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हम प्रतिदिन कितने ही उत्पादों को इस्तेमाल में लाते हैं। फिर चाहे वह फैशन से जुड़े हो या दैनिक रोजमर्रा के। उदाहरण के लिए आप इसमें दाल भी ले सकते हैं (Custom Duty kya hoti hai) तो हेयर क्रीम भी। अब यह सब सामान अपने देश में ही तो नही बनता होगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि हम सभी अपने दैनिक जीवन में जिन जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं वह सब सामान भारत देश में ही बनने लगे, ऐसा संभव नही। साथ ही कोई अन्य देश भी सब तरह के सामान को अपने यहाँ नही बना सकता हैं।
वैसे भी अब दुनिया बहुत छोटी हो चुकी हैं और प्रतिदिन करोड़ो करोड़ सामान एक देश से दूसरे देश में भिजवाया जाता हैं। अब यदि किसी भी देश से किसी अन्य देश में सामान जाता हैं या आता हैं तो उस पर एक टैक्स लगाया जाता हैं। उसी टैक्स को ही भारत देश में (Custom Duty kya h) कस्टम ड्यूटी के नाम से जाना जाता हैं। अब यदि आप इस लेख में कस्टम ड्यूटी के बारे में ही विस्तार से जानने को आये हैं तो आज हम आपके साथ उसी पर ही चर्चा करेंगे।
आज के इस लेख के माध्यम से आप जान पाएंगे कि आखिरकार यह कस्टम ड्यूटी होती क्या है और इसे किस आधार पर लगाया जाता हैं। कस्टम ड्यूटी कैसे काम (Custom Duty kya hota hai) करती हैं और उससे चीज़ों के मूल्य पर क्या प्रभाव पड़ता हैं। तो आइए एक एक करके इन सभी चीज़ों के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
कस्टम ड्यूटी क्या होती है (Custom Duty meaning in Hindi)
सबसे पहले बात करते है कि यह कस्टम ड्यूटी होती क्या है और इसका संबंध किस चीज़ से है। तो कस्टम ड्यूटी के बारे में हम आपको बता दे कि यह भारत सरकार के द्वारा विदेश में आने जाने वाली चीज़ों पर लगाया जाने वाला एक कर या टैक्स होता है। भारत में बॉर्डर के रास्ते फिर चाहे वह (Custom Duty ka matlab) मैदान हो या समुंद्र या कुछ और, चारों ओर से प्रतिदिन लाखों की संख्या में माल विदेश जाता हैं तो आता भी हैं।
अब जैसे ही वो सामान भारत देश की सीमा पर पहुँचता हैं तो वहां पर कस्टम ड्यूटी विभाग के अधिकारी उस पर उसके वजन और मूल्य के अनुसार कस्टम ड्यूटी लगाते हैं। इसके भुगतान होने के पश्चात ही वह सामान देश की सीमा से बाहर निकल सकता हैं या प्रवेश कर सकता हैं। तो इस तरह से देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पादों का जो भी आयत निर्यात भारत देश में हो रहा हैं तो उसके लिए कस्टम ड्यूटी को लगाया जाता है।
जिस प्रकार एक राज्य से सामान को दूसरे राज्य में लाने ले जाने पर उस सामान के लिए दोनों राज्यों को टैक्स देना पड़ता हैं ठीक उसी तरह किसी भी सामान को भारत देश से आयात या निर्यात करने के लिए जब भी भेजा जाता हैं तो उस पर कस्टम ड्यूटी टैक्स लगाया जाता हैं। अब यह कस्टम ड्यूटी टैक्स भी कई तरह के होते हैं अर्थात इन्हें कई भागों में विभाजित किया जाता हैं। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।

कस्टम ड्यूटी के प्रकार (Custom Duty types in India in Hindi)
अब जब आपने कस्टम ड्यूटी क्या होती है यह जान लिया हैं तो यह भी जान ले कि केवल एक तरह की ही कस्टम ड्यूटी नही लगती हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि कही कस्टम ड्यूटी लग रही हैं तो उसके कई तरह के प्रकार देखने में आते हैं। यह पूर्ण रूप से उस उत्पाद, उसको बनाने में इस्तेमाल हुआ सामान, उसकी स्थिति, मूल्य इत्यादि कई कारको पर निर्भर करता हैं। तो ऐसे में इसके प्रकारों को समझना भी बहुत आवश्यक हो जाता हैं। तो आइए जाने कस्टम ड्यूटी के विभिन्न प्रकारों के बारे में विस्तार से।
बेसिक कस्टम ड्यूटी (Basic Customs Duty)
बेसिक कस्टम ड्यूटी के अंतर्गत वह कस्टम ड्यूटी आती हैं जो भारत सरकार के कस्टम एक्ट 1962 के द्वारा निर्धारित की गयी हैं। इसके अंतर्गत भारत से आने या जाने वाले हर तरह के सामान पर यह बेसिक कस्टम ड्यूटी लगा ही करेगी। हालाँकि यह कस्टम ड्यूटी कितनी लगेगी यह कई अन्य कारको पर निर्भर करेगा। बेसिक कस्टम ड्यूटी सामान्यतया उन उत्पादों पर लगती हैं जिनका निर्माण भारत में संभव नही हैं या फिर वह सामान भारत में कम मात्रा में बनाया जा सकता हैं।
अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी या काउंटरवेलिंग ड्यूटी (Additional Customs Duty or Countervailing Duty)
अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी उन सामान पर लगायी जाती हैं जिनका निर्माण भारत में हो रहा हैं और अन्य देश की कंपनियां भी उस तरह के अलग सामान को भारत में भिजवा रही हैं। इसे एक उदाहरण से समझिये। अब हमारे देश में एसी के कई ब्रांड हैं या फ्रिज के भी। जब आप बाजार से एसी या फ्रिज खरीदने जाएंगे तो आपको भारतीय ब्रांड के साथ साथ कई विदेशी ब्रांड के फ्रिज भी मिलेंगे।
तो ऐसे में जिस सामान का निर्माण पहले से भारत में हो रहा हैं और उसी तरह के सामान को कोई विदेशी कंपनी भारत में बेचकर लाभ कमाना चाहती हैं तो फिर उसे अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी का सामना करना पड़ता हैं। इसी कारण इसे एक अन्य नाम काउंटरवेलिंग कस्टम ड्यूटी दिया गया हैं अर्थात अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी के द्वारा उस कंपनी को काउंटर करना।
प्रोटेक्टिव ड्यूटी (Protective Duty)
यह ज्यादातर उस सामान पर लगायी जाती हैं जो भारत देश में इम्पोर्ट हो रहे हैं अर्थात जो सामान बाहर के देश से भारत देश में आ रहा हैं। ऐसा अक्सर उस स्थिति में किया जाता हैं जब भारत सरकार को घरेलू बाजार व कंपनियों को सहायता देनी हो। एक तरह से यह भारत की कंपनियों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से और बाजार भाव सामान रखने के उद्देश्य से किया जाता हैं।
उदाहरण के रूप में कोई कंपनी जो कि भारत की हैं और वह किसी सामान को भारत में एक हज़ार रुपए में बेच रही हैं। अब कोई विदेशी कंपनी उसी सामान को भारत में 500 में बेचना चाहे तो इसके प्रभाव से वह भारतीय कंपनी बर्बाद हो सकती हैं। तो ऐसी स्थिति में भारत सरकार उस भारतीय कंपनी को सुरक्षा देने की दृष्टि से उस विदेशी कंपनी के माल पोअर इतना प्रोटेक्टिव कस्टम ड्यूटी लगा सकती हैं कि उसके उत्पाद का मूल्य भारतीय कंपनी के द्वारा बनाए जा रहे उत्पाद के आसपास आ जाए।
एजुकेशन सेस (Education Cess)
यह शिक्षा व्यवस्था के लिए भारत सरकार की ओर से कस्टम ड्यूटी में वसूला जाने वाला एक अतिरिक्त चार्ज होता हैं। यह कुल कीमत का 2 प्रतिशत तक होता हैं जिसे हर किसी को चुकाना होता हैं।
एंटी डंपिंग ड्यूटी (Anti Dumping Duty)
कस्टम ड्यूटी का यह हिस्सा भी बहुत सीमा तक प्रोटेक्टिव कस्टम ड्यूटी के समान ही हैं क्योंकि इसके अंतर्गत भी किसी विदेशी ब्रांड के उत्पाद की कीमत को भारतीय बाजार के बराबर लाने के लिए लगाया जाता हैं। यह टैक्स तब लगाया जाता है जब किसी कंपनी का उत्पाद और उसकी कीमत भारतीय बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों की तुलना में कम हो या बहुत ज्यादा कम हो।
सेफ़गार्ड ड्यूटी (Safeguard Duty)
यह टैक्स उन सामान पर लगाया जाता हैं जो भारत देश से एक्सपोर्ट हो रहा हैं या बाहर जा रहा हैं। हालाँकि सेफ़गार्ड कस्टम ड्यूटी हमेशा नहीं लगायी जाती हैं और विशेष परिस्थितियों में ही इसे लगाया जाता हैं। बहुत सी कंपनियां भारत देश की बजाए बाहर सामान बेचना पसंद करती हैं क्योंकि इसमें उनका मार्जिन ज्यादा बनता हैं। ऐसे में यदि भारत सरकार को लगता हैं कि आवश्यकता से अधिक एक्सपोर्ट भारतीय बाजार पर प्रभाव डाल सकता हैं तो उस स्थिति में वह सेफ़गार्ड कस्टम ड्यूटी का आश्रय लेती हैं।
कस्टम ड्यूटी कैसे लगायी जाती है (How Custom Duty is calculated in India)
अब यदि किसी सामान पर कस्टम ड्यूटी लग रही हैं तो आपका सीधा सा प्रश्न होगा कि इसकी गणना कैसे की जाती हैं अर्थात किसी सामान पर कितनी कस्टम ड्यूटी लगेगी और क्यों, यह कौन निर्धारित करता हैं। तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इसके लिए संपूर्ण वर्णन भारतीय कस्टम एक्ट, 1962 के अंतर्गत दिया गया हैं। इसमें भारत व विदेश में बनने वाले हर तरह के सामान, और उस पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी का संपूर्ण वर्णन विस्तार से दिया गया हैं।
किसी सामान पर कितनी कस्टम ड्यूटी लगेगी यह कई कारको पर निर्भर करती हैं। जैसे कि उस सामान का भार कितना है, उस सामान को बनाने में किस किस चीज़ का उपयोग हुआ है, उस सामान की अभी का मूल्य क्या है, वह सामान किस देश से आ रहा है, उस देश से भारत के संबंध कैसे है, भारतीय बाजार में या विदेशी बाजार में उस सामान की क्या मूल्य हो सकती है, उसकी कितनी आवश्यकता हैं, इत्यादि।
तो इस तरह की कई बातो को ध्यान में रखते हुए किसी भी सामान पर कस्टम ड्यूटी को लगाया जाता है। इसी के साथ वह सामान किस तरह से जा रहा है, उसको सुरक्षित करने के लिए क्या क्या चीज़े लगायी गयी हैं, वह किस देश में जाएगा और वह कितन दूर है, उसे किन किन देश की सीमाओं से गुजरना होगा, यह सब भी देखा जाता हैं। इन सब को देखते हुए ही यह तय किया जाता हैं कि उक्त सामान पर कितनी कस्टम ड्यूटी लगायी जाएगी।
कस्टम ड्यूटी कौन लेता है (Custom Duty officer in Hindi)
अब आपका यह प्रश्न होगा कि भारत सरकार के द्वारा कस्टम ड्यूटी का हिसाब किताब कौन करता है और उसको कौन वसूलता है। तो इसके लिए भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एसएससी CGL की परीक्षा आयोजित करवाई जाती हैं। इस परीक्षा को देकर जो भी परीक्षार्थी सफल होते हैं उन्हें उनके मिले अंकों और उनकी पसंद के अनुसार भारत सरकार के विभिन्न विभागों में पदभार दिया जाता हैं।
तो इसी में एक पदभार होता है कस्टम ड्यूटी अधिकारी का। तो भारत सरकार के द्वारा जिस भी व्यक्ति को कस्टम ड्यूटी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाता हैं, उसे अपने मिले क्षेत्राधिकार के अंतर्गत सामान की कस्टम ड्यूटी की गणना करनी होती हैं और संबंधित व्यक्ति से उस टैक्स को वसूलना होता है। इसी के साथ वह मासिक, साप्ताहिक, दैनिक व वार्षिक तौर पर एक रिपोर्ट तैयार कर अपनी वरिष्ठ अधिकारियों को भेजता हैं। तो इस तरह से भारत सरकार के द्वारा कस्टम ड्यूटी को वसूलने का काम कस्टम ड्यूटी अधिकारी के द्वारा किया जाता हैं।
कस्टम ड्यूटी क्यों लगायी जाती है (Custom Duty importance in Hindi)
अब आपका अगला प्रश्न होगा कि आखिरकार भारत सरकार के द्वारा देश से बाहर जा रही और देश में आ रही सभी तरह की चीजों पर कस्टम ड्यूटी क्यों लगायी जाती हैं और इसका क्या महत्व हैं। तो ऐसे में आज हम आपको कस्टम ड्यूटी क्यों जरुरी होती है और इससे भारत देश को और हमें क्या लाभ मिलता हैं, यह भी बताएँगे। आइए जाने भारत सरकार के द्वारा कस्टम ड्यूटी को लगाए जाने के कारण और उनसे मिलते लाभ।
- कस्टम ड्यूटी को लगाए जाने का सबसे प्रमुख कारण भारत के राजस्व में वृद्धि करना हैं। प्रतिदिन करोड़ो की संख्या में सामान का आयात व निर्यात किया जाता हैं। अब ऐसे में हर किसी के ऊपर थोड़ा बहुत टैक्स लगा देने से सरकार के राजस्व में बहुत ज्यादा वृद्धि देखने को मिलती हैं। इसी का उपयोग भारत सरकार देश के विकास में करती हैं।
- विश्व का कोई भी ऐसा देश नही जहाँ पर बाहर से आने या जाने वाले सामान के ऊपर टैक्स ना लगाया जाता हो। तो ऐसे में इसकी महत्ता को देखते हुए और उस पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए भारत सरकार के द्वारा ऐसा किया जाता हैं।
- अब आपने यह तो जान लिया कि प्रतिदिन करोड़ो की संख्या में सामान का देश से आयात व निर्यात किया जाता हैं तो ऐसे में इन सब सामान पर नज़र कौन रखेगा? यह काम भी तो भारत सरकार का ही होगा ना। कहने का अर्थ यह हुआ कि कस्टम ड्यूटी के द्वारा भारत सरकार देश से बाहर जा रहे और देश में आ रहे सामान का पूरी तरह से रिकॉर्ड रखती हैं।
- यदि भारत सरकार के द्वारा विदेश से आने वाले सामान पर कस्टम ड्यूटी ना लगायी जाए तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था सहित भारतीय बाजार को भी बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता हैं। उदाहरण के तौर पर किसी चीज़ का निर्माण भारत में सीमित मात्रा में होता हैं या उसको बनाने की प्रक्रिया मुश्किल हैं तो वही विदेश के किसी देश में वह आसानी से और सस्ते में बनाया जा सकता हैं। तो ऐसे में वह कंपनी अपने उत्पाद का मूल्य कम रखकर भारतीय कंपनी को बर्बाद कर सकती हैं। तो ऐसी कंपनियों पर नियंत्रण बनाए रखने के उद्देश्य से भी भारत सरकार कस्टम ड्यूटी लगाती हैं।
- अब विदेशी कंपनियां अपने काम में माहिर हैं तो भारतीय कंपनियां क्यों पीछे रहेंगी। बहुत सी कंपनियां चाहती हैं कि उनका ज्यादातर माल बाहर बेचे ताकि वे अच्छा खासा मार्जिन कमा सके। तो भारत सरकार के द्वारा उन कंपनियों पर कस्टम ड्यूटी लगाकर उन्हें विदेश में कम माल बेचने के लिए विवश किया जाता हैं।
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प्रश्न: क्या कस्टम ड्यूटी एक खर्च है?
उत्तर: हां, कस्टम ड्यूटी भी एक तरह का खर्च ही होता है जिसे उत्पाद के मूल्य में जोड़ दिया जाता है। उदाहरण के रूप में किसी उत्पाद का मूल्य हैं और उस पर कस्टम ड्यूटी 50 रुपए लग रही हैं तो वह बाजार में 550 रुपए के भाव से बिकेगा।
प्रश्न: भारत में कस्टम ड्यूटी क्या है?
उत्तर: भारत में कस्टम ड्यूटी हर उत्पाद और उसको बनाने की लागत के अनुसार अलग अलग निर्धारित होती है।
प्रश्न: कस्टम ड्यूटी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: कस्टम ड्यूटी का मुख्य उद्देश्य देश के राजस्व में वृद्धि करना और देश से आयात व निर्यात हो रहे सामान पर नियंत्रण रखना होता है।
प्रश्न: कस्टम ड्यूटी कितने प्रकार की होती है?
उत्तर: कस्टम ड्यूटी कई प्रकार की होती है जिनकी व्याख्या ऊपर लेख में की गयी है।
तो इस तरह से आज आपने जाना कि कस्टम ड्यूटी क्या होती हैं, उसका इस्तेमाल भारत सरकार के द्वारा किस किस तरह से किया जा सकता हैं। कस्टम ड्यूटी लगाना भारतीय अर्थव्यवस्था व बाजार के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं और उससे आम नागरिक को क्या क्या लाभ मिल सकते हैं।