पुलिस सुरक्षा कैसे मांगे? पुलिस सुरक्षा कब, क्यों व किसे दी जाती है?

|| पुलिस सुरक्षा कैसे मांगें? | How to demand for police security? | पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है? | पुलिस सुरक्षा के कितने प्रकार हैं? | Police security is of how many types? | पुलिस सुरक्षा कब, क्यों व किसे दी जाती है? | पुलिस सुरक्षा कितने समय के लिए मुहैया कराई जाती है? | police security kaise mange ||

कैदियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है तो पर्याप्त पुलिस सुरक्षा दी जाती है। आपने बहुत से लोगों को पुलिस सुरक्षा में गार्ड, गनर के साथ आवाजाही करते भी देखा होगा। आखिर किसी व्यक्ति को पुलिस सुरक्षा कैसे मिलती है? पुलिस सुरक्षा कैसे मांगें? जैसे सवाल आपके जहन में भी उठते होंगे। यदि हां, तो खुश हो जाइए। आज हम आपको इसी संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है? (When police security is required?)

मित्रों, सबसे पहले आइए यह जान लेते हैं कि पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कब मांगी जाती है? ऐसे कौन कौन से कारण होते हैं, जो किसी व्यक्ति को पुलिस की सुरक्षा मांगने पर मजबूर कर देते हैं? तो दोस्तों आपको बता दें कि किसी व्यक्ति अथवा किसी ग्रुप से किसी को शारीरिक हमले का खतरा वह सबसे बड़ा कारण है, जो उसे पुलिस सुरक्षा मांगने पर मजबूर कर देता है। इसके अतिरिक्त अन्य कारण इस प्रकार से हैं-

पुलिस सुरक्षा कैसे मांगे? पुलिस सुरक्षा कब, क्यों व किसे दी जाती है?
  • शारीरिक हमले का डर।
  • जान का खतरा।
  • कोर्ट का आदेश।
  • आम लोगों में हनक के लिए।

पुलिस सुरक्षा के कितने प्रकार हैं? (Police security is of how many types?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि पुलिस विभाग (police department) द्वारा लोगों को सुरक्षा को दो कैटेगरी में बांटा गया है। ए श्रेणी (A category) एवं बी श्रेणी (B category)। अब इन श्रेणियों के बारे में विस्तार से जान लेते हैं-

ए कैटेगरी (A category)

साथियों, आपको बता दें कि इस श्रेणी में वे लोग आते हैं, जो किसी आपराधिक मामले (criminal matters) में वादी, गवाह अथवा पैरोकार होते हैं। इन लोगों को कोर्ट court अथवा अफसरों के निर्देश पर मुफ्त में सुरक्षा प्रदान की जाती है।

बी कैटेगरी: इस कैटेगरी में वीवीआईपी, कारोबारी एवं अन्य धनाढ्य लोग शामिल होते हैं। आपको बता दें कि इनकी सुरक्षा पुलिस द्वारा निशुल्क नहीं की जाती। ऐसे लोगों को 10 प्रतिशत से लेकर सौ फीसदी तक के निजी खर्च पर चार श्रेणियों में सुरक्षा प्रदान की जाती है।

बी कैटेगरी में पुलिस सुरक्षा किस आधार पर दी जाती है? (At what basis police security is given in B category?)

साथियों, आपको जानकारी दे दें कि बी कैटेगरी में पुलिस सुरक्षा आर्थिक हैसियत (economic status) के आधार पर दी जाती है। यह आर्थिक हैसियत जनपदीय एवं मंडलीय सुरक्षा समिति (district and regional security committee) द्वारा तय की जाती है। इसी हिसाब से सुरक्षा का निजी खर्च सुरक्षा मांगने वाले से वसूला जाता है। जैसे- मान लीजिए कि यदि समिति किसी व्यक्ति को सौ प्रतिशत निजी खर्च पर गनर मुहैया कराती है तो संबंधित व्यक्ति से गनर का पूरा खर्च वसूला जाता है।

इस पैसे को सरकारी खजाने में जमा किया जाता है। इस खर्च मं महंगाई भत्ता (dearness allowance) भी शामिल किया जाता है। यहां आपको यह भी बता दें कि यदि कोई व्यक्ति 10 प्रतिशत निजी व्यय पर सुरक्षा पाता है तो ऐसी स्थिति में संबंधित पुलिसकर्मी के वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा सुरक्षा पाने वाले से वसूला जाता है, एवं शेष 90 प्रतिशत हिस्सा सरकार (government) द्वारा वहन किया जाता है।

सुरक्षा में आवश्यकता अनुसार सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल एवं गार्ड को तैनात किया जाता है। आवेदक को इसी अनुसार तय राशि का भुगतान करना होता है। आपको यह भी बता दें कि सुरक्षा संबंधी यह राशि गृह विभाग (home department) द्वारा तय की जाती हैं।

पुलिस सुरक्षा कैसे मांगें? (How to demand police security?)

मित्रों, अब हम आपको बताएंगे कि आप पुलिस सुरक्षा कैसे मांग सकते हैं। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार से है-

  • सबसे पहले आपको अपने इलाके के डीएम/एसएसपी (DM/SSP) को पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन (application) देना होगा।
  • इसके पश्चात जनपदीय/मंडलीय सुरक्षा समिति द्वारा इस आवेदन को जीवन भय आख्या (risk to life report) के साथ प्रशासन को उपलब्ध कराया जाएगा।
  • इसके पश्चात जिला मजिस्ट्रेट (district magistrate) की अध्यक्षता में गठित बैठक में संबंधित आवेदन पर सुरक्षा प्रदान करने संबंधी निर्णय लिया जाएगा।
  • आपको बता दें कि जनपदीय सुरक्षा समिति में संबंधित जिले के डीएम, एसएसपी/एसपी एवं एलआईयू (LIU) यानी स्थानीय अभिसूचना इकाई के प्रभारी सदस्य शामिल होंगे।

जीवन भय आख्या कैसे तैयार की जाती है? (How risk to life report is prepared?)

मित्रों, आइए अब आपको लगे हाथों यह बता देते हैं कि जनपदीय सुरक्षा समिति द्वारा जीवन भय आख्या कैसे तैयार की जाती है। दरअसल, इसमें पुलिस सुरक्षा मांगने वाले आवेदक के संबंध में सारी जानकारी एक तय फार्मेट में भरी जाती है, जो कि इस प्रकार से है-

  • आवेदक का नाम
  • पिता का नाम
  • यदि आवेदक सेवारत है तो पदनाम एवं संबंधित ब्योरा।
  • यदि आवेदक सेवारत नहीं है तो उसका व्यवसाय।
  • आवेदक की आर्थिक स्थिति/अनुमानित सालाना आय।
  • आवेदक की सामाजिक/राजनीतिक बैक ग्राउंड।
  • आवेदक का स्थाई एवं अस्थाई पता।
  • परिवार के सदस्यों के नाम।
  • सुरक्षा मांगने का कारण।
  • सुरक्षा किस पते पर प्रदान की जानी है।
  • जान के खतरे के कारणों का ब्योरा। मसलन, जिन लोगों से यह खतरा जताया गया है, क्या आवेदक ने उनके खिलाफ पूर्व में कोई रिपोर्ट कराई है? यदि हां, तो उस पर क्या कार्रवाई हुई।
  • जिन लोगों से जीवन का डर जताया गया है, उनकी बैकग्राउंड। यदि उनकी कोई क्रिमिनल हिस्ट्री रही है तो ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई का विवरण एवं गतिविधियां।
  • आवेदक की क्रिमिनल हिस्ट्री (यदि कोई हो)। चार्ज शीट/आरोप पत्र/एफआर/दोष मुक्ति/सजा।
  • वर्तमान में आपराधिक तत्वों से संपर्क का ब्योरा।
  • परिवार में लाइसेंसी शस्त्रों का विवरण।
  • यदि आवेदक को वर्तमान में कोई सुरक्षा प्रदान है तो उसका ब्योरा।
  • संबंधित सुरक्षा किसके आदेश से और कब ली गई।
  • यदि बीते तीन वर्ष में आवेदक को कोई सुरक्षा दी गई हो कितने खर्च, किस अवधि एवं किसके आदेश से।
  • निजी सुरक्षाकर्मी यदि शस्त्र लेकर चलते हैं तो उसका ब्योरा।
  • क्या शासन द्वारा प्रदत्त सुरक्षा के दुरुपयोग की आशंका है? यदि हां, तो ब्योरा।
  • क्या संबंधित व्यक्ति किसी जघन्य अपराध का पैरोकार/वादी अथवा गवाह है तो वर्तमान में उस वाद की स्थिति।
  • सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में जिला समिति को कारण सहित स्पष्ट संस्तुति।

पुलिस सुरक्षा कितने समय के लिए मुहैया कराई जाती है? (For how much time police security is provided?)

अब आते हैं पुलिस सुरक्षा प्रदान किए जाने संबंधी समयावधि पर। मित्रों, यदि समिति को लगता है कि संबंधित व्यक्ति का जीवन के खतरे के मद्देनजर पुलिस सुरक्षा मुहैया कराए जाने संबंधी आवेदन मंजूर करने योग्य है तो वे आवेदक को एक माह के लिए सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने संबंधी संस्तुति देगी। आपको जानकारी दे दें दोस्तों कि इसमें समिति की ओर से इसमें वह तीन बातों का उल्लेख किया जाएगा-

  • सुरक्षा कर्मियों की संख्या।
  • सुरक्षा प्रदत्त किए जाने की अवधि।
  • पुलिस सुरक्षा का व्ययभार यानी इस पर कितना खर्च आएगा।

क्या पुलिस सुरक्षा मिलने के पश्चात इसकी अवधि को बढ़ावा भी जा सकता है?

जी हां दोस्तों, आपको बता दें कि यदि किसी व्यक्ति को एक बार पुलिस सुरक्षा मिल गई है तो उसके द्वारा इसे आवश्यकता पड़ने पर एक-एक माह करके दो बार बढ़ाया जा सकता है। इस प्रकार कोई आवेदक तीन बार पुलिस सुरक्षा ले सकता है। अब सवाल उठता है कि यदि कोई व्यक्ति इस समयावधि से अधिक के लिए सुरक्षा चाहे तो क्या होगा?

तो दोस्तों आपको बता दें कि तीन माह से अधिक अवधि यानी अगले तीन माह के लिए सुरक्षा की आवश्यकता पर जनपदीय सुरक्षा समिति द्वारा संबंधित व्यक्ति के जीवन को खतरे का पुर्नमूल्यांकन (re evaluation) किया जाएगा। उसके भय के स्रोतों को चिन्हित किया जाएगा। इस डर को समाप्त किए जाने संबंध में जिला स्तर से की गई कार्यवाही एवं वर्तमान में जीवन खतरे के दृष्टिगत जनपदीय सुरक्षा समिति अपना प्रस्ताव स्पष्ट संस्तुति के साथ मंडल स्तरीय सुरक्षा समिति को भेजेगी। दोस्तों, इस समिति में पुलिस कमिश्नर अध्यक्ष होते हैं।

डीआईजी जोन के साथ ही एसपी एवं एलआईयू के मंडलाधिकारी शामिल होते हैं।यह समिति गहनता से जनपदीय सुरक्षा समिति के प्रस्ताव का अध्ययन करेगी। यदि वह अभी भी आवेदक के जीवन को खतरा पाती है तो पुलिस सुरक्षा को तीन माह के लिए और बढ़ा सकती है।

यदि पुलिस सुरक्षा देने से मना करती है तो क्या करें? (What is police denies to provide security?)

साथियों, यदि पुलिस आपको सुरक्षा देने से मना करती है तो आपके पास न्यायालय यानी कोर्ट (court) का दरवाजा खुला है। आप अपनी जान को खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट (supreme court) अथवा हाईकोर्ट (high court) जा सकते हैं। यहां से कोर्ट यदि आपके द्वारा दिए गए कारणों से संतुष्ट है तो वह पुलिस एवं सरकार को आवेदक को सुरक्षा मुहैया कराए जाने के संबंध में आदेश दे सकती है। दो विभिन्न जातियों में शादी के बाद ऐसे ढेरों मामले सामने आते हैं, जहां विवाह करने वालों के परिवार के दबाव अथवा अन्य कारणों से पुलिस सुरक्षा देने से कतराती दिखी। ऐसे में संबंधित जोड़ों को उसे कोर्ट के आदेश पर पुलिस सुरक्षा मुहैया करानी पड़ी।

पुलिस सुरक्षा के लिए अधिकांशतः किस प्रकार के केस आते हैं? (Maximum What type of cases come for police security?)

मित्रों, अब आप यह जरूर जानना चाहते होंगे कि पुलिस सुरक्षा के लिए अधिकांशतः किस किस प्रकार के आवेदन आते हैं? तो आपको बता दें कि इस प्रकार के आवेदन अधिकांशतः नवविवाहित जोड़ों की ओर से आते हैं, जो अलग-अलग जाति अथवा धर्म से संबंध रखते हैं। जो घर से भागकर अथवा परिवार वालों की मर्जी के बगैर शादी कर लेते हैं। ऐसे में उन्हें अपने परिवारों, रिश्तेदारों से जान का खतरा रहता है। इस आधार पर वे पुलिस सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग करते हैं। इसके अतिरिक्त रंजिश, दुश्मनी आदि की स्थिति में भी पुलिस सुरक्षा मांगी जाती है।

पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

अधिकांशतः लोग शारीरिक हमले अथवा जान के खतरे की वजह से पुलिस सुरक्षा की गुहार लगाते हैं।

पुलिस से सुरक्षा कैसे मांगी जा सकती है?

इसकी पूरी प्रक्रिया हमने आपको ऊपर पोस्ट में समझाई है, आप वहां से देख सकते हैं।

पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन किसे करना होता है?

पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन संबंधित जिले के डीएम/एसएसपी को करना होता है।

आवेदन पत्र के साथ कौन सी आख्या पेश की जाती है?

इस आवेदन पत्र के साथ जीवनभय आख्या पेश की जाती है।

पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन कौन मंजूर करता है?

पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन जनपदीय सुरक्षा समिति मंजूर करती है।

जनपदीय पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन पर किन बिंदुओं पर निर्णय करती है?

पुलिस सुरक्षा के आवेदन पर जनपदीय सुरक्षा समिति तीन बिंदुओं पर फैसला करती है-सुरक्षा कर्मियों की संख्या, सुरक्षा की अवधि, एवं सुरक्षा का व्ययभार।

पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन पश्चात जनपदीय सुरक्षा समिति पहले कितने दिन के लिए पुलिस सुरक्षा मंजूर की जाती है?

पहले एक माह के लिए पुलिस सुरक्षा मंजूर की जाती है। इसके बाद इसे एक एक करके दो माह तक और बढ़ाया जा सकता है।

पुलिस सुरक्षा के लिए होने वाला भुगतान कौन करता है?

यह भुगतान पुलिस सुरक्षा मांगने वाले को ही करना होता है।

क्या पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदक की आर्थिक स्थिति भी देखी जाती है?

जी हां, ऐसा किया जाता है।

तीन माह से अधिक समय के लिए पुलिस सुरक्षा की मंजूरी कौन करता है?

इसका प्रस्ताव जनपदीय सुरक्षा समिति द्वारा मंडलीय सुरक्षा समिति को किया जाता है, जो आवेदन का गहन अध्ययन करती है। इसके पश्चात ही इसके बाद के लिए पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने पर मंजूरी देती है।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में बताया कि आप पुलिस सुरक्षा कैसे मांगें। उम्मीद है कि आप इसकी प्रक्रिया को पूरी तरह समझ गए होंगे। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो आप उसे नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) कर हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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