पुरुष मानसिक उत्पीड़न, पुरुष हेल्पलाइन | पुरुष संरक्षण अधिनियम एवं पुरुष आयोग गठन की मांग

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हमारे यहां स्त्री को बहुत ऊंचा दर्जा दिया गया है। उसे एक परिवार की धुरी कहा जाता है, लेकिन बहुत सी महिलाएं परिवार को अपने खराब एटीट्यूड की वजह से घर को नर्क बनाकर भी रख देती हैं। वे पुरुष को इस कदर मानसिक रूप से उत्पीड़ित करती हैं, लेकिन वह जान तक देने के बारे में सोचने लगता है। ऐसे में पुरुष आखिर क्या करें? क्या पुरुषों के लिए कोई हेल्पलाइन भी है? पुरुष संरक्षण अधिनियम एवं पुरुष आयोग गठन की मांग क्यों उठाई जा रही है? पुरुष किस कानून में मानसिक उत्पीड़न का केस दर्ज करा सकते हैं? ऐसे आपके सभी सवालों का जवाब आज हम आपको इस पोस्ट में देने की कोशिश करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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मानसिक उत्पीडन क्या होता है? (What is mental harrasment?)

दोस्तों, आगे बढ़ने से पहले आपको मानसिक उत्पीड़न के अर्थ को पूरी तरह से समझना होगा। इस शब्द का कोई सीमित अर्थ नहीं है, बल्कि इसकी विस्तृत व्याख्या (detailed explanation) है। सामान्य रूप से मानसिक उत्पीड़न कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का कर सकता है, लेकिन जब हम बात पुरुषों के मानसिक उत्पीड़न की करते हैं तो इसका आशय संबंधित पुरुष की पत्नी अथवा महिला द्वारा किए जा रहे मानसिक उत्पीड़न से माना जाता है। एक पुरुष के मानसिक उत्पीड़न में इस प्रकार का व्यवहार शामिल होता है-

  • किसी व्यक्ति के साथ बार बार दुर्व्यवहार।
  • पत्नी द्वारा धोखा देना।
  • पत्नी द्वारा अपशब्दों या गालियों का इस्तेमाल।
  • पत्नी द्वारा प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना।
  • पत्नी द्वारा परिजनों से न मिलने देना।
  • पत्नी द्वारा संबंध बनाए जाने से मना करना।
  • पत्नी द्वारा बार बार आत्महत्या की धमकी देना।
  • पत्नी द्वारा बार बार किसी झूठे मामले में फंसा देने की धमकी देना आदि।

यदि किसी पुरुष के साथ उसकी पत्नी द्वारा उपरोक्त व्यवहार किया जा रहा है तो समझ जाएं कि उसका मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। दोस्तों, आम तौर पर पुरुष अपने साथ होने वाले मानसिक उत्पीड़न को जगजाहिर नहीं करते, जब तक कि पानी सिर से ऊपर न पहुंच जाए। लेकिन यह स्थिति उसके मानसिक स्वास्थ्य के नजरिए से अच्छी नहीं कही जा सकती।

पुरुषों को मानसिक उत्पीड़न में किस कानून के तहत संरक्षण दिया गया है? (Men have conservation under which act related to mental harrasment?)

पुरुष मानसिक उत्पीड़न, पुरुष हेल्पलाइन | पुरुष  संरक्षण अधिनियम एवं पुरुष आयोग गठन की मांग

मित्रों, भारत में यदि आप महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न की बात करते हैं तो कानून में उनकी रक्षा के लिए घरेलू हिंसा कानून (domestic violence law), भारतीय दंड संहिता (indian penal code) यानी आईपीसी (IPC), दहेज निषेध अधिनियम (dowry act,) एवं आपराधिक प्रक्रिया संहिता (criminal procedure code) यानी सीपीसी (CRPC) जैसे कानून हैं। लेकिन यहां हम बात पुरुषों की कर रहे हैं तो आपको बता दें कि उन्हें मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ केवल आईपीसी (IPC) एवं सीपीसी (CPC) की धाराओं के तहत कानूनी संरक्षण दिया गया है।

क्या पुरुषों की सहायता के लिए कोई हेल्पलाइन है? (Is there any helpline to help the men?)

दोस्तों, यदि पुरुषों के मानसिक उत्पीड़न को लेकर किसी सरकारी हेल्पलाइन (government helpline) की बात की जाए तो इस प्रकार की कोई हेल्पलाइन फिलहाल नहीं है, लेकिन निजी तौर पर पुरुषों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन अवश्य काम कर रही है। हेल्पलाइन चलाने वाली संस्था का नाम परिवार कल्याण समिति है।

इस समिति का आल इंडिया हेल्पलाइन नंबर (All India helpline number) 8882498498 है। इस हेल्पलाइन पर कॉल करके कोई भी उत्पीड़न का शिकार पुरुष मानसिक उत्पीड़न के संबंध में सहायता मांग सकता है। समिति के सामने दहेज एवं घरेलू हिंसा से जुड़े झूठे मामले, भरण-पोषण, तलाक, गुजारा-भत्ता एवं बच्चे की कस्टडी से संबंधित केसेज ले जाए जा सकते हैं।

मानसिक उत्पीड़न के शिकार पुरुषों की क्या मांग है? (What is the demand of victims of mental harrasment men?)

मित्रों, आपको बता दें कि मानसिक उत्पीड़न के शिकार पुरुषों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सचेत होने के साथ ही पुरुषों के प्रति हमलावर भी हुई हैं। ऐसे में पत्नी पीड़ित एवं मानसिक उत्पीड़न के शिकार पुरुष अपने लिए महिला आयोग की तर्ज पर अपने लिए एक अलग आयोग का गठन किए जाने की मांग कुछ सालों से कर रहे हैं।

यदि इनकी मांगों पर गौर किया जाए तो वे पुरुष आयोग (men commission) एवं पुरुषों के लिए अलग मंत्रालय (seperate ministry) का गठन किए जाने, लिंग भेदी कानून खत्म किए जाने, पारिवारिक मामलों में टाइम बाउंड कार्रवाई (time bound action) किए जाने एवं पारिवारिक मामलों में झूठे मुकदमे (false cases) लगाए जाने पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान किए जाने आदि मांगें कर रहे हैं।

महिलाओं के लिए 48 कानून, पुरुषों के लिए क्यों नहीं?

मित्रों, आपको बता दें कि बेशक हमारे देश में उत्पीड़ित महिलाओं की संख्या अधिक है, लेकिन पुरुष भी उत्पीड़न के कम शिकार नहीं हैं। पुरुष अधिकारों के लिए काम करने वाले यह मानते हैं कि महिलाओं के लिए कुल 48 कानून हैं, लेकिन पुरुषों के लिए एक भी नहीं, जो उनके साथ ज्यादती है। महिलाओं द्वारा कई मामलों में इसका लाभ उठाया जाता रहा है। वे न केवल पति, बल्कि उसके परिजनों को भी इन कानूनों का लाभ उठाकर परेशान करती आ रही हैं। यह प्रवृत्ति कई पुरुषों को आत्महत्या करने पर भी मजबूर कर देती है।

महिला उत्पीड़न का मुद्दा बहुत उठा है, क्या पुरुष उत्पीडन पर भी कोई फिल्म/डाक्यूमेंट्री बनी है? (Women issues raised frequently, is there any film/documentry on men harrasment?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि प्रत्येक वर्ष 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस (international mens day) मनाया जाता है। इस दिन तमाम लोग पुरुषों के अधिकारों की बात भी करते हैं, लेकिन उनके लिए भी महिला कानून जैसे संरक्षण कानून बनाए जाने को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाता नजर नहीं आता। प्रत्येक मंच से अधिकांशतः महिला उत्पीड़न का मसला जोर शोर से उठाया जाता है, लेकिन पुरुषों को लेकर बात आम तौर पर नहीं होती। आप भी सोचते होंगे कि क्या कभी पुरुष उत्पीड़न पर कोई फिल्म या वृत्तचित्र (film/documentry) आदि बनाई गई है?

मित्रों, आपको बता दें कि पुरुष अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता दीपिका नारायण भारद्वाज ने पुरुषों के पत्नियों के हाथों उत्पीड़न पर एक डाक्यूमेंट्री बनाई है। इसका शीर्षक Martyrs of marriage रखा गया है। इसमें ऐसे पुरुषों की कहानी कही गई है, जिन्होंने झूठे केस में फंसाए जाने के बाद बजाय प्रतिष्ठा बगैर जीने के खुदकुशी करना उचित समझा। इनमें से अधिकांश के जान देने की वजह कहीं न कहीं उत्पीड़न से ही संबंधित थी, जिसके चलते वे बहुत मानसिक दबाव महसूस कर रहे थे।

पुरुष मानसिक उत्पीड़न, पुरुष हेल्पलाइन | पुरुष  संरक्षण अधिनियम एवं पुरुष आयोग गठन की मांग

हमारे देश में पुरुष मानसिक उत्पीड़न की स्थिति क्या है? (What is the status of men mental harrasment in india?)

हम सदा से मानते आए हैं कि एक पुरुष बलशाली होता है। वह कभी किसी महिला की हिंसा का शिकार हो ही नहीं सकता। यदि आप भी ऐसा ही मानते हैं, तो आपको अपनी सोच दुरुस्त करने की अति आवश्यकता है। मित्रों एक अध्ययन बताता है कि 52.4 प्रतिशत पुरुष अपने जीवनकाल में लिंग आधारित हिंसा का अनुभव अवश्य करते हैं।

एक हजार में से करीब 51.5 फीसदी पुरुष अपनी पत्नी अथवा साथी के हाथों अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य हिंसा का अनुभव करते हैं। उनके साथ शारीरिक हिंसा का प्रतिशत जहां महज 6 फीसदी है, वहीं उनके साथ होने वाली भावनात्मक हिंसा का प्रतिशत 51.6 है, जो कि अत्यधिक शोचनीय है। इसीलिए पुरुषों के मानसिक उत्पीड़न पर अब गंभीरता से बात हो रही है।

दोस्तों, यहां आपको लगे हाथों एक और बात बता दें कि महिलाओं की अपेक्षा शादीशुदा पुरुषों ने अधिक खुदकुशी का रास्ता अपनाया है, जो यह जाहिर करता है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष अधिक मानसिक दबाव में रहते हैं। पुरुष इसीलिए इन दिनों अपने हक की आवाज उठा रहे हैं। वे चाहते हैं कि कानून लिंग तटस्थ हों। महिलाएं अपने लिए बने कानूनों का दुरूपयोग न कर सकें।

महिलाओं के समान उन्हें भी उत्पीड़न के मामले में भी कानूनी संरक्षण का दायरा बढ़ाया जाए। यद्यपि के उत्पीड़न को लेकर बचपन से ही पुरुषों को अब एक अलग परवरिश की आवश्यकता है। वह पुरुष है, इसलिए वह सब सहे, ऐसी सोच से उन्हें निजात दिलाने की आवश्यकता है। इसके लिए चुप रहने से तो कतई बात नहीं बनेगी। ऐसे मामलों को और मुखरता से उठाने की आवश्यकता है।

पुरुष किस कानून के तहत मानसिक उत्पीड़न दर्ज करा सकते हैं?

पुरुष आईपीसी एवं सीआरपीसी के तहत मानसिक उत्पीड़न का केस दर्ज करा सकते हैं।

क्या पुरुषों के लिए कोई हेल्पलाइन है?

जी नहीं, सरकारी तौर पर पुरुषों के लिए कोई हेल्पलाइन नहीं है।

महिलाओं एवं पुरुषों के लिए देश में कितने कानून हैं?

महिलाओं के लिए देश में 48 कानून हैं, लेकिन पुरुषों के लिए इसका अभाव है।

पुरुष के लिए संरक्षण कानूनों का अभाव क्यों है?

पुरुष को बलशाली माना जाता है। ऐसे में उनके लिए संरक्षण कानूनों का अभाव है।

पुरुषों को मानसिक उत्पीड़न से बचाने के लिए क्या मांग की जा रही है?

पुरुषों को मानसिक उत्पीड़न से बचाने के लिए मुख्य रूप से पुरुष आयोग एवं एक अलग मंत्रालय के गठन की मांग प्रमुखता से की जा रही है।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट में बताया कि पुरुष संरक्षण अधिनियम एवं पुरुष आयोग गठन की मांग क्यों उठाई जा रही है? पुरुष किस कानून में मानसिक उत्पीड़न की का केस दर्ज करा सकते हैं? क्या पुरुषों के लिए कोई हेल्पलाइन है? उम्मीद है कि यह जानकारी पुरुषों के मानसिक उत्पीड़न के विषय पर आवश्यक रोशनी डालेगी। यदि आप अथवा आपका कोई मित्र मानसिक उत्पीड़न का शिकार है तो उसे शिकायत दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। इस पोस्ट के संबंध में आपके किसी भी प्रकार के सुझाव अथवा प्रतिक्रिया का स्वागत है। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (2)

  1. मेरे साथ मारपीट कि गई ओर बिना हाथ लगाए मेरे ऊपर कपड़े फाड़ने ओर छेड़ने का आरोप लगाया गया में क्या करू प्लीज हेल्प मे बहुत परेशान हु ऐसा इल्ज़ाम नही सह सकता पोलिस भीं कोइ कार्यवाही नही कर रहि

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