अपना आशियाना, अपनी दुकान बहुत सारे लोगों का सपना होता है। पर यही कई बार विवाद की वजह बनता है। भारत में कहावत भी है कि किसी के बीच विवाद की तीन वज़ह हैं, जर, जोरू और जमीन। लोग जब प्राॅपर्टी खरीदने जाते हैं तो सारी बातें तय करने के पश्चात बैनामा तैयार कराते हैं।
बैनामे का मतलब ही हुआ कि प्राॅपर्टी अब उसकी हुई, जिसके नाम बैनामा कराया गया है। प्राॅपर्टी से जुड़े किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में यह दस्तावेज ही संपत्ति के मालिकाना हक का सुबूत होता है। आज इस पोस्ट में हम आपको बैनामा क्या है? एवं बैनामा कैसे लिखें? विषय पर संपूर्ण जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
बैनामा क्या होता है? [What is a bond?]
दोस्तों, इससे पहले कि हम आगे बढ़े, आपको बता दें कि बैनामा, जिसे बिक्रीनामा, सेल डीड (sale deed) अथवा कन्वेयंस डीड (conveyance deed) भी कहा जाता है, क्या होता है। यह तो आप जानते ही होंगे कि बैनामा प्राॅपर्टी के लेन-देन में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
दोस्तों, यह इस बात का सुबूत होता है कि विक्रेता ने संपत्ति खरीदने वाले के नाम कर दी है। इसे एक कानूनी सुबूत भी माना जाता है। बिक्री समझौता होने के बाद ही बिक्रीनामा यानी बैनामा होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वह कानूनी दस्तावेज, जिसके माध्यम से एक शख्स दूसरे शख्स को प्राॅपर्टी का मालिकाना हक ट्रांसफर करता है, कन्वेयंस डीड कहलाता है।
इसमें गिफ्ट डीड (gift deed), एक्सचेंज डीड (exchange deed), गिरवीनामा, लीज डीड (lease deed) सभी शामिल होता है।

एक बैनामे में क्या-क्या जानकारी होती है-
सेल डीड के जरिये संपत्ति के अधिकार एवं हित नए मालिक के पास चले जाते हैं। यह इस बात का सुबूत होती है कि विक्रेता ने संपत्ति का संपूर्ण स्वामित्व खरीदार को सौंप दिया है। आम तौर पर एक सेल डीड में यह जानकारी होती हैं-
- खरीदार एवं विक्रेता की जानकारी। मसलन उसका नाम, उम्र एवं पता आदि।
- प्राॅपर्टी का ब्योरा जैसे कुल एरिया, निर्माण आदि।
- बिक्री राशि, इसमें वह एडवांस भुगतान के साथ ही पेमेंट का तरीका भी शामिल है।
- समय का जिक्र। यानी कितने समय में संपत्ति खरीदार को सौंपी जाएगी।
- संपत्ति पर कब्जा देने की असली तारीख।
- क्षतिपूर्ति-विक्रेता स्वामित्व के संबंध में विवाद के मामले में किसी भी नुकसान के लिए खरीदार को भुगतान का वाददा करता है, जिसके नतीजे से मौद्रिक नुकसान होता है।
बैनामा कैसे तैयार होता है?
दोस्तों, अब हम आपको सबसे आवश्यक प्रक्रिया बैनामा कैसे तैयार होता है के बारे में जानकारी देंगे। इसके लिए आपको निम्न steps follow करने होंगे-
Total Time: 1 hour
स्टांप पेपर तैयार करें –
सबसे पहले संबंधित राज्य के stamp एक्ट के अनुसार बिक्रीनामा का draft नाॅन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर (non judicial stamp paper) पर तैयार किया जाता है।
स्टांप पेपर पर नियम शर्ते लिखिए –
इस दस्तावेज में बिक्री से जुड़े नियम-शर्तें, दोनों पक्षों की जानकारी, बिक्री की रकम, एडवांस पेमेंट, पेमेंट का तरीका, तारीख, असली कागज सौंपने का समय एवं प्राॅपर्टी की पोजीशन आदि लिखा होता है।
प्रॉपर्टी डिटेल लिखें –
प्राॅपर्टी से जुड़ी सारी जानकारी जैसे आईडी नंबर, प्लाॅट का क्षेत्र, निर्माण की जानकारी, कल भुगतान की रकम, लेन-देन के तरीका का भी इसमें उल्लेख होता है।
बयाना लिखें –
खरीदार द्वारा दिया गया बयाना भी यहां लिखा जाता है। खरीदार के पक्ष में दस्तावेजों की सूची देने के साथ ही विक्रेता यह भी सत्यापित करता है कि जो प्राॅपर्टी उसके द्वारा बेची जा रही है, उस पर किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं है।
सभी बिलों के भुगतान की जानकारी दें –
दोनों पक्षों के बीच यह यह भी तय होता है कि बिक्रीनामा के निष्पादन से पूर्व विक्रेता प्राॅपर्टी टैक्स, बिजली-पानी के चार्ज आदि का भुगतान करेगा।
हस्ताक्षर करें –
इन सभी नियमों एवं शर्तों पर स्वीकृति के पश्चात बैनामा तैयार किया जाता है। संपत्ति के मालिकाना हक वाले दस्तावेज को दोनों पक्ष मंजूर करते हैं। इसके हर पेज पर साइन किए जाते हैं।
दो गवाहों के सिग्नेचरर कराएं
बिक्रीनामे पर दो गवाहों के हस्ताक्षर होने भी बेहद आवश्यक हैं। इसके साथ ही उनका पूरा नाम एवं पता भी लिखा होना आवश्यक है।
बैनामा रजिस्टर ऑफिस में जमा करें –
रजिस्ट्रेशन एक्ट के अनुसार बिक्रीनामा सब रजिस्ट्रार आफिस (sub registrar office) में रजिस्टर होता है।
दोनों पार्टी रजिस्ट्रार ऑफिस में जाएं
यहां दोनों पार्टियां असली दस्तावेजों के साथ उपस्थित होती हैं। यदि किसी वजह से खरीदार तय दिन पर सब रजिस्ट्रार के यहां नहीं पहुंच पाता तो वह अपने प्रतिनिधि को पावर आफ अटार्नी (power of attorney) सौंपकर इस कार्य को अंजाम दे सकता है।
नोट- बिक्रीनामा पर दोनों पार्टियों के साइन करने के पश्चात दस्तावेजों को निष्पादन की तारीख से चार माह के भीतर रजिस्ट्रेशन के लिए पेश किया जाना आवश्यक है।
यदि ऐसा नहीं किया जाता तो कुछ जुर्माना भरना पड़ता है एवं इसके लिए चार महीने का अतिरिक्त समय मिल जाता है। दोस्तों, आपको बता दें कि अमूमन स्टांप ड्यूटी एवं रजिस्ट्रेशन चार्ज (stamp duty and registration charge) के लिए खरीदार ही जिम्मेदार होता है।
विक्रय पत्र का प्रारूप कैसा होता है? [What is the format of Sales Deed?]
यदि आप तो विक्रय पत्र का प्रारूप देखना चाहते हैं। या एक आईडिया लगाना चाहते हैं कि विक्रय पत्र का प्रारूप कैसा होता है। तो आपको नीचे विक्रय पत्र का प्रारूप दिया जा रहा है आप इसके अनुसार अपना विक्रय पत्र तैयार करवा सकते हैं।
यह विक्रय-पत्र आज दिनांक ………………………………………………………………………………………………………………………. को
श्री ………… ………… ………… ………………. पुत्र श्री …………… ………… ………… ………………..उम्र … ………… ………… ….
निवासी-मकान नम्बर ……… ………… ………… ………… …………………………मौहल्ला/वार्ड …… ………… ………… …………..
तहसील …………… ………… ………… ………… ………… …….. जिला ……………… ………… ………… ………… …………………..
जिसे आगे विक्रेता कहा गया है एवं जो इस विक्रय-पत्र का प्रथम पक्षकार है।
एवं
श्री …………………………… ………… ……….. पुत्र श्री …… ………… ………… ……………………. उम्र …… ………… ………… ..
निवासी-मकान नम्बर ………… ………… ………… ………… ………………………मौहल्ला/वार्ड ……… ………… ………… ………..
तहसील ……… ………… ………… ………… ………….. जिला …………………… ………… ………… ………… ………… ……..
जिसे आगे क्रेता कहा गया है एवं जो इस विक्रय-पत्र का द्वितीय पक्षकार है के मध्य निश्पादित किया गया है।
चॅंूकि प्रथम पक्ष का एक मकान/भूखण्ड संख्या ……………… ………… ………… ………… ………… ……….
जो मौहल्ला/वार्ड …… ………… ………… ………… …………… तहसील …… ………… ………… …………….. जिला ……………
में स्थित है जिसकी सीमायें एवं क्षेत्रफल निम्न प्रकार है:-
दिषा
भुजा का माप
पड़ौस
पूर्व
पष्चिम
उत्तर
दक्षिण
क्षेत्रफल (वर्ग मीटर/वर्ग फुट) …………………… ………… ………… ………… …………………………….
निर्माण का क्षेत्रफल (यदि कोई हो)……………… ………… ………… ………… ………… …………………………..
सड़क की चैड़ाई जिस पर भूखण्ड/मकान खुलता है …… ………… ………… ………… ………… ……………..
उक्त भूखण्ड/भवन का स्वामित्व प्रथम पक्षकार विक्रेता का है प्रथम पक्षकार उक्त भूखण्ड/भवन को विक्रय करना चाहता है उक्त मकान/भूखण्ड को विक्रय करने का प्रथम पक्ष को पूर्ण अधिकार है प्रथम पक्ष ने इससे पूर्व मकान/भूखण्ड को किसी अन्य को विक्रय, दान, बन्धक या अन्य प्रकार से हस्तान्तरित नहीं किया है तथा उक्त मकान पर प्रथम पक्ष ही काबिज है तथा निरन्तर उसके स्वामित्व में है। उक्त मकान पर कोई ऋण, कर एवं अन्य प्रभार बकाया नहीं है और न ही किसी अदालती कार्यवाही में उक्त मकान/भूखण्ड विवादास्पद है। उक्त मकान/भूखण्ड स्वत्व की दृश्टि से हर तरह से पाक एवं साफ है जिसका एक मात्र स्वामी प्रथम पक्ष है।
चूॅंकि प्रथम पक्ष को अपने निजी एवं पारिवारिक आवष्यकताओं की पूर्ति हेतु रूपयों की आवष्यकता है इसलिए उक्त मकान/भूखण्ड को …….. ………… ………… ………… ………………….. रूपये अक्षरे ………………………………………….. रूपये जिसके आधे ………………………………… रूपये होते हैं में विक्रय का प्रस्ताव प्रथम पक्ष द्वारा द्वितीय पक्ष के समक्ष रखा गया जिसे द्वितीय
पक्ष द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
अतएव यह विक्रय-पत्र साक्ष्यांकित करता है:
- यह कि उक्त विक्रेता प्रथम पक्ष ने क्रेता द्वितीय पक्ष से उक्त मकान/भूखण्ड के प्रतिफल की राषि ………………………… रूपये अक्षरे ……………………………………………….. रूपये प्राप्त कर लिये हैं तथा अब कुछ भी लेना षेश नहीं है।
- यह कि मकान/भूखण्ड का कब्जा क्रेता को सम्भला दिया है।
- यह कि उक्त मकान/भूखण्ड सभी प्रकार के भारों एवं प्रभारों से मुक्त है। उक्त विक्रय-पत्र की दिनांक से पूर्व के समस्त प्रभारों का दायित्व विक्रेता का तथा भविश्य में उत्पन्न प्रभार का दायित्व द्वितीय पक्ष क्रेता का होगा। मकान/भूखण्ड के स्वामित्व संबंधी त्रुटि के लिये विक्रेता प्रथम पक्ष उत्तरदाई होगा।
- यह कि इस विक्रय-पत्र के निश्पादन की तिथि से उक्त मकान/भूखण्ड का स्वामित्व क्रेता में निहित हो गया है एवं वह स्वयं, उसका उत्तराधिकारी, वारिस या अभिहस्ताकिती उसका उपयोग एवं उपभोग अपनी इच्छानुसार कर सकेंगे जिसमें विक्रेता, उसके उत्तराधिकारी एवं वारिस किसी प्रकार की बाधा नहीं डालेंगे।
- यह कि इस विक्रय-पत्र के निश्पादन की तिथि से क्रेता उक्त मकान/भूखण्ड को किसी को भी हस्तान्तरित करने एवं इच्छानुसार उपभोग व निश्पादन करने के लिए स्वतंत्र है।
- यह कि उक्त मकान/भूखण्ड पर कोई कर आदि बकाया नहीं है तथा भविश्य में देय करों का भुगतान क्रेता द्वारा किया जायेगा।
- इस विक्रय-पत्र पर देय मुद्रांक कर का दायित्व क्रेता का होगा। अतएव उपरोक्त षर्तो के साक्ष्य स्वरूप दोनों पक्षकारों ने बिना किसी दबाब के तथा अपने पूर्ण होषहवाष में निम्नलिखित दो गवाहों के समक्ष हस्ताक्षर किये हैं।
साक्षीगण
(1) हस्ताक्षर साक्षी … ……… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ….. हस्ताक्षर प्रथम पक्ष
विक्रेता
नाम …………………….
पता ………………………..
(2) हस्ताक्षर साक्षी………… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ……… ….. हस्ताक्षर द्वितीय पक्ष
क्रेता
नाम …………………….
पता ………………………..
विक्रय पत्र प्रारूप पीडीएफ डाउनलोड करें –
यदि आप विक्रय पत्र प्रारूप पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं। तो आप नीचे दिया गया प्रारूप डाउनलोड कर सकते हैं –
बैनामा यानी बिक्री पत्र एवं बिक्री समझौता में अंतर होता है।
मित्रों, आपको बता दें कि कई लोग बैनामा और बिक्री समझौता को एक ही समझते हैं। जबकि यह दोनों अलग अलग होते हैं। अब हम आपको बताएंगे कि इन दोनों में क्या अंतर होता है। सबसे पहले बात बैनामा यानी बिक्री पत्र की। इसे कन्वेयंस डीड अथवा सेल डीड भी कहते हैं। इस डीड पर हस्ताक्षर का अर्थ है कि बिक्री की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। हस्ताक्षर के पश्चात खरीदार के पास प्राॅपर्टी का स्वामित्व आ जाता है। इसके लिए खरीदार को स्टांप शुल्क भी चुकाना पड़ता है एवं रजिस्ट्रेशन फीस का भी भुगतान करना पड़ता है।
वहीं, बिक्री समझौता इससे पहले की प्रक्रिया है। यह भविष्य में प्राॅपर्टी बेचने का एग्रीमेंट (agreement) होता है। दोस्तों, आपको बता दें कि जब खरीदार एवं विक्रेता प्राॅपर्टी के लेन-देन को लेकर समझौता करते हैं तो वे एग्रीमेंट बनाते हैं। इसमें वे सभी नियम एवं शर्तें तय होती हैं, जिनके आधार पर लेन-देन होना है।
इसी दस्तावेज को अंग्रेजी में सेल एग्रीमेंट अथवा एग्रीमेंट टू सेल (agreement to sale) कहते हैं। यह ट्रांसफर आफ प्राॅपर्टी एक्ट (transfer of property act) -1882 के अनुसार तैयार कराया जाता है। यह तो आप जानते ही हैं कि इसी एक्ट में प्राॅपर्टी की खरीद एवं बिक्री से जुड़े मामलों की परिभाषा लिखी होती है।
बैनामा की नकल आनलाइन (online) भी निकाल सकते हैं?
मित्रों, आपको बता दें कि नागरिक यदि चाहें तो बैनामा की नकल यानी copy आनलाइन भी निकाल सकते हैं। इस सुविधा से नागरिकों को अपनी प्राॅपर्टी का ब्योरा एवं वसीयत जैसे दस्तावेज प्राप्त करने के लिए तहसील के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ती। वह कई प्रकार की असुविधाओं एवं परेशानी से बचे रहते हैं।
इसका एक और फायदा भी है। बैनामा न होने पर नागरिकों की जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया जाता है। इसी धोखाधड़ी को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने लैंड रिकार्ड (land record) आनलाइन कर दिया है, ताकि राज्य में जमीन की खरीद बिक्री पारदर्शी हो सके।
बैनामे की online नकल को किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?
दोस्तों, आपको बैनामे की online नकल निकालने के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ेगी, जो कि इस प्रकार से हैं-
- प्राॅपर्टी टैक्स पेमेंट की रसीद की फोटोकाॅपी। [Photocopy of the property tax payment receipt.]
- एफिडेविट [Affidavit]
- इन्डेम्निटी बांड [indemnity bond]
- जमीन की रजिस्ट्री [Land Registry]
बैनामा की नकल ऑनलाइन डाउनलोड करने की प्रक्रिया [Procedure to download Bainma copy online] –
मित्रों, अब हम आपको यह बताएंगे कि आप बैनामा की नकल online कैसे निकाल सकते हैं। बात करते हैं, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की। यदि आप यहां के निवासी हैं तो आराम से online बैनामा की काॅपी निकाल सकते हैं। इसके लिए आपको निम्न steps फाॅलो करने होंगे-
- सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार स्वराज द्वारा लांच online पोर्टल https://igrsup.gov.in/igrsup/defaultaction पर जाएं। आप यहां क्लिक करके डायरेक्ट भी जा सकते हैं।
- यहां online services के सेक्शन में search property का option दिखेगा। आपको इस पर क्लिक करना है। इसके बाद आपके सामने एक नया पेज खुल जाएगा।

- यहां आपको संपत्ति का पता 5 दिसंबर, 2017 से पूर्व पंजीकृत विलेखों का ब्योरा, 5 दिसंबर, 2017 एवं उसके बाद पंजीकृत विलेखों का ब्योरा एवं पंजीकरण संख्या तथा वर्ष दिखेगा। आपको अपने पंजीकरण की तिथि के अनुसार इस पर क्लिक करना है।

- अब आपके सामने एक और नया पेज खुलेगा। यहां आपको अपने जिले का बैनामा सर्च करना होगा। अब आपको संपत्ति का पता के विकल्प में अपने मकान, दुकान खसरा संख्या में से एक भरना होगा।

- इसके पश्चात तहसील या निबंधन कार्यालय का चयन करें। अब आपको मोहल्ला अथवा गांव का चुनाव करना होगा। अंत में कैप्चा कोड (captcha code) भरें एवं see the details के विकल्प पर क्लिक करें।

- अब आपके सामने एक और नया पेज खुल जाएगा। यहां आप अपनी संपत्ति का पंजीकरण वर्ष, पंजीकरण संख्या, पक्षकार का नाम, खसरा/मकान/ गाटा संख्या, संपत्ति का ब्योरा, पंजीकरण तिथि आदि देख सकेंगे।
- इसके पश्चात बैनामा डाउनलोड (download) करने के लिए scanned letter देखें के विकल्प पर क्लिक कर दें। आपका बैनामा डाउनलोड हो जाएगा।

फर्जी बैनामे से हड़पी गईं बेशकीमती जमीनें
बेशक सरकार बैनामे को लेकर होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के पूरे प्रयास कर रही है, इसके बावजूद रजिस्ट्री कार्यालय से सांठ गांठ करके भू-माफिया ने फर्जी बैनामे तैयार कर बेशकीमती जमीनें हड़पी हैं। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले स्थित टिकरा उस्मा गांव का ऐसा ही मामला है।
यहां अशफाक अहमद की जमीन को किसी और की फोटो लगाकर और फर्जी गवाह दिखाकर लखनऊ के गोमतीनगर निवासी नागेश यादव ने हड़प लिया। पीड़ित को इसका पता लगा, जब वह बैनामा रजिस्ट्री के कागजात लेने के लिए हल्के के लेखपाल के पास पहुंचा। यह बात तो बस एक बानगी भर है, इस तरह के हजारों मामले अब तक सामने आ चुके हैं। खास तौर पर उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में इस तरह के कई केस सामने आए हैं।
बैनामा से जुड़े सवाल-जवाब
संपत्ति का बैनामा क्यों आवश्यक है?
संपत्ति का बैनामा ही वह दस्तावेज होता है, जो इस बात का सुबूत है कि किसी व्यक्ति ने अपनी संपत्ति का मालिकाना हक खरीदार को ट्रांसफर कर दिया है।
क्या बैनामा एवं बिक्री समझौता अलग होता है?
जी हां, बैनामा एवं बिक्री समझौता अलग होता है। बिक्री समझौता बैनामे से पूर्व तैयार किया जाता है।
क्या बिक्रीनामा ही बैनामा कहलाता है?
जी हां, बैनामा ही बिक्रीनामा कहलाता है। इसे अंग्रेजी में कन्वेयंस अथवा सेल डीड भी कहते हैं।
बैनामे में क्या जानकारी होती है?
बैनामे में खरीदार एवं विक्रेता समेत बेची जाने वाली जमीन से संबंधित सारी जानकारी होती है। इसमें गवाहों के हस्ताक्षर भी आवश्यक रूप से होते हैं।
क्या बैनामे को सब रजिस्ट्रार आफिस में रजिस्टर्ड कराना जरूरी है?
जी हां, इसके बगैर आपकी डील अधूरी रह जाएगी।
क्या बैनामे की नकल आनलाइन भी ली जा सकती है?
जी हां, बैनामे की नकल आनलाइन हासिल करने की भी सुविधा दी गई है।
दोस्तों, हमने आपको बैनामे के अर्थ, इसकी महत्ता की जानकारी दी तथा बताया कि बैनामा कैसे लिखा जाता है। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके बहुत काम आएगी। यदि आप ऐसा ही जानकारीपरक पोस्ट हमसे चाहते हैं तो विषय नाम हमें कमेंट बाॅक्स में लिखकर भेज सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों का हमें हमेशा की तरह इंतजार है। ।।धन्यवाद।।