पति या पुरुष घरेलू हिंसा कानून 2023, अधिकार, सजा, धारा, जुर्माना

पति/पुरुष घरेलू हिंसा, कानून में पति/पुरुष को घरेलू हिंसा के खिलाफ क्या अधिकार हैं? क्या घरेलू हिंसा कानून में पुरुषों पर घरेलू हिंसा को शामिल किया गया है?

वह दिन गुजर चुके, जब पत्नियां पति को परमेश्वर का दर्जा देती थीं। उनके सामने जुबान खोलना तक उन्हें गवारा नहीं था। शिक्षा के प्रसार एवं अपने अधिकारों के प्रति जागरुकता ने पत्नियों को अहसास करा दिया है कि पति परमेश्वर नहीं, बल्कि साथी एवं सहयोगी है। यही वजह है कि अब वे पति के हाथों प्रताड़ित होने से श्रेयस्कर ऐसे रिश्ते से अलग होना या पति को कानून के हाथों दंड दिलाना समझती हैं। लेकिन यह तो हुई महिलाओं की बात।

बदलते युग ने पतियों को भी ऐसी स्थिति में ला दिया है, जहां वे अपनी पत्नियों अथवा महिलाओं के हाथों घरेलू हिंसा (domestic violence) के शिकार हो रहे हैं। पति/पुरुष घरेलू हिंसा, कानून में पति/पुरुष को घरेलू हिंसा के खिलाफ क्या अधिकार हैं? क्या घरेलू हिंसा कानून में पुरुषों पर घरेलू हिंसा को शामिल किया गया है? जैसे आपके मन में उठने वाले तमाम सवालों का जवाब आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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घरेलू हिंसा का क्या अर्थ है? (What is the meaning of domestic violence?)

मित्रों, इससे पूर्व कि हम पुरुषों के संबंध में घरेलू हिंसा कानून के प्रावधानों को जानें, आइए सबसे पहले समझ लेते हैं कि घरेलू हिंसा का क्या अर्थ है? दोस्तों, घरेलू हिंसा (domestic violence) का सामान्य अर्थ घर के भीतर परिवार के किसी सदस्य द्वारा की जाने वाली हिंसा से लिया जा सकता है। इसमें वैवाहिक दुर्व्यवहार, घरेलू मारपीट, पारिवारिक हिंसा आदि सभी तरह की हिंसा, चाहे वह शारीरिक हो अथवा मानसिक, को शामिल किया गया है। जीवन साथी के साथ हिंसा भी इसी श्रेणी में आती है।

पति या पुरुष घरेलू हिंसा कानून 2023, अधिकार, सजा, धारा, जुर्माना

क्या पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार होते हैं? (Are men also suffered from domestic violence?)

जी हां दोस्तों, यह आज की बेहद आधुनिक कही जाने वाली दुनिया का एक बेरहम सच है। हमारे देश में आज की तारीख में पुरुष भी घरेलू हिंसा के बड़े पैमाने पर शिकार हो रहे हैं। अधिकांश मामलों में पुरुषों की पत्नियां ही उन पर हमलाकर हैं। इसकी तसदीक खुद नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (National family health survey) यानी एनएफएचएस (NFHS) -5 के आंकड़े करते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार 18 साल की उम्र से लेकर 49 साल तक की करीब 10 प्रतिशत ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने पति पर कभी न कभी हाथ उठाया है। वो भी ऐसी स्थिति में जबकि पति ने कभी उनसे कभी ऊंची आवाज में बात तक भी नहीं की।

यह सर्वे बताता है कि पति पर हिंसा करने वालों में छोटी उम्र के बनिस्बत अधिक उम्र की महिलाओं की संख्या अधिक है। इनमें सर्वाधिक प्रतिशत 30 साल से 39 वर्ष तक की महिलाओं का था, जो हिंसा करने वाली कुल महिलाओं की 3.9 प्रतिशत थी। दोस्तों, इस सर्वे में एक और खास और बहुत चौंकाने वाली बात निकलकर सामने आई और वो ये है दोस्तों कि शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में पति महिलाओं अथवा पत्नियों के हाथों हिंसा के अधिक शिकार होते हैं।

क्या घरेलू हिंसा कानून में पति/पुरुष पर हिंसा को भी शामिल किया गया है? (Is violence on man has also been covered under domestic violence law?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि घरेलू हिंसा पर कानून बनाने का मकसद महिलाओं को घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी संरक्षण प्रदान करना था। लिहाजा, यह कानून केवल महिलाओं को ही घरेलू हिंसा के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा को शामिल नहीं किया गया है। लेकिन यदि आपराधिक कानून की बात करें तो उसमें महिलाओं के साथ ही पुरुषों पर होने वाली घरेलू हिंसा को भी अपराध माना गया है। पुरुषों को भी हिंसा के खिलाफ शिकायत एवं न्याय (complaint and justice) पाने का अधिकार दिया है।

घरेलू हिंसा का पीड़ित पुरुष स्वयं पर होने वाली हिंसा के खिलाफ सुबूत जुटाकर पुलिस एवं कोर्ट में शिकायत कर सकता है। कार्यवाही के साथ ही न्याय प्राप्त कर सकता है। यद्यपि उसे घरेलू हिंसा कानून जैसे संरक्षण की आवश्यकता अब महसूस की जाने लगी है। आपको बता दें दोस्तों कि जून, 2021 में एक केस पर टिप्प्णी करते हुए खुद कोर्ट इसे दुर्भाग्यपूर्ण मान चुका है कि पति के पास पत्नी के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए घरेलू हिंसा जैसा कानून नहीं है।

यदि किसी पति/पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार है तो वह क्या करे? (What a husband/man can do, if he is a victim of domestic violence?)

मित्रों, अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि यदि पुरुष घरेलू हिंसा कानून के अंदर कवर ही नहीं हैं तो ऐसे में घरेलू हिंसा के खिलाफ वे कुछ कर भी सकते हैं या नहीं। तो आपको बता दें कि घरेलू हिंसा चाहे महिला के खिलाफ हो, चाहे पुरुष के खिलाफ वह अपराध है। ऐसे में कानून का सहारा लेकर इस संबंध में पुरुष शिकायत भी दर्ज करा सकता है और न्याय प्राप्त कर सकता है। यदि कोई पुरुष अथवा पति घरेलू हिंसा का शिकार है तो वह यह कदम उठा सकता है-

  • वह अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन (police station) में शिकायत कर सकता है। इसके लिए उसे पुख्ता सुबूत रखने होंगे।
  • आईपीसी (IPC) की धाराओं के अंतर्गत घरेलू हिंसा के आरोप में अपनी पत्नी पर मुकदमा करवा सकता है।
  • पुलिस में शिकायत के पश्चात वह जिला कोर्ट (district court) में परिवाद डाल सकता है।
  • यदि पुलिस शिकायत दर्ज करने में आनाकानी करती है तो भी वह मजिस्ट्रेट (magistrate) के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।

क्या घरेलू हिंसा का प्रताड़ित पति तलाक की मांग कर सकता है? (Is a victim of domestic violence husband can demand divorce?)

मित्रों, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी है। आपको बता दें कि यदि पति जीवनसाथी महिला के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार है, तो वह हिंदू विवाह एवं भरण पोषण अधिनियम (Hindu marriage and maintenance act) की धारा (section) 13 के अनुसार तलाक के लिए भी याचिका दायर कर सकता है। इस धारा में कहा गया है कि यदि अर्जी करने वाले के साथ दूसरा पक्ष क्रूरता, शारीरिक हिंसा अथवा मानसिक हिंसा कर रहा है तो वह तलाक ले सकता है। इसके लिए पति को उत्पीड़न के पुख्ता सुबूतों के आधार पर कानूनन पत्नी से तलाक मिल सकता है।

वे कौन सी परिस्थितियां हैं, जिनमें आप हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकते हैं? (What are the conditions in which you can complaint about domestic violence?)

मित्रों, यह आप भी जानते हैं कि बहुत से पति महिलाओं के हाथों घरेलू हिंसा के शिकार तो होते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि वे किन परिस्थितियों में घरेलू हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं। मित्रों, ये परिस्थितियां इस प्रकार से हैं-

  • पत्नी द्वारा शारीरिक उत्पीड़न जैसे- हाथ उठाना, मारपीट करना, चोट मारना आदि।
  • पत्नी द्वारा मानसिक उत्पीडन जैसे- पत्नी द्वारा बार-बार दहेज प्रताड़ना के झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी अथवा बार बार आत्महत्या करने की धमकी दिए जाना।
  • पत्नी द्वारा बार- बार अपमानित करना, गाली देना अथवा प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना।
  • माता-पिता अथवा अन्य परिजनों से न मिलने देना आदि।

कानून की वे कौन सी धाराएं हैं, जो घरेलू हिंसा के शिकार पति को उपचार देती हैं? (What are the section of law which give relief to victim of domestic violence husband?)

साथियों, अब हम आपको कानून की उन धाराओं की जानकारी देंगे, जिनके तहत घरेलू हिंसा का शिकार हो रहा पति अपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है एवं कार्रवाई करा सकता है। ये इस प्रकार से है-

आईपीसी की धारा 120 बीः पति पत्नी पर अपने एवं अपने परिवार के खिलाफ आपराधिक साजिश करने में केस दर्ज करा सकता है।

आईपीसी की धारा 191: यदि पति को लगता है कि उसकी पत्नी उसके खिलाफ कोर्ट अथवा पुलिस में उसे गलत तरीके से फंसाने के लिए झूठे सुबूत दे रही है तो वो इस बात पर केस दर्ज करा सकता है कि उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहे सुबूत झूठे हैं।

आईपीसी की धारा 506 : यदि पत्नी अपने पति, उसके परिवार या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देती है तो पति इस धारा के अंतर्गत उस पर केस दर्ज करा सकता है।

सीआरपीसी की धारा 227 : यदि पत्नी पति को धारा 498ए के तहत दहेज प्रताड़ना कानून में झूठा फंसाने के लिए केस करती है तो पति इस धारा के अंतर्गत उस पर मुकदमा दर्ज करा सकता है।

सीआरपीसी की धारा 9 : यदि पत्नी पति के घर को नुकसान पहुंचाती है एवं पुलिस के पास जाकर पति के खिलाफ शारीरिक एवं मानसिक उत्पीडन का आरोप लगाती है तो पति सीआरपीसी की इस धारा के तहत केस कर नुकसान की भरपाई की मांग कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह धाराएं भी काम आती हैं-

  • चोट लगने पर आईपीसी की धारा 319।
  • गंभीर चोट एवं मारपीट होने पर धारा 320।
  • झूठे सुबूत देकर फंसाने पर धारा 193।
  • खतरनाक हथियार से चोट पहुंचने पर धारा 323।

घरेलू हिंसा का मामला साबित होने पर दोषी महिला/पत्नी को क्या सजा मिल सकती है? (What punishment is given to woman/wife if she is found guilty of domestic violence?)

यदि महिला के खिलाफ पति पर घरेलू हिंसा करने का मामला साबित होता है तो कानून में इसके लिए दंड की व्यवस्था की गई है। आपको जानकारी दे दें कि यदि यदि पत्नी पर बार-बार धमकी देने का आरोप सिद्ध होता है तो उसे दो साल तक की जेल हो सकती है। इसके अतिरिक्त पति के खिलाफ झूठी शिकायत करने पर पत्नी को सात साल तक की सजा हो सकती है। अब यह बात पति पर निर्भर करती है कि उसने किस प्रकार के सुबूत पेश किए हैं और पत्नी पर किन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।

घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों की स्थिति कैसे बदल सकती है? (How the status of victims of domestic violence men can change?)

दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि हमारे देश में पुरुषों को बचपन से ही अपना दुखड़ा ना रोने और भीतर से मजबूत बनने की नसीहत दी जाती है। अक्सर लड़कों को रोने पर चिढ़ाया जाता है कि ‘अरे लड़के होकर रो रहे हो’?। ऐसे में पुरुष सपना दर्द बयां नहीं करते। घरेलू हिंसा का शिकार होने पर भी वे इस संबंध में शिकायत करने या किसी को बताने से बचते हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनकी जगहंसाई होगी। ऐसी स्थिति को बदलने की जरूरत है। पुरुषों को भी अपने साथ होने वाली घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी होगी। इसके लिए उन्हें जागरूक करने और हिम्मत दिए जाने की जरूरत है।

जिस प्रकार शिविर करके महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है और शिकायत करने के लिए प्रेरित किया जाता है, ऐसा ही कुछ पुरुषों के लिए भी किए जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पुरुषों के संरक्षण के लिए कानून में भी बदलाव की जरूरत है।

हम आपको बता ही चुके हैं कि कई कोर्ट के जज भी इस संबंध में चिंता जाहिर कर चुके हैं कि भारत में पुरुषों के लिए महिलाओं के समान घरेलू हिंसा से संरक्षण देने का कोई कानून नहीं है इसलिए कानून में पुरुषों के लिए भी कुछ प्रावधान अवश्य किए जाने चाहिए। अभी कुछ निजी संस्थाएं पुरुष संरक्षण के लिए लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन यह नाकाफी है। इसे कानून का साथ मिलना बहुत जरूरी है। घरेलू हिंसा से पुरुष के बचाव को लेकर यह स्थिति तभी बदल सकेगी।

क्या केवल महिलाएं ही घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं?

जी नहीं, पुरुष भी बड़े पैमाने पर घरेलू हिंसा के शिकार हो रहे हैं।

क्या पुरुषों पर घरेलू हिंसा को घरेलू हिंसा कानून में शामिल किया गया है?

जी नहीं, पुरुषों पर हिंसा को घरेलू हिंसा कानून में शामिल नहीं किया गया है।

पुरुष घरेलू हिंसा होने पर आईपीसी की किन धाराओं में मुकदमा दर्ज करा सकते हैं?

इनकी जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है, आप वहां से पढ़ सकते हैं।

घरेलू हिंसा होने पर पति क्या कर सकता है?

वह नजदीकी थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकता है अथवा कोर्ट जा सकता हैं।

क्या घरेलू हिंसा का प्रताडित पति तलाक की मांग कर सकता है?

जी हां, हिंदू विवाह एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा 13 में इसके लिए व्यवस्था की गई है।

क्या घरेलू हिंसा कानून का महिलाओं द्वारा गलत इस्तेमाल भी किया जाता है?

जी हां, कई मामलों में इस प्रकार की बात सामने आई है। लेकिन अमूमन इस कानून ने महिलाओं को हिंसा के प्रति संरक्षण ही प्रदान किया है।

क्या घरेलू हिंसा में दोषी पाए जाने पर महिलाओं को दंड का प्रावधान है?

जी हां, आपराधिक कानून में इसके लिए प्रावधान किया गया है।

शहरों में घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों की संख्या अधिक है या गांवों में?

एनएफएचएस के सर्वे के अनुसार शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में पुरुष घरेलू हिंसा के अधिक शिकार हैं।

क्या पुरुषों के प्रति घरेलू हिंसा भी अपराध की श्रेणी में आती है?

जी हां, महिलाओं की ही भांति पुरुषों पर घरेलू हिंसा भी अपराध की श्रेणी में आती है।

क्या महिलाएं घरेलू हिंसा कानून का ग़लत इस्तेमाल भी करती हैं?

जी, इस प्रकार के कई मामले देखे गए हैं।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में पति/पुरुष घरेलू हिंसा विषय पर विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आपका का इस पोस्ट पर कोई सुझाव अथवा प्रतिक्रिया है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) कर हमसे शेयर करें। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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