चेक बाउंस केस कैसे दर्ज करें? | How to file case in cheque bounce? | चेक बाउंस किस अधिनियम के अंतर्गत अपराध घोषित किया गया है? | चेक बाउंस होने पर केस कैसे दर्ज करें? (How to register case when cheque is bounced?) | चेक बाउंस का झूठा मामला दर्ज हो तो आपको अपने पक्ष में किन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी? ||
यह आनलाइन का जमाना है। लोग पैसे का लेन-देन भी डिजिटली करना पसंद करते हैं और सरकार भी डिजिटल पेमेंट को ही प्रोत्साहित करती है, लेकिन कुछ बड़े भुगतान ऐसे होते हैं, जिन्हें कोई भी बड़ा बिजनेसमेन अथवा अन्य किसी प्रोफेशनल के व्यक्ति आज भी चेक के माध्यम से करना पसंद करते हैं। दिक्कत तब होती है, जब पैसा चुकाने वाले व्यक्ति के खाते में पर्याप्त भुगतान नहीं होता और चेक बाउंस हो जाता है।
ऐसे में तमाम तरीकों के बावजूद यदि कोई व्यक्ति रुपए नहीं लौटाता तो कानून में ऐसे में संबंधित व्यक्ति पर मुकदमा कराए जाने का भी प्रावधान किया गया है। किसी व्यक्ति पर चेक बाउंस केस कैसे दर्ज किया जा सकता है? आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
चेक बाउंस क्या होता है? (What is cheque bounce?)
मित्रों, साधारण शब्दों में कहें तो बैंक में अपर्याप्त राशि न होने, चेक के कटे-फटे होने, चेक पर हस्ताक्षर का मिलान खाते के हस्ताक्षर से न मिलने, चेक पर ओवरराइटिंग जैसे विभिन्न कारणों से यदि बैंक द्वारा चेक लौटा दिया जाता है तो इसे चेक बाउंस (cheque bounce) कहा जाता है। कुछ लोग इसे चेक डिसओनर (cheque dishonour) भी पुकारते हैं। यदि चेक बाउंस के सबसे बड़े कारण की बात करें तो वह चेक भुगतान के लिए बैंक में पर्याप्त राशि (enough amount) न होना है।
क्या हमारे देश में चेक बाउंस अपराध है? (Is cheque bounce crime in india?)
दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि हमारे देश में अपराधों की अलग-अलग श्रेणी (different categories) निर्धारित की गई है और सभी के लिए आईपीसी (IPC) यानी इंडियन पीनल कोड (indian penal code) या भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत इन सभी अपराधों की अलग-अलग श्रेणियां भी निर्धारित की गई हैं।
ऐसे में आपके दिमाग में सबसे पहला सवाल यह आ रहा होगा कि क्या हमारे देश में चेक बाउंस अपराध है? तो आपको बता दें कि दोस्तों कि हां, हमारे देश में चेक बाउंस एक अपराध है। इसे जिस अधिनियम के तहत चेक बाउंस अपराध घोषित किया गया है, उसका नाम नेगोशिएबल इंस्टूमेंट एक्ट (negotiable instrument act)-1881 है। इस एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत चेक बाउंस को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

क्या चेक बाउंस होते ही मुकदमा हो जाता है? (Is case filed just after cheque bounce?)
बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होता है कि क्या चेक बाउंस होते ही संबंधित व्यक्ति पर केस दर्ज कर लिया जाता है? तो आपको बता दें दोस्तों कि ऐसा कतई नहीं होता। इसकी भी एक प्रक्रिया है। इसमें विभिन्न समयावधि (time period) एवं कानूनी पहलुओं (legal angles) का ध्यान रखते हुए देनदार को पैसा लौटाने का पूरा मौका दिया जाता है। पैसा न देने पर उसके खिलाफ संबंधित अधिनियम के अंतर्गत शिकायत और उसके बाद मुकदमा दर्ज (case register) कराया जाता है।
चेक बाउंस होने पर केस कैसे दर्ज करें? (How to register case when cheque is bounced?)
यदि आपके द्वारा बैंक में भुगतान (bank payment) के लिए जमा कराया गया चेक बाउंस हो गया है तो ऐसे में आप देनदार के खिलाफ केस कैसे दर्ज करा सकते हैं, हम आपको इसकी जानकारी देंगे। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार से है-
- चेक बाउंस होने पर सबसे पहले बैंक द्वारा आपको एक रसीद दी जाएगी। इसमें आपको चे चेक बाउंस होने के कारणों के बारे में बताया जाएगा।
- अब देनदार को इस राशि का रूपया एक माह यानी 30 दिन के भीतर भुगतान (payment) करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता तो इसके लिए आपको उसे 30 दिन के भीतर एक नोटिस (notice) भेजना होगा।
- यदि नोटिस भेजे जाने के 15 दिन के अंदर देनदार द्वारा आपको कोई जवाब नहीं दिया जाता तो आप नोटिस में 15 दिन पूरे होने की तारीख से एक माह के भीतर मजिस्ट्रेट कोर्ट (megistrate court) में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- इसके बाद भी यदि देनदार द्वारा रकम का भुगतान नहीं किया जाता तो आप नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के अंतर्गत संबंधित देनदार के खिलाफ केस दर्ज (case file) करा सकते हैं।
चेक बाउंस के मामले में कितनी सजा का प्रावधान किया गया है? (How much punishment is there in case of cheque bounce?)
साथियों, आइए अब आपको जानकारी दे देते है। कि यदि कोई चेक बाउंस के मामले में दोशी पाया जाता है तो उसे कितनी सजा मिल सकती है?
आपको बता दें कि नेगोशिएबल इंस्टूमेंट एक्ट के अनुसार ऐसे मामलों में दोषी व्यक्ति को दो साल तक की जेल अथवा चेक में भरी राशि का दोगुना जुर्माना अथवा दोनों सजाएं साथ-साथ दी जा सकती हैं।
चेक बाउंस के अपराध के लिए क्या अग्रिम जमानत ली जा सकती है? (Is there provision of advance bail in case of cheque bounce?)
चेक बाउंस के अपराध में क्या अग्रिम जमानत ली जा सकती है? यदि आपके मन में यह सवाल आ रहा है तो आपको बता दें कि इस अपराध में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है। दोस्तों, यहां आपको यह जानकारी भी दे दें कि चेक बाउंस के मामले पिछले कुछ समय में लगातार बढ़ रहे हैं। धोखाधड़ी संबंधी मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। इस स्थिति से लोगों को उनकी सतर्कता ही बचा सकती है।
क्या चेक बाउंस के झूठे मामले भी दर्ज होते हैं? (Are there false case also registered?)
जी हां दोस्तों, आपको बता दें कि ऐसा भी होता है। कई बार बदला लेने की नीयत से भी लोग अपने किसी विरोधी के खिलाफ चेक बाउंस (cheque bounce) के झूठे मामले दर्ज (false cases register) करा देते हैं। एक अनुमान के अनुसार चेक बाउंस के करीब 20 लाख मामले इस समय विभिन्न अदालतों (different courts) में चल रहे हैं। इनमें से कई मामले ऐसे भी हैं, जहां चेक बाउंस के झूठे मामले दर्ज होने पर एंटी केस फाइल (anti case file) किया गया है। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं दोस्तों कि ऐसे मामलों में लोगों को सबसे पहले वकील (advocate) की ही जरूरत होती है। जो आपके मामले की नुमाइंदगी कर सके।
चेक बाउंस का झूठा मामला दर्ज हो गया हो तो क्या करें? (What to do if there is any case of cheque bounce is registered?)
यदि आप भी चेक बाउंस के किसी झूठे मामले के शिकार हो गए हैं तो चिंता न करें, धैर्य धरें। ऐसा होने पर आपको क्या करना होगा, हमने आपको इसकी स्टेप -बाई-स्टेप जानकारी देने की कोशिश की है। आपको यह करना होगा-
- सबसे पहले अपने बैंक से संपर्क करें कि क्या चेक वास्तव में बाउंस हुआ है?, यदि हां तो बैंक इस संबंध में आपको सारी डिटेल्स देगा।
- यदि आपको चेक बाउंस को लेकर नोटिस मिला है तो सबसे पहले एक वकील करें। आपको मिले नोटिस का तुरंत जवाब भेजें। याद रखें कि आपको नेगोशिएबल इंस्टूमेंट एक्ट के तहत दी गई 30 दिन की अवधि में ही जवाब देना होगा।
- यदि किसी व्यक्ति ने झूठा चेक बाउंस केस नोटिस भेजा है तो कानूनी जवाब देकर आम तौर पर धोखाध़डी के मामले को वापस ले लिया जाता है।
- यदि कोई व्यक्ति आपके खिलाफ अदालत पहुंच जाता है और झूठा केस दर्ज कराता है तो आप वकील के जरिए अपना जवाब फाइल करें। आप चाहें तो अपने ऊपर केस दर्ज करने वाले व्यक्ति के खिलाफ काउंटर केस (counter case) भी फाइल कर सकते हैं।
- आप आपराधिक मामला दर्ज कराने के साथ ही मानहानि का भी केस उस पर दर्ज करा सकते हैं।
चेक बाउंस का झूठा मामला दर्ज हो तो आपको अपने पक्ष में किन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी? (What documents you will need in case of false cheque bounce case?)
चेक बाउंस का झूठा मामला दर्ज होने की स्थिति में आपको एक और सतर्कता बरतनी होगी। आपको कुछ ऐसे दस्तावेज (documents) आवश्यक रूप से अपने पास रखने होंगे, जो ऐसी स्थिति में आपके लिए सुबूत बनें। जिन्हें आप कोर्ट में पेश कर सकें और जो आपको इंसाफ दिलाने में सहायता करें। ये दस्तावेज इस प्रकार से हैं-
- भुगतान चालान।
- चेक की कापी।
- बैंक एकाउंट की डिटेल्स।
- बैंक ड्राफ्ट/चेक। आदि
क्या चेक बाउंस होते ही मुकदमा दर्ज हो जाता है?
जी नहीं, चेक बाउंस होते ही मुकदमा दर्ज नहीं होता।।
चेक बाउंस किस अधिनियम के अंतर्गत अपराध घोषित किया गया है?
चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट-1881 की धारा 138 के अंतर्गत अपराध घोषित किया गया है।
चेक बाउंस में कितनी सजा होती है?
चेक बाउंस में अपराधी को दो साल की सजा अथवा चेक में भरी राशि का दोगुना जुर्माना अथवा दोनों सजा एक साथ हो सकती हैं।
क्या चेक बाउंस के झूठे मामले भी दर्ज हो जाते हैं?
जी हां, कई बार कोई विरोधी बदला लेने की नीयत से किसी के खिलाफ चेक बाउंस का झूठा मामला दर्ज करा देता है।
यदि किसी पर चेक बाउंस का झूठा मामला दर्ज हो तो उसे क्या करना होगा?
इसकी स्टेप-बाई-स्टेप प्रोसेस हमने आपको ऊपर पोस्ट में समझाई है, आप वहां से पढ़ सकते हैं।
साथियों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको चेक बाउंस में केस कैसे दर्ज करें? इस संबंध में कदमवार जानकारी दी। यदि आप किसी को चेक दे रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस हो। यह पोस्ट आपको कैसी लगी, हमें बताना न भूलें। इसके लि आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) कर सकते हैं। ।।धन्यवाद।।