मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 – प्रावधान, लाभ संशोधन, अवकाश नियम

मातृत्व लाभ अधिनियम क्या है? इसमें क्या क्या प्रावधान हैं? इसमें संशोधन कब हुआ? (Maternity benefits act information in hindi)

इन दिनों महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे नहीं। वे उन क्षेत्रों में भी डटकर कार्य कर रही हैं, जिन्हें अमूमन पुरूषों का क्षेत्र माना जाता है-जैसे एविएशन, बस ड्राइविंग आदि। अक्सर नियोक्ता पहले यह मानते थे कि मातृत्व संबंधी मुश्किलों के चलते ये क्षेत्र महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं।

महिलाओं को सरकार की ओर से मिली सहूलियत ने उनके मातृत्व के दिनों से जुड़ी मुश्किलों को दूर करने में मदद की है। सरकार 2017 में मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम maternity benefits (amendment) act लाई, जिसने पूर्व के यानी मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के तहत महिलाओं को दी जा सुविधाओं का दायरा और बढ़ा दिया।

आज इस पोस्ट में हम आपको मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 एवं मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 दोनों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 कब पारित हुआ?

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि अपने परिवार का गुजारा करने के लिए किसी प्रतिष्ठान में कार्य करने वाली महिला के रोजगार (employment) एवं उसके मातृत्व की प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए तत्कालीन भारत सरकार (government of India) ने पर्याप्त सोच विचार के पश्चात मातृत्व लाभ अधिनियम (maternity benefits act) की रूपरेखा तैयार की। यह मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में पारित हुआ था। इसे प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम-1961 के नाम से भी पुकारा गया।

मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 - प्रावधान, लाभ संशोधन, अवकाश नियम

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के दायरे में कौन से प्रतिष्ठान रखे गए?

आइए, अब आपको बताते हैं कि इस अधिनियम के दायरे में कौन कौन से प्रतिष्ठानों को रखा गया। दोस्तों, इसके दायरे में वे तमाम तरह के कारखाने, खदानें, बागान, प्रतिष्ठान एवं ऐसे निकाय आते हैं, जहां 10 अथवा उससे अधिक कर्मचारी (employee) कार्यरत हैं। अथवा पिछले 12 माह की अवधि में नियोजित रहे हैं।

दोस्तों, आपको बता दें कि प्रावधान किया गया है कि यह अधिनियम वहां लागू नहीं होगा, जहां ईएसआईसी (ESIC) यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (employees state insurance corporation)-1948 के प्रतिबंध लागू हों।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 का क्या उद्देश्य था?

साथियों, आपको जानकारी दे दें कि इस अधिनियम का उद्देश्य शिशु के जन्म से पूर्व एवं उसके जन्म के पश्चात महिला कर्मचारी के रोजगार की रक्षा करना है। साथ ही कुछ विशेष प्रतिष्ठानों में एक निर्धारित अवधि के लिए रोजगार का नियमन करने के साथ ही उन्हें मातृत्व लाभ संग अन्य लाभ मुहैया कराना है।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में कौन-कौन से प्रावधान किए गए?

मित्रों, अब हम आपको मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के तहत किए गए प्रावधानों की जानकारी देंगे, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • महिला को 12 सप्ताह का मातृत्व लाभ दिया जाएगा।
  • इस लाभ की गणना उसकी अपेक्षित प्रसव तिथि से छह सप्ताह पूर्व एवं शिशु के जन्म के छह सप्ताह बाद तक की जाएगी। -इसके अंतर्गत उसे कार्य पर उपस्थित न होने के बावजूद उसके दैनिक वेतन के बराबर राशि का भुगतान किया जाएगा।
  • यह लाभ पाने के लिए आवश्यक है कि महिला ने प्रसव से तुरंत पहले पिछले 12 माह में 160 दिन की अवधि के लिए कार्य किया हो।
  • यदि कोई महिला अपने प्रतिष्ठान से मातृत्व अवकाश प्राप्त करती है, किंतु इस अवधि में किसी अन्य प्रतिष्ठान में कार्य करती है तो वह इस लाभ की अधिकारी नहीं होगी।
  • यदि कोई नियोक्ता (employer) मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के प्रावधानों अथवा इसके तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे कारावास (Jail) की सजा अथवा जुर्माना (penalty) अथवा दोनों सजाएं साथ हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त उससे मातृत्व लाभ की राशि की भी वसूली की जा सकती है।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में कब संशोधन किया गया?

दोस्तों, आपको बता दें कि इस मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में करीब 56 वर्ष बाद यानी सन् 2017 में संशोधन किया गया। इसकी संस्तुति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट (Central cabinet) की बैठक में हुई। यह एक्ट 11 अगस्त, 2016 को राज्यसभा (rajyasabha) में एवं 9 मार्च, 2017 को लोकसभा (loksabha) में पारित हुआ।

27 मार्च, 2017 को इस एक्ट (act) को राष्ट्रपति (president) की मंजूरी मिलने के साथ ही एक अप्रैल, 2017 से यह मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 देश भर में लागू हो गया।

इसमें महिला कर्मचारियों के लिए सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया। माना गया कि इस कदम से देश भर में कार्यरत करीब 18 लाख महिलाओं को लाभ पहुंचेगा। उनके मातृत्व एवं रोजगार दोनों की रक्षा हो सकेगी। – मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम के लाभार्थी बनने की पात्रता क्या है?

अब आपको उस पात्रता के विषय में बताते हैं, जो मातृत्व लाभ हासिल करने के लिए मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 के तहत किसी भी महिला के लिए होने आवश्यक हैं-

  • पात्र महिला भारत की नागरिक हो
  • संबंधित महिला ने पिछले 12 माह में 80 दिन की अवधि के लिए प्रतिष्ठान में कर्मचारी के रूप में कार्य किया हो।
  • अवकाश की अवधि के दौरान भुगतान वास्तविक अनुपस्थिति की अवधि के लिए किया जाएगा।
  • यह भुगतान उसके औसत दैनिक वेतन पर आधारित होगा।

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम के क्या क्या प्रावधान हैं?

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 में कई नए प्रावधान लागू किए गए। साथ ही यह भी अनिवार्य किया गया कि महिला कर्मचारी को उसकी नियुक्ति (appointment) के समय नियोक्ता लिखित रूप में (in written) अथवा ईमेल (email) के जरिए मातृत्व लाभों से अवगत कराए। इनका ब्योरा इस प्रकार से है-

सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि में बढ़ोत्तरी-

यह मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 का सबसे महत्वपूर्ण संशोधन (important ammendment) था। इस प्रावधान (provision) के अनुसार यह व्यवस्था दी गई-

  • सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर अधिकतम 26 सप्ताह कर दी गई।
  • व्यवस्था की गई कि इस सुविधा का लाभ महिला 8 सप्ताह अपेक्षित प्रसव तिथि से पूर्व, जबकि शेष अवकाश बच्चे के जन्म के पश्चात ले सकती है।
  • जिन महिलाओं के दो अथवा इससे अधिक जीवित बच्चे हैं, उनके लिए सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह नियत की गई।
  • व्यवस्था दी गई कि इसमें छह सप्ताह अपेक्षित प्रसव तिथि से पूर्व, जबकि छह सप्ताह का अवकाश इसके बाद लिया जा सकेगा।

गोद लेने वाली व जैविक मांओं के लिए भी अवकाश-

दोस्तों, आपको बता दें कि मातृत्व लाभ अधिनियम (maternity benefits act) में संशोधन (ammendment) के माध्यम से सरकार ने गोद (adopt) लेने वाली महिलाओं एवं जैविक मांओं (biological mothers) को भी अधिनियम के दायरे में शामिल कर लिया गया। यह क्रांतिकारी कदम था।

अधिनियम में संशोधन के तहत यह व्यवस्था की गई कि तीन माह से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने वाली मांओं के साथ ही उनकी जैविक मांओं को भी 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश स्वीकृत होगा।

इसकी गणना शिशु को गोद लेने की तिथि से की जाएगी। यहां आपको बता दें दोस्तों कि जैविक मां वह होगी, जो किसी अन्य महिला में लगाए गए भ्रूण को बनाने के लिए अपना एग इस्तेमाल करेगी।

वर्क फ्राम होम की सुविधा

साथियों, इन दिनों बेशक कोरोना महामारी को देखते हुए अधिकांश संस्थानों ने वर्क फ्राम होम (work from home) की सुविधा अपने कर्मचारियों को मुहैया कराई है, लेकिन मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम के अंतर्गत महिलाओं को वर्क फ्राॅम होम की भी सुविधा पहले ही दे दी गई है।

26 सप्ताह के अवकाश के बाद इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यद्यपि यह शर्त रखी गई है कि एंप्लायर (employer) से सहमति मिलने के बाद एवं कार्य की प्रकृति (nature of work) के आधार पर ही महिला कर्मचारी इस सुविधा का लाभ उठा सकती हैं। यदि कार्य के लिए महिला कर्मचारी का कार्यस्थल पर पहुंचना अनिवार्य है तो उसे इस सुविधा का लाभ नहीं मिल सकेगा।

क्रेच/शिशुगृह सुविधा

दोस्तों, मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में क्रेच (creche facility) के संबंध में कोई जिक्र नहीं किया गया था, लेकिन मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम-2017 में इसका प्रावधान किया गया। व्यवस्था दी गई कि 50 अथवा इससे अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाले हर प्रतिष्ठान के लिए क्रेच सुविधा देना अनिवार्य है।

ऐसे में महिला कर्मचारी विश्राम के अंतराल को मिलाकर दिन में चार बार शिशु गृह जा सकेंगी। जहां शिशु गृह की सुविधा नहीं, वहां महिला कर्मचारियों को दो बार आधा घंटे की छुट्टी दी जाएगी।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

मित्रों, अब आपको बताते हैं कि मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी? दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) के अतिरिक्त हेल्थ के क्षेत्र में काम कर रहे विभिन्न संगठनों का यह मानना है कि मां एवं बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के मद्देनजर कामकाजी महिलाओं के लिए 24 हफ्ते का मातृत्व अवकाश (maternity leave) आवश्यक है।

इसकी वजह यह है कि बच्चे के सर्वाइवल रेट (survival rate) में सुधार (improvement) के लिए इस अवधि तक उन्हें केवल स्तनपान कराना आवश्यक है। बहुत सी महिलाएं पर्याप्त मातृत्व अवकाश न होने एवं आय की सुरक्षा न होने से काम पर लौटने को मजबूर हो जाती हैं।

इसके अतिरिक्त आज से सात वर्ष पूर्व विधि आयोग (law commission) ने भी मूल कानून में संशोधन करने एवं मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाकर 24 हफ्ते किए जाने की सिफारिश की थी। वर्तमान समय को देखते हुए सरोगेट मदर (surrogate mother) एवं गोद लेने वाली मांओं की हेल्थ को देखते हुए उन्हें भी इस कानून के दायरे में लाने की सिफारिश की थी।

अधिनियम में संशोधन का विरोध क्यों किया गया?

बहुत सारे नियोक्ताओं एवं संगठनों ने मातृत्व लाभ अधिनियम में हुए संशोधनों का विरोध किया। इस विरोध के कई आधार थे, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

a) प्रसव उम्र वाली महिलाओं को रोजगार देने में भेदभाव-

माना गया कि नियोक्ता (employer) काम पर ऐसी महिलाओं को नौकरी देने से बचेंगे, जिनकी प्रसव की उम्र है। इसके अतिरिक्त क्रेच जैसी सुविधा के लिए अधिक पूंजी (capital) एवं संचालन लागत (operational cost) लगेगी, जो नियोक्ताओं को महिलाओं को रोजगार देने में लैगिक भेद पर मजबूर करेगा।

b) नियोक्ता पर बोझ बढ़ेगा-

सवेतन अवकाश से नियोक्ताओं पर खर्च का बोझ बढ़ने की बात कही गई। साथ ही माना गया कि अन्य श्रमिकों को नियोजित (adjust) करके काम कराने से इनडायरेक्ट कास्ट (indirect cost) में बढ़ोत्तरी होगी।

इसके अतिरिक्त अन्य बहुत से देशों में मातृत्व अवकाश की लागत वहां की सरकार (government), बीमा एजेंसी (insurance agency) एवं नियोक्ता (employer) आदि उठाते हैं। लेकिन भारत में यह सारा जिम्मा नियोक्ता का ही हैं।

c) महिलाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा-

यह माना जा रहा था कि प्रावधानों के लागू होने से महिलाओं को उनकी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसा नियोक्ता इसलिए करेंगे, ताकि उन्हें मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करना पड़े।

वर्तमान में मातृत्व लाभ अधिनियम की स्थिति क्या है?

यह सच है कि अधिकांश स्थानों पर नियोक्ताओं ने इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया है। लेकिन इस सच्चाई से भी कोई इंकार नहीं कर सकता कि बहुत सी जगह नियोक्ता अधिनियम की बाध्यताओं के चलते पुरुष कर्मचारियों को रोजगार देने को ही प्राथमिकता देते हैं।

इसके अतिरिक्त जहां महिला कर्मचारी तैनात भी हैं, वहां भी वे पुरुष कर्मचारियों के तानों का शिकार होती हैं। महिलाओं के साथ वेतन संबंधी भेदभाव से कोई नावाकिफ नहीं।

कानून में पुरुष, महिला को समान दर्जा दिए जाने के बावजूद रोजगार, वेतन, प्रमोशन आदि में महिलाओं से भेदभाव जगजाहिर है। आवश्यकता इस बात की है कि सरकार अधिनियम के प्रावधानों को और अधिक सख्त बनाए।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 कब पारित हुआ?

मातृत्व लाभ अधिनियम आज से करीब 61 वर्ष पूर्व सन् 1961 में पारित हुआ।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 लाने का क्या उद्देश्य था?

इसका उद्देश्य प्रसव के दौरान महिलाओं के मातृत्व एवं उनके रोजगार की रक्षा करना था।

यह अधिनियम किस प्रकार के प्रतिष्ठानों पर लागू हैं?

10 या इससे अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाले प्रत्येक प्रतिष्ठान, बागान एवं दुकान आदि पर इस अधिनियम के प्रावधान लागू हैं। जिन प्रतिष्ठानों पर ईएसआईसी यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम-1948 के प्रतिबंध लागू हैं, वे इस दायरे से बाहर हैं।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के तहत सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि कितनी थी?

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 के अंतर्गत मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्ते थी। छह हफ्ते अपेक्षित प्रसव तिथि से पूर्व एवं छह हफ्ते शिशु के जन्म के पश्चात।

मातृत्व अवकाश के दौरान क्या वेतन दिया जाता है?

जी हां, यह सवेतन अवकाश है। संबंधित महिला को उसके दैनिक मजदूरी/वेतन के आधार पर राशि का भुगतान होता है।

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में संशोधन कब हुआ?

मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 में सन् 2017 में संशोधन हुआ एवं मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम-2017 अस्तित्व में आ गया।

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 में मातृत्व अवकाश की अवधि कितनी तय की गई है?

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 में मातृत्व अवकाश की अवधि 26 हफ्ते तय की गई है। इसमें 8 हफ्ते प्रसव से पूर्व एवं शेष अवकाश शिशु के जन्म के बाद लिया जा सकता है।

मातृत्व सवेतन अवकाश का लाभ लेने के लिए महिला के लिए क्या आवश्यक शर्त है?

महिला ने किसी प्रतिष्ठान में पिछले 12 माह में न्यूनतम 80 दिन कार्य किया हो, तभी वह इस प्रावधान का लाभ उठा सकती है।

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम के प्रावधानों का क्यों विरोध हुआ?

माना गया कि इससे नियोक्ता प्रतिष्ठानों में लैंगिक आधार पर भेदभाव करेंगे। प्रसव उम्र वाली महिलाओं को रोजगार नहीं मिलेगा। साथ ही इससे नियोक्ता पर बोझ बढ़ेगा। महिलाओं के लिए नौकरी के अवसर कम होंगे।

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम में किस प्रकार की मांओं के लिए दायरा बढ़ाया गया?

मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम-2017 में गोद लेने वाली एवं जैविक मांओं के लिए भी सवेतन मातृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया।

क्या प्रतिष्ठानों में क्रेच सुविधा देना अनिवार्य किया गया है?

जी हां, मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 के प्रावधानों के अनुसार 50 अथवा इससे अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाले प्रतिष्ठानों में क्रेच सुविधा देना अनिवार्य किया गया है।

दोस्तों, हमने आपको मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम-2017 के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि आपको इस अधिनियम से जुड़े प्रावधान अच्छी तरह स्पष्ट हो गए होंगे।

यदि आप छात्र हैं अथवा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, अथवा आप कोई ऐसी महिला हैं, जो कि 10 अथवा उससे अधिक कर्मचारियों वाले संगठन में कार्यरत हैं तो यह जानकारी आपके लिए खासी उपयोगी साबित होगी। इस पोस्ट से जुडा कोई सवाल आपके मन में है तो आप उसे बेखटके नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (3)

  1. I just want to know that this act will support only those employees who are not covered under ESIC. And others will remain the beneficiary.? What is the provision for ESIC eployees

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  2. छत्तीसगढ़ आदिम जाति कल्याण विभाग में कलेक्टर दर पर कार्यरत महिला कर्मचारियों को सिर्फ 90 दिन का ही मातृत्व अवकाश दिया जा रहा है।

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