Suchna Ka Adhikar अधिनियम यानी Right to Information Act के तहत राष्ट्र अपने देश के नागरिकों को सूचना हासिल करने का मौका प्रदान करता है। इस अधिकार के जरिये कोई भी देश अपने बाशिंदों के सामने अपने कार्य और शासन प्रणाली सार्वजनिक करता है।
Suchna Ka Adhikar Kya Hai? इसे भारत में कब लागू किया गया था?
इस कानून को भारत में 14 साल पहले लागू किया गया था अपने देश में 14 साल पहले यानी 2005 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए सरकार ने 2005 में 12 मई के दिन Suchna Ka Adhikar अधिनियम को संसद में पारित किया।
इसके ठीक करीब एक महीने बाद 15 जून के दिन इस Act को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी और 2005 में ही 12 अक्टूबर को इस सूचना का अधिकार अधिनियम को सभी धाराओं के साथ जम्मू कश्मीर छोड़कर पूरे देश में लागू कर दिया गया।
इस Act के जरिये देश के सामान्य नागरिक को सूचना हासिल करने का हक मिल गया। सभी सरकारी विभागों, Public Sector Units किसी भी तरह की सरकारी मदद से चल रहीं गैर सरकारी संस्थाएं और शिक्षण संस्थाएं इसके दायरे में आती हैं।
निजी संस्थान पूरी तरह से इसके दायरे में नहीं, लेकिन अगर किसी कानून के जरिये कोई सरकारी विभाग किसी निजी संस्था से कोई जानकारी मांग सकता है तो उस विभाग के जरिये वह सूचना हासिल की जा सकती है।
सभी सवाल पूछने के अधिकार के अलावा कोई भी टिपण्णी, सारांश, दस्तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों या सामग्री के नमूनों की मांग की जा सकती है।

Suchna Ka Adhikar के तहत सूचनाओं की जानकारी कौन प्रदान करता है?
जन सूचना अधिकारी Right to Information Act के तहत मांगी गयी सूचनाओं को कलेक्ट करते हैं और फिर उसे मांग करने वाले व्यक्ति तक पहुंचाते हैं।
हर विभाग में एक या एक से अधिक Jan Suchna Adhikari बनाये गए हैं। इन अधिकारियों का काम सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लेना, मांगी गई सूचना इकठ्ठा करना और उसे आवेदन करने वाले को मुहैया कराना होता है।
Right to Information (Suchna Ka Adhikar) से सूचना कैसे मांगी जाती है?
आवेदन पत्र सम्बंधित राज्य की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते है। यह हाथ से लिखा हुआ या फिर टाइप किया हुआ भी हो सकता है। RTI Application Form In Hindi PDF आप यहाँ क्लीक करके डाउनलोड कर सकते हैं यहाँ आपको 6 टाइप RTI Application Form In Hindi PDF फोर्मेट में मिलेगें। आपको जिस प्रकार के फॉर्म की आवश्यकता हो उसे प्रिंट कर लें।
- आवेदन हिंदी, अंग्रेजी या सम्बंधित प्रादेशिक भाषा में तैयार किया जा सकता है।
- इसमें आपको जन सूचना अधिकारी या सहायक जन सूचना अधिकारी को संबोधित कर उसके कार्यालय का पता लिखना होगा।
- इसके बाद विषय लिखें। इसमें उस सूचना का ब्यौरा दें जो आप सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत से हासिल करना चाहते हैं
- इसके बाद आवेदनकर्ता का नाम
- आवेदनकर्ता के पति या पिता का नाम
- वर्ग यानी अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ी जाति
- इसके बाद Application Fee का ब्यौरा
- क्या आप BPL परिवार से ताल्लुक रखते है। इसका जवाब हाँ/न में।
- मोबाइल, नंबर/ईमेल (हालाँकि जरुरी नहीं)
- पत्राचार के लिए डाक पता
- स्थान और तारीख
- आवेदनकर्ता के हस्ताक्षर
Suchna Ka Adhikar के तहत कितनी फीस चुकानी पड़ती है?
केंद्र में फीस 10/-, कई राज्यों में अलग, पहले जान लें : – आवेदन करने से पहले जन सूचना अधिकारी का नाम, फीस और उसकी भुगतान प्रकिया के बारे में जान ले। यह सूचना मुफ्त में नहीं मिलेगी। इसके लिए आवेदन फीस रखी गयी है। केंद्र ने आवेदन के साथ 10 रुपये की फीस रखी है। अलबत्ता कुछ मामलों में यह फीस ज्यादा भी हो सकती है।
BPL Card धारकों को फीस में कितनी छूट मिलती है?
बीपीएल कार्ड धारकों को आवेदन फीस में छूट दी गयी है। इतना ही नहीं। सूचना दस्तावेजों को लेने के लिए भी फीस देनी होगी। केंद्र ने यह 2 रुपये प्रति पेज रखी है, लेकिन कुछ राज्यों में यह ज्यादा है।
अगर आपको सूचना तय समयावधि में मुहैया नहीं करायी जाति तो फिर ये सूचना मुफ्त दी जाएगी। क्योंकि SC/ST और बीपीएल परिवारों को फीस भुगतान से छूट प्राप्त है, ऐसे में उन्हें सम्बंधित प्रमाण पत्र की कॉपी जमा करनी होगी।
सूचना के अधिकार का आवेदन कैसे जमा करें?
आवेदन हाथ से, डाक से या ईमेल के जरिये भेजा जा सकता है। अगर आप डाक से आवेदन कर रहे हैं तो रजिस्टर्ड डाक से भेजें, कुरियर काप्रयोग न करें। आवेदन ईमेल से भेजना हो तो जरुरी दस्तावेजों की स्कैन कॉपी अटैच करें।
लेकिन फीस जमा करने के लिए आपको सम्बंधित लोक अधिकारी के कार्यालय ही जाना होगा। ऐसी स्थिति में सूचना आपूर्ति के समय की गणना शुल्क भुगतान की तिथि से ही की जाएगी।
फीस जमा के प्रमाण को सुरक्षित रखें –
आवेदन पत्र, फीस जमा की रसीद या प्रमाण खुद या डाक के जरिये जमा आवेदन की पावती की 2 फोटो प्रति अपने पास सुरक्षित रखें। अगर अपने अपना आवेदन लोक अधिकारी के कार्यालय जाकर जमा किया है तो वहां से पावती यानी प्राप्ति प्रमाण अवश्य लें।
इस पर प्राप्ति की तिथि और मुहर साफ साफ अंकित हो। अगर आवेदन रजिस्टर्ड डाक से भेज रहें हों तो Post Office से रसीद जरुर लें और उसे संभालकर रखें।
RTI आवेदन प्राप्ति की तिथि से गिनी जाति है अवधि –
सूचना आपूर्ति की अवधि की गणना लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन प्राप्ति की तिथि से शुरू होती है।जनसूचना अधिकारी की जिम्मेदारी है वह 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध कराए।
कुछ मामलों में यह अवधि 45 दिन भी होती है। जिन्दगी से जुड़े मसलों में 48 घंटे के भीतर भी सूचना प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
सूचना किसी और विभाग की तो 5 दिन और जोड़ें –
अगर जन सूचना अधिकारी को लगता है की यह सूचना उसके विभाग से सम्बंधित नहीं है तो वह इसे पांच दिन के अन्दर सम्बंधित विभाग को भेजता है। इस स्थिति में सूचना मिलने की अवधि में 5 और दिन जुड़ जायेंगे।
जन सूचना अधिकारी को सूचना मांगने का कारण पूछने का अधिकार है अथवा नहीं?
अगर वह तय समयावधि में सूचना उपलब्ध नहीं कराता तो देरी के लिए 250 रुपये से लेकर 25 हज़ार तक का ज़ुर्माना उस पर लगाया जा सकता है। उसे सूचना तो देनी ही होगी।
धारा 8 में न दी जा सकने वाली सूचना का ब्यौरा –
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 में उन मामलों का ब्यौरा दिया गया है, जिनमे सूचना नहीं दी जा सकती। मसलन देश की रक्षा से जुड़े या अत्यंत गोपनीय मामलों में सूचना न दिए जा सकने का भी प्रावधान किया गया है। लेकिन अगर आप यह सूचना जनहित में है तो इसे दिया जाना होगा।
सूचना से संतुष्ट नहीं तो अपील करें –
अगर आप दी गयी सूचना से संतुष्ट नहीं हैं तो 30 दिन के अन्दर प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकते हैं। अगर आप इस अपील से भी संतुष्ट नहीं हैं तो 60 दिन के भीतर केंद्रीय या राज्य सूचना आयोग (जिससे यह मामला सम्बंधित हो) के समक्ष अपील की जा सकती है।
इससे पहले शासकीय गोपनीयता अधिनियम था लागू –
सूचना को गोपनीय रखने के लिए इस से पहले शासकीय गोपनीयता अधिनियम 1923में बना था जिसके तहत देश में शासन कर रही ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार हो गया की वह किसी भी सूचना को गोपनीय रख सके।
आजादी मिलने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। 3 दिसंबर, 1989 को उस वक़्त के प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने संविधान में संशोधन करके सूचना का अधिकार कानून बनाने और शासकीय गोपनीयता अधिनियम में संशोधन की घोषणा की लेकिन वह सर्कार बहुत दिन नहीं चल पाई और ऐसा नहीं हो सका।
इसके बाद 2002 में संसद ने सूचना की स्वतंत्रता विधेयक पारित किया। इसे जनवरी, 2003 में राष्ट्रपति ने मंजूर किया, लेकिन इसकी नियमावली बनाने के नाम पर इसे लागू नहीं किया गया।
Suchna Ka Adhikar – RTI Online Status जानने की भी सुविधा –
अगर आपको किसी भी सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार का अंदेशा है। चीजों में जानबूझ कर लापरवाही बरती जा रही है तो आप बेखटके इस अधिकार का इस्तेमाल करें। ऑनलाइन आवेदन के साथ ही ऑनलाइन स्टेटस भी जान सकते है अपने आवेदन का।
Suchna Ka Adhikar कानून हम सबकी एक बड़ी ताकत है। इस ACT का सही ढंग से इस्तेमाल करना हम सभी को आना चाहिए। यदि हम इसका प्रयोग सही ढंग से करें। तो अपने हर सवाल का जवाब देश के विभागों और वहां मौजूद अधिकारियों से मांग सकते हैं।
FAQ
RTI का काम पूरा नाम क्या हैं?
RTI का full form Right to Information होता है, जिसे हिंदी के सूचना का अधिकार कहा जाता हैं।
सूचना का अधिकार क्या है
भारत के संविधान में धारा 19 (1) के तहत भारतीय नागरिकों को एक अधिकार दिया गया है। जिसे सूचना का अधिकार कहा जाता है। इस सूचना अधिकार के अंतर्गत देश का हर व्यक्ति सरकार कैसे काम कर रही है और उसी क्या भूमिका है इसकी जानकारी ले सकता है।
सूचना के अधिकार को क्यों लागू किया गया है
भारतीय संसद में बढ़ते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए 2005 में आरटीआई कानून बनाया गया था जिसे सूचना का अधिकार कहा जाता है। इस सूचना क
सूचना अधिकार के अंतर्गत क्या किसी भी विभाग की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं?
जी हां इस अधिकार के अंतर्गत भारत का कोई भी नागरिक आरटीआई लिखकर या फिर ऑनलाइन लगाकर किसी भी विभाग की जानकारी को हासिल कर सकता है।
आरटीआई कैसे भरें?
आरटीआई भरना काफी आसान है बस इसके लिए सबसे पहले अपील कर रहे हैं उस अधिकारी का नाम और उसका पता जैसी जानकारी भरना जरूरी होता हैं।
तो दोस्तों आपको इस आर्टिकल में Suchna Ka Adhikar क्या है? RTI से सूचना कैसे मांगी जाती है? के बारे में महत्वपूर्ण जानकरी प्राप्त की। आप RTI का उपयोग करके किसी भी विभाग से किसी भी जानकारी को हासिल कर सकतें हैं। यदि आपको आर्टिकल में कुछ समझ में न आया हो तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछं सकते हैं। हम जल्द ही आपके सवालों का जवाब देने का प्रयास करेगें। साथ ही यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें। ताकि उन्हें भी इसकी जानकारी प्राप्त हो सके।। धन्यवाद ।।
RTI लगाने के बाद प्रथम अपील करने का कितना समय होता तो हैं ओर प्रथम अपील को ईमेल से भेज सकते हैं क्या जबकि RTI डाक से भेजी थी
Meri Ma ki vidhwa pension Nahin bani hai
Kai bar sarpanch ke pass bhumi per koi jankari Nahin deta
Iska koi samadhan ho to jarur bataen
Vidhwa pension ke bare mein koi bhi nahin sunta hai har jagah jaliye per koi samadhan Nahin hua
डायरेक्ट समाज कल्याण विभाग के कार्यालय में जाएं और आवेदन करें।
द्वितीय अपील में सुनवाई के बाद लोक सूचना अधिकारी को सही सूचना कितने समय मे देनी होती है,जबकि लोक सूचना अधिकारी को 10 सितंबर को मेल से सूचना देने के लिये आदेशित कर दिया गया था। यह अब तक प्राप्त नही हुई।
सन्तोष पति नत्थूराम कङवारस विश्नोई
गांव कँवरपुरा 4 F.F.b तहसील
रांयसिहनगर जिला श्रीगंगानगर
राजस्थान पिन कोङ 335051
Very good
मैंने 2015 में तहसील दिवस पर एक प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर कार्रवाई हुई थी क्या उसकी कार्रवाई की आरटीआई मे डालने पर पूरी सूचना मिल सकती है तथा सभी सूचनाओं की प्रमाणित प्रति उपलब्ध हो सकती है आवेदक को अपना आईडी प्रूफ लगाना पड़ेगा । आर टी आई के लिए आवेदन कैसे करें।
Van vibhag me farji marksheet ki janch kaise karate hai our FIR kaise hoti hai.