हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के के बीच विवाह के नियम -2023 | Rules of marriage between Hindu girl and muslim boy-2023 | विभिन्न कानून/अधिनियम के तहत हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के के विवाह के नियम क्या होंगे? | What will be the laws/acts for the marriage of Hindu girl with a Muslim boy? ||
शादी किसी की भी जिंदगी का सबसे बड़ा अवसर होता है। कई लोग इसे नई जिंदगी की शुरूआत भी मानते हैं। इन दिनों लोग प्रेम विवाह बहुतायत में कर रहे हैं, लेकिन दिक्कत वहां खड़ी हो जाती है, जहां प्रेमी अलग अलग धर्मों से जुड़े हुए हों। जैसे कि हिंदू लड़का एवं मुस्लिम लड़की या हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़का। ऐसे में दोनों को ही विवाह करने में कई बार दिक्कत आती है।
उनका परिवार एवं समाज उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता। ऐसे में दो अलग धर्मों में विवाह संबंधी नियमों को लेकर लड़का एवं लड़की दोनों को बहुत कन्फ्यूजन होता है। उन्हें विवाह संबंधी नियम नहीं पता होते और न ही यह पता होता है कि किसी अलग धर्म की कन्या/युवक से विवाह कैसे किया जा सकता है? आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि हिंदू लड़़की एवं मुस्लिम लड़के के बीच विवाह के क्या नियम हैं? विवाह में कौन कौन से अधिनियम लागू होते हैं? आदि। आइए, शुरू करते हैं –
हिंदू मुस्लिम के बीच विवाह किसी अधिनियम के अंतर्गत हो सकती है? (Under which acts marriage can be performed between a Hindu girl and muslim boy?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि एक हिंदू लड़की एवं एक मुस्लिम लड़के के बीच शादी किसी एक अधिनियम के तहत नहीं, बल्कि तीन तीन अधिनियमों के अंतर्गत हो सकती है। यह तीन कानून हैं-हिंदू विवाह अधिनियम, मुस्लिम कानून एवं विशेष विवाह अधिनियम-1954। जान लीजिए दोस्तों कि ‘शादी का धर्म’ शादी में अपनाए गए रीति-रिवाजों एवं समारोह द्वारा निर्धारित होता है। जैसे कि हिंदू शादी के लिए सप्तपदी बेहद महत्वपूर्ण हैं।
वहीं, मुस्लिम कानून में अन्य बातों के अतिरिक्त एक काजी एवं दो गवाहों के साथ निकाहनामा इस्लामी शादी में बहुत महत्वपूर्ण अंग है। लिहाजा, उनमें से कोई भी ‘एक शादी के धर्म’ के मुताबिक गुजारा-भत्ता यानी मेंटनेंस (maintenance), तलाक (divorce), गोद लिए जाने एवं उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों से बाध्य होगा।

विभिन्न कानून/अधिनियम के तहत हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के के विवाह के नियम क्या होंगे? (What will be the laws/acts for the marriage of Hindu girl with a Muslim boy?)
विभिन्न कानूनों के अंतर्गत एक हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के का विवाह इस प्रकार से होगा-
1. मुस्लिम कानून के अंतर्गत (under muslim law)
सबसे पहले मुस्लिम कानून की बात कर लेते हैं। आपको बता दें कि एक हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के के बीच शादी की स्थिति में हिंदू लड़की को इस्लाम धर्म (Islam religion) में रूपांतरण करना होगा। क्योंकि इसमें गैर धर्म के लोगों (non-Muslim) के बीच शादी नहीं हो सकती। यह विवाह मुस्लिम पर्सनल लाॅ एप्लिकेशन एक्ट (Muslim personal law application act)-1937 यानी ‘शरीयत’ के अनुसार होगा।
आपको बता दें कि इसमें निकाह के लिए लिए विशिष्ट प्रावधान (special provision) हैं। यह अलग बात है कि शरीया कानून संहिताबद्ध नहीं है। आपको बता दें कि एक मुस्लिम विवाह के लिए एक पक्ष द्वारा प्रस्ताव किए जाने यानी ‘इजब’ एवं दूसरे पक्ष की ओर से मंजूरी यानी ‘कुबूल’ किए जाने की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त यह आवश्यक है कि शादी के लिए मंजूरी बगैर किसी दबाव दी गई हो। साथ ही यह किसी प्रकार की धोखाधड़ी (fraud) अथवा अनुचित प्रभाव (unfair effect) से मुक्त हो।
2. हिंदू कानून के अंतर्गत (under Hindu marriage act)
अब आते हैं हिंदू कानून (Hindu law) पर। मित्रों, आपको बता दें कि हिंदू विवाह अधिनियम में रूपांतरण के लिए कोई विशेष प्रावधान (special provision) नहीं है, अलबत्ता, केवल नामांकन संस्कार जैसा समारोह होता है। यहां एक व्यक्ति यज्ञ करके पारंपरिक हिंदू नाम को अपनाता है। धार्मिंक संगठन आर्य समाज आदि द्वारा भी हिंदू समाज (Hindu society) के लिए प्रक्रियात्मक रूपांतरण (symbolic change) की सेवा दी जाती है। मुस्लिम लड़का हिंदू धर्म (hindu religion) ग्रहण कर हिंदू संस्कारों के अनुसार भी शादी कर सकता है। ऐसे में उस पर हिंदू विवाह अधिनियम (hindu marriage act) लागू होगा।
3. विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत : (under special marriage act)
अब विशेष विवाह अधिनियम पर बात कर लेते हैं। आपको बता दें कि इस विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के दोनों में से ही किसी को दूसरे के धर्म में रूपांतरण अथवा नामकरण संस्कार की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें दोनों को केवल अपने विवाह (marriage) को पंजीकृत (register) कराना होगा। यह अलग बात है कि वे स्वयं के धार्मिक संस्कारों के अनुसार भी अपनी संतुष्टि के लिए विवाह कर सकते हैं। विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत इन शर्तों का पूरा होना आवश्यक है-
- महिला ने 18 एवं पुरुष ने 21 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।
- दोनों ही निषिद्ध रिश्तों की जद में न हों।
- किसी भी पक्ष का जीवनसाथी न हो।
- यदि जीवनसाथी रहा हो तो उससे तलाक हो चुका हो।
- लड़का एवं लड़की दोनों पक्ष मानसिक रूप से विवाह की सहमति देने के योग्य हों।
- विवाह के लिए दोनों ही पक्षों पर किसी प्रकार का अनुचित दबाव (unfair pressure) न हो।
क्या विशेष विवाह अधिनियम में हुआ विवाह में शरीयत में जायज माना जाता है? (Is marriage under special marriage act valid in shariyat?)
साथियों, आपको बता दें कि इस्लाम धर्म में गैर-मुस्लिम (non-Muslim), यहूदी (yahudi) अथवा ईसाई (Christian) से निकाह के लिए स्पष्ट रूप से मना किया गया है। यह विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत कोर्ट मैरिज (court marriage) को भी जायज नहीं मानता। लिहाजा, जहां हिंदू कानून के अनुसार एक विवाह विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत वैध (valid) है, वहीं इसे मुस्लिम धार्मिक संहिता के अंतर्गत वैध नहीं ठहराया जाता है। इसे वे व्यभिचारी रिश्ता कहकर पुकारते हैं। यह बात अलग है कि अब इस प्रकार के चलन में नरमी देखने को मिल रही है।
भारत में ऐसी कौन सी हिंदू सेलिब्रटी हैं, जिन्होंने एक मुस्लिम से शादी की है? (Which Hindu celebrities are there who hay married with a Muslim guy?)
साथियों, अब आप के दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि कौन कौन विख्यात हिंदू सेलिब्रिटी लड़कियां हैं, जिन्होंने किसी मुस्लिम लड़के से शादी की है तो आपको बता दें कि इस प्रकार के ढेरों सेलिब्रटी हैं, जिनमें मुस्लिम लड़के ने हिंदू लड़की से शादी रचाई है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बाॅलीवुड (bollywood) के सुपर स्टार (super star) शाहरूख खान (Shahrukh Khan) हैं। उन्होंने अपनी काॅलेज फ्रेंड गौरी (Gauri) के साथ शादी की है।
इसी प्रकार सलमान खान (salmon khan) के भाई अरबाज खान (Arbaaz khan) ने मलाइका अरोड़ा से शादी की थी। इससे पूर्व बाॅलीवुड की मशहूर अदाकारा शर्मिला टैगोर (sharmila tagore) ने भारतीय क्रिकेट कप्तान टाइगर पटौदी (tiger pataudi) से शादी की थी। हाल के सालों में देखें तो अभिनेत्री करीना कपूर (Kareena kapoor) ने तलाकशुदा अभिनेता सैफ अली खान (Saif Ali Khan) से शादी रचाई है।
क्या भारत में अंतरधार्मिक विवाह आसानी से स्वीकारे जाते हैं? (Is inter religion marriage easily accepted in india?)
मित्रों, आपको बता दें कि भारत को बेशक एक सर्व-धर्म समभाव वाला देश माना जाता है, लेकिन बात शादी-ब्याह की करें तो इसे लोग अपने ही धर्म-जाति में करना पसंद करते हैं। इन दिनों इस प्रकार की वर्जनाएं टूट रही हैं और आने वर्तमान पीढ़ी के युवक-युवतियां प्रेम के आगे धर्म को अधिक भाव नहीं दे रहे। यह बात अलग है कि पुरानी पीढ़ी के लोग यानी उनके मां-बाप रिश्तेदार एवं समाज के अन्य लोग ऐसी शादियों को आसानी से नहीं स्वीकारते। वे उनकी राह में मुश्किलें पैदा करने की कोशिश करते हैं या समाज-परिवार से बेदखली की धमकी देते हैं।
भारत में मुस्लिम लड़के की हिंदू लड़की से शादी को ‘लव जिहाद’ (love jihad) का भी नाम कई दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा दिया जाता है। उनका हमेशा से यह आरोप रहा है कि हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराने के उद्देश्य से मुस्लिम लड़के उनसे शादी करते हैं। वे इनकी आलोचना करने के साथ ही इसे समाज के लिए अच्छा नहीं मानते। इसके बावजूद इस प्रकार के विवाहों में वर्तमान में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। शिक्षा एवं समझ के विस्तार के साथ-साथ ही इस चलन में भविष्य में भी इसी प्रकार का ट्रेंड बना रह सकता है। ऐसा अनुमान है।
क्या मुस्लिम कानून के अंतर्गत गैर मुस्लिम से शादी जायज है?
जी नहीं, मुस्लिम कानून के अंतर्गत गैर मुस्लिम से शादी नहीं हो सकती।
मुस्लिम विवाह अधिनियम के अंतर्गत हिंदू लड़की को क्या करना होगा?
इस अधिनियम के तहत हिंदू लड़की धर्म परिवर्तन के पश्चात ही विवाह कर सकेगी।
क्या हिंदू लड़की से शादी के लिए मुस्लिम लड़के को धर्म परिवर्तन की आवश्यकता होगी?
मुस्लिम लड़के को धर्म परिवर्तन की आवश्यकता नहीं, वह केवल नामकरण संस्कार कर नाम बदलकर भी शादी कर सकता है। यद्यपि मुस्लिम हिंदू धर्म ग्रहण करके शादी कर ही सकता है।
क्या विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत शादी के लिए धर्म परिवर्तन की आवश्यकता पड़ती है?
जी नहीं, विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत विवाह के लिए लड़का और लड़की को धर्म परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती।
हिंदू लड़की के मुस्लिम लड़के से विवाह को आम तौर पर क्या नाम दिया जाता है?
हिंदू लड़की के मुस्लिम लड़के से विवाह को कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा लव जिहाद का नाम दिया जाता है।
विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लिए लड़का-लड़की की क्या उम्र होनी चाहिए?
विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए यह आवश्यक है कि लड़की 18 साल, जबकि लड़का 21 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको जानकारी दी कि एक हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के के बीच विवाह के क्या नियम हैं? उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपको इस विवाह के संबंध में सभी नियम स्पष्ट हो गए होंगे। यदि आपको यह पोस्ट उपयोगी लगी है तो इसे अधिक से अधिक शेयर करें। इस पोस्ट से संबंधित कोई भी सुझाव हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके भेजना न भूलें। ।।धन्यवाद।
👍 mam hamare maharashtra me intercaste marriage law hona chahiye jaise rajasthan me hai . Is par aap agar ye law maharashtra me lane me success ho gayi to bohat hi achaa hoga
मैं भी एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता हूं लेकिन उसका निकाह मेरे साथ नहीं हो रहा है
Agar Muslim ldka aur hindu ldki shadi jar rhe hai special marriage act se to uske baad jo samaj se jaan se marne ki dhmkiya mil rhi hai uske liye surksha mil skta hai ya nhi
सर मै उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ और मै एक हिन्दू लड़की से बेहद प्यार करता हू| हम कैसे शादी कर सकते हैं | जबकि धर्म न तो वो बदलेगी और न ही मैं | इसके लिए up मे क्या कानून अलग से है|
Agar ladka ladki dono chacha piyar karta hai to shadi kar payga kiya