एफआईआर कैसे रद्द करें? | How to cancel FIR? | एक एफआईआर में कौन कौन सा ब्योरा दर्ज होता है? | first information report | What after some one has filled an fir? | FIR registered in every crime? | एफआईआर व मुकदमे में क्या अंतर होता है? | What is the difference between FIR and case? ||
कई बार हमारी किसी से तू-तू, मैं-मैं होती है और हम भूल जाते हैं। लेकिन कई लोग होते हैं, जो छोटी-सी बात पर किसी से मन-ही-मन दुश्मनी बांध लेते हैं और बदला लेने के बहाने ढूंढते रहते हैं। ऐसे लोग कई बार बदला लेने के लिए संबंधित व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर तक कराने से बाज नहीं आते। ऐसे में संबंधित व्यक्ति को समझ नहीं आता कि वह क्या करे? इस एफआईआर को कैसे रद्द करे? यदि आप अथवा आपका कोई मित्र/परिचित आदि इस तरह के सवालों के घेरे में फंसा है तो आज हम आपको बताएंगे कि यदि कोई झूठी एफआईआर कर दे तो उसे रद्द करने के लिए क्या करना होगा? आइए, शुरू करते हैं-
एफआईआर क्या होती है? (What is FIR?)
दोस्तों, सबसे पहले बात एफआईआर के अर्थ की कर लेते हैं। क्या आप जानते हैं कि एफआईआर क्या होती है? यदि नहीं तो हम आपको बताएंगे। गौर से पढ़िएगा। मित्रों, आपको बता दें कि एफआईआर (FIR) की फुल फॉर्म फर्स्ट इन्फार्मेशन रिपोर्ट (first information report) होती है। इसे हिंदी में सूचना प्राथमिकी भी कहा जाता है।

आपको बता दें मित्रों कि एफआईआर सीपीसी (CPC) यानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (criminal procedure code) -1974 के सेक्शन 154 के तहत आपराधिक कार्यवाही अथवा क्रिमिनल प्रोसीडिंग्स (criminal proceedings) की तरफ उठाया गया पहला कदम है। आपको बता दें कि देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति के साथ कोई घटना या दुर्घटना होती है तो वह सबसे पहले पुलिस स्टेशन जाकर एफआईआर करता है। दोस्तों, एक एफआईआर किसी आपराधिक घटना के संबंध में पुलिस स्टेशन में दर्ज कराए जाने वाला एक ऐसा लिखित दस्तावेज (written document) होता है, जिसके आधार पर पुलिस एक्शन (action) लेती है।
एफआईआर व मुकदमे में क्या अंतर होता है? (What is the difference between FIR and case?)
हममें से बहुत सारे लोग एफआईआर व मुकदमे को एक ही चीज समझते हैं। उनके लिए इन दोनों में कोई अंतर नहीं होता। लेकिन आपको बता दें दोस्तों कि यह दोनों अलग-अलग होते हैं। जब किसी आपराधिक घटना (criminal incident) की सूचना पुलिस स्टेशन (police station) को दी जाती है और सीआरपीसी की धारा 154 के तहत पुलिस इसे हस्तक्षेप योग्य अपराध के रूप में दर्ज करती है तो इसे एफआईआर कहलाती है। वहीं, पुलिस जब उस आपराधिक घटना की जांच पूरी करके कोर्ट में केस पेश करती हैं तो वह मुकदमा बन जाता है।
एक एफआईआर में कौन कौन सा ब्योरा दर्ज होता है? (What details are recorded there in a FIR?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि एफआईआर एक ऐसा लिखित दस्तावेज होता है, जिसमें संज्ञेय अपराध के संबंध में सारी डिटेल्स होती हैं। मूल रूप से एक एफआईआर में यह ब्योरा दर्ज किया जाता है-
- सभी तथ्यों के साथ घटना का सही उल्लेख।
- घटना का स्थान।
- घटना की तारीख।
- घटना का समय।
- घटना में शामिल लोगों के नाम एवं पहचान (यदि आप जानते हों)।
- शिकायतकर्ता का नाम।
- शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर।
- शिकायतकर्ता का पता।
- शिकायतकर्ता की जन्मतिथि।
- घटना के गवाह/चश्मदीद (यदि कोई हैं) आदि।
मित्रों, यह भी बता दें कि यदि आप घटना को अंजाम देने वाले के बारे में परिचित नहीं तो ऐसे में उसे अज्ञात मानकर एफआईआर दर्ज कराई जाती है। आपको बता दें कि एफआईआर की एक कॉपी शिकायत करने वाले के साथ ही थाने से एसीपी (ACP), एडिशनल डीसीपी (Additional DCP), डिस्ट्रिक्ट डीसीपी (District DCP) एवं मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (metropolitan magistrate) को भेजी जाती है। इसके अतिरिक्त जघन्य अपराधों संबंधित एफआईआर की एक कॉपी संबंधित इलाके के संयुक्त आयुक्त यानी ज्वाइंट कमिश्नर (joint commissioner) को भेजी जाती है।
क्या एफआईआर केवल लिखित में दर्ज की जाती है? (Is FIR registered in writing only?)
बहुत से लोगों के दिमाग में यह सवाल भी रहता है कि क्या एफआईआर केवल लिखित में दर्ज की जाती है? तो आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि ऐसा नहीं है। एक एफआईआर इस प्रकार से दर्ज की जा सकती है-
- 1. पीड़ित व्यक्ति सीधे पुलिस स्टेशन जा सकता है और आरोपी के विरुद्ध मौखिक अथवा लिखित बयान के माध्यम से एफआईआर दर्ज करा सकता है।
- 2. किसी थाने में पीसीआर कॉल के माध्यम से प्राप्त सूचना की जांच करने के पश्चात भी एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
- 3. किसी अपराध/घटना की सूचना आने के पश्चात थाने का ड्यूटी ऑफिसर एक एएसआई को घटनास्थल पर भेजता है। यहां गवाहों/प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज करने के बाद वह एएसआई एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखता है, जिसके आधार पर पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की जाती है। अधिकांशतः यह तरीका जघन्य अपराधों के लिए ही अपनाया जाता है।
एफआईआर दर्ज कराने के पश्चात क्या होता है? (What after some one has filled an fir?)
मित्रों, एफआईआर दर्ज कराने के पश्चात अगला कदम पुलिस की ओर से उठाया जाता है। वह इसके बाद मामले की जांच शुरू करती है। आपको बता दें कि एक बार एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस मामले की जांच शुरू करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य भी होती है। जांच के दौरान वह घटना के संबंध में साक्ष्य या सुबूत इकट्ठा करने, गवाहों से पूछताछ करने, मौका-ए-वारदात यानी घटनास्थल का निरीक्षण करने, फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन करने, विभिन्न लोगों के बयान दर्ज करने जैसे कार्य करती है। इस दौरान यदि पुलिस अपराधियों की पहचान करने और उन्हें खोजने में सफल हो जाती है तो फिर उनकी गिरफ्तारी की जाती है। लोगों को अपनी कम्प्लेन फाइल कराने का अधिकार देती है।
झूठी एफआईआर क्या होती है? लोग झूठी एफआईआर क्यों कराते हैं? (What is false FIR? Why do people register false FIR?)
दोस्तों, आपको बता दें कि झूठी एफआईआर किसी व्यक्ति को केस में फंसाने के लिए कानून का दुरुपयोग करना है। यह व्यक्ति को मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह तो आपको स्पष्ट हो ही गया होगा कि कि कोई भी पुलिस अधिकारी (officer) बिना सत्यापन (verification) के एफआईआर दर्ज करने के लिए बाध्य है। ऐसे में कई लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं।
वे झूठी एफआईआर भी दर्ज करा देते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि लोग किसी के खिलाफ झूठी एफआईआर क्यों कराते हैं? तो आपको बता दें कि इस तरह की एफआईआर का मकसद सामान्य रूप से किसी व्यक्ति को बदनाम करना, प्रताड़ित करना, परेशान करना अथवा उससे किसी प्रकार का बदला लेना होता है। आपको बता दें दोस्तों कि भारतीय संविधान (indian constitution) में ऐसे कई प्रावधान हैं, जो झूठी एफआईआर के मामलों से डील करने में सहायक होते हैं.
झूठी एफआईआर कैसे रद्द करें? (How to cancel false FIR?)
मित्रों, यह बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है। आपको बता दें कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर कराई गई है या झूठी चार्जशीट फाइल की गई है और उसे अरेस्ट करा दिया गया है तो संबंधित व्यक्ति सीआरपीसी की धारा (section) 482 के तहत झूठी एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में एप्लीकेशन लगा सकता है।
आपको बता दें दोस्तों कि दंड प्रक्रिया संहिता (CPC)- 1973 की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय (High court) को अंतर्निहित शक्ति प्रदान की गई है। इनमें किसी भी एफआईआर को रद्द करने की शक्ति शामिल है। साथ ही, उसे किसी व्यक्ति पर चलाए जा रहे मुकदमे को रद्द करने की शक्ति भी प्राप्त है। व्यक्ति यदि चाहे तो भारतीय संविधान की धारा 226 या 32 के तहत निषेध रिट फाइल करके झूठी एफआईआर को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार से है-
- वकील की मदद से झूठी एफआईआर के खिलाफ एक आवेदन लिखें।
- इसके साथ संबंधित साक्ष्य लगाएं। याद रखें कि एफआईआर को झूठा साबित करने और सुबूत जुटाने का दायित्व आपका ही होगा।
- अब आवेदन पत्र को मय सुबूत वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में दाखिल कर दें।
- एफआईआर को चुनौती देते इस आवेदन का साक्ष्यों की रोशनी में जज अध्ययन करेंगे।
- यदि वे पाते हैं कि आपका दावा सही है तो वे आपके पक्ष में और एफआईआर रद्द करने संबंधी आदेश देंगे। झूठी एफआईआर कराने वालों के खिलाफ भी समुचित कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे।
- दोस्तों, जैसा कि हमने आपको बताया, इस मामले में आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी एवं पुलिस को अपनी कार्रवाई रोकनी होगी। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यही है कि एफआईआर को झूठा साबित करने के लिए आपके पास पर्याप्त सुबूत हों।
झूठी एफआईआर सबसे ज्यादा किन मामलों में देखने को मिली है? (In what matters maximum false FIR are seen?)
दोस्तों, आपको बता दें कि दहेज उत्पीड़न एवं धारा 498-ए (घरेलू हिंसा) के मामलों में झूठी एफआईआर सबसे अधिक देखने को मिली है। यह आप भी जानते होंगे मित्रों कि कुछ महिलाएं इसे ससुराल अथवा पति पर दबाव (pressure) बनाने के लिए इस धारा को एक उपकरण यानी टूल (tool) के रूप में इस्तेमाल करती हैं। और झूठे मामले दर्ज कराती हैं।
झूठी एफआईआर कराने पर कानून में किस तरह का प्रावधान है? (What type of law provisions are there in the matterof false FIR?)
साथियों, यदि किसी ने आपके खिलाफ झूठी एफआईआर कराई है तो आप ऊपर बताए गए तरीके से उसे रद्द करा सकते हैं। झूठी एफआईआर के दोषी के खिलाफ कानून में किस प्रकार के प्रावधान किए गए हैं, उनकी जानकारी इस प्रकार से है-
जेल एवं जुर्माना
यदि कोई व्यक्ति किसी को आपराधिक केस में गलत तरीके से फंसाता है या अपने कानूनी अधिकार का दुरुपयोग (misuse) करता है तो ऐसे में भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड (indian penal code) की धारा 220 के तहत संबंधित व्यक्ति को 7 साल जेल या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
मानहानि का मुकदमा
यदि कोई व्यक्ति किसी को झूठी एफआईआर में फंसाता है तो उसके खिलाफ मानहानि का केस भी फाइल किया जा सकता है। इसके तहत दोषी को 2 साल तक की जेल, या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
मुआवजा
यदि कोई किसी के खिलाफ दुर्भावना से ग्रस्त होकर या बदले की नीयत से झूठी एफआईआर दर्ज कराता है तो ऐसे में सिविल प्रोसीजर कोड (CPC)-1908 की धारा 19 के तहत शिकायतकर्ता के कपटपूर्ण दावे की वजह से हुई मानहानि के लिए मुआवजे (compensation) लेने के लिए कार्यवाही की जा सकती है
अग्रिम जमानत
यदि एफआईआर झूठी दर्ज की गई है तो जब तक गिरफ्तारी नहीं होती, संबंधित व्यक्ति सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के लिए आवेदन कर सकता है। आपको बता दें कि इसे गैर-जमानती अपराधों में सेशन कोर्ट (session court) या हाई कोर्ट (high court) में भी फाइल किया जा सकता है। इस जमानत का मकसद ही यह है कि किसी निर्दोष व्यक्ति को अपमानित या परेशान ना होना पड़े। यद्यपि इसमें पीड़ित पर भी कुछ शर्तें लागू की जाती है।
क्या प्रत्येक अपराध में एफआईआर दर्ज की जाती है? (Is FIR registered in every crime?)
मित्रों, आपको बता दें कि एफआईआर केवल संज्ञेय अपराधों के लिए ही दर्ज की जाती है। ये वे अपराध होते हैं, जिनमें पुलिस को गिरफ्तारी (arrest) के लिए किसी प्रकार के वारंट (warrant) की कोई आवश्यकता नहीं होती। पुलिस को आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करने एवं मामले की जांच करने का अधिकार होता है।
एफआईआर क्या होती है?
एफआईआर किसी आपराधिक घटना के संबंध में एक ऐसा लिखित दस्तावेज (written document) होता है, जिसके आधार पर पुलिस एक्शन (action) लेती है।
कोई व्यक्ति किसी के खिलाफ झूठी एफआईआर क्यों कराता है?
इस तरह की एफआईआर का मकसद सामान्य रूप से किसी व्यक्ति को बदनाम करना, प्रताड़ित करना, परेशान करना अथवा उससे किसी प्रकार का बदला लेना हो सकता है।
झूठी एफआईआर को रद्द करने की क्या प्रक्रिया है?
इसके बारे में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताया है। आप वहां से देख सकते हैं।
क्या एफआईआर केवल लिखित में कराई जा सकती है?
जी नहीं, कोई व्यक्ति पुलिस स्टेशन जाकर मौखिक बयान देकर भी रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।
झूठी एफआईआर रद्द किए जाने संबंधी पावर किसके पास है?
यह शक्ति उच्च न्यायालय यानी हाईकोर्ट के पास है।
क्या झूठी एफआईआर रद्द करने के लिए सुबूत भी देने होंगे?
जी हां और यह जिम्मा शिकायतकर्ता को स्वयं ही उठाना होगा।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में बताया कि झूठी एफआईआर. कैसे रद्द करें। उम्मीद है कि आपको यह प्रक्रिया स्पष्ट हो गई होगी। यदि इस पोस्ट को लेकर आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें भेज सकते हैं। ।।धन्यवाद।।