तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी कैसे मिलती है? बच्चे की कस्टडी कैसे प्राप्त करें? Child Custody In India

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पिछले कुछ सालों में देश में विवाह नामक संस्था का ह्रास हुआ है। छोटी छोटी वजहों पर विवाहित जोड़े कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने लगते हैं। इसके चलते कोर्ट में इन दिनों तलाक के मामले भी अच्छे खासे होते हैं। तलाक से पति-पत्नी की राहें बेशक अलग हो जाती हैं, लेकिन यदि उनका कोई बच्चा होता है तो उस पर मां-बाप के तलाक का सबसे बड़ा असर पड़ता है। इतना ही नहीं, कुछ बच्चे ताउम्र टूटे संबंधों का दर्द झेलते हैं।

तलाक के बाद बच्चा मां बाप में से किसके पास रहेगा इसका फैसला कई बार आपसी सहमति से हो जाता है, जबकि कई बार इस संबंध में कोर्ट फैसला करती है। फैमिली कोर्ट मां बाप का पक्ष सुनने के बाद बच्चे की कस्टडी के संबंध में फैसला देती है। आज इस पोस्ट के जरिए हम आपको बताएंगे कि कस्टडी क्या होती है? इसके नियम क्या हैं? तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी किसे मिलती है? आदि। आइए, शुरू करते हैं-

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कस्टडी का क्या अर्थ है? [What does Custody mean?]

दोस्तों, कस्टडी का अर्थ निगरानी, पालन अथवा संरक्षण होता है। बात बच्चे की कस्टडी की करें तो इसका अर्थ बच्चे के पालन, निगरानी अथवा संरक्षण से है। मां बाप के बीच तलाक होने की स्थिति में बच्चे की कस्टडी का अहम सवाल खड़ा होता है।

सामान्य रूप से तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी कैसे मिलती है? [How do I normally get custody of a child after a divorce?]

मित्रों, यह एक संवेदनशील मामला होता है। सामान्य रूप से कस्टडी के तहत बच्चे के मां-बाप में से किसी एक को प्राथमिक अभिभावक यानी प्राइमरी गार्डियन (primary guardian) बनाया जाता है। बच्चा उसी के पास रहता है। दूसरे पक्ष को बच्चे के विजिटेशन (visitation) अर्थात उससे मिलने व उसके संग समय बिताने की इजाजत दी जाती है। इसके तहत माता या पिता जिसे विजिटेशन का अधिकार मिलता है, वह बच्चे के साथ समय गुजार सकता है।

कस्टडी देते हुए कोर्ट किस आधार पर फैसला लेता है? [On what basis does the court take a decision while granting custody?]

मां बाप में से बच्चे की कस्टडी किसे दी जाए, कोर्ट इस संबंध में अपने विवेक और जज्बात के आधार फैसला लेता है। वह बच्चे का हित सर्वोपरि रखता है। वह सुनिश्चित करता है कि जो बच्चे की सुरक्षा की गारंटी ले, नैतिकता के साथ उसका पालन-पोषण करे, उसे अच्छी शिक्षा दिलाए, उसके वित्तीय हित का ख्याल रखे बच्चे की कस्टडी उसी को मिले‌। यदि कोर्ट को जरा भी यह लगता है कि मां अथवा बाप दोनों में कोई भी बच्चे की देखभाल ठीक से नहीं कर सकता तो वह बच्चे की कस्टडी किसी तीसरे पक्ष को दे सकता है।

बच्चे की कस्टडी कितने प्रकार की होती है? [What are the types of child custody?]

तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी कैसे मिलती है? बच्चे की कस्टडी कैसे प्राप्त करें? Child Custody In India

साथियों, आपको बता दें कि कस्टडी भी कई प्रकार की होती है, जो बच्चों की परवरिश के लिए माता-पिता को दी जाती है। इसके प्रकार इस प्रकार से हैं-

1-फिजिकल कस्टडी – [Physical custody -]

इसके तहत मां-बाप में से किसी एक को बच्चे का प्राइमरी गार्डियन (primary guardian) बनाया जाता है। बच्चा उसी के पास रहता है। दूसरे को बच्चे के विजिटेशन की अनुमति दी जाती है। इसके तहत माता या पिता जिसे विजिटेशन का अधिकार मिलता है, वह बच्चे के साथ समय गुजार सकता है।

2- संयुक्त कस्टडी [Joint custody] –

इसके तहत बच्चे के माता-पिता दोनों को रोटेशन (rotation) के आधार पर कस्टडी मिलती है। इसमें बच्चा एक निश्चित अवधि के लिए बारी-बारी दोनों के पास रहता है।

लीगल कस्टडी के अंतर्गत माता-पिता में कोई एक पक्ष वैधानिक रूप से बच्चे की जिंदगी से जुड़े अहम फैसले ले सकता है। 18 साल उम्र न होने तक माता-पिता में से कोई एक शिक्षा, वित्त, धर्म और मेडिकल जरूरतों के बारे में बड़ा फैसला ले सकते हैं.

4- सोल कस्टडी [Soul custody] –

जब बच्चे के माता या पिता में कोई भी एक अनफिट (unfit) होता है, तो दूसरे पक्ष को बच्चे की कस्टडी दे दी जाती है।

5- थर्ड पार्टी कस्टडी [Third party custody] –

मित्रों, अब आती है थर्ड पार्टी कस्टडी। आपको बता दें कि यदि बच्चे के माता-पिता दोनों की मृत्यु हो जाए या दोनों की दिमागी हालत ठीक न हो अथवा दोनों प्रताड़ित करने वाले हों तो कोर्ट बच्चे की कस्टडी किसी तीसरे पक्ष को दे सकता है।

हिंदू बच्चों के मामले में क्या होता है? [What happens in the case of Hindu children?]

दोस्तों, आपको बता दें कि हिंदू बच्चों के मामले में हिंदू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट (Hindu minority and guardianship act) 1956 के अंतर्गत अभिभावकत्व यानी गार्जियनशिप (guardianship) के लिए व्यवस्था दी गई है। यह भी बहुत कुछ गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट (guardian and wards act) 1890 की तरह ही है। इस एक्ट के मुताबिक इस प्रकार की व्यवस्था दी गई है-

  • बच्चे की उम्र यदि 5 साल से कम है तो उसकी कस्टडी मां को दी जाती है।
  • यदि बच्चे की आयु 9 वर्ष से अधिक है कोर्ट उससे उसकी मर्जी पूछता है कि वह मां या बाप में से किसके पास जाना चाहता है।
  • यदि बच्चा बड़ा है तो उसकी कस्टडी अक्सर पिता को मिलती है‌।
  • बेटी के मामले में कस्टडी अक्सर मां को मिलती है‌‌। यह बात अलग है कि पिता भी बेटी को रखने की इच्छा जता सकते हैं।

मुस्लिम धर्म में क्या व्यवस्था है? [What is the system in Muslim religion?]

मित्रों, आपको बता दें कि मुस्लिम धर्म में बच्चों की कस्टडी के मामले में अलग व्यवस्था है। उसमें कस्टडी का फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ (muslim personal law) के तहत होता है। बच्चे की उम्र 7 साल होने तक उसकी कस्टडी मां के ही पास होती है‌। हां, यदि मां बच्चे को रखने में असमर्थ हो या अनफिट हो ऐसी स्थिति में उसकी कस्टडी पिता को सौंपी जाती है।

ईसाई धर्म में क्या होता है? [What happens in Christianity?]

साथियों, ईसाई धर्म में कस्टडी को लेकर अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसे में तलाक की स्थिति में उनके बच्चे की कस्टडी का फैसला इंडियन डायवोर्स एक्ट (Indian divorce act) के अंतर्गत ही होता है। इसमें भी सहमति से भी तलाक की स्थिति में बच्चे की कस्टडी का फैसला आपसी सहमति के आधार पर हो जाता है।

यदि मामला विवादित होता है व बच्चे के माता-पिता कोर्ट में जाते हैं तो कोर्ट नाबालिग बच्चे की कस्टडी मां की ही हवाले करता है। यदि मां की नियमित आय कोई स्रोत नहीं है तो ऐसी स्थिति में कोर्ट बच्चे की समुचित देखरेख के लिए उसके पिता को वित्तीय सपोर्ट मुहैया कराने के आदेश देती है।

तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी कैसे मिलती है? बच्चे की कस्टडी कैसे प्राप्त करें? Child Custody In India

भारत में तलाक के मामले बढ़े, लेकिन दुनिया में अब भी सबसे कम –

दोस्तों, आपको बता दें कि भारत में बेशक पिछले दो दशक में तलाक के मामले बढ़े हैं, लेकिन तुलनात्मक रूप से दुनिया में अभी भी सबसे कम तलाक भारत में ही होते हैं। यहां तलाक की दर महज एक फीसदी है। पिछले साल आई एक रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे समृद्ध और सबसे ज्यादा साक्षर राज्य केरल में तलाक होते हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और हरियाणा का नंबर आता है। आइए, अब सबसे कम तलाक वाले टाप टेन देशों पर नजर डालते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • 1-भारत 1%
  • 2-चिली 3%
  • 3-कोलंबिया 9%
  • 4-मैक्सिको 15%
  • 5-केन्या 15%
  • 6-दक्षिण अफ्रीका 17%
  • 7-मिश्र 17%
  • 8-ब्राजील 21%
  • 9-तुर्की 22%
  • 10-ईरान 22%

तलाक वृद्धि से अकेली मां वाले परिवारों में इजाफा –

तलाक के बढ़ते मामलों के चलते देश में अकेली माओं वाले परिवारों की तादाद भी बढ़ रही है। यदि अपने देश की बात करें तो ऐसे परिवारों की संख्या 5.4 प्रतिशत तक पहुंच गई है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से दो साल पहले जारी प्रोग्रेस ऑफ द वर्ल्ड्स विमेन 2019-2020 – फेमिलीज इन ए चेंजिंग वर्ल्ड (progress of the world’s women 2019-2020-families in a changing world) नामक रिपोर्ट में इस बदलाव पर प्रकाश डाला गया है।

इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसी महिलाओं की संख्या भी काफी ज्यादा है, जिनको शादी के बाद पारिवारिक बाधाओं व दूसरी वजहों के चलते काम करने की इजाजत नहीं मिलती। यही वजह है कि एशिया के दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले भारत में शादी के बाद काम करने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है।

बच्चे के बाद भी मां बाप अलग क्यों हो जाते हैं? [Why do parents get separated even after having children?]

दोस्तों, बच्चे होने के बाद भी उनके बेहतर भविष्य को प्राथमिकता न दे बहुत सारे मां बाप अलग होने का फैसला कर लेते हैं। तलाक की कुछ प्रमुख वजहें इस प्रकार हैं-

  • 1-पति-पत्नी दोनों के नौकरीपेशा होने की वजह से एक-दूसरे के लिए समय की कमी होना।
  • 2-पति अथवा पत्नी का हिंसक स्वभाव व शक्की मिजाज।
  • 3-पति अथवा पत्नी के विवाहेत्तर संबंध होना।
  • 4-परिजनों व करीबी लोगों की वजह से उत्पन्न गलतफहमियां।
  • 5-पति-पत्नी के बीच अहम का टकराव।
  • 6-पति अथवा पत्नी में से किसी को मानसिक/असाध्य रोग होना।
  • 7-दोनों के बौद्धिक स्तर में समानता का अभाव।

बच्चे की कस्टडी के लिए झगड़े फसाद भी कम नहीं –

माता-पिता किसी न किसी वजह को आधार बनाकर अलग हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे की कस्टडी को लेकर उनमें बहुधा झगड़ा फसाद देखने को मिलता है। कोर्ट पक्ष की आर्थिक व अन्य स्थिति देखने के साथ ही बच्चे के हित में जो सबसे बेहतर होता है, उसके आधार पर निर्णय लेती है। मित्रों, आप जानते ही हैं कि मां बाप के अलगाव का बच्चों पर कई बार नकारात्मक असर देखने को मिलता है। ‌टूटे परिवारों के बच्चे अक्सर गुस्सैल हो जाते हैं। कुछ का तो शादी नाम की संस्था से भरोसा तक उठ जाता है।

बच्चे की कस्टडी से जुड़े सवाल जवाब –

कस्टडी का क्या मतलब है?

कस्टडी का अर्थ निगरानी, पालन अथवा संरक्षण होता है। माता-पिता के तलाक के बाद यह मामला सिर उठाता है।

तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी की हर धर्म में क्या समान व्यवस्था है?

जी नहीं, तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी की अलग धर्म में अलग व्यवस्था है।

नाबालिग बच्चे की कस्टडी किसको दी जाती है?

यदि शारीरिक, मानसिक तौर पर स्वस्थ है तो नाबालिग बच्चे की कस्टडी मां को ही दी जाती है। ‌‌‌‌‌

मां की आय का स्रोत न होने पर उसकी कस्टडी में रह रहे बच्चे का खर्च कौन उठाता है?

ऐसी स्थिति में कस्टडी में रह रहे बच्चे का खर्च उसके पिता उठाएंगे।

क्या बच्चे की कस्टडी किसी तीसरे पक्ष को भी दी जा सकती है?

जी हां, यदि माता-पिता दोनों की मौत हो जाए अथवा कोर्ट को लगे कि वे बच्चे की देख रेख में सक्षम नहीं तो उसकी कस्टडी किसी तीसरे पक्ष को भी दी जा सकती है।

मित्रों, यह थी तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी किसे मिलती है? विषय पर आवश्यक जानकारी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप किसी ऐसे ही रोचक विषय पर हम से जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं आपके सुझाव और प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (30)

  1. आप ने लिखा है कि पांच साल से कम हिन्दू बच्चे की कस्टडी मां को दी जाती है और नौ साल से ऊपर का बच्चा खुद निर्णय ले सकता है , अगर हिन्दू बच्चा छह,सात,या आठ साल का है तो उसकी कस्टडी किसे मिलेगी।

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  2. Meri baccHi 4 saal ki he par mere pati ne meri baccHi k liye koi farz nai nibhaye hume chhod k dur Apne parents k sth hi rehte he or relation sudharne ki Kosis bhi nai karte Ab me divorce chahu to meri baccHi mere pass hi rahegi na

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  3. 2016 mai divorce ho gya ho or daughter ki custody mother ko mili ho or kuch saalo baad mother ne shadi kr li ho or vo daughter ab 16 year ki ho gai ho but study ki vajah se vo apne nana na ani k sath reh rhi ho to kya ab uske father uski coutody ke liy apel kr skta hai.. Or jabki daughter uske pass na jana chahti ho to.. Please ye samjhaye ki mother ko aage kya krna chahiye

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  4. agar patni ka kisi aur ka se affair ho aur bache usne aapne pass rakhe ho aur pita se milne aur baat na karne deti ho to aise condition main dono bache mujhe mil sakte hai kya?
    please suggest ki jiye

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  5. Sir, I m in process of divorce. Mera beta 2years ka hai, I m jobless now,so I give custody to his father. But I want my son back. so in this case will court give me time to find job and become financially independent to nurture my son in better way? Pls. Guide me.

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  6. Meri baat baat me bahut gussa vaali

    Me 9 month ghar se dur rahta ..vo mere mabaap ko bhi khilati
    Bachho ko leke mayke chali gayi he abhi talak mang rahi he
    Ladki 7 saal ki he
    Ladka 5 saal ka
    2 mese koi 1 mere paas rah sakta he ke koi umid nahi he…

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  7. 13B से तलाक हो गया है आपसी सहमति से एक बेटा पति के पास और एक पत्नी के पास है अब तलाक के 4/5साल बाद पति दूसरे बेटे को मांगता है क्या वो उसे ले सकता है

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  8. Mai 3 saal se apne maayke me rah rahi hu, bacche ki guardianship k liye case vi daala tha bt bacche k liye fir compromise kr k case band kar k chali gyi to pati ne bahut maar peet kr k bahar nikal diya baccha vi ni diya.. Agr mai divorce de deti hu to uske baad bacche ki custody k liye appeal kr skti hu?? Mera baccha 7 yrs complete ho k 8 yr chal raha h

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    • ha bilkul apeal kar skte hai lekin divorce se pahale soch samjh le aur ristedaro ke madyam se rista sulajh jaye to sahi hai.

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  9. पति और पत्नी दोनों सरकारी नोकरी में है दो बेटे है बड़ा बेटा 6 वर्ष का है छोटा बेटा दो वर्ष का है ।दोनो अलग अलग सिटी में नोकरी करते है ।पति तलक चाहता है और बच्चे भी चाहता है ।पति को दोनो बच्चे मिल सकते है या बड़ा बेटा या कोई नही मिल सकता है ।

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    • दोनों बच्चे नहीं मिल सकते हैं एक बच्चा मिल सकता है यदि कोई सही रीजन साबित होता है तो ।

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  10. 11 sal ho ghye.Hmare divorce huye.hmari inkam itni nhi.ledis sut site h.eye side week ho ghai.bachcha bar rha.bap ne dusri shadi Kar li.ek larki lekar Pali.kiya Hume apne bachche ka kharch mil sakta.meke me rehte h.

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    • आप अपने जीवन यापन के लिए अपने पति से खर्चे की डिमांड कर सकती हैं । आप किसी अच्छे वकील की सहायता लीजिए ।

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  11. Mera naam naina h mere pti ka nature or unka gali galich u marpit se me saalo se presan hu maine bahut koshish ki es rishte ko bachane ki par ab mujhse nhi bardasht ho rha hamara 6 saal ka ek ladka h ydi me divorce leti hu to mere bete ki castody kise milegi pls mujhe bataye me mere bete ke bina nhi rehe sakti

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    • कस्टडी मिलने के सबसे ज्यादा चांस आपको ही है लेकिन जब कोर्ट में केस जाएगा उसके बाद कोर्ट से क्या फैसला आता है यह पहले से कोई नहीं बता सकता है । आप किसी अच्छे वकील से सलाह ले सकती हैं ।

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  12. I am lokesh jain meeti wife kai baar mujhse jhagda karka mauka chali jati hai baccha ko saath leekar meera apna baccha sa bahut jayada lagav ha ma usko har baar uski conditions par mana kar wapas laana ki koshish karta hu taki ma apna baccha ka saath reh saku aab wo fir sa chali gai hai ya 04 time hua hai aur is baar wo bilkul nahi aana chati ha mujha baccha ki costudy chaiya to ma kya kar sakte hu

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  13. I got divorced one year before.i HV two daughters in my custody.her father could visit.but now her father convinced her to live with him.she is also denied to live with me.what are my rights now

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  14. Mera beta 15 saal se meri saath hai .Ab uska age 19 hai.uski pita 15 saal se sampark nehi liye .Ab.bo apni bete ko le jana chahta hai ,kiya kare?

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  15. Meray saath vi yaisa hi hua,talaak ho gya per m abhi 3saal say ladke ko dekha tak nhe,Aisa abhaagi baap sayad m hi hu,gya milne pr mil na saka ,m kya kru jissay m ladkey ko dekh to lu bus,fir custody k liye prayaash karunga,mere saath jo hua uska jimmaydaar wife ki 7bahnay aur 1 couple h ,sabsay haath joda kaha ki saath baith kr solve krlo court m Jana hi na pade per nhe,

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