लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर होता है? Lawyer or Advocate me antar in Hindi

भारत देश के स्वतंत्र होने के पश्चात इस देश का सविंधान व कानून लिखा गया था। इसी क्रम में न्याय पालिका की स्थापना की गयी थी जहाँ देश के आम नागरिकों को न्याय मिल सके। इसके लिए अलग अलग लोगों की (Lawyer or Advocate difference in Hindi) अलग अलग भूमिका तय की गयी। जिसमें पुलिस वालो का काम अपराधियों को पकड़ना और केस को सुलझाना जबकि वकील का काम न्याय पालिका में दोषी को दंड दिलवाना और पीड़ित को न्याय दिलवाना होता हैं।

अब पुलिस की भूमिका के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन वकील को हम केवल कोर्ट में केस लड़ने वाला कह देते हैं। ऐसे में हम वकील को कई अन्य नामो से भी जानते हैं जैसे कि अधिवक्ता, लॉयर या एडवोकेट। अब सामान्य तौर पर जिन्हें कानून की थोड़ी (Lawyer and Advocate difference in Hindi) बहुत समझ होती हैं या जिसका प्रत्यक्ष रूप से न्याय पालिका से कुछ लेनादेना नही होता हैं तो वह वकील को सामान्यतया इन्हीं नामो से जनता हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि हम में से ज्यादातर लोग लॉयर व एडवोकेट को एक दूसरे का पर्यायवाची समझ लेते हैं।

अब ऐसे में यदि आज हम आपको कहे कि लॉयर व एडवोकेट शब्द में जमीन आसमान का अंतर हो तो आपको कैसा लगेगा। अब लॉयर व एडवोकेट को एक दूसरे का (Lawyer or Advocate me kya antar hai) पर्यायवाची कहना ठीक उसी तरह होगा जब हम पुलिस इंस्पेक्टर को कमिश्नर की उपाधि दे दे। तो ऐसे में अब आपके मन में यह जानने की जिज्ञासा उठ रही होगी कि आखिरकार लॉयर व एडवोकेट में क्या अंतर हो सकता हैं। तो चिंता मत कीजिए, आज के इस लेख में आपको वही जानने को मिलेगा और वो भी विस्तार से।

लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर होता है (Lawyer or Advocate me antar in Hindi)

अब जब आप यहाँ यह जानने आये हैं कि लॉयर व एडवोकेट में क्या अंतर होता हैं तो उससे पहले आपको इन दोनों की परिभाषा के बारे में जान लेना चाहिए। यदि आपको इन दोनों का अंतर पता करना हैं तो आपको पहले भलीभांति पता होना चाहिए कि लॉयर किसे कहा जाता हैं और एडवोकेट किसे। जब आप इन दोनों की परिभाषा जान जाएंगे तो फिर दोनों के बीच में अंतर करना भी बहुत ही सरल हो जाएगा।

फिर भी हम आपको स्पष्ट करते हुए बता दे कि (Advocate and Lawyer difference in Hindi) एडवोकेट के पर्यायवाची के रूप में हम अधिवक्ता शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं। जबकि लॉयर के लिए हम वकील शब्द का इस्तेमाल पर्यायवाची के रूप में कर सकते हैं। तो अब आप यह जान गए हैं कि क्या शब्द किस शब्द का पर्यायवाची हैं लेकिन लॉयर और एडवोकेट को हम कभी भी एक दूसरे का पर्यायवाची नही कह सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों के बीच बहुत अंतर पाया जाता हैं। आइए जाने इसके बारे में विस्तार से।

लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर होता है? Lawyer or Advocate me antar in Hindi

लॉयर क्या होता है (Lawyer kya hota hai)

सबसे पहले बात करते है लॉयर शब्द की। तो लॉयर शब्द लॉ से बना हैं जिसका अर्थ होता हैं कानून। तो ऐसे में लॉयर शब्द का अर्थ हुआ कानून की जानकारी रखने वाला या कानून की पढ़ाई करने वाला। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो व्यक्ति कानून की पढ़ाई कर रहा हैं या उसकी जानकारी रखता हैं तो उसे हम लॉयर बुला सकते हैं। अब तक आप इस कथन के माध्यम से अनुमान लगा सकते हैं कि लॉयर किसे कहा जा सकता हैं। फिर भी हम इसे विस्तार देते हुए समझाते हैं।

कानून की पढ़ाई करने के लिए या न्याय पालिका में काम करने के लिए कौन सी डिग्री लेनी पड़ती हैं? क्या आप इसके बारे में जानते हैं? यदि नही तो आज हम आपको बता दे कि यदि आपको कानून की डिग्री लेनी हैं और वकील बनना हैं तो आपको उसके लिए LLB की पढ़ाई करनी पड़ेगी। LLB करके ही कोई छात्र कानून की डिग्री ले सकता हैं। तो यह LLB की डिग्री कुल 5 वर्ष की होती हैं जिसमें 3 वर्ष की BA भी होती हैं। इसे करने के अलग अलग तरीके हो सकते हैं।

आप BA करके भी LLB की पढ़ाई कर सकते हैं या अन्य कोई और ग्रेजुएशन की डिग्री लेकर भी। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आपने किसी भी विषय में ग्रेजुएशन या स्नातक की हुई हैं फिर चाहे वह BA हो या बीकॉम या बीटेक या कुछ और, आप उसके बाद LLB की पढ़ाई कर सकते हैं। किसी भी विषय में स्नातक करने के पश्चात LLB की डिग्री लेने में 3 वर्ष का समय लगता हैं। वही यदि आप BA और LLB साथ में चुनते हैं तो इसमें आपको 5 वर्ष का ही समय लगेगा।

अब ऐसे में जो व्यक्ति LLB की पढ़ाई कर रहा होता हैं तो वह उन 3 वर्षों में कानून को समझ रहा होता हैं और उसे कानून के बारे में अन्य सामान्य लोगों से अधिक जानकारी होती हैं। तो ऐसे में उस छात्र या व्यक्ति को लॉयर कहा जाता हैं। यदि वह कानून की पढ़ाई अर्थात अपनी LLB की डिग्री पूरी भी कर लेता हैं तो भी उसे लॉयर या वकील  ही कहा जाता हैं। तो जो व्यक्ति या छात्र अपनी LLB या तो कर रहा हैं या फिर कर चुका हैं तो उसे लॉयर कहा जाता हैं।

एडवोकेट क्या होता है (Advocate kya hota hai)

अब जब आपने यह जान लिया हैं कि लॉयर किसे कहा जाता हैं तो अब बारी है एडवोकेट के बारे में जानने की। तो हम आपको पहले ही स्पष्ट करते हुए बता दे कि एडवोकेट लॉयर का ही एक हिस्सा होता है लेकिन अनुभव और कार्य क्षेत्र में उससे आगे। एक तरह से कोई भी व्यक्ति लॉयर बनने के बाद ही एडवोकेट बन सकता हैं। तो एडवोकेट लॉयर का एक भाग हुआ जबकि लॉयर अपने आप में स्वतंत्र हैं। तो आइए जाने एडवोकेट क्या होता हैं और कैसे बना जाता हैं।

तो एडवोकेट बनने के लिए भी जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि पहले आपको लॉयर बनना पड़ेगा। तो इसमें आपको पहले अपनी LLB की पढ़ाई ही पूरी करनी पड़ेगी अर्थात आप एडवोकेट बनने से पहले लॉयर होंगे। अब जब आप अपनी LLB की पढ़ाई पूरी करके डिग्री ले लेंगे तो आपको बार काउंसिल में पंजीकरण करवाना होगा। इसके लिए पहले आपको इधर उधर से अनुभव लेना होगा, किसी अनुभव प्राप्त एडवोकेट के नीचे रहकर काम करना होगा और जब आपको लगता हैं कि आप न्याय पालिका में काम कर सकते हैं और अपने क्लाइंट के केस लड़ सकते हैं तो आप बार काउंसिल में पंजीकरण करवा सकते हैं।

भारत के हर राज्य में उसकी बार काउंसिल होती हैं जहाँ पर वहां के LLB डिग्री लिए हुए लॉयर पंजीकरण करवाते हैं और एडवोकेट का तमगा प्राप्त करते हैं। एक तरह से यदि आपको न्यायालय में अपनी क्लाइंट का केस लड़ना हैं, न्यायाधीश के सामने दलीले रखनी हैं तो उसके लिए पहले आपको बार काउंसिल में रजिस्टर करवाना होगा। इसके लिए राज्य बार काउंसिल आपकी एक परीक्षा लेगी। उसमे उत्तीर्ण होने के पश्चात आपको मान्यता मिल जाएगी और अब आप एडवोकेट बन चुके होंगे।

तो सीधे शब्दों में कहा जाए तो एडवोकेट लॉयर से ऊँची पदवी होती हैं जो न्यायालय में अपने क्लाइंट का केस लड़ सकती हैं, दूसरे एडवोकेट से बहस कर सकती हैं और न्यायाधीश के सामने साक्ष्य रख सकती हैं। यदि कोई लॉयर बार काउंसिल में रजिस्टर नही करवाता हैं तो वह एडवोकेट नही कहलाता हैं। ऐसे में वह न्यायालय में अपने क्लाइंट की पैरवी नही कर सकता हैं।

लॉयर और एडवोकेट में अंतर (Lawyer and Advocate difference in Hindi)

तो अब आप लॉयर और एडवोकेट की परिभाषा जान चुके हैं और आपको यह समझ में आ गया होगा कि लॉयर या एडवोकेट बनने के लिए क्या कुछ करना पड़ता हैं। साथ ही दोनों के बीच में मूलभूत अंतर भी आपको समझ में आ गया होगा लेकिन इतना ही काफी नही हैं। यदि आप लॉयर और एडवोकेट के बीच में पूरी तरह से अंतर जानना चाहते हैं तो अब हम आपके साथ वही साँझा करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों की परिभाषा के आधार पर अंतर करना अलग बात हैं जबकि दोनों के बीच में पूरी तरह से अंतर जानना अलग बात।

इसे जानकर आप यह समझ पाएंगे कि आखिरकार किस तरह से लॉयर और एडवोकेट में अंतर को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता हैं। दोनों के बीच में शक्तियों में भी कितना अंतर हैं और दोनों का काम क्या क्या होता हैं। आइए जाने इसके बारे में विस्तार से।

  • हम सभी एडवोकेट को लॉयर कह सकते हैं जबकि सभी लॉयर को एडवोकेट नही। दरअसल लॉयर हर उस व्यक्ति को कहा जाता हैं जिसनें कानून की डिग्री ली हो, फिर चाहे वह न्यायालय में लड़ता हो या नही, फिर चाहे वह कोई और काम ही क्यों ना करता हो। किंतु यदि किसी ने LLB की हुई हैं और उसमे डिग्री ली हुई हैं तो उसे लॉयर कहा जाएगा जबकि एडवोकेट उस व्यक्ति को कहा जाएगा जिसनें अपने राज्य की बार काउंसिल में रजिस्टर करवाया हो और उसकी परीक्षा को पास किया हुआ हो।
  • एक लॉयर न्याय पालिका से जुड़े काम कर सकता हैं लेकिन न्यायालय में नही। कहने का अर्थ यह हुआ कि वह अन्य किसी एडवोकेट के नीचे रहकर काम कर सकता हैं, कानून से जुड़े अन्य काम कर सकता हैं लेकिन यदि बात न्यायालय में काम करने की हैं तो वह नही कर सकता हैं। उसके काम अपने क्लाइंट के केस लड़ना या न्यायालय में उनकी पैरवी करना नही होता हैं और ना ही यह उसके अधिकार क्षेत्र में आता हैं।
  • एक लॉयर का असली काम अपने क्लाइंट या लोगों को कानूनी सलाह देना, उनको कानून के बारे में अवगत करवाना और केस में आगे क्या किया जाए और क्या नही, यह बताना होता हैं। इसी के साथ वह किसी मामले में न्यालालय के समक्ष जनहित याचिका भी लगा सकता हैं जो आम नागरिक भी कर सकते हैं। वह किसी अन्य व्यक्ति की ओर से केस दाखिल करने में सहायता कर सकता हैं, उसको राय दे सकता हैं, केस को सुलझाने में सहायता कर सकता हैं लेकिन न्यायालय में उसका पक्ष नही रख सकता हैं।
  • जबकि एडवोकेट का काम मुख्य रूप में न्यायालय में अपने क्लाइंट का पक्ष रखना ही होता हैं। अपने राज्य की बार काउंसिल में रजिस्टर होने के बाद वह किसी भी न्यालालय में अपने क्लाइंट का पक्ष रख सकता हैं, न्यायाधीश के समक्ष दलीले पेश कर सकता हैं, अन्य एडवोकेट से वाद विवाद कर सकता हैं और न्यालालय से जुड़े सभी केस की पैरवी कर सकता हैं।
  • सीधे शब्दों में कहा जाए तो लॉयर व एडवोकेट के बीच मूलभूत अंतर नौकरी पाने से होता हैं। जिस प्रकार जो छात्र कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की डिग्री कर रहा हैं या कर चुका हैं तो उसे सॉफ्टवेर इंजिनियर तो कहा जाएगा लेकिन इसका अर्थ यह नही कि वह कही नौकरी भी करता हो। जब उसे नौकरी मिल जाएगी तब उसे वहां उसके काम के अनुसार एक पोस्ट दी जाएगी।
  • इसी तरह कानून की पढ़ाई करने वाला लॉयर तो अवश्य कहलायेगा लेकिन जब तक वह इतना अनुभवी नही हो जाता कि वह न्यायालय में अपने क्लाइंट की पैरवी कर सके और बार काउंसिल में रजिस्टर करवा सके, तब तक वह एडवोकेट नही बनता हैं। तो एडवोकेट बनना एक तरह से लॉयर में बड़ी उपाधि हैं जो अनुभव प्राप्त लोग ही करते हैं।

लॉयर व एडवोकेट में क्या अंतर है – Related FAQs

प्रश्न: लॉयर एंड Advocate में क्या अंतर है?

उत्तर: लॉयर वह होता है जो कानून की पढ़ाई कर रहा हो या फिर कर चुका हो जबकि Advocate वह व्यक्ति होता हैं जिसनें कानून की पढ़ाई पूरी करने के साथ साथ अपने राज्य के बार काउंसिल में भी पंजीकरण करवा लिया हो।

प्रश्न: वकील कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: वकील कई तरह के हो सकते हैं जैसे कि क्रिमिनल, फैमिली, सरकारी, कंपनी, पंजीकरण इत्यादि।

प्रश्न: एडवोकेट का क्या काम होता है?

उत्तर: एडवोकेट का काम न्यायालय में अपने क्लाइंट का पक्ष रखना, दूसरे एडवोकेट से वाद विवाद करना और न्यायाधीश के समक्ष अपनी दलीले पेश करना होता है।

प्रश्न: वकील बनने के लिए उम्र कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: वकील बनने के लिए उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए।

तो इस तरह से आज आपने जान लिया कि लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर हो सकता हैं। तो अब यदि आगे से कोई आपसे पूछे या कहे की लॉयर या एडवोकेट एक ही बात हैं या फिर इन दोनों के बीच क्या अंतर होगा तो आप उसे आसानी से इन दोनों के बीच का अंतर सरल शब्दों में समझा सकते हैं। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। हमें नीचे टिप्पणी करके अवश्य अवगत करें।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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