प्रापर्टी ट्रांसफर कैसे करें? ट्रांसफर आफ प्रापर्टी के तहत attestation क्या होता है?

हमारे देश में सबसे अधिक विवाद प्रापर्टी (property) यानी संपत्ति से जुड़े होते हैं। खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में आपने संपत्ति के मामले में हर दूसरे आदमी को कोर्ट कचहरी करते देखा होगा, वहीं, शहरों में भू माफिया भी सक्रिय हैं, जो संपत्ति पर गिद्ध दृष्टि रखते हैं।

लेकिन आज हम बात प्रापर्टी के ट्रांसफर यानी संपत्ति हस्तांतरण की करेंगे। आपको इस पोस्ट के माध्यम से प्रापर्टी ट्रांसफर के तरीकों, प्रापर्टी ट्रांसफर की प्रक्रिया और इस संबंध में attestation यानी अनुप्रमाणन क्या है, जैसे बिंदुओं पर जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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Attestation क्या होता है? [What is Attestation?]

दोस्तों, अटेस्टेशन (attestation) को हिंदी में अनुप्रमाणन भी पुकारा जाता है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह दस्तावेजों के प्रमाणित किए जाने से संबंधित है। संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम यानी transfer of property act-1882 में इसकी परिभाषा दी गई है। जिसके अनुसार किसी लिखित दस्तावेज के कथन की प्रमाणिकता के संबंध में दो या अधिक साक्षियों (गवाहों) द्वारा यह प्रमाणित करना कि उसमे लिखित कथन किसके द्वारा लिखे गए व उस पर हस्ताक्षर व चिन्ह किसके हैं। यही अनुप्रमाणन कहलाता है।

आपको बता दें कि अटेस्टेशन का कोई एक तय फार्मेट अथवा प्रारूप नहीं होता। साथ ही अनुप्रमाणन के समय गवाहों का एक ही समय उपस्थित रहना आवश्यक नहीं है।

प्रापर्टी ट्रांसफर कैसे करें? ट्रांसफर आफ प्रापर्टी के तहत attestation क्या होता है?

Attestation से जुड़ी खास बातें – [Special things related to Attestation -]

मित्रों, आइए अब आपको संपत्ति अंतरण अधिनियम में वर्णित अनुप्रमाणन से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

1. सबसे पहली बात– दस्तावेज पर दो या अधिक साक्षियों यानी गवाहों के हस्ताक्षर निष्पादक यानी लिखने वाले के सामने होना आवश्यक हैं।

2. हस्ताक्षर करने से पूर्व निम्न में से किसी एक शर्त का पालन करना अनिवार्य है-

  • (क) गवाहों ने अंतरणकर्ता अथवा निष्पादक को हस्ताक्षर करते हुए देखा हो
  • (ख) अंतरणकर्ता अथवा निष्पादक की मौजूदगी में एवं उसके निर्देश से किसी अन्य व्यक्ति को हस्ताक्षर करते हुए देखा हो।

2. Attestation के समय हर एक गवाह की मौजूदगी एक ही समय आवश्यक नहीं है।

3. Attestation का कोई विशेष format अथवा प्रारूप आवश्यक नहीं है।

प्रापर्टी ट्रांसफर के तरीके- [Methods of property transfer-]

मित्रों, आपको बता दें कि प्रापर्टी ट्रांसफर के कई तरीके हैं। मसलन, संपत्ति की बिक्री, संपत्ति को गिफ्ट करना, संपत्ति का त्याग करना अथवा वसीयतनामा। संपत्ति को बेचने के लिए जहां बिक्रीनामा यानी सेल डीड तैयार की जाती है, वहीं प्रापर्टी गिफ्ट करने के लिए गिफ्ट डीड।

संपत्ति का त्याग करने के लिए त्यागनामा तैयार किया जाता है तो वसीयत के लिए वसीयतनामा यानी विल (will). मित्रों, अब हम आपको इन सबके विषय में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

1. सेल डीड (sale deed) यानी बिक्रीनामा

साथियों, आपको बता दें कि सेल डीड (sale deed) में प्रापर्टी ट्रांसफर का एग्रीमेंट (agreement) होता है। इसमें वह सारे नियम एवं शर्तें लिखी होती हैं, जिनके तहत property transfer की जाती है। एग्रीमेंट में कुछ बातों को ध्यान में रखा जाता है। जैसे कि आप कितनी प्रापर्टी बेच रहे हैं? प्रापर्टी कहां पर स्थित है? उसकी दिशा कौन सी है अथवा प्रापर्टी का कौन सा भाग आप बेच रहे हैैं?

दोनों पक्ष सहमत हैं अथवा नहीं? उसकी कीमत कितनी है? कहीं यह कीमत सरकार द्वारा तय किये गये सर्किल रेट से कम तो नहीं है? प्रापर्टी की कीमत कैसे चुकाई गई है? जो मोल-भाव मौखिक तौर पर हुआ है, उसका जिक्र एग्रीमेंट में किया गया है अथवा नहीं? आदि।

2. गिफ्ट डीड (gift deed) अथवा दान

दोस्तों, transfer of property act की धारा 122 के अंतर्गत दान/गिफ्ट डीड की परिभाषा दी गई है। इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी वर्तमान चल अथवा अचल सम्पति को अपनी इच्छा द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को देता है तो वो गिफ्ट अथवा दान कहलाता है। ऐसा वह दूसरे व्यक्ति के प्रति प्रेम, आदर एवं दया के वशीभूत होकर करता है।

गिफ्ट करने वाला व्यक्ति इसके बदले में सामने वाले व्यक्ति से कुछ नहीं ले सकता। ऐसा होने पर गिफ्ट का अर्थ समाप्त हो जाता है। दोस्तों, इस एग्रीमेंट में साफ तौर पर ये लिखा जाता है कि गिफ्ट देने वाला अपनी मर्जी से दूसरे पक्ष को अपनी चल-अचल सम्पति (movable/immovable property) गिफ्ट कर रहा है। जो की बिना किसी प्रतिफल के है। यहां प्रतिफल से आशय गिफ्ट देने वाले के बदले में कुछ गिफ्ट न लिए जाने से है।

गिफ्ट डीड की कुछ खास बातें [Some highlights of the gift deed] –

  • 1. दोस्तों, आपको बता दें कि गिफ्ट डीड भी सेल डीड की तरह लिखित और रजिस्टर्ड होती है।
  • 2. इसमें भी दो गवाह होते हैं।
  • 3. इसमें भी प्रापर्टी का ब्यौरा साफ तौर पर दिया जाता है।
  • 4. जितनी स्टांप ड्यूटी आप अपने बिक्रीनामे अथवा सेल डीड में देते हैं, उतनी ही स्टांप डयूटी (stamp duty) आपको इसमें देनी होती है.
  • 5. संपत्ति गिफ्ट लेने-देने वाले को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जवाब नहीं देना होता।
  • 6. गिफ्ट करने वाला चाहे तो अपने जीते जी कोर्ट में केस करके अपनी प्रापर्टी वापस ले सकता है।

3. अपने हिस्से को त्यागनामा (Relinquish Deed)

दोस्तों, आपको बता दें कि चल/ अचल संपत्ति का स्वामी अपनी इच्छा से अपनी संपत्ति के हिस्से का त्याग कर उसे दूसरे हिस्सेदार को दे सकता है। मसलन, किसी प्रापर्टी के कई भाई मालिक हैं। ऐसे में कोई भी भाई अपना हिस्सा किसी एक भाई अथवा सभी भाइयों को बराबर-बराबर दे सकता है।

त्यागनामा से जुड़ी कुछ खास बातें [Some special things related to renunciation] –

  • 1-त्यागनामा भी लिखित एवं रजिस्टर्ड होना चाहिए।
  • 2. यह बिना किसी प्रतिफल के होना चाहिए। हिंदू संपत्ति अधिनियम (hindu property act) के अनुसार आप अपने किसी निजी रिश्तेदार अथवा ब्लड रिलेशन (blood relation) में ही अपना हक त्याग सकते हैं।
  • 3. इसमें आपको अपना पूरा हिस्सा ही छोड़ना होता है। आप अपने हिस्से के आधे अथवा किसी एक भाग को नहीं छोड़ सकते।
  • 4. इस डीड में सबसे बड़ा लाभ ये है कि आप नाममात्र की फीस का भुगतान करके प्रापर्टी अपने नाम करा सकते हैं। आपकी सरकार को प्रापर्टी ट्रांसफर पर देने वाली स्टांप ड्यूटी बच जाती है।
  • 5. प्रापर्टी ट्रांसफर करने वाला चाहे तो कोर्ट में केस करके इस डीड को कैंसिल करा सकता है एवं अपनी प्रापर्टी वापस ले सकता है।

4. वसीयतनामा (will)

दोस्तों, आपको बता दें कि वसीयतनामा एक कानूनी दस्तावेज होता है। इसमें किसी व्यक्ति/व्यक्तियों का नाम लिखा होता है, जिन्हें किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी प्रापर्टी प्राप्त होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो जब कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी चल/अचल संपत्ति किसी दूसरे व्यक्ति को सौंपता है उसे वसीयत यानी will कहते है।

will करने वाला व्यक्ति अनुदानकर्ता (testator) कहलाता है। जिस व्यक्ति को वसीयत के द्वारा सम्पति दी जाती है उसे लाभग्रहित (Beneficiary) कहते हैं। वसीयत करने वाला व्यक्ति यानी अनुदानकर्ता यदि अपनी संपत्ति के लिए कोई संरक्षणकर्ता नियुक्त करता है तो उसे निष्पादककर्ता (Executor) पुकारा जाता है।

वसीयतनामा से जुड़ी खास बातें-

  • 1. वसीयत दो प्रकार की होती है। एक विशेषाधिकार इच्छा पत्र यानी Privileged will एवं दूसरी विशेष अधिकार रहित इच्छा पत्र यानी Un-Privileged will।
  • 2. वसीयत भारतीय उत्तराधिकारी अधिनियम (Indian succession act) 1952 में वर्णित नियमों के आधार पर लिखी जाती है।
  • 3. वसीयत करने वाला व्यक्ति की उम्र 18+ होनी आवश्यक है।
  • 4. वसीयत लिखित में होती है। इसकी एक कापी रजिस्ट्रार के पास एवं दूसरी आपके पास रहती है।
  • 5. विल में लिखी प्रापर्टी आपको किसी से मिली हो अथवा आपने इसे खरीदा हो।
  • 6. इस पर वसीयत करने वाले एवं दो गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं।
  • 7. इसमें भी नाममात्र की फीस लगती है।
  • 8. वसीयत का सबसे बड़ा लाभ ये है कि आपके बाद आपकी प्रापर्टी सही हाथो में चली जाती है। बाद में किसी तरह का कोई विवाद, झगड़ा नही होता।

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया- [Property registration process]

दोस्तों, आइए अब हम आपको बताते हैं कि प्रापर्टी के रजिस्ट्रेशन की क्या प्रक्रिया है। इसके कुछ सामान्य से steps हैं, जो कि आपको follow करने होंगे-

एरिया का सर्कल रेट पता करें –

अपने क्षेत्र के सर्किल रेट (circle rate) के आधार पर अपनी प्रापर्टी (property) यानी संपत्ति के मूल्य का आंकलन करें। अब वास्तविक मूल्य के साथ इन सर्किल रेट की तुलना करें। दरअसल, वास्तविक मूल्य और सर्किल रेट में से जो ज्यादा होगा, उसी के आधार पर स्टांप ड्यूटी (stamp duty) चुकानी होगी।

सर्कल रेट के अनुसार स्टांप पेपर खरीदें –

स्टांप पेपर आप खुद जाकर अथवा आनलाइन भी खरीद सकते हैं। आपको लाइसेंस प्राप्त वेंडरों से दस्तावेज एवं ई-स्टांप (estamp) मिल जाएगा।

सेल डीड तैयार करवाएं –

अब आपको स्टांप पेपरों पर डीड तैयार करवानी होगी। इसकी विषय वस्तु लेन-देन की प्रकृति के अनुसार बिक्री, लीज, गिरवी अथवा पावर आफ अटॉर्नी (power of attorney) हो सकती है।

दो गवाह एकत्र करें –

अब लेन-देन करने वाली पक्षों को डीड रजिस्टर करवाने के लिए दो गवाहों को लेकर सब रजिस्ट्रार (sub registrar) के आफिस जाना होगा।

बयान दर्ज करवाएं –

सेल डीड तैयार करवाने के पश्चात दो गवाह, खरीदार एवं बिक्री करने वाले व्यक्ति को रजिस्ट्री ऑफिस में जाकर अपने बयान दर्ज करने होते हैं। जिसके पश्चात आपका सेल डीड रजिस्टर हो जाता है। सेल डीड (sale deed) यानी बिक्रीनामा रजिस्टर होने के बाद आपको एक रसीद मिलेगी।

रजिस्ट्री डॉक्यूमेंट प्राप्त करें –

दो से सात दिन के भीतर पुनः सब-रजिस्ट्रार कार्यालय जाकर आप बिक्रीनामा हासिल कर सकते हैं।

Estimated Cost: 5000 INR

प्रापर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज

मित्रों, आपको बता दें कि प्रापर्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ दस्तावेज सरकारी तौर पर आवश्यक किए गए हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • लेन-देन करने वालों के फोटो।
  • दोनों पक्षों के आईडी प्रूफ जैसे आधार कार्ड इत्यादि।
  • डीड की ओरिजनल कॉपी।
  • डीड की दो फोटोकॉपी।
  • दोनों पक्षों के मोबाइल नंबर।

जरूरी सूचना – कभी भी संपत्ति हस्तांतरण यानी प्रापर्टी ट्रांसफर (property transfer) का काम नोटरी से न कराएं। यह कच्चा काम होता है। इसके लिए रजिस्ट्रार ऑफिस में स्टांप ड्यूटी का भुगतान करके ही पक्का काम कराएं।

प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने से जुड़े सवाल-जवाब –

जब बात प्रॉपर्टी ट्रांसफर या जमीन रजिस्ट्री करने की आती है। तो बहुत सारे सवाल दिमाग में घूमने लगते हैं। ऐसे ही कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब नीचे दिए जा रहे हैं –

भारत में प्रापर्टी का ट्रांसफर किस एक्ट के तहत होता है?

भारत में प्रापर्टी ट्रांसफर संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम (transfer of property act)-1882 के तहत होता है।

देश में प्रापर्टी ट्रांसफर के कितने तरीके हैं?

देश में प्रापर्टी ट्रांसफर के चार मुख्य तरीके हैं। बिक्रीनामा, गिफ्ट डीड, त्यागनामा एवं वसीयतनामा।

क्या प्रापर्टी गिफ्ट करने पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है?

जी हां, प्रापर्टी गिफ्ट करने की स्थिति में लेन-देन करने वालों को इनकम टैक्स में छूट मिलती है।

प्रापर्टी ट्रांसफर में कितने गवाहों का होना आवश्यक है?

प्रापर्टी ट्रांसफर के लिए न्यूनतम दो गवाहों का होना आवश्यक है।

अटेस्टेशन से क्या आशय है?

यह दस्तावेजों एवं गवाहों के हस्ताक्षर आदि को प्रमाणित करने से संबंधित टर्म है।

क्या सभी गवाहों की एक साथ मौजूदगी आवश्यक है?

जी नहीं, सभी गवाहों की एक साथ मौजूदगी आवश्यक नहीं।

क्या गिफ्ट करने अथवा त्याग करने के बाद प्रापर्टी वापस ले सकते हैं?

जी हां, गिफ्ट करने एवं संपत्ति के त्याग के बाद भी प्रापर्टी वापस ली जा सकती है।

दोस्तों, आज इस पोस्ट में हमने आपको अटेस्टेशन एवं प्रॉपर्टी ट्रांसफर कैसे करें जैसे महत्वपूर्ण विषय पर आवश्यक जानकारी दी। यदि आप इसी तरह की जानकारीपरक पोस्ट आप हमसे चाहते हैं तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

Comments (3)

  1. Dear mam
    My name is amit saxena from up (state) etawah (district). If you know pls help me. I want to transfer my property through gift deed. But all are say that gift deed law is discontinued in up now.

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  2. क्या चाचा अपने भतीजे को अपना हक ट्रांसफर कर सकता है

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