वकालतनामा कैसे भरा जाता है? क्या बगैर वकील के भी मुकदमा लड़ा जा सकता है?

वकालतनामा क्या होता है? यह कितना महत्वपूर्ण होता है? वकालतनामा कैसे भरा जाता है? क्या बगैर वकील के भी मुकदमा लड़ा जा सकता है? (What is vakalatnama?, How important it is?, How vakalatnama is filled?, Is it possible to fight your case without an advocate?)

आपने हकीकत में बेशक कोर्ट की कार्रवाई न देखी हो, लेकिन फिल्मों में कोर्ट के दृश्य खूब देखे होंगे। अदालत, मेरी जंग, दामिनी, जॉनी एलएलबी जैसी फिल्मों में वकीलों की जिरह आपको खूब याद होगी, जो अपने मुवक्किल को जिताने के लिए खूब ऑफ द कोर्ट जुगत भी लगाते हैं। आखिर मुवक्किल के लिए यह सब करने का हक वकीलों को कौन देता है? इसका जवाब है वकालतनामा। क्या आप जानते हैं वकालतनामा क्या होता है? इसके क्या लाभ होते हैं? वकालतनामा कैसे भरा जाता है? यदि नहीं तो भी कोई बात नहीं। आज इस पोस्ट में हम आपको इन सभी सवालों के जवाब समेत वकालतनामा से जुड़े हर बिंदु पर जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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वकील कौन होता है? (Who is an advocate?)

साथियों, इससे पूर्व कि वकालतनामा पर बात करें, पहले जान लेते हैं कि वकील कौन होता है? (Who is advocate?) आपने काला कोट पहने अदालत में जिस शख्स को अपने मुवक्किल के लिए बहस करते देखा होगा वह वकील होता है। मूल रूप से वह विधि का ज्ञाता होता है। अदालत में कानून की प्रैक्टिस करता है। वह अपने मुवक्किल को अदालती कायदे कानून के अनुसार राह दिखाता है। कानूनी पेपर तैयार करने से लेकर कोर्ट में अपने मुवक्किल के लिए बहस करता है। उसका कार्य संविधान द्वारा बनाए गए नियमों के दायरे में रहकर अपने मुवक्किल को न्याय दिलाना होता है।

वकालतनामा कैसे भरा जाता है? क्या बगैर वकील के भी मुकदमा लड़ा जा सकता है?

वकालतनामा क्या होता है? (What is an vakalatnama?)

दोस्तों, आपको बता दें कि वकालतनामा (vakalatnama) एक प्रकार का कानूनी दस्तावेज (legal document) होता है। इसे पावर आफ अटार्नी (power of attorney) भी कहते हैं। यह वकील एवं उसके मुवक्किल के बीच उसके मामले की सुनवाई हेतु गए करार का लिखित प्रमाण (written proof) होता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो वकालतनामा एक प्रकार का समझौता (contract) पत्र अथवा अथॉरिटी लेटर (authority letter) होता है, जो किसी मुवक्किल द्वारा अपने वकील को दिया जाता है। दोस्तों, आपको बता दें कि वकालतनामा ही कोर्ट (court) में आवेदक का प्रतिनिधित्व करने के लिए संबंधित वकील को अधिकृत करता है।

वकालतनामा कितना आवश्यक होता है? (How important a vakalatnama is?)

दोस्तों, वकालतनामा उचित स्टाम्प (stamp) राशि के साथ कोर्ट में जमा किया जाता है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, ट्रिब्यूनल आदि में वकालतनामा पर 25 रुपए का स्टांप लगाया जाता है। एक वकालतनामा कितना आवश्यक होता है, यह आप इसी बात से समझ लीजिए कि यदि आपके किसी मामले की सुनवाई अदालत में होने जा रही है तो इसकी शुरुआत आपके वकील के वकालतनामे के साथ ही होती है।

कोर्ट में वकालतनामा दाखिल करना बहुत ही आवश्यक होता है, अगर आप कोर्ट में वकालतनामा दाखिल नहीं करते हैं, तो आप कोर्ट में अपना केस वकील के द्वारा नहीं लड़ सकते हैं। आवेदक की सहमति की घोषणा करने के लिए वकील द्वारा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत यह वकालतनामा कोर्ट में पेश किया जाता है।

याद रखें कि वकालतनामा एक रजिस्टर्ड वकील के द्वारा ही दाखिल किया जा सकता है। वकालतनामे के बाद ही वकील कानूनी पेपर तैयार करने से लेकर कोर्ट में अपने मुवक्किल के लिए बहस भी करते है। एक वकील को भारत के संविधान के अनुसार ही चलना होता है। इसके नियमो के अनुसार ही उसे अपने मुवक्किल को न्याय दिलाना होता है।

वकालतनामा कैसे भरते हैं? (How vakalatnama is filled?)

मित्रों, अब आपको बताते हैं कि वकालतनामा कैसे भरते हैं। दोस्तों, बता दें कि हमारे देश में वकालतनामा को सिविल प्रक्रिया संहिता (civil procedure code)-1908 के आदेश (3) नियम-4 के अनुसार भरा जा सकता है। इसमें किसी मामले में वादी, प्रतिवादी एवं वकील से संबंधित विवरण दर्ज होता है। इसमें संबंधित मुवक्किल द्वारा अधिवक्ता की लिखित रूप में नियुक्ति होती है। साथ ही इस पर क्लाइंट यानी पक्षकार एवं उसके वकील के हस्ताक्षर होते हैं। यदि संबंधित मुवक्किल अनपढ़ है, तो उसका अंगूठे का निशान भी लगाया जा सकता है। इसमें मुख्य रूप से यह जानकारी भरी जाती है-

  • पक्षकार का पूरा नाम।
  • वादी अथवा प्रतिवादी का पूरा नाम।
  • उसके पिता अथवा पति अथवा संरक्षक का नाम एवं पूरा पता।
  • जिस कोर्ट के समक्ष मुकदमा दायर किया जाना है, उसका नाम।
  • जिस वकील को कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए नियुक्त किया जा रहा है उसका नाम।
  • वकील के हस्ताक्षर।
  • वादी अथवा प्रतिवादी के हस्ताक्षर। ( याद रखें कि एक से अधिक वादी अथवा प्रतिवादी होने की स्थिति में सभी के हस्ताक्षर होंगे)।

वकालतनामा के क्या क्या लाभ हैं? (What are the advantages of vakalatnama?)

साथियों, अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि वकालतनामे के क्या क्या लाभ हैं? तो एक नजर इस जानकारी पर डाल लीजिए-

  • कोर्ट में आपका वकील आपके मुकदमे की पैरवी करता है।
  • इस वकालतनामे की समय सीमा क्लाइंट या वकील की मृत्यु तक, मुकदमे की समाप्ति तक अथवा पक्षकारों द्वारा खारिज कर दिए जाने तक होती है।
  • यदि आप कोर्ट में किसी वजह से उपस्थित नहीं हो तो आपका केस यानी वाद पर कोई ऐसी कार्यवाही नहीं होगी, जिसके द्वारा आप का केस खारिज कर दिया जाए। आपका वकील एक हाजिरी माफी के द्वारा आप की उपस्थिति को माफ करा सकता है।
  • वकालतनामे के जरिए वकील केवल एक पक्ष का ही वकील हो सकता है। यानी जो वकील आपके पक्ष में लड़ रहा है, अब वह विपक्ष में नहीं जा सकता, ना ही उससे कोई ऐसा गठबंधन कर सकता है कि आपका वाद खारिज हो जाए या आपको नुकसान हो।

वकालतनामा अदालत में कैसे दाखिल किया जाता है? (How vakalatnama is filed in court?)

दोस्तों, अब आप जानना चाहते होंगे कि वकालतनामा को अदालत में कैसे दाखिल किया जाता है? तो आपको बता दें कि वकालतनामे को वाद के अंतिम पृष्ठ पर चिपकाया जाता है। इसे कोर्ट/न्यायालय के अभिलेखों (records) के साथ रखा जाता है।

क्या कोर्ट में वकालतनामा दाखिल करने पर कोई फीस लगती है? (Is there any fee for filling vakalatnama in court?)

साथियों, आपको बता दें कि पूर्व में कोर्ट में वकालतनामा दाखिल करने पर कोई फीस नहीं लगती थी, लेकिन अब विभिन्न स्थानों पर इसकी एक मामूली फीस ली जाने लगी है। जैसे-झारखंड में यह फीस महज 50 रुपए रखी गई है तो वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट में इस पर बेहद मामूली 10 रुपए की फीस का प्रावधान किया गया है। बहुत जगह यद्यपि अभी भी इस पर कोई फीस नहीं लगती।

क्या कोई व्यक्ति बगैर वकील के केस लड़ सकता है? (Can someone fight case without an advocate?)

दोस्तों, यह तो हमने आपको बता दिया कि यदि कोई वकील आपका केस लड़ता है तो आपको उस के पक्ष में वकालतनामा तैयार करना पड़ता है। लेकिन क्या कोई व्यक्ति अपना केस खुद भी लड़ सकता है? तो मित्रों, इसका जवाब हां है। अधिवक्ता अधिनियम-1961 की धारा 32 के मुताबिक, बिना वकील के भी केस लड़ा सकता है। आप खुद अपना केस लड़ सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको पहले जज से अनुमति लेनी पड़ती है। खास बात यह है कि इसके लिए किसी व्यक्ति के पास कानून यानी लॉ की डिग्री होना भी आवश्यक नहीं।

क्या वकालतनामे के बाद भी वकील को बदला जा सकता है? (Is it possible to change advocate after vakalatnama?)

दोस्तों, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या वकालतनामे के बाद भी किसी वकील को बदला जा सकता है? तो दोस्तो, इसका जवाब हां में है। मुवक्किल अपने वकील को बदल सकता है, लेकिन इसके लिए उसे वर्तमान वकील द्वारा वर्तमान वकालतनामे पर ही एनओसी लेनी होगी। एनओसी की फुल फॉर्म ऑफ जानते ही होंगे। यह नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (no objection certificate) होती है। नए वकील को नियुक्त करने के लिए व्यक्ति को नया वकालतनामा तैयार करने की आवश्यकता होगी।

भारत में इस समय कितने वकील कार्यरत हैं? (How many advocates are there at present in india?)

मित्रों, यदि बार कौंसिल आफ इंडिया (Bar council of India) में रजिस्टर्ड वकीलों की बात करें तो एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसे वकीलों की संख्या इस समय लगभग 14 लाख से भी अधिक है। यदि वर्तमान समय के कुछ मशहूर वकीलों का जिक्र करें तो इनमें राम जेठमलानी, कपिल सिब्बल, उज्जवल निकम, ऐश्वर्या भाटी जैसे वकीलों के नाम सबसे ऊपर आते हैं। इनमें से कुछ विभिन्न राजनीतिक दलों से भी जुड़े हैं।

वकालतनामा क्या होता है?

यह एक प्रकार का अधिकार पत्र होता है, जिसके जरिए कोई व्यक्ति किसी वकील को अपने मुकदमे की पैरवी के लिए अधिकृत करता है।

वकालतनामा कैसे भरा जाता है?

इसकी पूरी प्रक्रिया हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताई है। आप वहां से देख सकते हैं।

वकालतनामे की समय सीमा कब तक होती है?

वकालतनामे की समय सीमा वकील या पक्षकार/पक्षकारों की मृत्यु, मुकदमा समाप्त होने अथवा पक्षकारों द्वारा इसे खारिज किए जाने तक रहती है।

हमारे देश में वकालतनामा किस नियम के तहत भरा जाता है?

हमारे देश में वकालतनामा सिविल प्रक्रिया संहिता (civil procedure code)-1908 के आदेश (3) नियम-4 के तहत भरा जाता है।

क्या कोई व्यक्ति बगैर वकील भी केस लड़ सकता है?

जी हां, हमारे देश में कोई भी व्यक्ति अपना केस बगैर वकील स्वयं लड़ सकता है, लेकिन इसके लिए उसे संबंधित जज की अनुमति लेना आवश्यक है।

क्या अपना केस खुद लड़ने के लिए व्यक्ति के पास कानून की डिग्री होना आवश्यक है?

जी नहीं, ऐसा होना कतई आवश्यक नहीं।

क्या किसी पक्षकार के मुकदमे की पैरवी करते हुए वकील दूसरे पक्ष की ओर से भी लड़ सकता है?

जी नहीं, वह वकालतनामे द्वारा बाध्य होता है। वह ऐसा नहीं कर सकता।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में वकालतनामा के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। यदि आप कोर्ट में कोई केस दाखिल करने जा रहे हैं तो यह जानकारी निश्चित रूप से आपके लिए बहुत उपयोगी होगी। इस पोस्ट के संबंध में अपने विचार आप हम तक नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश कुमारी

मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

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