पुलिस और आपके अधिकार – Police And Your Rights 2023

लोग बाग बेशक खूब पढ़ाई करते हैं, बड़ी बड़ी डिग्री हासिल कर लेते हैं, लेकिन अधिकांश ऐसे होते हैं, जिन्हें पुलिस कार्रवाई के खिलाफ अपने अधिकारों का कुछ पता नहीं होता। पुलिस बगैर कारण बताए गिरफ्तार कर लेती है, उन्हें यह भी नहीं पता होता कि ऐसा किया जाना गैर कानूनी है।

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पुलिस और आपके अधिकार – Police and your rights

पुलिस थानों से अक्सर मानव अधिकारों के हनन की शिकायतें आती हैं, लेकिन लोग अपने उन अधिकारों से अंजान होते हैं, जिनका पुलिस हनन नहीं कर सकती एवं जिनके लिए वे आवाज उठा सकते हैं। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी प्रकार पुलिस और आपके अधिकार के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

1. पुलिस एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती

पुलिस नियमावली कहती है कि थाने में आने वाले प्रत्येक पीड़ित की सूचना प्राथमिकी यानी एफआईआर (FIR) दर्ज करना पुलिस की पहली जिम्मेदारी है। जब बात पुलिस और आपके अधिकार की आती है तो पुलिस आपको एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती। आपको इसकी एक कापी मुफ्त में उपलब्ध कराना भी उसी की जिम्मेदारी है।

पुलिस बगैर कारण बताए गिरफ्तार नहीं कर सकती

दोस्तों, आपको बता दें कि चाहे मामला कोई भी हो, पुलिस के पास आपको कारण बताए बगैर गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं। कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर यानी सीआरपीएसी (CRPC), जिसे हिंदी में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता भी कहते हैं, की धारा 50 (1) के मुताबिक यदि पुलिस ऐसा करती है तो उसे आपको कारण बताना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करती तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।

आपको साफ कर दें कि नाॅन काग्निजेबल आफेंस (non cognizable offence) यानी असंज्ञेय अपराधों के मामले में गिरफतार व्यक्ति को गिरफतारी वारंट देखने का अधिकार होगा, अलबत्ता संज्ञेय यानी गंभीर अपराध के मामले में पुलिस वारंट दिखाए बगैर भी गिरफतार कर सकती है। लेकिन इसके लिए भी उसे किसी सीनियर पुलिस अफसर एवं मजिस्ट्रेट की अनुमति की आवश्यकता होगी।

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से अरेस्ट मेमो में हस्ताक्षर लेने जरूरी

पुलिस को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से अरेस्ट मेमो (arrest memo) पर आवश्यक रूप से हस्ताक्षर लेने होंगे। सीआरपीसी की धारा 41 (B) के अनुसार पुलिस को यह अरेस्ट मेमो तैयार करना होगा। इसमें पुलिस अधिकारी की रैंक का उल्लेख होने के साथ ही गिरफ्तार करने का वक्त एवं पुलिस अफसर के अतिरिक्त प्रत्यक्षदर्शी के हस्ताक्षर भी होते हैं।

इसके साथ ही किसी को गिरफ्तार करने गए पुलिस अफसर को वर्दी में होना आवश्यक है। यह भी प्रावधान है कि नेम प्लेट पर उसका नाम साफ साफ लिखा हो।

पुलिस और आपके अधिकार - Police And Your Rights 2023

पुलिस किसी को भी 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रख सकती

मित्रों, यह जानना बेहद आवश्यक है। पुलिस किसी को भी 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रख सकती। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की धारा 57 में यह व्यवस्था दी गई है। उसे गिरफतार व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करना जरूरी है।

यदि पुलिस संबंधित व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखना चाहती है तो उसे सीआरपीसी की धारा 56 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होगी एवं साथ ही मजिस्ट्रेट को इजाजत देने की वजह भी बतानी होगी।

पुलिस किसी व्यक्ति से मारपीट अथवा अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती

पुलिस थाने लाए गए किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट अथवा अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती। इस संबंध में देश की सर्वोच्च विधिक संस्था सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जारी किया गया है।

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य का जिम्मा पुलिस का

दोस्तों, आपको बता दें कि पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में अथवा गिरफ्तार करके थाने लाकर भूखा नहीं रख सकती। सीआरपीसी की धारा 55 (1) के अनुसार गिरफतार किए गए व्यक्ति की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य का ख्याल रखना उसकी जिम्मेदारी है। इसके लिए उसे भत्ता दिया जाता है।

कोर्ट के आदेश बगैर पुलिस आपको हथकड़ी नहीं पहना सकती

पुलिस हिरासत में लिए गए व्यक्ति एवं विचाराधीन बंदी को एक जेल से दूसरी जेल अथवा थाने से कोर्ट में पेश करते समय अथवा कोर्ट से जेल ले जाते हुए हथकड़ी नहीं लगा सकती। इसके लिए उसे कोर्ट से इजाजत लेनी आवश्यक होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। लेकिन यदि आरोपी के भागने की आशंका है तो उसे बीच रास्ते में हथकड़ी डाली जा सकती है। इसका तस्करा जीडी में डालना होता है।

विचाराधीन बंदी को रिमांड में लेने पर 48 घंटे के भीतर मेडिकल जांच जरूरी

सीआरपीसी की धारा 54 के तहत यदि पुलिस किसी विचाराधीन बंदी को रिमांड पर लेती है तो उसकी मेडिकल जांच 48 घंटे के भीतर कराई जानी आवश्यक है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी आदेश जारी किया गया है।

मेडिकल जांच का लाभ यह होता है कि यदि आपके शरीर में कोई चोट नहीं है तो मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हो जाएगी। ऐसे में पुलिस कस्टडी के दौरान यदि आपके शरीर में चोट के निशान मिलते हैं तो पुलिस के खिलाफ आपके पास सुबूत होगा।

गिरफ्तारी की सूचना परिवार को देना पुलिस का जिम्मा

यदि किसी व्यक्ति को पुलिस ने गिरफतार कर लिया है तो इस संबंध में सूचना उसके परिवार को टेलीफोन अथवा पत्राचार के जरिये भिजवाने की जिम्मेदारी पुलिस की है। सीआरपीसी की धारा 50 (A) के तहत गिरफतार किए गए व्यक्ति को लेकर यह व्यवस्था की गई है।

पुलिस और आपके अधिकार - Police And Your Rights 2023

पुलिस और आपके अधिकार – थाने से भी जमानत का अधिकार

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि यदि किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है, जो जमानती की श्रेणी में आता है तो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 486 के तहत पुलिस थाने से भी जमानत दी जा सकती है।

पुलिस जांच के दौरान वकील से मिलने की छूट

सीआरपीसी की धारा 41 (D) के अनुसार गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पुलिस जांच के दौरान अपने वकील से कभी भी मिलने की सुविधा होगी। इसके साथ ही वह वकील एवं अपने परिजनों से बात कर सकेगा।

महिला को कौन गिरफ्तार कर सकता है?

सीआरपीसी की धारा 46 के अनुसार महिला को केवल महिला पुलिसकर्मी ही गिरफ्तार करेगी। उसे कोई पुरुष पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं कर सकता।

महिला पुलिस की मौजूदगी में ही रेप पीड़िता से पूछताछ

यह एक बेहद संवेदनशील मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि थानों में पूछताछ के दौरान आने वाली महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार अथवा अश्लील भाषा का प्रयोग पुलिस नहीं कर सकती। उसकी ओर से विशेष रूप से यह कहा गया है कि रेप पीड़िता की रिपोर्ट महिला पुलिसकर्मी ही लिखेगी एवं पूछताछ भी उसी के माध्यम से की जाएगी।

यदि ऐसा न हो तो पूछताछ के समय महिला पुलिसकर्मी मौजूद रहे। पीड़िता के परिवार से भी कोई महिला पूछताछ के समय मौजूद रह सकती है।

सूर्यास्त के पश्चात एवं सूर्योदय से पूर्व महिला की गिरफ्तारी नहीं

सीआरपीसी 1973 की धारा 46 (4) में यह महिलाओं को गिरफ्तार करने को लेकर व्यवस्था की गई है। इसमें साफ किया गया है कि सूर्यास्त के पश्चात एवं सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

यदि असाधारण परिस्थितियों में ऐसा करना आवश्यक है तो महिला पुलिस अधिकारी एक लिखित रिपोर्ट बनाकर प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति प्राप्त करेंगी।

गरीब व्यक्ति को मुफ्त वकील मुहैया कराया जाएगा

दोस्तों, आपको बता दें कि यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है एवं उसके पास अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने को पैसे नहीं हैं तो उसे मुफ्त कानूनी मदद दी जाएगी। उसका पक्ष रखने के लिए मुफ्त में वकील उपलब्ध कराया जाएगा।

सीआरपीसी 1973 कब पारित एवं लागू हुआ

दोस्तों, लगे हाथों आपको यह भी बता दें कि यह कानून सन 1973 में पारित हुआ एवं इसे एक अप्रैल, 1974 को लागू किया गया। सीआरपीसी के अंतर्गत कुल 37 अध्याय एवं 484 धाराएं हें। मित्रों, आपको यह जानकारी भी दे दें कि यदि पुलिस किसी व्यक्ति को गैर कानूनी तरीके से गिरफतार करती है, तो यह न केवल भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता अर्थात सीआरपीसी का उल्लंघन है।

बल्कि इसे भारतीय संविधान (indian constitution) के अनुच्छेद 20, 21 एवं 22 में नागरिकों को प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का भी हनन माना जाएगा। ऐसे में संबंधित पीड़ित व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट (supreme court) जा सकता है।

अवैध गिरफ्तारी की स्थिति में मुआवजा भी मिलेगा

मित्रों, आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी यह दे दें कि यदि किसी को लगता है कि उसकी गिरफ्तारी अवैध तो वह रिहाई के साथ ही साथ मुआवजे की भी मांग कर सकता है। इसकी व्यवस्था सीआरपीसी की धारा 357 में की गई है। इसके तहत मुआवजे के लिए प्रभावित व्यक्ति कोर्ट में आवेदन कर सकता है।

आपको बता दें कि इसी कानून के तहत मरहूम फिल्म एवं टीवी सीरियल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के हेल्पर दीपेश ने एनसीबी (NCB) से 10 लाख रूपए बतौर मुआवजा देने का आवेदन किया था।

यदि पुलिस अधिकारों का हनन करे तो कहां शिकायत करें?

मित्रों, यदि आपके मानवाधिकारों का पुलिस हनन करती है तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं। आपके पास इस संबंध में अपने जिले के मुखिया यानी एसएसपी एवं मानव अधिकार आयोग (human rights commission) तक को शिकायत का विकल्प होता है। आप आयोग को आनलाइन (online) शिकायत भी कर सकते हैं।

भारत में पुलिस के हाल स्वयं बेहाल

दोस्तों, भारत की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक है, लेकिन यहां की पुलिस के हाल बेहाल हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में हर एक लाख की आबादी पर महज 156 पुलिसकर्मी हैं। गणित की भाषा में कहें तो एक पुलिस कर्मी पर 641 लोगों की सुरक्षा की भारी जिम्मेदारी है। कई राज्यों में हालात और भी खराब हैं।

बिहार की बात करें तो वहां एक लाख लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी महज 76 पुलिसकर्मियों पर है। ये आंकड़े इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (india justice report) 2020 के अध्ययन में निकलकर सामने आए हैं। टाटा ट्रस्ट की ओर से यह रिपोर्ट जारी की गई है। इसके अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर तीन पुलिस अफसरों में से एक पद खाली है।

वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर कांस्टेबल का हर पांच में से एक पद खाली है। हालात साफ हैं, जरूरत के हिसाब से पुलिसकर्मी मुट्ठी भर हैं। यह तनाव उनके कार्य व्यवहार में झलकता भी है। उन्हें जिम्मेदारी का डबल डोज लेना पड़ता है। इसके अलावा फ़िल्म, सिनेमा आदि के माध्यम से उनकी छवि को ऐसा बना दिया गया है कि वे आम पब्लिक के सम्मान के पात्र नहीं बनते।

आलम यह है कि बदमाशों ने अपराध के तरीके बदल दिए, लेकिन पुलिस अभी भी अधिकांश जगह परंपरागत तौर तरीकों पर ही निर्भर है। उनके आधुनिकीकरण यानी माडर्नाइजेशन (modernization) पर होने वाला व्यय कम हुआ है। इधर, साइबर अपराधों (cyber crime) की बाढ़ आने से पुलिस को उनके मुताबिक अपने को ढालने में भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

गरीब लोगों के दिमाग में एक भ्रांति घर कर गई है कि पुलिस केवल अमीरों की सुनती है, लिहाजा वह कोई भी मुसीबत अथवा समस्या पड़ने पर पुलिस स्टेशन (police station) का रूख तक करना उचित नहीं समझते।

पुलिस और आपके अधिकार से जुड़े सवाल-जवाब –

क्या पुलिस को गाली देने का अधिकार है?

नहीं, कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी नागरिक से गाली देकर बात नहीं कर सकता है। यदि किसी अधिकारी द्वारा ऐसा किया जाता है, तो आप सबूत इकट्ठा करके उच्च अधिकारी के पास इसकी शिकायत कर सकते हैं।

पुलिस बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं?

संदिग्ध परिस्थितियों को छोड़कर पुलिस बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

पुलिस कब गिरफ्तार करती है?

पुलिस आप को तब गिरफ्तार कर सकती है जब आपके खिलाफ कोई नामजद लिखित शिकायत की गई हो। साथ ही पुलिस को आशंका हो कि आप कोई अपराध करने जा रहे हैं या आप जमानत पर हो और आप जमानत के नियमों का उल्लंघन कर रहे हो।

अगर पुलिस न सुने तो क्या करे?

यदि पुलिस अधिकारी आपकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। या आपकी शिकायत दर्ज नहीं करते हैं, तो आप उच्च अधिकारियों के पास शिकायत कर सकते हैं ।

क्या पुलिस को मारने का अधिकार है?

किसी भी अपराधी को पुलिस को मारने का अधिकार नहीं है।

दोस्तों, यह थी पुलिस और आपके अधिकारों की जानकारी। उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपका ज्ञानवर्धन हुआ होगा। आप इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें ताकि अधिकाधिक लोग अपने अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो सकें। यदि इसी तरह के किसी जानकारीपरक विषय पर आप हमसे पोस्ट चाहते हैं तो नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट कर सकते हैं। ।।धन्यवाद।।


प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (17)

    • Sir, Ham 4 log ek bike pe then or mere pas licence nhi tha, Bihar police ke 5 sipahi police bike se then bina bardi ke, unhone hame rok ke bina kuch puche mara or uske baad kagaj dikhane bola ham dikha diyen, wo uske baad chalen gyen to sir main ye janna chahta hoon, kya wo sahi kiye???, agar sahi nhi kiye to kya ham unpe shikayat darj kar sakten hain???

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  1. अगर कोई पुलिस ऑन ड्यूटी किसी भी आदमी की तस्वीर ले सकता है कहीं भी बिना उससे पूछे

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    • aamtaur par nhi le sakte hai. lekin ydi koi vykti sandigdh paristhiti me dikhai deta hai to le sakta hai.

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  2. Mera mere ek dost se jhagda huaa ta es bat ko 1½ mahene se jyada ho gaya h us wakt my us he spot pe rahta ta par abi my bahr aaya hu to police mery ghar aakar gharwalo ko dhamki de rahi h ki usko bulao nahi to sab ki barat nikalenge ky ye sahi h ?

    Unlog ne mujh par (307 /324 / 452 / 510 / ) ye Dhara lagvai h

    Meri vajh sy mery ghar walo ko taklif na ho uske liye ky karu ?

    Jis Se meri mar pit hui te us ke Ghar Wale press me h mujhe damki mili h ki police sy bach gaya to meri pahchan bahut upar tak h

    Ab mujhe ky kar na Chahey,………

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  3. Kal main aur mere dost bike se ja rhe the hm 3 log baithe the bike pe ye galat hai pta hai hme but poolice vale ne pkda aur ek danda khich ke mar diya aur fir jb unse pucha to unhone jabarjasti mujhe 2 ghante tk baithaye rakkha tha aur uske baad kisi trh family valo ne chudaya to piche se batmmeji se commemt kr rha tha ki etna ptla hai attitude dekho mare do danda to shi ho jayega. Mana ki 3 savari baithna galat hai pr poolice ne jo danda mara aur 2 ghante baithaya tha kya vo shi hai aur adr co ne bauthaya tha uper se phone switch off krva diya

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  4. Mera bhai nabalik h kl wo ek ldhki ko gadhi me ghuma rha tha wo ladhki khud apne mrzi se aai thi bt b krti thi ….fir uske papa ko pta chla to mere bhai k uper case kr diya mere bhai ko aj police station bulaye or police walo ne mere bhai ko mare ..,.. police walo ko ek nabalik bacche ko marna shi h ya galat btaiye please

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  5. Police bohot bekar hoti h riswat khor hoti h mere dost ko bewjh guns k case m FSA diya vo 19 ka hua hi h uska maara boht maara usne kisi or ki gun se pic click ki thi or jis ki gun thi usko bhi pakda usne bola bhi ki meri gun h lekin unhone us bacche ki jindgi krab krdi ek pic ki ye sjha usko maaro uski maa ko gandi galiya do or glt case lga diya ab kya vo kuch kr skta h please help kijiye

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    • आशंका होने पर आपको पुलिस अरेस्ट नहीं कर सकती है. लेकिन पूछताछ के लिए आपको पुलिस थाने ले जा सकती है.

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