मकान किराये पर देने के नियम 2023, रेंट एग्रीमेंट के फायदे व शर्त

नौकरी, रोजगार आदि के सिलसिले में लोगों को एक शहर से दूसरे शहर जाना पड़ता है। ऐसे में उन्हें किराए का मकान लेकर रहना पड़ता है। इसके अलावा जिन लोगों के पास रहने को अपना मकान नहीं होता, वे भी किराये का मकान लेकर गुजर-बसर करते हैं। खास तौर पर बड़े शहरों में किराए के मकान के लिए मारा-मारी रहती है। बगैर जाने-बूझे मकान देने में बड़े खतरे होते हैं।

ऐसे में मकान मालिक एक रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) तैयार कराते हैं, जिसमें किरायेदार के लिए कुछ शर्तों का जिक्र होता है, जिनके आधार पर उसे किरायेदार के रूप में रहने का हक मिलता है। आज इस पोस्ट में हम आपको रेंट एग्रीमेंट के फायदे एवं शर्तें बताने के साथ ही मकान किराये पर देने के नियम [house rental rules] के बारे में भी जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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रेंट एग्रीमेंट क्या होता है? [What is Rent Agreement?]

दोस्तों, इससे पहले कि हम आपको रेंट एग्रीमेंट से होने वाले फायदे बताएं, सबसे पहले जान लेते हैं कि रेंट एग्रीमेंट क्या होता है। दोस्तों, आपको बता दें कि यह एक किसी प्राॅपर्टी को किराये पर देने से पहले मकान मालिक एवं किरायेदार के बीच होने वाले समझौते का दस्तावेज है। इसमें मकान मालिक की ओर से प्राॅपर्टी को किराये पर देने से संबंधित शर्तें लिखी जाती हैं। किरायेदार इन्हें पढ़कर सहमति जताता है।

इसके बाद दोनों दो गवाहों के साथ इस पर अपने हस्ताक्षर करते हैं। आपको यह भी बता दें कि यदि मकान मालिक अथवा किरायेदार इसमें किसी तरह का बदलाव चाहते हैं तो इसके लिए एक माह पूर्व नोटिस देना होता है।

मकान किराये पर देने के नियम 2023, रेंट एग्रीमेंट के फायदे व शर्त

रेंट एग्रीमेंट के फायदे [Benefits of rent agreement] –

अब हम आपको रेंट एग्रीमेंट से होने वाले फायदों की जानकारी देंगे, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • गैस कनेक्शन लेने, कोई वस्तु फाइनेंस कराने, पासपोर्ट आदि बनवाने में रेजीडेंस प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 13ए के अंतर्गत टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं।
  • मकान मालिक के साथ भविष्य में किसी विवाद की आशंका से मुक्ति।
  • मकान मालिक आपको तय अवधि से पहले नहीं निकाल सकता।
  • किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई में यह एक साक्ष्य के तौर पर काम करता है।

रेंट एग्रीमेंट की शर्तें- [Terms of rent agreement-]

  • रेंट एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखा हो कि मकान का कौन सा हिस्सा किराये पर दे रहे हैं।
  • इसका मासिक किराया कितना होगा।
  • एग्रीमेंट 11 माह का होता है, इसमें वार्षिक किराया बढ़ोत्तरी का उल्लेख हो।
  • इसमें सिक्योरिटी डिपाॅजिट (security deposit) का उल्लेख हो।
  • मकान खाली करने के लिए एक माह के नोटिस पीरियड (notice period) का उल्लेख हो।
  • बिजली, पानी अथवा अन्य किसी सुविधा के लिए दी जाने वाली फीस का भुगतान किराये में शामिल है या नहीं, इसका स्पष्ट उल्लेख हो।
  • मकान के मेंटेनेंस (maintenance) के बारे में साफ साफ लिखा हो।
  • प्राॅपर्टी मालिक एवं किरायेदार का नाम आधार कार्ड के अनुसार स्पष्ट रूप से लिखा हो।
  • किराये पर ली गई प्राॅपर्टी में रहने वाले बालिग, विवाहित एवं अविवाहित सदस्यों के नाम एग्रीमेंट में दर्ज होने चाहिए।
  • प्राॅपर्टी मालिक एवं किरायेदार के साथ ही इसमें दो गवाहों के हस्ताक्षर आवश्यक रूप से हों।

मकान किराये पर देने के नियम 2023

साथियों, आइए अब आपको बता दें कि मकान किराये पर देने के नियम क्या-क्या हैं। मकान मालिक को मकान किराए पर देने से पहले किन किन चीजों पर ध्यान देना चाहिए-

  • किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन कराएं।
  • रेंट एग्रीमेंट बनवाएं।
  • एग्रीमेंट 11 महीने का होता है, इससे अधिक अवधि के लिए लीज एग्रीमेंट कराएं एवं सब रजिस्ट्रार आफिस (sub registrar office) में रजिस्टर कराएं।
  • रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद रीन्यू कराएं अथवा मकान खाली करने को कहें।
  • मकान देने से पहले उसकी टूट-फूट ठीक कराकर अथवा मरम्मत कराकर दें।
  • किराया एग्रीमेंट के अनुसार सालाना 10 प्रतिशत तक ही बढ़ाया जा सकता हैं।
  • यदि किराएदार कई माह किराया न दे तो किन स्थितियों में उसे बाहर करेंगे, इस बात को लिखित में लें।

रेंट एग्रीमेंट तैयार कराने के लिए आवश्यक कागजात

मित्रों, रेंट एग्रीमेंट, जिसे हिंदी में किरायानामा भी कहा जाता है, बनवाने के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेज हैं, जो इस प्रकार से हैं-

  • मकान मालिक एवं किरायेदार दोनों के आधार कार्ड की फोटोकाॅपी।
  • दो गवाहों के आईडी प्रूफ के बतौर उनके आधार कार्ड की फोटोकाॅपी।
  • सौ रूपये का स्टांप पेपर।
  • मकान मालिक एवं किरायेदार का पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ।
  • मकान का किराया एवं सिक्योरिटी मनी।

रेंट एग्रीमेंट न कराने के नुकसान

दोस्तों, हमने ऊपर आपको रेंट एग्रीमेंट के फायदे गिनाए। लेकिन अब हम आपको यह बताएंगे कि यदि आप अपनी प्राॅपर्टी को किराये पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट नहीं कराते तो आपको क्या क्या नुकसान हो सकते हैं-

  • रेंट एग्रीमेंट न होने पर मकान मालिक आपसे अपनी मर्जी से जब चाहे मकान खाली करा सकता है।
  • वह अपनी मर्जी से किराया बढ़ोत्तरी कर सकता है।
  • बगैर किसी लिखित एग्रीमेंट के वह आपसे मरम्मत आदि के लिए शुल्क वसूल सकता है।
  • आपके पास कानूनी कार्रवाई के लिए कोई साक्ष्य नहीं होगा।
  • टैक्स में छूट का लाभ प्राप्त नहीं कर सकेंगे।
  • यदि किराये के मकान में कोई घटना घट जाती है या किरायेदार किसी घटना को अंजाम देकर भाग जाए तो आपके पास पुलिस के चक्कर काटने के अलावा कोई रास्ता न होगा।

एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले उसे ध्यान से पढ़ें –

दोस्तों, आपको होशियार कर दें। आप रेंट एग्रीमेंट को साइन करने से पहले उसे ध्यान से पढ़ लें। कहीं ऐसा न हो कि मकान मालिक ने अपनी ओर से इसमें कोई अतिरिक्त शर्त जोड़ दी हो। या फिर ऐसा कोई क्लाॅज (clause) एड कर दिया हो, जिससे आपको असहमति हो। यदि आप ध्यान से नहीं पढ़ते हैं और साइन कर देते हैं तो इसका नुकसान बाद में आपको ही उठाना होगा।

रेंट एग्रीमेंट फॉर्म डाउनलोड करें-

यदि आपको रेंट एग्रीमेंट फॉर्म की आवश्यकता है या फिर आप रेंट एग्रीमेंट बनाने का फॉर्मेट देखना चाहते हैं, तो आप नीचे रिया का फार्म डाउनलोड कर सकते हैं। और जरूरत पड़ने पर इसका प्रिंट आउट निकाल कर उपयोग कर सकते हैं –

रेंट एग्रीमेंट कौन बनाएगा? [Who will make the rent agreement?]

दोस्तों, आपको बता दें कि रेंट स्वयं भी बना सकते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में रेंट एग्रीमेंट एक वकील तैयार करता है। आपको अपने किरायेदार एवं दो गवाहों के साथ वकील के पास जाना होगा। यहां वकील आपसे रेंट एग्रीमेंट के लिए आवश्यक दस्तावेज जिनका जिक्र हमने पोस्ट में पर किया है लेगा एवं लिखित एग्रीमेंट तैयार कर इसे क्षेत्र के रजिस्ट्रार आफिस में जमा करा देगा। वह इसके लिए कुछ फीस भी चार्ज करेगा।

आपको बता दें कि आपके गवाहों की उम्र 18 साल से कम न हो। यदि आप नोटरी करा रहे हैं तो 11 माह का एग्रीमेंट बनेगा।

रेंट एग्रीमेंट साइन करते वक्त इन बातों का ध्यान रखें-

मित्रों, यदि आप भी कहीं किरायेदार हैं और रेंट एग्रीमेंट साइन करने जा रहे हैं तो इन बातों का ध्यान अवश्य रखें-

  • रेंट एग्रीमेंट हमेशा स्टांप पेपर पर ही बनाया जाता है, इस पर मकान मालिक एवं किरायेदार दोनों के साइन होते हैं।
  • इस बात का ध्यान रखें कि रेंट एग्रीमेंट किस दिन एवं किस तारीख को बनाया जा रहा है, इसका जिक्र हो।
  • रेंट एग्रीमेंट के लिए 50 रूपये के स्थान पर सौ रूपये के स्टांप पेपर का इस्तेमाल किया गया हो।
  • प्राॅपर्टी कितने समय के लिए किराये पर दी जा रही है, इसका जिक्र जरूर हो।
  • किराया देने की तारीख क्या रहेगी, एवं किराया देने में देरी पर कितना भुगतान बतौर विलंब शुल्क करना होगा, इसका जिक्र हो।
  • क्या सुविधाएं बतौर किरायेदार मिलेंगी और क्या नहीं, इनका जिक्र हो।
  • किराया एवं सिक्योरिटी मनी के बारे में भी साफ साफ लिखा गया हो।
  • यदि मकान मालिक की ओर से कोई अतिरिक्त शर्त जोड़ी गई हो तो उसे देखकर हटवा सकते हैं।
  • पूरी तरह से शर्तों को पढ़ने के बाद ही रेंट एग्रीमेंट पर साइन करें।

घर लेने से पहले सेल डीड जैसे दस्तावेज को वेरिफाई करें

मित्रों, आपको बता दें कि घर किराए पर लेते वक्त भी आप सावधानी बरतें। जो घर आप किराए पर ले रहे हैं, वह डील आपकी मकान मालिक से हो रही है, अथवा उसमें कोई और शामिल है, इसे पुख्ता करें। यानी कि जिनसे आप प्राॅपर्टी ले रहे हैं, वहीं इसके कानूनी रूप से मालिक हैं, यह पता कर लें।

आवश्यकता पड़े तो सेल डीड जैसे दस्तावेज को वेरिफाई करें, ताकि आपको बाद में कोई दिक्कत न झेलनी पड़े। इसके साथ ही जिस हाउसिंग सोसायटी में आप रहने आए हैं, उससे एनओसी लेना न भूलें।

दुर्घटना होती है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

किराए पर घर लेने से पहले यह भी सुनिश्चित कर लें कि यदि किसी तरह की कोई दुर्घटना होती है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। ऐसे में भविष्य में होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा। इसके अलावा मकान मालिक को यह भी देखना होगा कि प्राॅपर्टी किस उपयोग के लिए ली जा रही है। उसे तय करना होगा कि प्राॅपर्टी या उसके किसी भाग को किरायेदार किसी को किराये पर न दे एवं उसमें कोई बदलाव न करे। वहीं, किरायेदार मकान मालिक से किराए की रसीद लेना भी न भूलें।

लाॅक इन पीरियड एवं नोटिस [Lock in period and notice] –

साथियों, आपको बता दें कि आजकल रेंट एग्रीमेंट में लाॅक इन पीरियड (lock-in period) का भी जिक्र होने लगा है। यह वह अवधि है जिसके लिए किरायेदार को मकान में रहना ही होगा। इसमें किरायेदार से यह करार किया जाता है कि वह एक निश्चित समय मसलन छह माह से पहले मकान खाली नहीं करेगा।

यह छह माह लाॅक इन पीरियड माना जाएगा। यदि वह लाॅक इन पीरियड से पहले मकान खाली करता है तो उसे जुर्माना देना पड़ेगा। इसके बतौर उसकी सिक्योरिटी मनी भी जब्त की जा सकती है।

इन शर्तों का भी ध्यान रखें

मित्रों, आपको बता दें कि किराए के अतिरिक्त ऐसे कई क्लाॅज होते हैं, जो मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट में शामिल करते हैं। जैसे आप अपने साथ पालतू जानवर रख सकते हैं अथवा नहीं, आप मकान के भीतर नाॅन वेज ला एवं खा सकते हैं अथवा नहीं, आप कितने बजे के बाद बाहर नहीं रह सकते आदि।

इन क्लाॅज पर भी विशेष ध्यान दें। इनमें से कोई क्लाॅज पसंद न हो तो उस पर बात करें एवं उसे हटवाकर ही रेंट एग्रीमेंट पर दस्तखत करें। अन्यथा आपके लिए मुश्किल होगी।

रेंट एग्रीमेंट एवं किराएदार के वेरिफिकेशन को लेकर अभी जागरूकता नहीं

मित्रों, आपको बता दें कि कई मकान मालिक ऐसे होते हैं, जो किराए के लालच में किराएदार के वेरिफिकेशन अथवा रेंट एग्रीमेंट का झंझट नहीं पालते। ऐसे में कई बार किराएदार मकान पर कब्जा कर लेता है तो कई बार वह कोई न कोई गुनाह कर गायब हो जाता है। ‘क्राइम पेट्रोल’ जैसे सीरियलों में इस तरह की वारदात देखने को मिलती हैं। इसके बावजूद लोगों में जागरूकता की घोर कमी है।

जबकि सच यह है कि इन दोनों ही स्थितियों में मकान मालिक की फजीहत होती है। किराएदार के मकान पर कब्जा कर लेने की स्थिति में उसे कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं, वहीं, किराएदार का वेरिफिकेशन (verification) न कराने से पुलिस उसे जीने नहीं देती। उसे यह नहीं पता होता कि किराएदार का वेरिफिकेशन न कराना अपराध है। यहां तक कि घरेलू नौकर को रखने से पहले भी उसका पुलिस वेरिफिकेशन (police verification) आवश्यक किया गया है।

कई बार यह भी होता है कि मकान मालिक किसी परिचित के कहने से किसी को मकान किराए पर दे देता है, लेकिन अपने स्तर पर उसके वेरिफिकेशन की जहमत नहीं उठाता। ऐसे मामलों में भी कई बार उसे धोखा खाना पड़ता है। उसे ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए कम से कागजी रूप से मजबूत रहना चाहिए।

रेंट एग्रीमेंट कितने समय के लिए बनता है?

रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए बनता है।

11 महीने बाद रेंट एग्रीमेंट का क्या होता है?

इस अवधि के बाद यदि आप संबंधित प्राॅपर्टी में और रहना चाहते हैं तो उसके लिए इसे रीन्यू कराना होगा।

रेंट एग्रीमेंट कितने रूपये के स्टांप पेपर पर बनवाना चाहिए?

रेंट एग्रीमेंट सौ रूपये के स्टांप पेपर पर बनवाना चाहिए।

क्या पासपोर्ट बनवाने में रेंट एग्रीमेंट काम आता है?

जी हां, पासपोर्ट बनवाने के लिए रेजिडेंशियल प्रूफ दिखाना होता है। रेंट एग्रीमेंट इसके काम आता है।

रेंट एग्रीमेंट के क्या फायदे हैं?

रेंट एग्रीमेंट का सबसे बड़ा फायदा टैक्स में छूट का है। इसके अलावा यह आपके रेजिडेंशियल प्रूफ का भी काम करता है। मकान मालिक की बेवजह की किराया बढ़ोत्तरी एवं घर छोड़ने की धमकियों पर भी लगाम रहती है।

दोस्तों, हमने आपको रेंट एग्रीमेंट के फायदे व शर्त, मकान किराये पर देने के नियम 2023 की भी जानकारी दी। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो हमें लिख भेजें। इसके अलावा जिन विशयों पर आप जानकारी चाहते हों, उनके बारे में भी हमें नीचे दिए गए कमेंट बाॅक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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    • अगर किरायेदार के द्वारा एग्रीमेंट कराया है, तो आप एग्रीमेंट में निर्धारित दिनांक तक मकान खाली नहीं करा सकते हैं.

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