार सार्वजनिक तौर पर (publically) हुआ हो।

दरअसल, कोर्ट में सन् 2020 के एक मामले की सुनवाई की जा रही थी। इसमें कथित तौर पर रितेश पायस नाम के एक व्यक्ति पर एक बिल्डिंग के बेसमेंट (basement of building) में मोहन नाम के एक व्यक्ति के जातिगत शोषण का आरोप था। यहां पीड़ित एवं उसके सहयोगी मौजूद थे। जज ने कहा कि दायर मामले में केवल दो फैक्टर (factors) चिन्हित किए गए हैं। इनमें से एक बिल्डिंग का बेसमेंट है, जो सार्वजनिक स्थान (public place) नहीं है।

दूसरा – जो लोग घटना के वक्त मौजूद होने का दावा कर रहे हैं, उनमें केवल शिकायतकर्ता एवं जयकुमार आर नायर के अन्य कर्मचारी अथवा शिकायत करने वाले के मित्र हैं। कोर्ट ने कहा, ‘ये शोषण सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया गया है कि कोई मामला बने।’ यह फैसला कई मामलों में नजीर बन सकता है।

एट्रोसिटी का क्या अर्थ है?

एट्रोसिटी का अर्थ क्रूरता, दुष्टतापूर्ण या जघन्य व्यवहार से है।

एट्रोसिटी एक्ट कौन से सन् में पास किया गया?

एट्रोसिटी एक्ट सन् 1989 में पास किया गया।

यह एक्ट किस प्रकार का प्रावधान करता है?

यह एक्ट एससी/एसटी के लिए विशेष प्रकार के प्रावधान करने की छूट देता है।

हाल ही में यह एक्ट क्यों चर्चा में रहा?

यह सुप्रीम कोर्ट के ब्राह्मणों को अपशब्द कहने पर एट्रोसिटी एक्ट लगाने संबंधी एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद से चर्चा में है। हालांकि बाद में यह फेक साबित हुआ।

एट्रोसिटी एक्ट में क्या क्या शामिल किया गया है?

इस संबंध में जानकारी हमने आपको विस्तार से ऊपर पोस्ट में दे दी है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल में क्या महत्वपूर्ण निर्णय दिया है?

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि जातिगत शोषण तभी अपराध माना जाएगा, जब वह किसी सार्वजनिक स्थान पर हो।

दोस्तों, हमने इस पोस्ट (post) के माध्यम से आपको एट्रोसिटी एक्ट के बारे में जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट हमसे चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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