एम्पलाई एग्रीमेंट क्या होता है? आवश्यकता, दस्तावेज, जरुरी बातें | एंप्लॉई एग्रीमेंट कैसे तैयार किया जाता है?

हमारे देश में लाखों लोग ऐसे हैं, जो स्वरोजगार से अधिक नौकरी पसंद करते हैं। नियत समय काम, बंधी बंधाई तनख्वाह और निश्चित छुट्रिटयां। नौकरी पाने के लिए बेरोजगारों की लंबी लाइन लगी रहती है। यहां तक कि गैंगमैन तक की नौकरी के लिए एमबीए पास युवा तक अप्लाई करते हैं।

यदि आप कहीं नौकरी करते हैं तो एंप्लाई एग्रीमेंट के विषय में अवश्य जानते होंगे। लेकिन यदि आप नौकरी करने जा रहे हैं तो आपको बता दें नौकरी से पूर्व नियोक्ता यानी रोजगार प्रदाता अपने होने वाले कर्मचारी से एक समझौता पत्र साइन कराता है। इसे अंग्रेजी में एंप्लाई एग्रीमेंट (employee agreement) पुकारा जाता है।

आज इस पोस्ट में हम आपको एंप्लाई एग्रीमेंट के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं। मसलन यह क्यों कराया जाता है? एक एंप्लाई एग्रीमेंट में क्या क्या जानकारी होती है? आदि आदि। आइए, शुरू करते हैं।

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कर्मचारी समझौता यानी एम्पलाई एग्रीमेंट क्या है? (What is an employee agreement)

दोस्तों, आपको बता दें कि एम्पलाई एग्रीमेंट (employee agreement) नियोक्ता (employer) एवं सेवा प्रदाता (service provider) के बीच होने वाला समझौता (contract) है। यह नियोक्ता द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें मूल रूप से रोजगार से जुड़ी सेवा शर्तों का उल्लेख होता है।

आपको बता दें दोस्तों कि नियोक्ता यानी एंप्लॉयर कोई व्यक्ति (person), कंपनी (company), निगम (corporation) अथवा संगठन (organization) कोई भी हो सकता है। एक एम्पलाई एग्रीमेंट में नौकरी की प्रकृति, नौकरी शुरू करने की तिथि, सेवाओं की शर्तों, नौकरी से जुड़े दायित्वों आदि का उल्लेख होता है।

सरल शब्दों में कहें तो एक एंप्लाई एग्रीमेंट जहां नियोक्ता के लिए उम्मीदवार की ओर से कंपनी अथवा नियोक्ता की शर्तें मानने की आधिकारिक स्वीकृति है तो वहीं एंप्लॉई के लिए कंपनी द्वारा दी जाने वाली नौकरी एवं उससे संबंधित प्रत्येक पहलू का एक लिखित कानूनी दस्तावेज।

एम्पलाई एग्रीमेंट क्या होता है? आवश्यकता, दस्तावेज, जरुरी बातें | एंप्लॉई एग्रीमेंट कैसे तैयार किया जाता है?

एम्पलाई एग्रीमेंट की आवश्यकता क्यों पड़ती है? (What is the need for employee agreement)

दोस्तों, आपको बता दें कि एक एम्पलाई एग्रीमेंट नियोक्ता और सेवा प्रदाता के बीच कर्मचारी समझौता एक आधिकारिक रिकॉर्ड (official record) होता है। यह नियोक्ता द्वारा तैयार किया जाता है। इसकी आवश्यकता इन वजहों से होती है-

  • यह एग्रीमेंट एक विधिक/कानूनी दस्तावेज (legal document) होता है।
  • एग्रीमेंट करके भविष्य की कानूनी परेशानी और भ्रम से बचा जा सकता है।
  • इसमें नौकरी संबंधी सारे नियम एवं शर्तें लिखी जाती हैं, जो नियोक्ता एवं कर्मचारी, दोनों के लिए जानना आवश्यक है।
  • इसमें नौकरी की प्रकृति, रोजगार की तिथि, वेतन/मुआवजा, दायित्व, नौकरी से किन स्थितियों में निकाला जा सकता है आदि का ब्योरा लिखा रहता है।
  • इसमें दोनों पक्षों के सभी अधिकारों की भी स्पष्ट रूप से जानकारी रहती है।
  • एंप्लाई एग्रीमेंट दोनों पक्षों के बीच लिखित साक्ष्य के रूप में काम करता है, लिहाजा इसे कोर्ट में पेश किया जा सकता है।

एम्पलाई एग्रीमेंट में क्या क्या जानकारी होती है? (what type of details an employee agreement has)

दोस्तों, आइए अब आपको बताते हैं कि एम्पलाई एग्रीमेंट में क्या क्या जानकारी होती है-

  • नियोक्ता (employer) एवं कर्मचारी (employee) दोनों की पर्सनल डिटेल्स (personal details) जैसे-पूरा नाम, आवासीय पता, जन्मतिथि।
  • नौकरी/रोजगार का प्रकार एवं प्रकृति।
  • नियोक्ता एवं कर्मचारी, दोनों पक्षों के अधिकार एवं दायित्व।
  • एंप्लॉई का पद, वेतन (salary) एवं पारिश्रमिक (ब्रेकअप के साथ), लाभ, प्रोत्साहन आदि के बारे में जानकारी।
  • कोई भी अन्य भुगतान/खर्च/ बिल आदि।
  • रोजगार / समझौते की अवधि ।
  • यदि कोई पक्ष एग्रीमेंट का उल्लंघन करता है तो क्या कार्रवाई/जुर्माना होगा।
  • कर्मचारी को मिलने वाली संवेदनशील जानकारी को लेकर गोपनीयता न बरतने पर क्या कार्रवाई होगी।
  • वे ग्राउंड व शर्तें, जिन पर कर्मचारी की सेवाओं को समाप्त किया जा सकता है।
  • एग्रीमेंट किन स्थितियों में समाप्त माना जाएगा।
  • दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति में निपटान कैसे होगा।
  • एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर एवं तिथि।

एम्पलाई एग्रीमेंट के लिए आवश्यक दस्तावेज (necessary documents needed for an employee agreement)

मित्रों, अब आपको बताते हैं कि एम्पलाई एग्रीमेंट के लिए आपको किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। ये इस प्रकार से हैं-

  • एंप्लॉई का परिचय प्रमाण पत्र (Id proof)। जैसे आधार कार्ड आदि।
  • कर्मचारी के आवासीय पते का प्रमाण (Address proof)।
  • एंप्लाई के शैक्षिक प्रमाण पत्र (educational qualification certificates)
  • संबंधित पद के लिए नियत योग्यता प्रमाण पत्र (यदि कोई हो)।
  • एंप्लाई का पैन कार्ड (PAN card)।
  • एंप्लाई के फोटोग्राफ।
  • एंप्लाई का मोबाइल नंबर एवं -एक वैध ईमेल आईडी।
  • किन्हीं दो लोगों के रेफरेंस।

एम्पलाई एग्रीमेंट कैसे तैयार किया जाता है? (how an employee agreement is made)

दोस्तों, आपको बता दें कि इस तरह के एम्पलाई एग्रीमेंट का कोई तय फार्मेट नहीं है। न ही इसे तैयार करने में कोई निर्धारित प्रक्रिया लागू होती है। ज्यादातर मामलों में स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट लिखकर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर के बाद इसे रजिस्टर कराया जाता है। आम तौर पर एक एम्पलाई एग्रीमेंट इस प्रकार से तैयार किया जाता है-

  • 1. नियोक्ता एक वकील द्वारा एग्रीमेंट तैयार कराता है।
  • 2. इसमें उन तमाम बिंदु उल्लिखित होते हैं, जिनके बारे में हमने आपको ऊपर पोस्ट में जानकारी दी है।
  • 3. अब इस एग्रीमेंट को एंप्लॉई को पढ़ने को दिया जाता है।
  • 4. यदि एम्पलाई एग्रीमेंट में दी गई सेवा शर्तों पर सहमत होता है तो वह एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करता है।
  • 5. यदि वह इसमें कोई संशोधन चाहता है तो इसके लिए अनुरोध करता है।
  • 6. आवश्यक संशोधन के पश्चात एग्रीमेंट को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस पर दोनों पक्ष हस्ताक्षर करते हैं।
  • 7. कर्मचारी के हस्ताक्षर वाली एग्रीमेंट की एक कापी नियोक्ता अपने पास रखता है एवं एक कर्मचारी के पास रह जाती है।
  • 6. जिस तिथि पर दोनों पक्ष एग्रीमेंट पर साइन करते हैं, उस तिथि से इसे लागू माना जाता है।

दोस्तों, आपको यह भी बता दें कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एग्रीमेंट प्रिंटेड है अथवा कंपनी के लेटर हैड पर है। सादे कागज पर है या स्टांप पेपर पर है। मायने यह रखता है कि क्या एग्रीमेंट के लिए पर्याप्त स्टांप (stamp) चुकाया गया है कि नहीं। आपको बता दें कि भारतीय स्टांप अधिनियम (indian stamp act)-1899 के अनुसार यह आवश्यक किया गया है।

एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले किन बातों का ध्यान रखें (things to keep in mind while signing the agreement)

यदि आप भी किसी नियोक्ता संग बतौर कर्मचारी एंप्लाई एग्रीमेंट साइन करने जा रहे हैं तो एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले अच्छी तरह सोच समझ लें। खुद से पूछें कि क्या आप कंपनी की सभी शर्तों को मानने के लिए तैयार हैं? यदि हां तो तीन बातों का अवश्य ध्यान रखें-

पहला आपका पद, दूसरे आपका वेतन एवं तीसरा जाॅब प्रोफाइल यानी कि जो काम आपसे लिया जाने वाला है। एंप्लाई एग्रीमेंट में इन सभी चीजों की डिटेल दी गई होती है। अब इन पर विस्तार से चर्चा करते हैं-

1. नाम पद एवं ज्वाइनिंग डेट स्पष्ट हो-

एंप्लाई एग्रीमेंट में कर्मचारी का नाम, पद आदि स्पष्ट लिखे होने चाहिए। इसके साथ ही आपकी ज्वाइनिंग डेट एवं आफिस का एड्रेस भी एकदम सही एवं स्पष्ट हो। यदि ऐसा न हो तो सही कराएं।

2. सीटीसी चेक करें-

दोस्तों, अब बात वेतन की करते हैं। इन दिनों सीटीसी (CTC) का जमाना है। इसका अर्थ है काॅस्ट टू कंपनी (cost to company)। यानी सीधे सीधे एवं अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी आप पर कितना खर्च करेगी। यहां आपको एक बात स्पष्ट कर दें कि अधिक सीटीसी का अर्थ यह नहीं होता कि आपको हाथ में (inhand) अधिक सैलरी मिलेगी।

आपको बता दें कि इसे अधिकांशतः दो हिस्सों में दिया जाता है। एक केवल सैलरी के रूप में एवं दूसरा पीएफ (pf), मेडिकल (medical), लीव (leave), ट्रैवल अलाउंस (travel allowance) एवं अन्य भत्तों के रूप में। इसके अतिरिक्त कंपनी द्वारा प्रदान किया जाने वाला लाइफ इंश्योरेंस (life insurance) एवं हेल्थ इंश्योरेंस (health insurance) भी सीटीसी का ही पार्ट होता है।

यदि दोनों हिस्से देखने के पश्चात आप संतुष्ट हों एवं जितनी सैलरी की बात हुई है, वहीं एग्रीमेंट पेपर पर लिखी हो तो ही इस एग्रीमेंट पर साइन करें।

3. आपको कौन सा पद आफर किया गया है-

चेक कर लें कि क्या एग्रीमेंट पेपर पर आपको वही पद दिया गया है, जिसकी इंटरव्यू के दौरान आपसे बात की गई है। यदि हां तो ही आप इस एग्रीमेंट पर साइन करें।

कई दफा ऐसा होता है कि कई बार आप आवेदन किसी अन्य पद के लिए करते हैं, लेकिन कंपनियां एग्रीमेंट लेटर पर जूनियर पद लिख देती हैं। ऐसी स्थिति में पहले से ही पेपर को देख समझ लें।

4. जाॅब प्रोबेशन पर है तो यह अवधि कितनी लंबी होगी

बहुत सी कंपनियां कर्मचारी की पहली जाॅब होने पर उसके लिए एक प्रोबेशन पीरियड (probation period) नियत करती हैं, जिसके बाद कर्मचारी को पक्का किया जाता है। आम तौर पर यह पीरियड छह महीने से लेकर साल भर तक का होता है।

आप अच्छी तरह देख लें कि यह पीरियड कितना लंबा है एवं इसके पश्चात आपकी परफार्मेंस (performance) किस आधार पर जांची जाएगी। आपको कितनी छुट्टियां मिलेंगी।

5. किन आधारों पर नौकरी से निकाला जा सकता है

एग्रीमेंट में वे शर्तें भी लिखी होती हैं, जिनके आधार पर एंप्लाई को नौकरी से निकाला जा सकता है। नोटिस पीरियड (notice period) के बारे में भी अच्छे से जान लें।

निकाले जाने अथवा आपके छोड़ने की स्थिति में नोटिस पीरियड कितनी अवधि का होगा। इसके पूरा न होने की स्थिति में कितना पैसा देय होगा आदि।

6. यदि कंपनी बांड भरवा रही हो तो सभी क्लाज (clause) को ध्यान से पढ़ें

इन दिनों कंपनियां अपने एंप्लाइज से बांड भी भरवाने लगी हैं। अमूमन इन बांड (bond) की अवधि एक साल से लेकर तीन साल तक की होती है। इस बांड में कई शर्तें लिखी होती हैं। जैसे कि आप नियत अवधि से पूर्व नौकरी नहीं बदल सकते। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी सैलरी से पैसा काट लिया जाएगा आदि।

लिहाजा, आपको बांड की अवधि, इसके टूटने पर देय धनराशि, आदि साफ लिखी हो। इसके अतिरिक्त जिन नौकरियों में गोपनीयता (privacy) एक बेहद आवश्यक तत्व है, वहां कंपनियां नान डिस्क्लेमर एग्रीमेंट (non disclaimer agreement) साइन कराती हैं। इसमें उल्लंघन की शर्तें एवं सजा दोनों स्पष्ट तरीके से लिखा हो। तभी एग्रीमेंट साइन करें।

7. नाॅन कंपीट क्लाॅज का ध्यान रखें

कई बार कंपनियां एग्रीमेंट लेटर में नाॅन कंपीट क्लाॅज भी डालती हैं। इसका अर्थ यह है कि आप कंपनी की प्रतिस्पर्धी कंपनी के साथ काम नहीं कर सकते। एवं समान डोमेन में अपना कार्य भी शुरू नहीं कर सकते।

यदि ऐसा कोई क्लाॅज आपके एग्रीमेंट में भी लिखा हो तो ध्यान दीजिएगा कि इसमें ऐसा न करने की अवधि स्पष्ट रूप से लिखी हो। यदि ऐसा नहीं लिखा हो तो संबंधित एचआर (HR) विभाग के प्रतिनिधि को ऐसा करने को कहें।

8. यदि कोई शर्त समझ न आ रही हो तो स्पष्ट पूछ लें

यदि आपको कोई शर्त समझ न आ रही हो तो इसे साइन करने से पहले कंपनी से इस संबंध में जान लें। क्योंकि एक बार एग्रीमेंट लेटर साइन हो जाने के बाद आप किसी भी प्रकार की तब्दीली कराने की स्थिति में नहीं होंगे।

सतर्कता ही बचाव है के फाॅर्मूले पर चलते हुए पहले से ही सब जांच परखकर एग्रीमेंट पर साइन करें तो नौकरी के दौरान एवं उसके पश्चात भी किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं होगी।

एक एम्पलाई एग्रीमेंट में वकील की क्या भूमिका होती है

साथियों, यह एक महत्वपूर्ण कदम होता है। अधिकांश नियोक्ता एम्पलाई एग्रीमेंट तैयार करने के लिए एक अच्छा दस्तावेजी वकील नियुक्त करते हैं। इसका कारण यह है कि वह एंप्लॉई एवं एंप्लायर के बीच एग्रीमेंट तैयार करने के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं एवं बारीकियों से अवगत होता है।

एक वकील के पास दस्तावेजों को संभालने और ड्राफ्ट करने के लिए आवश्यक कानूनी ज्ञान एवं अनुभव होता है। वह आपकी अथवा संबंधित कंपनी की विशेष स्थिति के अनुसार एग्रीमेंट का मसौदा तैयार करने में सक्षम होता है। इसके अलावा एग्रीमेंट में लिखित शर्तों के उल्लंघन को लेकर विभिन्न कानूनी धाराओं के इस्तेमाल एवं कार्रवाई की उसे अधिक जानकारी होती है।

एम्पलाई एग्रीमेंट क्या होता है?

सामान्य तौर पर एक एम्पलाई एग्रीमेंट एक ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें एक नियोक्ता एवं कर्मचारी के बीच रोजगार की शर्तों का उल्लेख रहता है।

क्या एम्पलाई एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज होता है?

जी हां, एम्पलाई एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज होता है।

एम्पलाई एग्रीमेंट में क्या क्या जानकारी होती है?

एम्पलाई एग्रीमेंट में उम्मीदवार का नाम, पद, नौकरी की प्रकृति, वेतन आदि से जुड़ी जानकारी होती है।

एम्पलाई एग्रीमेंट कब से लागू माना जाता है?

एंप्लॉई के एग्रीमेंट को साइन करने की तिथि से ही एग्रीमेंट लागू माना जाता है।

एम्पलाई एग्रीमेंट साइन करने से पहले क्या करें?

एग्रीमेंट साइन करने से पूर्व आप इसे अच्छी तरह पढ़ें। एक बार हस्ताक्षर होने के बाद आप इसमें कोई चेंज नहीं कर सकते।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट के जरिए बताया कि एंप्लाई एग्रीमेंट क्या होता है? यदि आप एक कर्मचारी हैं एवं एक नियत समयांतराल पर जाॅब बदलते हैं अथवा ऐसा नहीं भी करते, तो भी यह पोस्ट आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगी।

इस पोस्ट पर आपका कोई सवाल है तो आप नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों का हमेशा की तरह स्वागत है। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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