एक भाई के अधिकार क्या-क्या हैं? What are the rights of a brother?

आपने फिल्मों में भाई को भाई के लिए जान देते देखे होगा। भाई को बहन के लिए त्याग करते देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी भाई के अधिकारों पर किसी को चर्चा करते देखा है? उस दौर में जहां हम महिलाओं के अधिकारों की बात करते हैं। पुरुषों के अधिकारों की बात करते हैं। वहां एक भाई के अधिकारों पर चर्चा नदारद है। लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे। आज इस पोस्ट में हम आपको एक भाई के अधिकारों की जानकारी देंगे। आइए, जानते हैं कि भारतीय संविधान एवं कानून में एक भाई को क्या क्या अधिकार प्रदत्त किए गए हैं-

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* पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार (right in the property of father)

मित्रों, इस अधिकार के बारे में तकरीबन हर कोई जानता है। एक भाई का अपने दूसरे भाई बहनों की तरह संपत्ति में अधिकार होगा। शर्त यह है कि वह पिता की पैतृक संपत्ति (paternal property) होनी चाहिए। यदि पिता ने यह संपत्ति स्वयं अर्जित (self earned) की है तो फिर किसी भी भाई-बहन का उस पर हक नहीं होगा। उन्हें वह प्रापर्टी मिलना पिता की मर्जी पर आधारित होगा। वे चाहें तो भाई-बहनों को इस संपत्ति की वसीयत (will) कर हिस्सा दे सकते हैं अथवा यह संपत्ति उन्हें न देकर किसी और को दे सके हैं। कहने का अर्थ यह है कि वे इस संपत्ति के इस्तेमाल को लेकर पूरी तरह स्वतंत्र होंगे।

* खुद खरीदी संपत्ति पर अधिकार (right on self earned property)

साथियों, आपको जानकारी दे दें कि यदि किसी के भाई ने अपने पैसे एवं श्रम से कोई संपत्ति खरीदी अथवा अर्जित की है तो उस पर किसी दूसरे भाई का कोई भी हक या अधिकार नहीं होगा। वह इस संपत्ति पर पूरा अधिकार रखेगा। उसकी मर्जी ही तय करेगी कि उसकी यह संपत्ति किसे मिलेगी। वह इसे अपनी मर्जी से बेच सकता है, किसी अन्य को दे सकता है अथवा अपने किसी भाई अथवा बहन को दे सकता है।

* कोई वसीयत/वारिस न रहने पर भाई की संपत्ति पर अधिकार (right on the property of brother if he has no legal successor)

यदि किसी व्यक्ति का भाई अकेला हो और बगैर वारिस अथवा वसीयत उसकी मौत हो गई हो तो ऐसे में कोई वारिस या वसीयत न होने पर उसके भाई को उसकी संपत्ति मिल जाएगी। इस पर उसका अधिकार होगा। वह इसके लिए कानूनन दावा (legally claim) ठोक सकता है। कोर्ट (court) सब कुछ जांच परख कर संपत्ति उसे देने का फैसला सुना सकती है।

एक भाई के अधिकार क्या-क्या हैं? What are the rights of a brother?

* घरेलू हिंसा के खिलाफ उपचार का अधिकार (right for treatment against domestic violence)

दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि घरेलू हिंसा अधिनियम (domestic violence act) महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा दिलाने के लिए लाया गया। लेकिन इसके तहत केवल स्त्री को सुरक्षा प्रदान की गई है, पुरुषों को नहीं। यदि किसी बहन को भाई के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ा है तो वह इसके खिलाफ कानून में जाकर न्याय प्राप्त कर सकती है। लेकिन यदि कोई भाई घरेलू हिंसा का शिकार हो तो?

जी हां दोस्तों एक भाई को घरेलू हिंसा के खिलाफ उपचार का अधिकार है। इसके लिए वह शिकायत दर्ज करने एवं कार्रवाई का अधिकार रखता है। दोस्तों, यदि किसी भाई को उसके भाई या बहन के हाथों किसी भी प्रकार के हिंसात्मक व्यवहार का शिकार होना पड़ रहा है तो वह उसके खिलाफ उपचार पाने का अधिकारी है। वह संबंधित पुलिस स्टेशन (police station) में इस संबंध में शिकायत कर सकता है।

भाई सौतेला है तो क्या संपत्ति पर उसका अधिकार होगा? (If there is step brother, will he get right on property?)

साथियों, बहुत से लोग यह मानते हैं कि पिता की विरासत पर केवल सहोदर भाईयों और बहनों का ही हक है। लेकिन यह सच नहीं। कोर्ट साफ कर चुका है कि सौतेले भाई का भी पिता की विरासत पर बराबर का हक है। उसे उसके इस हक से वंचित नहीं किया जा सकता। यदि कोई ऐसा करता है कि उसके खिलाफ संबंधित भाई अदालत में जा सकता है और उस पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है।

भाई भाई के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह क्या होती है? (What is the biggest reason of clash between brothers?)

दोस्तों, हमने आपको एक भाई के अधिकार बताए। बहुत से भाईयों को उनका अधिकार नहीं मिलता तो ऐसे में वे अदालत का रास्ता अख्तियार करते हैं। आपको बता दें दोस्तों कि यहां पहुंचने वाले मामलों में सबसे ज्यादा विवाद संपत्ति (property) से ही जुड़े होते हैं। बड़े बिजनेस घराने हों या फिर मामूली नौकरी अथवा दुकानदारी कर अपनी रोजी रोटी कमा रहे भाई, अधिकांशतः संपत्ति के नाम मनमुटाव के शिकार नजर आते हैं।

अब हिंदुजा समूह (Hinduja group) का ही उदाहरण ले लीजिए। आठ वर्ष पूर्व सन् 2014 में हिंदुजा समूह के संस्थापक दीपचंद हिंदुजा ने अपने चार बेटों श्रीचंद, गोपीचंद, प्रकाश एवं अशोक के बीच समझौता किया। इसमें यह बात तय हुई कि एक भाई के नाम पर रखी गई संपत्ति एक की नहीं बल्कि चारों भाईयों की होगी। बाद में यही समझौता (contract) चारों भाईयों के बीच विवाद की जड़ बन गया। मित्रों, यह तो हमने आपको बताई विवादों की बात।

आपको बता दें कि हमारे देश में भाईयों के भाई एवं बहन के लिए त्याग के अफसाने भी कम नहीं। इसी तरह बहनों के भाई के प्रति त्याग की कहानियां भी आप हर रोज कहीं न कहीं से सुन सकते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण डॉ. अंकुर का है। अलीगढ़ स्थित जनकपुरी निवासी डॉ अंकुर अग्रवाल के पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद उनकी बहनों ने पूरे परिवार को संभाला। उनकी पढ़ाई का सारा खर्च उठाया और उन्हें एमबीबीएस (MBBS) कराया। वे आज भी अपनी बहनों के गुण गाते नहीं अघाते।

वहीं, एक भाई ने अपनी बहन की सलामती के लिए अपनी किडनी देकर उसे नया जीवन दिया। दिल्ली स्थित राजपुरा की इलाही कालोनी में रहने वाली 34 वर्षीया हसन अफरोज को उसके मुजफ्फरनगर में रहने वाले भाई जावेद हसन ने जीवनदान दिया।

भाई अपने अधिकारों के प्रति कितने सचेत होते हैं? (For their rights brothers are how much aware?)

मित्रों, यहां हमने आपसे भाई के क्या क्या अधिकार होेते हैं, विषय पर जानकारी साझा की। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि भाई अपने अधिकारों के प्रति कितने सचेत होते हैं? दोस्तों, यदि आप प्रापर्टी को लेकर बात करें तो अधिकांश भाई अपने अधिकरों के प्रति पूरी तरह सचेत रहते हैं। यदि जरूरत पड़ती है तो वे इस अधिकार को अदालत में जाकर भी प्रूव करते हैं। बात सौतेले भाई को अधिकार देने की आती है तो ऐसे भी कई मामले आपको अदालत में चलते दिखेंगे। बहुत कम भाई ऐसे हैं, जो अपने अधिकारों को यूं ही चले जानें दें।

हां, दोस्तों यदि बात जिम्मेदारियों की आती है तो इसे वे दूसरे भाई -बहनों पर ठेलने से जरा भी नहीं चूकते। इन्हें संभालने में वे जरा भी रूचि नहीं दिखाते। बहुत कम ऐसे भाई होते हैं, जो अधिकारों के प्रति सचेत न हों, और जिम्मेदारियों के प्रति भी ईमानदार हों। ज्यादातर केवल अधिकारों की ही बात कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। यह हाल महिलाओं अथवा बहनों के हाल का ठीक उल्टा है। जहां केवल जिम्मेदारियां गिनाई जाती हैं और वे अधिकारों की बात करें तो तरह तरह से उन्हें कमतर साबित करने की कोशिश की जाती है। उन्हें उनके संविधान प्रदत्त अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है।

भाई तो हक के लिए लड़ते ही हैं, बहनों के बीच भी दरार

साथियों, यहां हम भाईयों के हक अधिकारों की बात कर रहे हैं। हम आपको बता चुके हैं कि भाई अपने हक के प्रति बेहद सचेत होते हैं और इसके लिए अदालत का रास्ता भी आराम से पकड़ लेते हैं, लेकिन हालत यह है कि पैसे, संपत्ति के अधिकारों की लड़ाई इन दिनों बहनों-बहनों के बीच भी खूब हो रही है। इस वजह से रिश्ते टूट रहे हैं। परिवारों के बीच दरारें पड़ती जा रही है। महिलाओं का अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने से भी ऐसा बड़ी संख्या में देखने को मिल रहा है। इस तरह के मामले हेल्पलाइन (helpline) में भी खूब देखने को मिल रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला परसा बाजार का उदाहरण स्वरूप देखा जा सकता है। यहां एक परिवार में केवल तीन बहनें एवं मां हैं। दो बहनों का विवाह हो चुका है, जबकि छोटी बहन मां के साथ घर में रहती थीं। दोनों बहनों ने मां और बड़ी बहन को इस कदर तंग किया कि उन्हें घर छोड़ना पड़ा। अब वे किराए के घर में रहती हैं। बडी बहन का अपनी छोटी बहन पर आरोप है कि वह मां को जान-बूझकर अपने साथ रखती है, ताकि वह संपत्ति अपने नाम करा सके। जब हेल्पलाइन में समझाया गया कि पैतृक संपत्ति पर तीनों बहनों का समान हक है, तब जाकर वे अपने घर लौटीं।

हेल्पलाइन वाले मानते हैं कि इस तरह के मामले अभी तक बहुत कम आते हैं, लेकिन अब महिलाएं मायके की संपत्ति के लिए डटकर खडी हो रही हैं। भाई अपने अधिकरों की रक्षा के लिए कोर्ट जाते हैं, ऐसे में इन दिनों बहनों का पीछे रहने का सवाल ही नहीं। वे भी इस तरफ धीरे धीरे ही सही कदम बढ़ा रही हैं।

एक भाई के क्या क्या अधिकार हैं?

इन अधिकारों की सूची हमने आपको पोस्ट में बताई है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।

पिता की संपत्ति पर एक भाई का क्या अधिकार है?

पिता की संपत्ति पर एक भाई का अन्य भाई-बहनों के बराबार अधिकार है।

क्या एक व्यक्ति की स्वयं खरीदी संपत्ति पर उसके भाई, बहन का अधिकार है?

जी नहीं, इस पर उसके भाई-बहन का अधिकार नहीं होता।

यदि कोई भाई घरेलू हिंसा का शिकार हो रहा है तो क्या कर सकता है?

ऐसे में उसे घरेलू हिंसा के खिलाफ उपचार का अधिकार है। वह नजदीकी पुलिस स्टेशन में स्वयं पर हो रहे जुल्म की शिकायत कर सकता है।

क्या सौतेले भाई को भी पिता की विरासत में हिस्सा मिलता है?

जी हां, सौतेला भाई भी पिता की विरासत में हिस्सेदार होता है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको एक भाई के अधिकारों की जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी। यदि आपका इस पोस्ट को लेकर कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे हमें लिख भेजें। इसके लिए आपको नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करना होगा। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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