पेसा एक्ट क्या है? पेसा एक्ट कब लागू हुआ? पेसा अधिनियम, 1996 के उद्देश्य

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आदिवासी क्षेत्रवासियों की दिक्कतें ऐसी हैं, जिन्हें दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले आसानी से नहीं समझ सकते। वर्तमान में विभिन्न परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण, संसाधनों पर कब्जा आदि को लेकर बहुत मुश्किलें पेश आई हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश सरकार ने अपने यहां पेसा एक्ट के नियम लागू किए हैं। क्या आप जानते हैं ये पेसा एक्ट क्या है? इस एक्ट को लाए जाने के पीछे क्या उद्देश्य हैं? इस एक्ट के प्रावधानों से ग्राम सभा कैसे मजबूत होगी? यदि नहीं तो आज हम आपको इस पोस्ट में इस संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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पेसा एक्ट क्या है? (What is PESA act?)

मित्रों, सबसे पहले जान लेते हैं कि पेसा एक्ट क्या है? पेसा (PESA) की फुल फॉर्म है-Panchayat’s provisions (extension to scheduled areas) act। इसे हिंदी में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून भी पुकारा जाता है। इस एक्ट को आज से करीब 26 वर्ष पूर्व 24 दिसंबर, सन् 1996 में कुछ अपवादों (exemptions) एवं संशोधनों (amendments) के साथ संविधान (constitution) के भाग 9 के प्रावधानों (provisions) को अनुसूचित क्षेत्रों (sheduled areas) तक विस्तारित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।

आपको जानकारी दे दें दोस्तों कि यह एक्ट किसी ग्राम सभा (gram sabha) को अनुसूचित जनजाति इलाकों sheduled में प्राकृतिक संसाधनों के संबंध में निर्णय लेने की विशेष शक्ति देता है। मूल रूप से यह एक्ट अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने हेतु बनाया गया कानून हैं।

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पेसा एक्ट को लाए जाने के पीछे क्या उद्देश्य था? (What was the object to bring PESA act?)

आइए, दोस्तों अब उन कारणों/उद्देश्यों के बारे में जान लेते हैं, जो पेसा एक्ट लाए जाने के पीछे मुख्य कारण बनकर उभरे। यह तो आपको भी ज्ञात होगा कि सालों से आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार एवं अन्याय के कारण उनके भीतर लगातार असंतोष की भावना बढ़ रही थी।

इसे देखते हुए सरकार पर भी उनके हित में कुछ इस प्रकार के कदम उठाए जाने का दबाव बन रहा था, जिससे इनसे जुड़े मुद्दों पर इनकी बात मुख्य हो सके। इस पर हमारे देश भारत की संसद ने पेसा कानून दोनो सदनो में पारित किया। बाद में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त कर इस कानून को लागू किया गया। दोस्तों, आपको बता दें कि इस एक्ट के उद्देश्य इस प्रकार से थे-

  1. आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जनजातियों के स्व शासन के अधिकारों का स्पष्टीकरण करना, जिनका उल्लंघन अथवा जिनमें हस्तक्षेप करने की ताकत राज्यों के पास भी न हो।
  2. पारंपरिक परिपाटी के अनुकूल अथवा उनसे तालमेल बिठाने में उपयुक्त प्रशासनिक ढांचा विकसित करना।
  3. ग्राम सभाओं (ग्राम विधानसभाओं) को सभी गतिविधियों का केंद्र बनाने का प्रयास करना।
    उच्च स्तर की पंचायतों को निचले स्तर की ग्राम सभा अथवा ग्राम विधानसभा की ताकत एवं उनके अधिकारों को छीनने से रोकना।
  4. पेसा के नियमों में जल-जंगल-जमीन, श्रमिक और संस्कृति संरक्षण का पंचामृत।
  5. बाजार-मेलों का प्रबंधन करेगी ग्रामसभा, ग्राम विकास की बनाएगी कार्ययोजना ।
  6. जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि पर कब्जा हटवाकर मूल व्यक्ति को दिलवाने का रहेगा अधिकार।

पेसा एक्ट को हाल ही में किस राज्य में लागू किया गया है? (In which state PESA act has been implemented recently?)

साथियों, अब आपको जानकारी देते हैं कि हाल ही में इस एक्ट को किसी राज्य में लागू किया गया है? आपको जानकारी दे दें कि हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (president draupdi murmu) ने शहडोल (मध्य प्रदेश) हुए जनजातीय गौरव दिवस के समारोह में इस एक्ट की नियमावली का विमोचन करके यह एक्ट लागू किया है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) पेसा एक्ट (PESA act) लागू करने वाला देश का 10वां राज्य बना है।

आपको बता दें कि आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिए बनाए गए इस पेसा एक्ट के लागू हो जाने के बाद वहां ग्राम सभा बहुत अधिक शक्तिशाली हो जाएगी। आपको बता दें कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से ही सामुदायिक संसाधनों जैसे- जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा एवं संरक्षण का अधिकार प्राप्त होता है। यानी पेसा एक्ट प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।

पेसा एक्ट लागू होने के बाद मध्य प्रदेश में ग्राम सभा कैसे सशक्त बनेंगी? (How gram sabha will become powerful after implementation of PESA act?)

मित्रों, मध्य प्रदेश में बिरसा मुंडा के जन्म दिवस के अवसर पर प्रदेश में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम 2022 यानी पेसा एक्ट के प्रावधान लागू कर दिए गए। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि इसमें अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभा को सशक्त बनाया गया है। ये इस प्रकार से सशक्त होंगी-

  1. बाजार-मेलों का प्रबंधन ग्रामसभा करेगी।
  2. ग्राम सभा ही ग्राम विकास (village development) के लिए कार्ययोजना (working plan) बनाएगी।
  3. यदि जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि पर किसी गैर जनजाति व्यक्ति का अनधिकृत कब्जा है तो ग्रामसभा उसे हटवाकर मूल व्यक्ति को अधिकार दिलाएगी।
  4. ग्रामसभा की सहमति बगैर अनुसूचित क्षेत्रों में शराब की नई दुकान नहीं खुलेगी।
  5. भूमि अधिग्रहण से पूर्व भी ग्राम सभा की सहमति लेना आवश्यक होगा।
  6. स्थानीय पुलिस स्टेशन में ग्राम के व्यक्ति से संबंधित एफआईआर दर्ज होने पर इसकी सूचना ग्रामसभा को देनी होगी।
  7. पटवारी एवं बीट गार्ड गांव की जमीन, वन क्षेत्र के नक्शे, खसरे आदि ग्रामसभा को हर साल उपलब्ध कराएंगे। ऐसे में गांव का रिकार्ड लेने बार-बार तहसीलों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
  8. रेवेन्यू रिकार्ड में गड़बड़ी पर ग्रामसभा को उसमें सुधार की अनुशंसा करने का अधिकार होगा।
  9. अधिसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति बगैर किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गांव की जमीन का भू-अर्जन नहीं किया जाएगा।
  10. गैर जनजातीय व्यक्ति अथवा कोई भी यदि छल-कपट, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने अथवा क्रय करने की कोशिश करेगा तो ग्राम सभा को इसमें हस्तक्षेप करने व वापस दिलाने का हक होगा।
  11. ग्रामसभा ही विभिन्न प्रकार की वनोपज जैसे- करंज बीज, महुआ, अचार गुठली, लाख, गोंद, हर्रा, बहेड़ा, आंवला आदि का संग्रहण (collection), विपणन (marketing), मूल्य निर्धारण (price fixing) एवं विक्रय (sale) कर सकेगी।
  12. गांव के हर मजदूर को मांग आधारित रोजगार के लिए ग्रामसभा साल भर की कार्ययोजना बनाएगी।
  13. मनरेगा के तहत गांव में कौन-कौन से कार्य होंगे, ग्रामसभा ही तय करेगी।
  14. ग्राम सभा को सूचित किए बगैर न तो कोई व्यक्ति काम करने के लिए गांव से बाहर जा सकेगा और न ही बाहरी व्यक्ति आ सकेगा।
  15. यदि कोई साहूकार किसी ग्रामीण का शोषण करता है अथवा निर्धारित दर से अधिक ब्याज लेता है तो ऐसी स्थिति में ग्राम सभा अपनी अनुशंसा के साथ कार्रवाई के लिए प्रस्ताव उपखंड अधिकारी को भेज सकेगी।
  16. कोई भी नई शराब, भांग की दुकान ग्रामसभा की अनुमति के बिना नहीं खुलेगी।
  17. यदि 45 दिन में ग्राम सभा कोई निर्णय नहीं करती तो यह मान लिया जाएगा कि नई दुकान खोलने के लिए ग्रामसभा सहमत नहीं है।
  18. ग्राम सभा गांव में अवैध शराब के विक्रय को रोकने का काम भी करेगी।
  19. ग्राम सभा शांति बनाए रखने के लिए हर गांव में एक शांति एवं विवाद निवारण समिति गठित करेगी। साथ ही इस समिति में कम से कम एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी, जिसकी सूचना स्थानीय पुलिस स्टेशन को दी जाएगी।
  20. ग्राम सभा गांव के स्कूल, स्वास्थ्य एवं आंगनबाड़ियों के सुचारू संचालन के लिए उनकी निगरानी/निरीक्षण करेगी।

अनुसूचित क्षेत्र से क्या आशय है? (What do you understand by sheduled areas?)

दोस्तों, जैसा कि हमने आपको बताया आदिवासी हितों के संरक्षण के लिए बने पेसा एक्ट के तहत पंचायतों के प्रावधान अनुसूचित क्षेत्र पर लागू होंगे। ऐसे में आप यह अवश्य जानना चाहते होंगे कि अनुसूचित क्षेत्र से क्या आशय है? तो दोस्तो, आपको बता दें कि अनुसूचित क्षेत्र भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची द्वारा पहचाने गए क्षेत्र हैं।

ये क्षेत्र भारतीय संविधान के भाग IX में प्रदान किए गए 73वें संवैधानिक संशोधन या पंचायती राज अधिनियम (panchayati raj act) द्वारा कवर नहीं किए गए थे। पेसा एक्ट इन्हीं अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए विशेष अधिकार देता है।

मध्य प्रदेश से पूर्व पेसा एक्ट भारत के किन राज्यों में लागू था? (In which states of India PESA act was implemented before Madhya Pradesh?)

मित्रों, अब आप यह जरूर जानना चाहते होंगे कि मध्य प्रदेश से पूर्व पेसा एक्ट देश के किन छह राज्यों में लागू था? तो आपको जानकारी दे दें कि पेसा एक्ट पहले से भारत के नौ राज्यों हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh), आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh), तेलंगाना (Telangana), राजस्थान (Rajasthan), गुजरात (Gujarat), महाराष्ट्र (Maharashtra), छत्तीसगढ़ (chattisgarh), झारखंड (jharkhand) आदि में लागू था। अनुसूचित क्षेत्र में पड़ने वाली ग्राम सभाओं के सशक्तिकरण के मद्देनजर इसे मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी लागू किए जाने को एक अच्छा कदम माना जा रहा है।

पेसा एक्ट अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वालों के लिए कैसे मददगार होगा? (How PESA act will be useful for the people living in sheduled areas?)

मित्रों, यह तो आप जानते ही हैं कि विकास परियोजनाओं के चलते बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण एवं विस्थापन होता है। ऐसे में अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों में बड़े पैमाने पर संकट पैदा हो गया था। पेसा इन मुश्किलों में से कई के लिए एक रामबाण के रूप में काम करता है। वे स्व शासन के जरिए स्वयं से जुड़े मामलों में और प्रखर हो सकेंगे।

पेसा (PESA) की फुल फॉर्म क्या है?

PESA की फुल फॉर्म panchayat’s provisions (extension to scheduled areas) act- 1996 है।

पेसा एक्ट क्या है?

इस एक्ट के जरिए अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के संबंध में विशेष निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की गई है।

पेसा एक्ट को कब पारित किया गया?

पेसा एक्ट को आज से करीब 26 वर्ष पूर्व सन् 1996 में अधिनियमित किया गया।

हाल ही में पेसा एक्ट को कहां लागू किया गया है?

हाल ही में मध्य प्रदेश में पेसा एक्ट को लागू किया गया है?

ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश देश का कौन सा राज्य बना है?

ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश देश का 10वां राज्य बना है।

इससे पूर्व देश के किन राज्यों में पेसा एक्ट लागू था?

इससे पूर्व देश के कुल नौ राज्यों हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड एवं राजस्थान में पेसा एक्ट लागू था।

दोस्तों, हमने इस पोस्ट (post) में आपको पैसा एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। यदि आप इसी प्रकार के किसी अन्य विषय पर हम से जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (2)

  1. आपने सहि और बहुत विस्तार से पेसा कानून १९९६ के बारे में जानकारी दी इसके लिए में आपको बेहत-बहेत धन्यवाद देता हू.मैं भी एक जनजाति बहुल क्षेत्र से आता हू.

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