|| एक बहन के अधिकार क्या हैं? What are the rights of a sister?, माँ की संपत्ति में बेटी का अधिकार, भाई और बहन के बीच संपत्ति विवाद, क्या पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है, बड़े भाई की संपत्ति में छोटे का अधिकार, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, भाई की संपत्ति में भाई का अधिकार ||
भाई-बहन का रिश्ता दुनिया में सबसे प्यारा रिश्ता माना जाता है। बहन भाई के हाथों पर राखी सजाती है। उसकी लंबी उम्र की कामना के लिए भैया दूज का व्रत रखती है। उसकी हर जरूरत में उसके साथ खड़ी रहती है। वहीं भाई भी बहन का सुरक्षा चक्र बना रहता है। उनके स्नेह को कागजों पर और शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन जब बात प्रापर्टी या ऐसी ही किसी चीज की आती है तो भाई-बहन का यह नाजुक रिश्ता टूटते देर नहीं लगती।
आम तौर पर तो बहनें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं और जागरूक हैं भी, तो भाई से अपने अधिकारों का दावा करने के बजाय वे अपने अधिकारों को छोड़ देना अधिक श्रेयस्कर समझती हैं। यद्यपि बहुत सी बहनें अपने अधिकार के लिए लड़ने से भी नहीं चूकतीं। क्या आप जानते हैं कि एक बहन के क्या क्या अधिकार हैं? (What are the rights of a sister?) यदि नहीं, तो चिंता न करें। इस पोस्ट में आज हम आपको इसी संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आपको बताते हैं कि एक बहन के क्या क्या अधिकार हैं। आइए, शुरू करते हैं-
पैतृक संपत्ति में भाई के बराबर अधिकार (right equal to brother in paternal property) :
दोस्तों, आपको बता दें कि यह बहनों को सबसे बड़ा अधिकार है। पैतृक संपत्ति में बहन का भी उतना ही अधिकार है, जिनता कि भाई का। आपको बता दें दोस्तों कि इस संबंध में सन् 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (hindu inheritance act) में एक अहम संशोधन (important ammendment) भी लाया गया। इसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की ओर से सन् 2020 में दिए गए एक फैसले ने इस संबंध में किसी भी प्रकार की आशंका एवं संशय को समाप्त कर दिया। पैतृक संपत्ति के मामले में भाई-बहन को बराबरी पर ला दिया।
भाई की मृत्यु एवं मां, पत्नी, बच्चों के वारिस न होने पर उसकी संपत्ति पर दावे का अधिकार (right to claim in property of brother in case of his death and no other heir):
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि यदि किसी युवती के भाई की मृत्यु हो गई है और उसकी मां, पत्नी व बच्चे उसके वारिस नहीं हैं तो ऐसे में भाई की संपत्ति पर दावा करने का उसे पूरा अधिकार है। वह इसके लिए बेखटके अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। इसे इससे कोई नहीं रोक सकता।
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार (right against domestic violence):
(भारतीय संविधान indian constitution) की धारा (section)- 498 के अनुसार एक बहन को यदि घर में भाई के हाथों किसी भी वजह से घरेलू हिंसा (domestic violence) झेलनी पड़ रही है तो वह इस हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते हुए केस फाइल (case file) कर सकती है। यदि वह किसी भी कारण से रिपोर्ट दर्ज करा पाने में सक्षम नहीं है तो उसकी ओर से कोई भी यह शिकायत दर्ज (complaint file) करा सकता है।

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि एक बहन को भाई के साझे घर में रहने का भी अधिकार है। आपको बता दें ऊ सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के हितों की रक्षा को लेकर एक अहम फेसला सुनाया था। इसमें उसने घरेलू हिंसा अधिनियम (domestic violence act) के तहत साझे घर में रहने के अधिकार की व्यापक व्याख्या (detailed interpretation) की थी। कहा था कि बहन को भी साझे घर में रहने का पूरा अधिकार है।
सौतेली बहन को भी संपत्ति पर दावे का अधिकार (step daughter has also right to claim on paternal property) :
यदि किसी भाई की सौतेली बहन भी है और वह भी पिता की पैतृक संपत्ति पर दावेदारी कर रही है तो यह उसका अधिकार है। उसे कानूनन इससे वंचित नहीं किया जा सकता। बहुत से भाई ऐसे मामलों को कोर्ट में ले जाने की जगह उसे उसका हिस्सा देकर आगे विवादों के लिए कोई जगह नहीं रख छोड़ते। लेकिन दोस्तों, ऐसे भी बहुत से मामले कोर्ट भी पहुंचते हैं, जहां भाई सौतेली बहन को हिस्सा नहीं देना चाहते।। कई बार इस तरह का संपत्ति विवाद खून खराबे को भी जन्म देता है।
स्त्रीधन पर अधिकार (right on jointure) :
स्त्रीधन से तात्पर्य किसी भी महिला को शादी के वक्त उपहार में दी गई चीजों से है। मित्रों, यह हम आपको पूर्व में भी बता चुके हैं कि इस पर लड़की का ही हक होता है। यदि कोई भाई इस स्त्रीधन को किसी भी वजह से बहन से लेना अथवा छीनना चाहे तो उसके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 406 के तहत अमानत में खयानत का मामला दर्ज होगा।
हमारे देश में बहनें अपने अधिकारों के प्रति कितनी जागरूक हैं? (sisters are how much aware for their rights in our country?)
आज हम बहनों के अधिकारों की बात कर रहे हैं, लेकिन मित्रों आपको यह बात भी स्पष्ट कर दें कि हमारे देश में बहनें अपने अधिकारों के प्रति बहुत जागरूक नहीं हैं। घरेलू हिंसा कानून, जिसका केंद्र सरकार समेत विभिन्न राज्यों की सरकारों ने बढ़ चढ़कर प्रचार किया है, उन राज्यों में भी यदि आप युवतियों से एक बहन के रूप में उनका अधिकार पूछने चलेंगे तो उन्हें बताने में कई घंटे लग जाएंगे।
कई संस्थाओं की ओर से महिलाओं में कानूनी जागरूकता उत्पन्न करने के लिए जागरूकता शिविर (awareness camps) लगाए जा रहे हैं, अभियान (campaigns) चलाए जा रहे हैं। उन्हें उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया जा रहा है। कई लीगल एड क्लीनिक (legal aid clinics) भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन इनमें उपस्थितियों की संख्या बता देती है कि इनके प्रति लड़कियां कितनी दिलचस्पी ले रही हैं।
भाई के लिए बहनें प्रापर्टी पर अपना अधिकार क्यों छोड़ने को तैयार हो जाती हैं? (Why sisters are always ready to leave their right on property for their brothers?)
हमारे देश का सामाजिक सिस्टम (social system) ऐसा है, जहां लड़की का असली घर उसके पति का घर ही बताया जाता है। हालांकि यह स्थिति कम हुई है, लेकिन अभी भी बहुत सी जगहों पर लड़कियों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। उनमें अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता का भाव आने ही नहीं दिया जाता। कहावत भी है कि लड़कियां ‘पराया धन’ होती हैं। ऐसे में मायके में उन्हें एक मेहमान की तरह ट्रीट किया जाता है। एक ऐसा मेहमान, जिसे विवाह करके अपने घर चले जाना है।
यही वजह है कि मायके में संपत्ति पर हक जताने में अधिकांश बहनें हिचकती हैं। वे आसानी से अपना यह हक छोड़ देती हैं। यदि कोई बहन अपना हक जताती भी है, तो भाई उसे आसानी से उसका हक देने को तैयार नहीं होते। यद्यपि अपवाद हर जगह होते हैं। कानूनी जागरूकता आने के साथ साथ बहनें अपने हक के प्रति भी जागरूक हो रही हैं। वे भी पिता की पैतृक संपत्ति में अपना अधिकार मांग रही हैं। कोर्ट में इस प्रकार के कई केस आ रहे हैं।
भाई को ही अधिकार देने में आनकानी, बहनों को कैसे देंगे? (People are not ready to give right to brother, how they will give it to sister?)
दोस्तों, कहावत है कि बाप बडा न भइया, सबसे बड़ा रुपया। जमीन के छोटे से टुकड़े के लिए लोग किसी की जान लेने से नहीं चूकते। भाई अपने भाईयों के साथ ही संपत्ति का वैध बंटवारा करने में आनाकानी करते हैं तो वे बहनों को अधिकार कैसे देंगे? यही वजह है कि बहन के संपत्ति में हिस्सा मांगने पर उनके साथ कई तरह की हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।
आपको बता दें दोस्तों कि अदालतों में सर्वाधिक मामले संपत्ति के अधिकार के दर्ज होते हैं। इस अधिकार को लेकर जुल्म की तो पूछिए ही मत। कुछ ही समय बिलासपुर के कोनी क्षेत्र में एक बड़े भाई ने अपने छोटे भाई की शादी करा दी। इसके बाद पैतृक संपत्ति का बंटवारा करा दिया, लेकिन इसके पश्चात वह शादी में खर्च की रकम मांगने लगा और दहेज के आधे सामान पर हक जताने लगा। मना करने पर उसने भाई के हाथ पैर तोड़ डाले। अब बहनों पर जुल्म की बात कर लें।
आपको बता दें कि कुछ ही साल पूर्व लखनऊ के बंथरा थाना के अंतर्गत आने वाले रतौली खटोला गांव में भाई ने संपत्ति मांगने पर अपनी ही सगी बहनों की हत्या करा दी। यह 20 साल की रेखा और 18 साल की सविता थी। इसी प्रकार की कई ऐसी घटनाएं हुईं जहां अपने अधिकार मांगने पर बहनों को जुल्म सहने पडे। एक कारण यह भी है, जो बहनों को उनके हक अधिकार मांगने से रोकता है।
वे कौन से कारण हैं, जो बहनों को अधिकार के लिए आवाज उठाने से रोकते हैं? (What are the reasons that stop sisters to raise the voice for their rights?)
मित्रों, कई बार लड़कियां अपने अधिकारों की जानकारी होते हुए भी उनके लिए आवाज नहीं उठातीं। भाई के हाथों हिंसा का डर तो होता ही है, इसके अतिरिक्त ऐसे अनेक कारण हैं, जो बहनों को आवाज उठाने से रोकते हैं। जैसे- बहनों में हमारे देश के कानून के प्रति जागरूकता का अभाव, सामाजिक ताना-बाना, मायका पक्ष की नाराज़गी मोल न लेने की इच्छा, कोर्ट के चक्कर काटने से बचने की प्रवृत्ति आदि। इन तमाम कारणों की वजह से लड़कियां अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठाने से बचती हैं।
पैतृक संपत्ति के मामले में बहन के क्या अधिकार हैं?
पैतृक संपत्ति में बहन को भी भाई के बराबर हिस्से का अधिकार है।
यदि किसी लड़की को भाई के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है तो उसका क्या अधिकार है?
एक बहन भाई द्वारा उसके खिलाफ की जा रही घरेलू हिंसा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का अधिकार रखती है।
क्या हमारे देश में बहनें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं?
जी नहीं, हमारे देश में बहनें अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक नहीं हैं।
क्या सौतेली बहन भी पैतृक संपत्ति में दावा कर सकती है?
जी हां, सौतेली बहन को भी पैतृक संपत्ति पर दावे का अधिकार है।
पैतृक संपत्ति में बहनों को भी भाई के बराबर हक देने के लिए किस कानून में संशोधन किया गया है?
इसके लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया गया है।
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मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि एक बहन के क्या क्या अधिकार हैं? आज जरूरत इस बात की है कि बहनें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों। इसके लिए आप इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करना न भूलें। इस पोस्ट के संबंध में कोई भी सवाल अथवा सुझाव आप हम तक नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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