रेंट एग्रीमेंट क्या होता है? | रेंट एग्रीमेंट बनाने के नियम

|| रेंट एग्रीमेंट बनाने के नियम | rules of making rent agreement | रेंट एग्रीमेंट की आवश्यकता क्यों होती है? | Why rent agreement is needed? | रेंट एग्रीमेंट बनाने में कौन से दस्तावेज लगते हैं? | रेंट एग्रीमेंट कितनी अवधि के लिए तैयार किया जाता है? | रेंट एग्रीमेंट में किस प्रकार की जानकारी का उल्लेख होता है? ||

कहते हैं कि प्रापर्टी का धंधा कभी मंदा नहीं होता। इन दिनों लोग मकान-दुकान बनाकर किराए पर उठा देते हैं, ताकि वे उससे अपनी रेगुलर इनकम से इतर कुछ पैसा कमा सकें। लेकिन इस आय के चक्कर में वे कई बार रेंट एग्रीमेंट बनाना याद नहीं रखते, जिसका नजीजा उन्हें कई बार पुलिस तो कभी कानूनी कार्रवाई के रूप में भुगतना पड़ता है। यद्यपि कई मकान मालिक होशियार और नियम कायदों पर चलने वाले होते हैं और रेंट एग्रीमेंट बनाकर ही किसी को किराए पर अपनी संपत्ति सौंपते हैं। रेंट एग्रीमेंट क्या होता है? रेंट एग्रीमेंट बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ती है? रेंट एग्रीमेंट बनाने के क्या नियम हैं? जैसे आपके कई सवालों का जवाब आज आपको इस पोस्ट में मिलेगा। आइए, शुरू करते हैं-

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रेंट एग्रीमेंट क्या होता है? (What is rent agreement?)

यदि आप कभी किराए पर रहे हैं अथवा आपने कभी संपत्ति (property) किराए (rent) पर दी है तो आप जरूर जानते हांगे कि रेंट एग्रीमेंट क्या है? (What is rent agreement?) जो नहीं जानते उनके लिए हम बता देते हैं। रेंट एग्रीमेंट मूल रूप से मकान मालिक एवं किराएदार के बीच प्रापर्टी किराए पर देने को लेकर होने वाला समझौता (contract) है।

रेंट एग्रीमेंट क्या होता है? | रेंट एग्रीमेंट बनाने के नियम

सामान्य रूप से इसमें एक निर्धारित प्रारूप (format) में प्रापर्टी का आकार एवं लोकेशन (shape and location), मकान मालिक एवं किराएदार की डिटेल (details), प्रापर्टी का किराया (rent), एडवांस राशि (advance money), मकान मालिक द्वारा तय प्रापर्टी के इस्तेमाल को लेकर किए गए नियम-शर्तें (rules and regulations) आदि का उल्लेख (description) होता है।

रेंट एग्रीमेंट की आवश्यकता क्यों होती है? (Why rent agreement is needed?)

मित्रों, हमने आपको रेंट एग्रीमेंट का मतलब तो समझा दिया है, लेकिन अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर रेंट एग्रीमेंट की आवश्यकता क्यों पड़ती है? दरअसल, एक रेंट एग्रीमेंट होने के बाद आप किराए एवं प्रापर्टी के इस्तेमाल को लेकर कई प्रकार के विवाद अथवा कानूनी पचड़ों से बच जाते हैं। यदि कोई विवाद होता भी है तो रेंट एग्रीमेंट दोनों ही पक्षों को कानूनी कार्रवाई में सक्षम बनाता है। इसके मुख्य मुख्य लाभ इस प्रकार से हैं-

  • रेंट एग्रीमेंट मकान मालिक एवं किरादार दोनों ही पक्षों को किसी भी प्रकार के विवाद से बचाता है एवं कानूनी कार्रवाई जैसे मुकदमे आदि के खिलाफ सक्षम बनाता है।
  • रेंट एग्रीमेंट में प्रापर्टी के इस्तेमाल से संबंधित सभी शर्तों का उल्लेख रहता है, जिन पर किराएदार के हस्ताक्षर रहते हैं। किसी भी प्रकार के मिसयूज पर मकान मालिक इसे कानूनी दस्तावेज की तरह इस्तेमाल कर मुकदमा करा सकता है, यही बात किराएदार के लिए भी फिट बैठती है।
  • यदि किराएदार प्रापर्टी छोड़ता है तो वह रेंट एग्रीमेंट का हवाला देकर एडवांस वापस पाने में सक्षम होता है।
  • यदि किराएदार मकान मालिक के साथ किसी प्रकार का बुरा व्यवहार करता है अथवा नियमों का पालन नहीं करता तो मकान मालिक को किराएदार को प्रापर्टी से बाहर करने में सहायता मिलती है।

रेंट एग्रीमेंट बनाने में कौन से दस्तावेज लगते हैं? (What documents are required to make rent agreement?)

मित्रों, आइए अब एक नजर उन दस्तावेजों (documents) पर भी डाल लेते हैं, जो रेंट एग्रीमेंट बनाने में लगते हैं। ये इस प्रकार से हैं-

  • मकान मालिक एवं किराएदार दोनों के आधार कार्ड की काॅपी।
  • दो गवाहों के हस्ताक्षर।
  • आईडी प्रूफ के रूप में गवाहों के आधार कार्ड की फोटो काॅपी।
  • सौ रुपए का स्टांप पेपर।
  • किराएदार एवं मकान मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो।
  • मकान का एडवांस किराया एवं सिक्योरिटी डिपाॅजिट (यदि देय है)।

रेंट एग्रीमेंट में क्या क्या जानकारी होती हैं? (What details a rent agreement has?)

अब हम आपको बताएंगे कि यदि आप कोई रेंट एग्रीमेंट करना चाहते हैं तो आपको इसमें कौन कौन सी जानकारी आवश्यक रूप से शामिल करनी होंगी। ये इस प्रकार से हैं-

  • रेंट एग्रीमेंट में एग्रीमेंट के स्थान, तिथि, महीने एवं वर्ष का उल्लेख हो।
  • इस पर पट्टेदार अथवा मकान मालिक का पूरा नाम लिखा जाए।
  • मकान मालिक का पूरा पता लिखा हो।
  • किराएदार का पूरा नाम एवं पता।
  • जिस प्रापर्टी को किराए पर देना हो, उसका पता।
  • प्रापर्टी का जितना हिस्सा किराए पर देना हो, उसका उल्लेख किया जाए।
  • किराए की अवधि (यह महीनों अथवा वर्षों में हो सकती है।)
  • लीज डीड के आरंभ होने के साथ ही इस डीड समाप्ति की अवधि।
  • प्रतिमाह देय किराया कितना होगा।
  • किराया भुगतान की तिथि क्या होगी।
  • किराएदार द्वारा देय तिथि पर किराया भुगतान न किए जाने की स्थिति में ब्याज/जुर्माना राशि कितनी होगी।
  • लीज/रेंटल एग्रीमेंट समाप्त किए जाने का नोटिस पीरियड।
  • गवाहों के हस्ताक्षर।

रेंट एग्रीमेंट के नियम एवं शर्तें क्या क्या है? (What are the rules of rent agreement?)

मित्रों, आइए अब उन शर्तों एवं नियमों की बात कर लेते हैं, जिनका पालन एक मकान मालिक एवं किराएदार को रेंट एग्रीमेंट तैयार करने में करना चाहिए। ये इस प्रकार से हैं-

  • रेंट एग्रीमेंट में किराएदारी की अवधि का साफ साफ उल्लेख हो। आपको बता दें कि यह वह अधिकतम अवधि होती है, जिसके बाद लीज/किराया एग्रीमेंट को रिन्यू (renew) किया जाता है अथवा उसे निरस्त किया जाता है।
  • रेंट एग्रीमेंट में उन शर्तों का उल्लेख अवश्य करें, जिनका पालन न करने पर किराएदार को बेदखल किया जा सकता है। जैसे-किराएदार मकान को सब लेट नहीं करेगा आदि।
  • रेंट एग्रीमेंट में लाॅकइन पीरियड (lock-in period) एवं समझौता समाप्ति की अवधि (period of contract) को स्पष्ट तौर पर लिखें। आपको बता दें दोस्तों कि लाॅक-इन पीरियड वह न्यूनतम अवधि होती है, जिसमें किराएदार प्रापर्टी खाली नहीं कर सकता।
  • रेंट एग्रीमेंट में किराया (rent), मेंटिनेंस लागत (maintenance cost) एवं भुगतान का तरीका (mode of payment) यह सब स्पष्ट हो।
  • यह भी स्पष्ट हो कि मकान मालिक किराये में कब वृद्धि करेगा और कितनी। आम तौर पर यह वृद्धि सालाना (annual) और 10 प्रतिशत तक होती है।
  • रेंट एग्रीमेंट में संपत्ति को सब-लेट (sub-let) किया जा सकता है या नहीं, इस बात का उल्लेख होना चाहिए।
  • रेंट एग्रीमेंट में पावर आफ अटार्नी (power of attorney) से संबंधित ब्योरे का उल्लेख हो।
  • रेंट एग्रीमेंट में आक्यूपेंसी लिमिट (occupancy limit) तय हो। इसका अर्थ यह है कि एक समय में कितने सदस्य किराए पर रह सकते हैं। यदि बात उद्यम अथवा दुकान की है तो इसमें कर्मचारियों की संख्या का जिक्र होता है।
  • रेंट एग्रीमेंट में सिक्योरिटी डिपाॅजिट (security deposit) का अवश्य उल्लेख हो। यह तो आप जानते ही हैं कि अधिकांश मकान मालिक किराए की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के नुकसान की पूर्ति के लिए पहले से ही सिक्योरिटी डिपाॅजिट तय करते हैं, जो किराएदार को चुकाना होता है।
  • रेंट एग्रीमेंट में पाबंदियों (restrictions) का आवश्यक तौर पर जिक्र किया जाए। ये वे प्रतिबंध होते हैं, जो आम तौर पर मकान मालिक द्वारा प्रापर्टी के इस्तेमाल (use of property) को लेकर लगाए जाते हैं, मसलन कि प्रापर्टी में किराएदार क्या कर सकता है और क्या नहीं।अथवा किराएदार को कितने बजे तक घर आ जाना चाहिए, वह घर में पालतू पशु (pets) आदि रख सकता है या नहीं आदि।
  • रेंट एग्रीमेंट में मेंटिनेंस (maintenance) को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की जाए। इसमें यह तय होता है कि मकान मालिक किन किन चीजों की मरम्मत कराएगा और किराएदार के ऊपर किन किन चीजों के मरम्मत कराने की जिम्मेदारी होगी। इसमें मेंटिनेंस पर आई लागत (cost) को साझा किए जाने संबंधी जानकारी भी होती है।
  • रेंट एग्रीमेंट में यूटिलिटी (utility) को लेकर भी स्थिति साफ हो। ये मूल रूप से वे सुविधाएं होती हैं, जिनका इस्तेमाल आप रेंट एग्रीमेंट की अवधि में कर सकते हैं। ये आम तौर पर किराए का ही हिस्सा होती हैं।
  • रेंट एग्रीमेंट पर दो गवाहों के हस्ताक्षर आवश्यक रूप से हों।

रेंट एग्रीमेंट कितनी अवधि के लिए तैयार किया जाता है? (For how much time limit an agreement is made?)

मित्रों, आपको बता दें कि चाहे घर का हो या दुकान अधिकतर रेंट एग्रीमेंट 11 माह की अवधि के लिए ही तैयार किए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके बाद इसे रजिस्टर्ड कराना पड़ता है। 11 माह के रेंट एग्रीमेंट को इसके बाद रिन्यू करना होता है। यदि आप इससे अधिक की अवधि का रेंट एग्रीमेंट तैयार कराते हैं तो फिर इसे सब रजिस्ट्रार कार्यालय (sub registrar office) में पंजीकृत कराएंगे। एक बात आपको और बता दें कि बहुत से लोग रेंट एग्रीमेंट को पंजीकृत (registered) कराना आवश्यक नहीं समझते, लेकिन यदि वे ऐसा कर लें तो बहुत सी कानूनी मुश्किलों से बचे रहेंगे।

दोस्तों, आपको यह भी बता दें कि रेंट एग्रीमेंट को समयावधि समाप्त होने से चार माह पूर्व पंजीकृत कराना होता है। एक बात और, कि यदि कोई भी पक्ष इस रेंट एग्रीमेंट की शर्तों में किसी प्रकार का बदलाव चाहता है तो उसे एक माह यानी 30 दिन का नोटिस दूसरे पक्ष को देना होगा।

क्या रेंट एग्रीमेंट किसी वकील/विधि विशेषज्ञ से कराना आवश्यक है? (Is it necessary to make rent agreement through an advocate or legal expert?)

दोस्तों, यह कतई जरूरी नहीं कि आप रेंट एग्रीमेंट किसी वकील से ही तैयार कराएं। लेकिन यदि आप हमारी सलाह मानें तो इसे वकील से ही तैयार कराया जाना चाहिए। इसकी वजह यह है कि विवादों की स्थिति में रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी वैध दस्तावेज के रूप में काम करता है। चंद शब्द भी इधर उधर हुए तो मुश्किल हो सकती है। ऐसे में यह कानून के किसी विशेषज्ञ अथवा वकील द्वारा ही तैयार कराया जाए तो बेहतर है।

Rent Agreement Related FAQ

रेंट एग्रीमेंट क्या है?

रेंट एग्रीमेंट मकान मालिक एवं किराएदार के बीच किराएदारी को लेकर किया गया लिखित समझौता है।

रेंट एग्रीमेंट की आवश्यकता क्यों होती है?

किराएदारी को लेकर मकान मालिक एवं किराएदार में कोई विवाद न हो, इसके लिए यह बेहद आवश्यक है। यह विवाद की स्थिति में कानूनी कार्रवाई में भी दोनों को सक्षम बनाता है।

रेंट एग्रीमेंट में किस प्रकार की जानकारी का उल्लेख होता है?

इसमें किराएदार एवं मकान मालिक की तफसील के साथ ही किराए की दर, किराएदारी की अवधि, पाबंदी आदि का उल्लेख रहता है।

क्या रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण आवश्यक है?

यह आवश्यक नहीं है, लेकिन करा लिया जाना चाहिए।

रेंट एग्रीमेंट के नियम व शर्तें क्या हैं?

इनकी जानकारी हमने आपको ऊपर पर पोस्ट में दी है। आप वहां से देख सकते हैं।

क्या रेंट एग्रीमेंट बनाते हुए गवाहों की भी आवश्यकता पड़ती है?

जी हां, रेंट एग्रीमेंट बनाते हुए गवाहों की भी आवश्यकता होती है।

यदि रेंट एग्रीमेंट की शर्तों में बदलाव आवश्यक लगे तो कितने दिन पहले नोटिस भेजना होगा?

यह नोटिस एक माह यानी 30 दिन पूर्व भेजा जाना चाहिए।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट में रेंट एग्रीमेंट के नियमों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। आपको यह पोस्ट कैसी लगी? आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। आपका कोई भी सवाल अथवा सुझाव हो तो उसे भी कमेंट में लिख भेजें। धन्यवाद।

प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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