विश्व में लगभग 200 से ज्यादा देश हैं। जिनमें से भारत शक्तिशाली बनकर उभर रहा है। भारत देश में विभिन्न जाति, धर्म, भाषा के लोगों के साथ विभिन्नता देखी जा सकती है। जहां जनसंख्या अधिक होने से अनेकता में एकता दिखाई देती है, तो वहीं पर कुछ कमियां भी नजर आती है।
कई प्रकार की समस्याएं सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है जिससे उबर पाना कभी-कभी बहुत मुश्किल हो जाता है और इतने बड़े घनत्व वाले जनसंख्या को हानि पहुंचने लगती है। भारत देश में कई प्रकार की संक्रामक बीमारी देखी जा सकती है जिसमें से चेचक, हेपेटाइटिस, मलेरिया, एड्स, स्वाइन फ्लू , कोरोनावायरस मुख्य है। यह संक्रामक बीमारी बहुत ही खतरनाक रूप ले लेती है और इससे होने वाले नुकसान की कोई गणना नहीं की जा सकती।
संक्रामक बीमारी क्या है? What is contagious disease?
संक्रामक रोग ऐसे रोग होते हैं, जो एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से फैलते हैं। यह दूसरे जीवो में भी हो सकते हैं। इस बीमारी का संबंध किसी ना किसी प्रोटोजोआ, बैक्टीरिया, वायरस आदि के माध्यम से एक दूसरे जीव को संक्रमित करके होता है। संक्रामक बीमारियां इंसानों के लिए खतरा बने हुए हैं। ऐसे बहुत ही संक्रामक बीमारियां हैं जिसकी वजह से लाखों लोगों को जान व माल की हानि हुई है। कई संक्रामक बीमारियों का इलाज डॉक्टर ने खोज निकाला है पर अभी भी कुछ रोगों के रोकथाम की खोज करना बाकी है।

कई बार ऐसे भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसमें संक्रमण रोग को लोग जानबूझकर फैलाने का कार्य करते हैं । संक्रामक रोग फैलाए जाने एक अपराध है। ऐसे लोगों को फैलाने वाले समूह का उद्देश्य लोगों को परेशान कर अपना वर्चस्व स्थापित करना है, जो कानून की नजर में गुनाह है।
कोरोना वायरस एक भयानक संक्रामक बीमारी-
इस वक्त समूचा विश्व एक संक्रामक बीमारी कोरोनावायरस से जूझ रहा है। जिसकी वजह से समूचे विश्व के लोग परेशान और हताहत हो रहे हैं। लाखों लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और हजारों लोगों की जान जा चुकी है। यह संक्रामक बीमारी भी एक वायरस के द्वारा फैल चुकी है ,जो संभवत एक इंसान दूसरे इंसान में पहुंचकर संक्रमित कर देता है।
कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई है। इस संक्रामक बीमारी से जल्द से जल्द बाहर आया जाए इसके लिए लोगों और सरकार द्वारा हर संभव कोशिश की जा रही है। संक्रामक बीमारी से बचने का रास्ता जागरूकता है। जब तक इंसान जागरूक नहीं होगा ,तब तक संक्रामक बीमारी से नहीं बचा जा सकता।
भारतीय दंड संहिता के तहत संक्रमण रोग फैलाने पर सजा व जुर्माने का प्रावधान-
दोस्तों, भारतीय दंड संहिता 1807 के अध्याय 14 के तहत सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में प्रावधान करता है। इसके अंतर्गत कोई भी ऐसा कार्य जो जन साधारण मानव या किसी अन्य को आसपास रहने वाले संपत्ति का अधिभोग करता हो। ऐसा कोई भी लापरवाही की गई हो जिसके परिणाम स्वरुप संक्रामक रोग फैलने की संभावना है। कोई भी ऐसा कार्य किया जाना जिसके फलस्वरूप समस्त मानव जाति पर संक्रामक रोग का संकट गहराने लगे ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ दंडित किया जाने का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कारावास या जुर्माने की सजा का प्रावधान भी किया गया है।
भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दिया जाने वाला दंड
1) दंड- अगर कोई व्यक्ति किसी भी संक्रामक रोग को फैलाने में महती भूमिका अदा करता है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के अंतर्गत 6 महीने तक कारावास की सजा या जुर्माने का प्रावधान है।
2)संज्ञेय या असंज्ञेय- अगर किसी व्यक्ति का अपराध साबित हो जाता है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के तहत किया गया अपराध की श्रेणी में आएगा। इसके अंतर्गत ही गुनहगार को सजा दी जाएगी और सजा का पूर्ण रुप से पालन भी किया जाएगा।
3) जमानतीय या अजमानतीय- भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के तहत किया गया अपराध जमानत होगा। इसके अंतर्गत दोषी को जमानत भी दिया जा सकता है।
4) न्यायालय – ऐसे संक्रामक रोग फैलाने वाले के खिलाफ दंड संहिता की धारा 270 के तहत किया गया अपराध पर विचारण कोई मजिस्ट्रेट की न्यायालय पर ही किया जाता है और सही फैसला लेने का निर्णय किया जाता है।
महामारी संबंधित कानून क्या है? What is epidemic law?
किसी भी समाज देश में संक्रामक बीमारी से फैली महामारी एक विकराल रूप धारण कर सकती है, जो एक अभिशाप भी बन सकती है। भारत की सरकार में किसी भी संक्रामक महामारी से निपटने के लिए हर संभव कोशिश करने में सक्षम है। भारतीय दंड संहिता के अनुसार सरकार की सहायता हेतु भारतीय विधि विधान में भी महामारी से निपटने के लिए संपूर्ण व्यवस्था की गई है ।
कानून का अधिकार-
भारतीय दंड संहिता की धारा 269- 270 के अधीन संक्रमण को फैलाना एक दंडनीय अपराध है तथा एक संज्ञेय अपराध है। धारा 154 के अंतर्गत एफ आई आर दर्ज करने का अधिकार पुलिस प्रशासन को प्राप्त है। धारा के अंतर्गत अपराधी को 2 वर्ष तक जेल और जुर्माने के साथ रखा जाता है। भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत यह धारा नहीं बल्कि 123 वर्ष पुराना अधिनियम है जिसमें किसी भी संक्रामक महामारी अधिनियम पारित किया गया है जिससे तहत भारतीय विधि भी को भी समझा जा सकता है।
महामारी अधिनियम 1897 अधिनियम का विस्तार- Expansion of epidemic act 1897
यह ऐसा अधिनियम है ,जो संपूर्ण भारत में लागू होता है। इस अधिनियम का उपयोग तब किया जाता है, जब केंद्र सरकार, राज्य सरकार को इस बात का विश्वास हो जाए कि देश से किसी संक्रामक बीमारी का प्रवेश हो चुका है। 123वर्षों पुराना प्रावधान आज भी लागू किया जाता है। अधिनियम 4 धाराओं का अधिनियम है। जिसके तहत कानूनी कार्यवाही करके खोजबीन की जाती है।
महामारी अधिनियम की धारा 2 के अनुसार-
इस अधिनियम के माध्यम से केंद्र सरकार और राज्य सरकार को यह अधिकार प्राप्त होता है जिससे कि आगे की कार्यवाही की जा सके। धारा दो अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार को शक्ति प्रदान हैं जिसमें राज्य सरकार को इस बात का एहसास हो जाए कि राज्य में संक्रामक बीमारी का प्रवेश हो चुका है। इस अधिनियम के अंतर्गत ऐसे उपाय किए जाएं जिससे कि संक्रामक और भयावह बीमारी की रोकथाम आसानी से किया जा सके।
महामारी अधिनियम का ताजा उदाहरण-
महामारी अधिनियम को भली प्रकार से समझने के लिए दिल्ली के ताजा उदाहरण से समझा जा सकता है। जैसा की सर्वविदित है कि भारत देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है। दिल्ली में हालत बहुत ही बिगड़ चुके हैं। वहां पर हजारों की तादाद में लोग संक्रमित हो चुके हैं और काफी लोगों की मृत्यु भी हो गई है। कोरोना वायरस के फैलने की आशंका से दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने महामारी अधिनियम के तहत दिल्ली के सारे सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षणिक, खेल संबंधी सभी आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस संक्रामक बीमारी से को फैलने से बचाने के लिए सभी नाइटक्लब, मॉल ,सप्ताहिक बाजार को बंद कर दिया है जिससे कि कम से कम लोग इस महामारी से संक्रमित हो सके और कम से कम नुकसान हो सकें।
हरियाणा में भी महामारी अधिनियम का असर-
कोरोना वायरस से बचने के लिए दिल्ली की तरह हरियाणा सरकार ने भी महामारी अधिनियम 1897 लागू किया है। जिसके अंतर्गत शहर के सभी उद्योग, एमएससी, आईटी फॉर्म, बीपीओ, कार्यालय बंद कर के आदेश दिए गए हैं जिससे कि कोरोनावायरस जैसी संक्रामक बीमारी से बचा जा सके। इसी वजह से महामारी अधिनियम को लागू करना आवश्यक माना गया है।
लोगों की बड़ी भूल-
भारत में कोरोनावायरस जैसी संक्रामक बीमारी ने पैर पसार लिए हैं। तेजी से यह वायरस फैलता ही नजर आ रहा है। ऐसा देखा गया है कि लोग बाहर विदेशों से सफर से आने के बावजूद जांच नहीं करवाते और यह बात छुपा लेते हैं। इस दौरान संक्रमित व्यक्तियों का लोगों से मिलना जुलना बना रहता है। अगर कोई व्यक्ति संक्रामक बीमारी से ग्रसित होने के बाद लोग या सरकार से बात छिपाए और रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाए, तो यह अपराध की श्रेणी में भी आ जाता है। ऐसे में भारतीय दंड संहिता की धारा 269 धारा 270 के तहत एफ आई आर दर्ज की जा सकती है।
भारतीय दंड संहिता 1807 की धारा 269 क्या है? What is section 269 of the Indian Penal Code 1807?
भारतीय दंड संहिता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी संक्रामक रोग से ग्रसित है, तो यह व्यक्ति की जिम्मेदारी हो जाती है कि ऐसे संक्रामक बीमारी दूसरों को ना फैलाई जाए। यह दंड संहिता के अंतर्गत आता है, तो उसे दंडित किया जाने से सरकार नहीं रोक सकती। पूर्व में भी इस धारा का उपयोग प्लेग,हैजा, कोरोना वायरस संबंधित मामलों में किया जा चुका है|
सजा – भारतीय दंड संहिता 269 के अनुसार ऐसी अवस्था जिसमें संक्रामक बीमारी को फैलाया जाए और इस बात पर बिल्कुल ध्यान ना दिया जाए तो 6 महीने तक कारावास और जुर्माने स्वरूप दंडित किये जाने का प्रावधान किया गया है ।
भारतीय दंड संहिता 1807 की धारा 270 क्या है? What is section 270 of the Indian Penal Code 1807?
भारतीय दंड संहिता द्वारा धारा 270 लागू की गई है। धारा 270 कानून विधेयक का गंभीर स्वरूप के रूप में समझा जाता है। इस धारा के अंतर्गत व्यक्ति जानबूझ कर दुराशय के परिणाम स्वरुप संक्रामक रोग फैलाता है । यदि कोई व्यक्ति अपने व्यक्तिगत मामले ईर्ष्या, दुर्भावना के आधार पर संक्रामक रोग फैलाता हो, उस व्यक्ति पर दंड संहिता की धारा 270 लागू होती है।
सजा – जानबूझकर ,दुर्भावना के फलस्वरूप, स्वार्थ रूप से संक्रामक रोग फैलाने की अवस्था में 2 वर्ष तक जेल और जुर्माने के रूप में दंडित किया जाने का प्रावधान किया गया है।
संक्रामक रोग का देश के ऊपर असर – Infectious diseases affect the country
किसी भी संक्रामक रोग के फैलने पर पूरे देश में गहरा असर होता है। देश की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो जाती है। लोगों में संक्रामक रोग फैलने का डर बना ही रहता है। हमारी सरकार हर मुमकिन कोशिश करती है जिससे जनता को कम से कम नुकसान हो सके और सामान्य जनजीवन प्रभावित ना हो। संक्रामक बीमारी की मार से बहुत सी मुश्किलें आती हैं ,जो भविष्य के निर्माण में अवरोध हो जाती हैं।
संक्रामक बीमारी से बचाव-
जब भी किसी देश में संक्रामक रोग की दस्तक होती है, तो यह हम सब देशवासी की जिम्मेदारी होती है कि इस गंभीर बीमारी से बचने की हर संभव कोशिश की जाए। अपने परिवार का खास ख्याल रखा जाए खासकर बुजुर्ग और बच्चों का। सरकार के दिए हुए दिशानिर्देशों का पालन करें। किसी भी तरह की असुविधा या परेशानी होने पर डॉक्टर से परामर्श लें। ज्यादा से ज्यादा भीड़ से बचे तथा साफ-सफाई रखें। संक्रामक रोग से बचने के लिए हम सब देशवासियों को एकजुट होकर रहना है ताकि इस भयावह बीमारी से दूर रहा जा सके। किसी भी संक्रामक बीमारी को दूर करने का सबसे जरूरी जागरूकता है। हमेशा स्वस्थ रहे और खुश रहें।। धन्यवाद ।।