|| पैरोल क्या होती है? | पैरोल किस एक्ट के तहत दी जाती है? | पैरोल का आधार क्या होता है? | पैरोल कितने प्रकार की होती है? | पैरोल व जमानत में क्या अंतर है? | What is parole? Under which act parole is given? | What is the basis of parole? | Parole is of how many types? | What is the difference between parole and bail?| parole kya hoti hai ||
हमारे यहां कानून में हर अपराध के लिए सजा नियत है। किसी भी अपराधी को सजा का प्रावधान इसलिए किया गया है, ताकि कोई भी क्राइम करने से पहले उसकी सजा या अंजाम के बारे में सोचे और अपराध से बचे। इसके बावजूद हमारे देश के कई शहर क्राइम के मामले में टॉप पर हैं। कई बार अच्छे आचरण के चलते कैदियों की सजा कम की जाती है तो कई बार उन्हें अपने अच्छे आचरण की वजह से अस्थाई रूप से पैरोल पर भी रिहा किया जाता है या छोड़ दिया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि पैरोल क्या होती है? पैरोल कितने प्रकार की होती है? पैरोल व जमानत में क्या अंतर है? यदि नहीं तो आज हम आपको इन सब सवालों के जवाब विस्तार से देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
पैरोल क्या होती है? (What is parole?)
दोस्तों, यह तो सर्व विदित है कि जब कोई व्यक्ति अपराध करता है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है तो गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर पुलिस उसे मजिस्ट्रेट के सामने अथवा कोर्ट में पेश करती है। मजिस्ट्रेट आरोप सिद्ध होने पर अपराधी को सजा सुनाते हैं। उसे जेल भेज दिया जाता है। यहां से यदि सजा की अवधि समाप्त होने से पूर्व ही उस व्यक्ति को अस्थाई रूप से जेल से रिहा कर दिया जाता है तो उसे पैरोल कहा जाता है। अन्य शब्दों में कहें तो आमतौर पर कैदी के अच्छे व्यवहार के बदले उसे सजा की समाप्ति से पहले ही मिलने वाली अस्थाई रिहाई पैरोल कहलाती है।
पैरोल किस एक्ट के तहत दी जाती है? (Parole is given under which act?)
दोस्तों, जिस प्रकार हमारे देश में सभी कानूनी गतिविधियां कानून एवं संविधान सम्मत होती हैं, उसी प्रकार पैरोल की कार्रवाई भी कुछ नियत अधिनियमों के तहत नियंत्रित होती है। आपको बता दें दोस्तों कि प्रत्येक राज्य में पैरोल मंजूरी संबंधी दिशा-निर्देश अलग अलग होते हैं। ये जेल (बॉम्बे फरलो और पैरोल) नियम 1959 एवं कारागार अधिनियम, 1984 की धारा 59 (5) के तहत जारी किए जाते हैं।

पैरोल का आधार/नियम क्या-क्या हैं? (What is the basis of parole?)
मित्रों, अब आपके दिमाग में यह सवाल अवश्य उठ रहा होगा कि यदि किसी व्यक्ति को अपराध के बाद सजा तजवीज की गई है तो फिर उसे पैरोल का क्या आधार है? आपको बताते दें दोस्तों कि यदि सजा की अवधि पूरी नहीं होने पर भी व्यक्ति को रिहाई अथवा पैरोल मिल जाती है तो इसका आधार उसका अच्छा आचरण होता है। इसके अतिरिक्त कैदी से संबंधित यह शर्तें पूरी होनी चाहिए-
- 1. अपराधी छूट में बिताए गए किसी भी समय को छोड़कर कम से कम एक साल जेल में रहा हो।
- 2. अपराधी का व्यवहार एवं आचरण समान रूप से अच्छा रहा हो।
- 3. यदि अपराधी को पहले पैरोल दी गई हो तो इस अवधि के दौरान उसने कोई अपराध न किया हो।
- 4. अपराधी ने अपनी पिछली पैरोल के किसी भी नियम अथवा प्रतिबंध को न तोड़ा हो।
- 5. अपराधी को पिछली पैरोल समाप्त होने के कम से कम छह महीने बीत गए हों।
पैरोल कितने प्रकार की होती है? (Parole is of how many types?)
साथियों, अब बात करते हैं कि पैरोल कितने प्रकार की होती है? आपको बता दें कि पैरोल के दो प्रकार हैं-पहला कस्टडी अथवा इमरजेंसी पैरोल (custody or emergency parole) और दूसरा रेगुलर पैरोल (regular parole)। अब इनके बारे में विस्तार से जान लेते हैं-
अ. कस्टडी/इमरजेंसी पैरोल (custody/emergency parole) :
दोस्तों, आपको बता दें कि आपातकालीन अथवा इमरजेंसी की स्थिति में कस्टडी पैरोल प्रदान की जाती है। विदेशी एवं मौत की सजा काटने वाले अपराधियों को छोड़कर सभी अपराधी 14 दिनों के लिए कस्टडी/इमरजेंसी पैरोल (custody/emergency) के लिए पात्र हो सकते हैं। जैसे कि परिवार में किसी की मृत्यु हो गई हो अथवा कैदी का विवाह होना हो आदि।
ब. रेगुलर पैरोल (regular parole)
दोस्तों, अब बात रेगुलर पैरोल की। इसे नियमित पैरोल भी पुकारा जाता है। आपको बता दें दोस्तों कि जिन अपराधियों ने (असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर) कम से कम एक वर्ष जेल की सजा काट ली हो, वे अधिकतम एक महीने के लिए नियमित पैरोल के अधिकारी हैं। यह पैरोल विभिन्न कारणों से प्रदान की जाती है, जो कि इस प्रकार से हैं-
- 1. परिवार के किसी सदस्य की गंभीर बीमारी की स्थिति में।
- 2. परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो गई हो अथवा उसके साथ कोई दुर्घटना घटी हो।
- 3. परिवार के किसी नजदीकी सदस्य की शादी हो।
- 4. अपराधी की पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया हो।
- 5. अपराधी को जेल की सजा होने से पहले उसका किसी प्रकार का सरकारी कार्य अधूरा रह गया हो।
- 6. यदि अपराधी अपनी संपत्ति की वसीयत करना चाहता हो।
- 7. यदि अपराधी को अपनी संपत्ति बेचनी हो।
- 8. यदि कैदी की कोई भी संतान ना हो, ऐसे में अपराधी और उसकी पत्नी की सहमति के मुताबिक वह संतान प्राप्ति को पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है।
- 9. यदि कैदी किसी ऐसे रोग से ग्रसित है, जिसका इलाज जेल के अस्पताल में नहीं हो सकता तो उसे इलाज के लिए पैरोल मिल सकती है।
कौन से अपराधी पैरोल के पात्र नहीं हैं? (Which criminals are not eligible for parole?)
दोस्तों, हमने आपको अभी बताया कि पैरोल का आधार क्या होता है? और पैरोल कितने प्रकार की होती है। अब हम आपको बताएंगे कि कौन से अपराधी पैरोल के लिए पात्र नहीं होते-
- राज्य के खिलाफ अपराध के दोषी, आतंकी अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले गैर भारतीय नागरिक पैरोल के पात्र नहीं हैं।
- यदि हत्या, बच्चों के बलात्कार, एवं जघन्य अपराधों के दोषी (विशेष मामलों को छोड़कर) पैरोल के पात्र नहीं हैं।
- यदि व्यक्ति जेल के भीतर किन्हीं अवैध कार्यों में लिप्त पाया जाता है तो उसे पैरोल नहीं मिल सकती है।
पैरोल व जमानत में क्या अंतर है? (What is the difference between parole and bail?)
दोस्तों, हममें बहुत से लोग पैरोल व जमानत को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। वे इन्हीं एक ही चीज समझते हैं। बेशक, पैरोल व जमानत आपराधिक न्याय प्रणाली का एक अहम हिस्सा है, लेकिन दोनों में अंतर है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी मामले में गिरफ्तार हो जाता है और जेल जाता है तो थाने का इंचार्ज बेल बांड भरवाने के बाद आरोपी को जमानत दे सकता है।
जमानत का प्रावधान गैर जमानती अपराध में यद्यपि नहीं होता। बहुत से मामलों में जमानत का फैसला कोर्ट करती है। वहीं, जैसा कि हम आपको बता चुके हैं पैरोल आमतौर पर अच्छे व्यवहार के बदले में सजा खत्म होने से पहले एक कैदी की अस्थाई या स्थाई रिहाई को कहा जाता है।
पैरोल के लिए कैसे आवेदन करते हैं? (How to apply for parole?)
मित्रों, यदि आपको पैरोल के लिए आवेदन की प्रक्रिया नहीं पता तो भी कोई बात नहीं, हम आपको बताएंगे कि पैरोल के लिए आवेदन कैसे किया जा सकता है-
- सबसे पहले कैदी को पैरोल के लिए आवश्यक जेल अवधि पूरी होने के उपरांत पैरोल के लिए आवेदन करना होगा।
- इसके पश्चात जेल अथॉरिटी (Jail authority) द्वारा उस पुलिस स्टेशन (police station) से रिपोर्ट (report) मांगी जाएगी, जहां से कैदी को गिरफ्तार (arrest) किया गया था।
- इसके पश्चात इस रिपोर्ट का सत्यापन (verification) किया जाता है।
- यदि पैरोल का कारण कोई मेडिकल इमरजेंसी (medical emergency) है तो संबंधित मेडिकल रिकार्ड एवं सर्टिफिकेट (medical records and certificate) भी वेरिफाई (verify) किए जाते हैं।
- इसके पश्चात फाइनल रिपोर्ट (final report) राज्य सरकार (state government) के उप सचिव अथवा आईजी (जेल) को भेजी जाती है।
- तत्पश्चात संबंधित अधिकारी पैरोल पर निर्णय लेते हैं।
- (आपको बता दें साथियों कि कई राज्यों में पैरोल पर फैसला क्षमा एवं पैरोल बोर्ड करता है तो कुछ में कोई अन्य संस्था।)
पैरोल की अवधि कितनी है? क्या रेगुलर पैरोल की अवधि बढ़ती भी है? (What is the period of parole? Does time of parole increase?)
दोस्तों, जहां इमरजेंसी पैरोल की मियाद 15 दिन की होती है, वहीं, कैदियों की ओर से जेल प्रशासन को 20 दिन की अर्जी दी जाती है। जिला पैरोल कमेटी उस अर्जी पर मुहर लगाती है। अगले वर्ष उसे 30 दिन और फिर हर साल 40 दिन की पैरोल मिलती है। इस बीच छह साल आठ माह की अवधि पूरी करने के उपरांत कैदी चाहे तो उसे खुली जेल में भी भेजा जा सकता है।
मित्रों, कोरोना काल के दौरान उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों को तो आप हम सभी ने झेला है। आपको जानकारी दे दें कि कोरोना के दौरान बीमारी की गंभीर स्थिति देखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जेलों में भीड़ का स्वत: संज्ञान लिया गया था और पैरोल या जमानत पाए कैदियों को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए गए थे।
इस फैसले से करीब 50 हजार से भी अधिक कैदी लाभान्वित हुए। कोरोना की लहर समाप्त होने के बाद उन्हें सरेंडर करने के लिए 90 दिन की मोहलत दी गई थी। यद्यपि सच यह है कि इसके बाद भी इनमें से कई कैदियों ने सरेंडर नहीं किया। बाद में कोर्ट द्वारा जेल प्रबंधन से पैरोल के लिए अपनाए गए मानदंडों की जानकारी मांगी।
अभी भी बहुत से कैदियों का पैरोल की अवधि पूरी होने के बावजूद सरेंडर करना शेष है। यह हाल कई राज्यों का है। अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी कोर्ट द्वारा इस संबंध में जवाब तलब किया गया है। अब कोरोना की तीसरी लहर को लेकर भी अंदेशा जताया जा रहा है। ऐसे में भविष्य की स्थिति क्या रहेगी दोस्तों, इस संबंध में अभी से कुछ भी स्पष्ट कह पाना बेहद जल्दबाजी मानिए।
हाल ही मे किस कैदी की पैरोल पर रिहाई चर्चा का विषय रही है? (Which prisoner’s parole has been in news recently?)
मित्रों, बाबा राम रहीम का नाम आपने जरूर सुना होगा। एमएसजी (MSG) व मैसेंजर ऑफ गॉड (massanger of God) जैसी फिल्में बनाकर सुर्खियां बटोरने वाले बाबा राम रहीम के भक्तों की तगड़ी फैन फॉलोइंग (fan following) भी है। विभिन्न मामलों में अभियुक्त बाबा जेल में थे। पंजाब चुनाव (Punjab election) से ऐन पहले बाबा राम रहीम की पैरोल पर रिहाई हर ओर चर्चा का विषय बनी रही। इसके अलावा भी कई बड़ी हस्तियां जेल के बाद पैरोल पर रिहा होती रही हैं। इनमें से अधिकांश को मेडिकल ग्राउंड पर पैरोल प्रदान की गई।
पैरोल क्या होती है?
यदि किसी अपराधी को सजा समाप्त होने से पूर्व ही अच्छे आचरण के लिए रिहा किया जाए तो उसे पैरोल पुकारा जाता है।
पैरोल कितने प्रकार की होती है?
पैरोल दो प्रकार की होती है -इमरजेंसी पैरोल एवं रेगुलर पैरोल।
पैरोल संबंधी दिशा-निर्देश
जेल (बॉम्बे फरलो और पैरोल) नियम 1959 एवं कारागार अधिनियम, 1984 की धारा 59 (5) के तहत जारी किए जाते हैं।
किन अपराधियों को पैरोल नहीं मिलती?
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले गैर भारतीय नागरिकों को पैरोल नहीं दी जाती।
पैरोल व जमानत में क्या अंतर है?
इस संबंध में जानकारी हमने विस्तार से पोस्ट में दी है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।
इमरजेंसी पैरोल किन स्थितियों में मिलती है?
परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने अथवा कैदी के विवाह की स्थिति में इमरजेंसी पैरोल मिल जाती है।
पैरोल के लिए आवेदन की प्रक्रिया क्या है?
पैरोल के लिए आवेदन की प्रक्रिया हमने आपको ऊपर पोस्ट में बताई है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।
कौन से अपराधी इमरजेंसी पैरोल के पात्र हैं?
विदेशी एवं मौत की सजा काटने वाले अपराधियों को छोड़कर सभी अपराधी 14 दिनों की इमरजेंसी पैरोल के लिए पात्र हो सकते हैं।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में बताया कि पैरोल क्या होती है? पैरोल किस एक्ट के तहत दी जाती है? पैरोल का आधार क्या होता है? पैरोल कितने प्रकार की होती है? पैरोल व जमानत में क्या अंतर है? यदि आपका इस पोस्ट को लेकर कोई सवाल अथवा सुझाव है तो आप हमें उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।