कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज फीस एंव आवश्यक दस्तावेज

शादी अधिकांश लोगों के लिए एक हसीन ख्वाब होता है। कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी पसंद को ही अपना जीवनसाथी बनाना चाहते हैं, लेकिन उनका परिवार उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता। ऐसे मेंं उनके पास कोई और रास्ता नहीं होता। उनके पास केवल कोर्ट मैरिज का ही विकल्प बचता है। ऐसे हजारों लोग देश में हैं, जो कानून की ओर से नागरिकों को दिए गए इस मानवीय अधिकार का फायदा उठाते हैं।

दोस्तोंं, क्या आप जानते हैं कि कोर्ट मैरिज क्या है और कोर्ट मैरिज कैसे करते हैं? यानी इसकी प्रक्रिया क्या है? यदि आपको नहींं मालूम है तो यह पोस्ट आपके बेहद काम की है। आज इस पोस्ट के जरिये हम आपको बताएंगे कि कोर्ट मैरिज क्या है? और कोर्ट मैरिज कैसे करते हैं? आइए शुरू करते हैं – 

Contents show

कोर्ट मैरिज क्या है? What is a Court Marriage?

दोस्तों, साधारण शब्दों में कहें तो Court Marriage बिना किसी परंपरागत समारोह के कोर्ट में मैरिट आफिसर के सामने संपन्न कराई जाती है। और यह भी बता दें कि सभी कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत संपन्न होती हैं। 

कोर्ट मैरिज की पूरे देश में एक ही प्रक्रिया – The same process of Court Marriage across the country

आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि क्या शादी में किसी धर्म विशेष को तरजीह दी जाती है? तो आपको बता दें कि कोर्ट मैरिज के तहत न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्धों के विवाह शामिल होते हैं। कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म, संप्रदाय, या जाति के युवक -युवती के बीच हो सकती है। बस शर्त यह है कि दोनों को बालिग होना चाहिए। दोस्तों, किसी विदेशी और भारतीय की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है। और सबसे खास बात यह है कि Court Marriage करने के लिए पूरे देश मेंं एक ही प्रक्रिया है। 

कोर्ट मैरिज आनलाइन रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है – Court Marriage does not have online registration facility

कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज फीस एंव आवश्यक दस्तावेज

इस वक्त और सभी सुविधाएं भले ही आनलाइन हों, लेकिन मित्रों कोर्ट मैरिज के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जा सकता। इसमें युवक-युवती के साथ ही गवाहों की मौजूदगी अनिवार्य है। और अब तो ऐसा भी है कि कई जोड़े परंपरागत रूप से शादी करने के बाद सर्टिफिकेट के लिए शादी को कोर्ट में भी रजिस्टर कराते हैं।

कोर्ट मैरिज के लिए शर्तें क्या हैं? What are the conditions for Court Marriage?

दोस्तों आपको बता दें कि Court Marriage के लिए दोनों पक्षों को मैरिज रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना होता है। शादी रजिस्ट्रार के समक्ष तीन गवाहों की मौजूदगी में संपन्न होती है। मूल रूप से कोर्ट मैरिज की शर्तें इस प्रकार से हैं-

  • 1- युवक युवती में से पहले से किसी की शादी न हुई हो। 
  • 2-लड़की की न्यूनतम आयु १८ वर्ष होनी चाहिए। इसके साथ ही लड़के की न्यूनतम उम्र २१ साल होना जरूरी है।
  • 3- दोनोंं की मानसिक हालत ऐसी हो कि विवाह के लिए वैध सहमति देने में सक्षम हों। 
  • 4- युवक-, युवती दोनों ही शारीरिक रूप से संतानोत्पत्ति के योग्य हों।

कोर्ट मैरिज फीस कितनी है? What is the Court Marriage fee?

विशेष विवाह अधिनियम – 

यदि आप विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत अर्थात आप अपने धर्म के अनुसार नहीं बल्कि रजिस्ट्रार ऑफिस से शादी करना चाहते हैं, तो आप कर सकते हैं। इसके लिए दोनों लोगों को संबंधित जिला के विवाह अधिकारी के पास अपने विवाह संबंधी निर्णय की लिखित सूचना देनी होती है। यह नोटिस सभी के लिए खुला रहता है। यदि कोई चाहे तो इस बीच 30 दिनों के अंदर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। यदि 30 दिनों के अंदर कोई आपत्ति नहीं आती है। जो आप विवाह पंजीकरण का शुल्क देकर अपना विवाह संपन्न कर सकते हैं। 

विवाह सम्पन्न करने के लिए आपको तीन गवाहों की आवश्यकता होती। विवाह पंजीकरण की यह प्रक्रिया काफी लंबी और इस प्रक्रिया के लिए अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया जाते हैं। हालांकि इस तरीके से विवाह करने की न्यूनतम फीस ₹1000 है। लेकिन अन्य औपचारिकता, कागजी कार्रवाई एंव वकील आदि की व्यवस्था करने में 10000 से ₹20000 तक का खर्चा आ जाता है।

एक विवाहित विवाह पंजीकरण 

विवाह संपन्न करने की यह सरल और लोकप्रिय प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में दोनों पक्ष वर-वधू एक ही धर्म के होते हैं अथवा किसी एक धर्म में परिवर्तित होने के इच्छुक होते हैं। वह अपने धर्म के संस्कारों और समारोह जैसे हिंदू विवाह अथवा निकाह आदि के तरीके के साथ विवाह करना होता है। जैसे – आर्य समाज मंदिर या फिर काजी द्वारा संपन्न करा सकते हैं। और तुरंत प्राण पत्र जारी कर सकते हैं। इस तरह के विवाह संपन्न करने में कम से कम ₹2000 तक का खर्चा आ सकता है। शादी होने के पश्चात जिला विवाह अधिकारी के पास जाकर ₹1000 की फीस जमा करके कानूनी तौर पर अपना विवाह पंजीकरण किया जा सकता है।

कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया क्या है? What is the process of Court Marriage?

मित्रों, कोर्ट मैरिज करने के लिए आवश्यक शर्त जानने के बाद अब हम आपको बताएंगे कि Court Marriage की क्या प्रक्रिया है-

  • 1-कोर्ट मैरिज के लिए रजिस्ट्रार को लिखित मेंं नोटिस भेजना होता है। इसमें आवेदनकर्ता को लिखना होता है कि वे शादी करने का इरादा रखते हैं। यहां यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि युवक-युवती जिस जिले में शादी करना चाहती रहे हैं, वहां वह 30 दिन से अधिक निवास कर चुके हों।
  • 2-संबंधित रजिस्ट्रार इस नोटिस की एक कापी अपने कार्योलय के नोटिस बोर्ड पर लगाते हैं। 
  • 3-यदि किसी व्यक्ति को इस शादी पर आपत्ति होती है तो वह 30 दिन के भीतर-भीतर रजिस्ट्रार के समक्ष आपत्ति जता सकता है।
  • 4-यदि रजिस्ट्रार को लगता है कि आपत्ति जायज है तो वह शादी की प्रक्रिया समाप्त कर सकता है। यदि ऐसा नहींं होता तो शादी की प्रक्रिया को आगे ले जाकर शादी का रजिस्ट्रेशन कर दिया जाता है। 
  • 5-आवेदक के पास यह अधिकार है कि यदि वह चाहे तो रजिस्ट्रार द्वारा आपत्ति को स्वीकार करने के खिलाफ जिला कोर्ट में अपील की जा सकती है। लेकिन यहां भी एक शर्त रखी गई है और वो ये कि यह अपील आपको आपत्ति स्वीकारे जाने के एक माह यानी 30 दिन के भीतर ही करनी होगी।
  • 6-कोर्ट मैरिज से पहले युवक -युवती और गवाहों को रजिस्ट्रार के समक्ष एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं। इसमें लिखा होता है कि वह ये शादी बगैर किसी दबाव के अपनी मर्जी से कर रहे हैं। 
  • 7-सेक्शन 12 के मुताबिक कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय या उसके निकट किसी स्थान पर हो सकती है। और इसके लिए एक निर्धारित फीस भी रखी गई है। 
  • 8-शादी संपन्न हो जाने के बाद रजिस्ट्रार सभी ब्योरा भरकर मैरिज सर्टिफिकेट जारी करता है। 

नोट – इस दौरान एक और बात यहां ध्यान में रखने वाली है और वो ये कि यदि शादी के नोटिस के प्रकाशन के तीन माह के भीतर किसी भी वजह से विवाह नहीं होता तो बाद में शादी करने के लिए दोबारा नोटिस देना पड़ता है। 

कोर्ट मैरिज के लिए कौन से दस्तावेज जरूरी – Documents required for Court Marriage

ऐसा नहीं है कि केवल कोर्ट में आवेदन करने मात्र से ही Court Marriage हो जाए। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कोर्ट मैरिज करने के लिए भी किसी भी अन्य प्रक्रिया की ही तरह आवेदन के समय कुछ दस्तावेज जरूरी किए गए हैं। अब हम आपको इन दस्तावेजों की जानकारी देंगे। यह इस प्रकार से हैं- 

  • 1-पूरी तरह भरा आवेदन पत्र। 
  • 2-फीस की राशि।
  • 3-युवक-युवती के पासपोर्अ साइज के चार फोटो। 
  • 4-आवास और पहचान प्रमाण पत्र।
  • 5- उम्र के प्रमाण के तौर पर दसवीं की मार्कशीट।
  • 6- शपथ पत्र कि युवक और युवती दोनों में से कोई अवैध रिश्ते मेंं नहीं हैं।
  • 7- तलाकशुदा के मामले मेंं तलाक का आदेश।
  • 8- विधवा के मामले में पहले जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
  • 9- गवाहों की फोटो।
  • 10- पैन कार्ड 
  • 11-पहचान के लिए ड्राइविंग लाइसेंंस या आधार कार्ड। 

कोर्ट मैरिज ज्यादातर विपरीत धर्म वाले करते हैं –

मित्रों, एक अनुमान के अनुसार ज्यादातर विपरीत धर्म वाले कोर्ट मैरिज का रास्ता अपनाते हैं। अभी तक देखा यही गया है कि ऐसे मामलों मेंं परिजन उन्हें विवाह की इजाजत नहीं देते। कई मामलों में प्रेमी जोड़ों को घरवालोंं की इजाजत नहीं मिलती तो वह भी शादी के लिए कोर्ट की शरण लेते हैं। कुछ लोग इसलिए भी Court Marriage को तरजीह देते हैं, क्योंकि वे परंपरागत रूप से किए जाने वाले विवाह में होने वाले अनावश्यक खर्च से बचना चाहते हैं। और इसके अलावा उनके पास शादी का प्रमाण भी होता है। आपको यह भी बता दें कि ज्यादातर पढ़े लिखे लोगों में कोर्ट मैरिज का चलन बढ़ता हुआ देखने को मिल रहा है। 

यह अलग बात है कि समाज वाले अभी भी कोर्ट मैरिज को लेकर अच्छी राय नहींं रखते। उनकी नजर मेंं शादी वही अच्छी होती है, जिसमेंं परिजनों के साथ ही समाज भी शामिल होता है और पूरे रीति रिवाजों का पालन भी किया जाता है। और ज्यादातर जगह होता यह है कि इसके लिए वह समय-समय पर बच्चों की मेंटल कंडीशनिंग भी करने से नहींं चूकते। 

फिल्मोंं से भी बढ़ा Court Marriage का चलन –

दोस्तों, बेशक आप न मानें, लेकिन ये एक फैक्ट है कि फिल्मोंं का भी समाज पर बड़ा असर पड़ता है। बालीवुड मे प्रेमकथाओंं पर आधारित अधिकांश फिल्मों मेंं अक्सर दिखाया जाता है कि जब परिवार नायक – नायिका के विवाह के लिए तैयार नहीं होते तो वह कोर्ट में अर्जी देते हैं। उनके दोस्त उनकी शादीके गवाह बनकर हस्ताक्षर करते हैं। इस तरह की फिल्में युवाओं को बेहद पसंद भी आई हैं, जो निर्माता को इस तरह की फिल्म बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। 

हालांकि कुछ समय से समाज मेंं खुलापन आने की वजह से लोग इस चलन को स्वीकार भी कर रहे हैं। वह अपने बच्चों को उनकी पसंद के जीवनसाथी से विवाह करने में अधिक अड़ंगे नहीं लगा रहे। ऐसा शिक्षा के प्रसार की वजह से भी हुआ माना जा सकता है। इसके अलावा देश में एक जगह से दूरी जगह बसने पर भी युवा ध्धर्म और भाषा की दीवार तोड़ एक दूसरे को कोर्ट मैरिज के जरिये अपना रहे हैं। वह जीवन भर एक-दूसरे का साथ्थ भी बखूबी निभाते हैं। ऐसे ढेरों केस हैं। 

ज्यादातर Court Marriage जल्द टूटती है –

साथियों, अक्सर देखा गया है कि कोर्ट मैरिज के बाद प्रेमी – प्रेमिका कुछ समय तो हंसी-खुशी साथ् गुजारते हैं, लेकिन जल्द ही उनमें किसी न किसी मसले पर विवाद होने लगता है, जो अक्सर उन्हें एक बार फिर तलाक की दहलीज पर ला खड़ा करता है और वह इसके लिए एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगते हैं। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि परंपरागत रूप से किए गए विवाह अधिक सफल होते हैं, क्योंकि उनमेंं पारिवारिक दबाव काम करता है। साथ ही समझौते की भी पूरी पूरी गुंजाइश रहती है। 

किसी भी तरह का विवाद सामने आने पर परिवार के बड़े अक्सर बैठकर मामले को सुलझवा देते है। समझौता करा देते हैं। इसके ठीक उलट कोर्ट मैरिज के बाद अकेले रह रहे लोगों के पास समझौते कराने के लिए कोई नहीं होता। ऐसे में दोनों पक्षों का अहं टकराता है और अलगाव की नौबत आ जाती है। लेकिन Court Marriage के तुरंत बाद तलाक की अर्जी नहीं दी जा सकती। जानिए क्यों-

कोर्ट मैरिज को कैंसिल कैसे करे? कोर्ट मैरिज के तुरंत बाद तलाक की अर्जी क्यों नहीं दी जा सकती? Why can’t a divorce petition be filed immediately after a Court Marriage?

कोर्ट मैरिज के तुरंत बाद तलाक की अर्जी नहीं दी जा सकती इसके निम्न लिखित कारन हैं –

  • शादी के पहले वर्ष तलाक पर प्रतिबंध लगाया गया है। यानी विवाह का कोई भी पक्ष चाहे वह लड़का हो या लड़की एक साल की समय सीमा समाप्त होने से पूर्व तलाक के लिए कोर्ट में याचिका नहीं लगा सकता है।
  • लेकिन ऐसे मामलों में जहां कोर्ट को यह लगता है कि याचिकाकर्ता ने असाधारण कठिनाइयों का सामना किया है, या प्रतिवादी की ओर से असाधारण भ्रष्टता दिखाई गई है। तब तलाक की याचिका को जारी रखा जा सकता है।
  • यदि कोर्ट यह पाती है कि प्रतिवादी ने तलाक की याचिका दायर करने के लिए कोर्ट को भ्रमित किया है, तब कोर्ट धारा 29 के तहत एक वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद ही प्रभावी होने का आदेश दे सकती है।

कोर्ट मैरिज से संबंधित सवाल जवाब

कोर्ट मैरिज क्या है?

कोर्ट मैरिज एक ऐसा शादी समारोह होता है जिसमे लड़का लड़की अपने आयु पूर्ण होने पर बिना किसी परंपरागत समारोह के सरकारी कागज़ातों के अनुसार शादी करते है।

क्या कोर्ट मैरिज करने पर सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि मिलती है?

जी हां, जब कोई दंपत्ति अंतरजातीय विवाह करते है, मतलब की लड़की और लड़का अलग – अलग जाति के है और वह कोर्ट मैरिज करते हैं। तो सरकार की तरफ से उन्हें प्रोत्साहन के रूप में ₹250000 की आर्थिक सहायता दी जाती है।

कोर्ट मैरिज करने में कितना ख़र्चा होगा?

कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया फीस हर राज्य में अलग – अलग है। बैसे बेसिकली सरकार के द्वारा लगभग कोर्ट मैरिज करने पर 1000 रुपये का ख़र्च होता है। लेकिन अगर आप कोर्ट मैरिज करने में किसी विशेष वक़ील की मदद लेते हैं तो यह ख़र्चा अधिक भी हो सकता है।

क्या कोर्ट मैरिज के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते है?

जी नही, कोर्ट मैरिज करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करने की सुविधा नही है। इसके लिए युवती – युवक को जिला कचहरी में 3 गवाह के साथ उपस्थित होना पड़ता है।

कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक और युवती की आयु कितनी होनी चाहिए?

जो युवती – युवक कोर्ट मैरिज करना चाहते है तो इस स्थिति में युवती की आयु 18 वर्ष और युवक की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए।

कोर्ट मैरिज शादी किस अधिनियम के अंतर्गत की जाती है?

कोर्ट मैरिज शादी अधिनियम 1954 के अंतर्गत संपन्न की जाती है

क्या कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म संप्रदाय में हो सकती है?

जी हां, अधिनियम 1954 के तहत कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म, संप्रदाय जाति के युवक – युवती के बीच हो सकती है।

दोस्तोंं, तो यह थी कोर्ट मैरिज से जुड़ी जानकारी। उम्मीद है कि आपको Court Marriage से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब मिल गया होगा। यदि आप कोर्ट मैरिज क्या है? कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज फीस से जुड़े किसी अन्य बिंदु के बारे मेंं जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए आपको नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करना होगा। किसी अन्य विषय पर भी अगर जाप जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए संबंधित विषय हमसे साझा कर सकते हैं। तरीका वही है आपको कमेंट बाक्स में कमेंट करना होगा। आपके किसी भी सुझाव का हम स्वागत करते हैं। इसके साथ ही आपकी प्रतिक्रियाओं का भी हमें इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (0)

  1. लड़की की उम्र 18 से उपर है।।और लड़के की 18 से उपर तो क्या o शादी कर सकते है।।।

    Reply
  2. sir me pichle 2 saal se courat k chaker laga rha hu lakin abhi tak mera sadhi nhi ho paya or ab jaker mera kesh kharij kr deye vo .to sir ab mere ko ye batayea ki ab me kya kru . me bilkul be samaj nhi paa rha hu ab kya kru kha jau

    Reply
  3. sir Mai aur meri gf hm ek dusre ke bina nhi rah skte h aur hme shadi krni h lekin ghrwale razi nhi h meri gf ki age 18 nhi h to kya Hm aadhar card me age badwa kr shadi Kr skte h plz sir btaye

    Reply
  4. Court marriage karte hai to 1 month ka time lgta hai kya or sir court marriage karte hai to sarkar rassi rassi deti hai aasa to kisi ne btaya hi nhi

    Reply
    • कोर्ट मैरिज करने पर 36 दिन का समय लगता है,बाकी सरकार की तरफ से अंतरजातीय विवाह योजना के अंतर्गत आवेदन करने पर अनुदान राशि प्रदान करती है.

      Reply
    • naye niyam ke anusar girls ki age 21 years honi chahiye lekin ye niyam abhi lagu nhi hua hai. isliye 18 aur 21 honi chahiye

      Reply
  5. सर मेरी उम्र 20 वर्ष है और लड़की की उम्र 24 वर्ष है क्या हमारी शादी हो सकती है । और ये भी सुना है सर की कोर्ट मैरिज करने पर कोर्ट से एक नोटिस जाता है घरवालो पर । सर बिना नोटिस जाए शादी हो सकती है

    Reply
    • जी हां, बिल्कुल हो सकती है, कोर्टे मैरिज का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के कुछ दिन बाद नोटिस घर जाता है. अगर आप चाहते है की नोटिस घर न जाए तो आप इस मामले में वकील से बात करें।

      Reply

Leave a Comment