फ्री होल्ड क्या होता है? लीज का मतलब क्या होता है? लीज की जमीन की रजिस्ट्री, जमीन का एग्रीमेंट कितने साल का होता है? लीज डीड फार्मेट? लीज की जमीन की रजिस्ट्री, जमीन लीज पर लेने की प्रक्रिया Uttar Pradesh, सरकारी जमीन लीज पर लेने की क्या प्रक्रिया है?
दोस्तों, प्रापर्टी इस समय निवेश बाजार में सबसे हाट है। कोई भी व्यक्ति जिसके पास यदि 10-15 लाख रुपए हैं, वह भी जब निवेश की सोचता है तो उसके दिमाग में प्रापर्टी ही आती है। पिछले कुछ सालों में इसने रिटर्न भी अच्छे दिए हैं। प्रापर्टी फ्री होल्ड भी होती है, लीज की भी। आज इस पोस्ट में हम आपको फ्री होल्ड (freehold) एवं लीज (lease) की जमीन पर विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
प्रापर्टी कितने प्रकार की होती है? (There is how many types of property?)
दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि प्रापर्टी कितने प्रकार की होती है? (There is how many types of property?) मित्रों, यदि भारत की बात करें तो यहां दो प्रकार की संपत्ति हो सकती है। एक फ्री होल्ड संपत्ति (freehold property) एवं एक लीजहोल्ड (leasehold)। कई बार अपने आवासीय (residential) अथवा व्यावसायिक (commercial) उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लीज की संपत्ति को फ्री होल्ड में बदल दिया जाता है। इसके लिए सरकारी नियमों (government rules) के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है।

फ्री होल्ड क्या होता है? (What is freehold?)
दोस्तों, आइए अब फ्री होल्ड (free hold) का अर्थ जान लेते हैं। फ्री होल्ड का अर्थ होता है, जिस पर किसी का कोई होल्ड अथवा पकड़ नहीं। जैसे कोई भी व्यक्ति, जो इमारत का मालिक है वह जिस जमीन पर इमारत बनाई गई है, वह इसका भी मालिक हो। दूसरे शब्दों में कहें तो फ्री होल्ड में मालिक के पास प्रापर्टी का पूर्ण स्वामित्व होता है।
फ्री होल्ड संपत्ति के क्या क्या लाभ हैं? (What are the benefits of freehold property?)
आइए, मित्रों, अब आपको जानकारी देते हैं कि फ्री होल्ड संपत्ति के क्या क्या लाभ हैं-
- * इसे बेचना, पट्टे पर देना अथवा संभालना आसान है।
- * जटिलताएं कम हैं। इसका मालिक किसी और के प्रति जवाबदेह नहीं होता।
- * फ्री होल्ड जमीन पर अतिरिक्त कमरे अथवा फर्श बनाना आदि किया जा सकता है।
लीज का मतलब क्या होता है? (What is the meaning of lease?)
दोस्तों, लीज (lease) को हिंदी में पट्टा भी कहा जाता है। मूल रूप से यह संपत्ति मालिक एवं किराएदार के बीच अनुबंध (contract) का ही एक रूप होता है। यह अनुबंध सामान्यतः 11 माह से अधिक की अवधि के लिए होता है। साफ है कि इसमें पट्टेदार भूमि का स्वामी नहीं होता, लेकिन वह प्रतिमाह इसके लिए एक निश्चित राशि जमीन के स्वामी को चुकाता है।
लीज कितनी अवधि तक की हो सकती है? (Lease is for how much period?)
कई लोग लीज की अवधि (lease period) को लेकर कन्फ्यूज होते हैं। वे जानना चाहते हैं कि लीज अवधि कितनी होती है? तो आपको बता दें दोस्तों कि लीज यानी पट्टे की अवधि (period of lease) न्यूनतम एक वर्ष एवं अधिकतम 99 वर्ष हो सकती है। पट्टे की अवधि के दौरान किराएदार भवन का अनुबंध पत्र (contract letter) में उल्लिखित उपयोग (use) कर सकता है, लेकिन वह इस पर अधिकार का दावा (claim of ownership) नहीं कर सकता। यानी यदि पट्टेदार इमारत में किसी प्रकार का बदलाव (change) कराना चाहता है तो उसे इसके लिए वास्तविक स्वामी (real owner) से संपर्क करना होगा।
लीज होल्ड प्रापर्टी के क्या लाभ हैं? (What are the advantages of lease hold property?)
अब आप सोच रहे होंगे कि लीज होल्ड प्रापर्टी के क्या लाभ हो सकते हैं। आइए, आपको इनकी जानकारी देते हैं-
- * लीजहोल्ड प्रापर्टी के साथ सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यह है कि इसमें आपकी जिम्मेदारियां सीमित (responsibilities limited) होती हैं।
- * आपको किसी भी बड़ी मरम्मत अथवा क्षति के लिए अपना पैसा नहीं खर्चना होता।
- * आप नियमित रखरखाव (regular maintenance) लागत (cost) से दूर रह सकते हैं।
फ्री होल्ड एवं लीज की संपत्ति में क्या अंतर होता है? (What is the difference between freehold and lease property?)
अब आपको बताएंगे कि फ्री होल्ड एवं लीज की संपत्ति में क्या अंतर होता है। इसके विभिन्न आधार हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

स्वामित्व (ownership):
फ्री होल्ड संपत्ति का पूर्ण स्वामित्व मालिक के पास होता है। वहीं, पट्टे की संपत्ति पर पट्टेदार स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता।
अवधि (period):
फ्री होल्ड संपत्ति पर मालिक का अधिकार होता है, जब तक इसे बेचा नहीं जाता। पट्टेदार केवल पट्टे की अवधि के लिए संपत्ति का उपयोग कर सकता है।
अधिकार (right):
फ्री होल्ड संपत्ति के मालिक के पास संपत्ति में परिवर्तन करने, उसे बेचने, किराए पर देने अथवा पट्टे पर देने का असीमित अधिकार है। लेकिन पट्टेदार भूमि के वास्तविक स्वामी की अनुमति के बगैर संपत्ति की बिक्री नहीं कर सकता।, उसे किराए पर नहीं दे सकता। उसमें संरचनात्मक बदलाव नहीं कर सकता।
बैंक लोन (Bank loan):
बैंक फ्री होल्ड संपत्ति को आसानी से फाइनेंस (finance) करते हैं। वहीं, वे लीज की जीन पर लोन तभी देते हैं, जब लीज की अवधि 30 वर्ष से अधिक हो।
मेंटिनेंस (maintenance):
फ्री होल्ड संपत्ति का मालिक ही उसके मेंटिनेंस एवं रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। पट्टेदार को पट्टे की जमीन के मेंटिनेंस (maintenance), मरम्मत (repair) आदि की चिंता नहीं करनी पड़ती।
संपत्ति का उपयोग (use of property):
फ्री होल्ड संपत्ति का मालिक अपनी संपत्ति का मनचाहा उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है। वह इसमें मेहमानों को बुला सकता है, पालतू जानवर रख सकता है, संपत्ति किराए पर दे सकता है आदि। लेकिन पट्टेदार पट्टे पर मिली जमीन का केवल वही उपयोग कर सकता है, जिसके लिए भूमि दी गई है।
लीज की जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है? (How registry of land is done?)
दोस्तों, जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि पट्टे यानी लीज का अर्थ होता है कि किसी संपत्ति को निर्धारित शुल्क देकर निर्धारित समय सीमा के अनुसार उसके इस्तेमाल की अनुमति देना। ऐसे में जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती क्योंकि इस जमीन को पट्टेदार बेच नहीं सकता।
लीज एग्रीमेंट क्या होता है? (What is lease agreement?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि लीज एग्रीमेंट (lease agreement) में मूलतः उन शर्तों का उल्लेख होता है, जिनके तहत संपत्ति का मालिक प्रत्येक माह एक निश्चित राशि के बदले किराएदार द्वारा संपत्ति के उपयोग को इजाजत देने की सहमति देते हैं। यह पट्टा समझौता अथवा लीज एग्रीमेंट किराएदार एवं जमीन मालिक के बीच दायित्वों एवं जिम्मेदारियों का स्पष्ट विभाजन करता है।
लीज एग्रीमेंट को हस्ताक्षर से पहले बदला जा सकता है।
यदि कानूनी शब्दों में कहें दोस्तों तो लीज एग्रीमेंट एक कानूनी रूप से बाध्यकारी दस्तावेज (documents) है, जो दोनों पक्षों द्वारा नोटरीकृत एवं हस्ताक्षरित (notified and signed) होता है। इसमें उल्लिखित निर्देशों का पालन दोनों पक्षों के लिए अनिवार्य है।
लीज डीड फार्मेट कैसा होता है? (How is lease deed format?)
लीज डीड (lease deed) का एक तयशुदा फार्मेट (format) होता है। साथ ही इसमें कौन कौन सी जानकारी उल्लिखित की जाती है, यह भी पूर्व से तय होता है। जैसे-
पते के साथ दोनों पार्टियों का विवरण:
इसमें उस प्रत्येक सदस्य का नाम एवं पता होता है, जो किराए के आवास/लीज की संपत्ति पर कब्जा कर रहा हो। दस्तावेज तभी वैध माना जाएगा, जब इसमें उन सभी के हस्ताक्षर हों।
लीज/रेंट के नियम व शर्तें:
एक लीज डीड में सभी नियमों व शर्तों का उल्लेख होगा। इसमें लीज की अवधि, किराया वृद्धि कब होगी एवं इसका प्रतिशत क्या होगा? यदि किसी ने पांच साल के लिए लीज डीड बनाई हो तो क्या पट्टे में अंतरिम वृद्धि (interim increase) होगी? प्रत्येक माह किराए की राशि (amount of rent) क्या होगी? इसके भुगतान की तिथि (date of payment) क्या होगी? किराए का भुगतान (payment of rent) कैसे व कब होगा? आदि।
व्यवसाय सीमा :
यदि संपत्ति कोई व्यवसाय करने के लिए लीज पर दी गई है तो इसमें स्पष्ट उल्लेख होगा कि संबंधित पट्टेदार के व्यवसाय की सीमा क्या होगी। इससे आपको एक किराएदार से संपत्ति को खाली करने का कानूनी अधिकार होगा।
रखरखाव व मरम्मत:
पट्टेदार एवं पट्टा मालिक के बीच विवाद की असल जड़ अक्सर यही होती है। इसलिए लीज डीड में रख-रखाव एवं मरम्मत से जुड़े सारे मुद्दे स्पष्ट हो जाने चाहिए। इससे दोनों पक्षों को सहूलियत हो जाती है।
विविध:
संपत्ति की लोकेशन अथवा स्थिति के साथ ही आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर विविध खंड बनाया जा सकता है।
विशेष तौर पर इस बात का ध्यान रखें कि आप संपत्ति को उसके कानूनी मालिक से ही किराए पर लें। किसी तीसरे पक्ष से नहीं। बेशक आपने एक एजेंट (agent) के साथ शुरूआती औपचारिकताएं (initial formalities) पूरी की हों, लेकिन यह आवश्यक है कि इसे वैलिड (valid) करने के लिए पट्टे के अनुबंध पर हस्ताक्षर के दौरान मालिक अथवा उसके कानूनी रूप से अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता (legally authorised signatory) को शामिल किया जाए।
सरकारी जमीन लीज पर लेने की क्या प्रक्रिया है? (What is the process to take government land on lease?)
दोस्तों, यदि बात उत्तर प्रदेश (uttar Pradesh) की करें तो आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने सरकारी लीज जमीन पर लेने की प्रक्रिया (process) को सरल (easy) कर दिया है। जिले भी जो भी सरकारी जमीन उपलब्ध होगी, उसकी सूची कलेक्टरेट के पास आनलाइन (online) उपलब्ध कराई जाएगी। इससे पूर्व संबंधित जमीन की आवश्यकता के संबंध में सरकारी विभागों (government departments) से सहमति ली जाएगी। यदि किसी भी सरकारी विभाग को जमीन की आवश्यकता नहीं होगी तो उसे लीज पर लिया जा सकेगा।
क्या सरकार लीज पर दी गई जमीन वापस ले सकती है? (Can government take back land given on lease?)
हमारे, आपके बहुत से लोगों के मन में यह ख्याल अवश्य आता है कि क्या सरकार लीज पर दी गई जमीन को वापस ले सकती है? तो दोस्तों, इसका जवाब हां है। यदि आपकी भूमि औद्योगीकरण (industrialisation) अथवा शहरीकरण (urbanization) जैसी विकास गतिविधियों (developmental activities) के आड़े आ रही है तो सरकार इस जमीन को वापस लेने का फैसला ले सकती है। यह अलग बात है कि वह आपको जमीन के आधार पर एक निश्चित वर्ग फुट कीमत का भुगतान (payment) करेगी।
क्या लीज की जमीन को फ्री होल्ड में बदला जा सकता है? (Can land on lease be converted in freehold?)
यदि आप पूछेंगे कि क्या लीज की जमीन को फ्री होल्ड में बदला जा सकता है? तो इसका जवाब हां है। यदि आप अपनी लीज होल्ड संपत्ति को फ्री होल्ड में बदलना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले पट्टा मालिक से बात करें और पूछें कि क्या वह संपत्ति बेचने के लिए सहमत हैं?
यदि वे हां करते हैं तो अब आपको एक स्पष्ट सेल डीड (clear sale deed) यानी बिक्री विलेख तैयार कराना होगा। इस पर एनओसी (NOC) लेनी होगी। संपत्ति की स्थिति बदलने के लिए आपको सरकार को एक निश्चित रूपांतरण शुल्क भी चुकाना होगा।
लीज संपत्ति को फ्री होल्ड में बदलने के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या क्या हैं? (What are the necessary documents to change land on lease in freehold?)
मित्रों, आइए अब आपको बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति लीज की संपत्ति को फ्री होल्ड में बदलना चाहता है तो उसे किन किन दस्तावेजों (documents) की आवश्यकता पड़ेगी। यह इस प्रकार से है-
- * लीज डीड (lease deed) अथवा सब लीज डीड की एक कॉपी।
- * लीज एग्रीमेंट (lease agreement) की कॉपी।
- * पावर ऑफ अटार्नी (power of attorney) की कॉपी।
- * कब्जे का सुबूत जैसे-प्रापर्टी टैक्स रसीद (property tax receipt)।
- * सरकार की ओर से जारी किया गया आवंटन पत्र (allotment letter)।
- * एनओसी (NOC) (यदि आवश्यक हो)।
आवास एवं व्यवसाय के लिए लोग किस प्रकार की प्रापर्टी को प्राथमिकता देते हैं? (People give preference to which type of property for residence and business?)
मित्रों, लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार दोनों ही प्रकार की संपत्ति को पसंद करते हैं। मसलन फ्री होल्ड आवासीय संपत्ति खरीदार को संपत्ति पर अच्छा नियंत्रण व सहूलियत प्रदान करती है। इसलिए आवासीय उद्देश्य के लिए लोग फ्री होल्ड प्रापर्टी को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन यदि बात व्यावसायिक इस्तेमाल की है तो वे लीज की प्रापर्टी को अधिक महत्व देते हैं, क्योंकि इससे उनके खर्चे घट जाते हैं। उन पर दायित्व एवं कानूनी झंझट भी कम रहता है।
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फ्री होल्ड का क्या अर्थ है?
फ्री होल्ड का शाब्दिक अर्थ पकड़ से मुक्त होना है। इसमें संपत्ति पर मालिक का संपूर्ण स्वामित्व होता है।
लीज का क्या अर्थ होता है?
लीज में संपत्ति को एक निश्चित किराए के भुगतान के बदले एक निश्चित इस्तेमाल के लिए दिया जाता है।
लीज व फ्रीहोल्ड में सबसे बड़ा अंतर क्या है?
इन दोनों तरह की संपत्ति में सबसे बड़ा अंतर स्वामित्व का है।
आवासीय उद्देश्य के लिए लोग कैसी संपत्ति पसंद करते हैं?
आवासीय उद्देश्य के लिए लोग फ्री होल्ड संपत्ति पसंद करते हैं।
व्यावसायिक उद्देश्य के लिए लोग कैसी संपत्ति को प्राथमिकता देते हैं?
व्यावसायिक उद्देश्य के लिए लोग लीज की संपत्ति को प्राथमिकता देते हैं।
क्या लीज की संपत्ति को फ्रीहोल्ड में बदला जा सकता है?
जी हां, लीज की संपत्ति को फ्रीहोल्ड में बदला जा सकता है।
दोस्तों, हमने इस पोस्ट (post) में आपको फ्री होल्ड एवं लीज की जमीनों के संबंध में जानकारी दी। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी है तो इसे शेयर करना कतई न भूलें। यदि इस पोस्ट को लेकर आपका कोई सवाल है तो उसे बेहिचक नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके लिख भेजें। ।।धन्यवाद।।
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